नई दिल्ली, 30 अगस्त (आईएएनएस)। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली और आसपास के इलाकों में वायु प्रदूषण एक बहुत बड़ी समस्या है। खासकर जाड़े के मौसम में यह समस्या और विकराल हो जाती है। दिल्ली सरकार ने इस साल इससे निपटने के लिए अभी से तैयारी शुरू कर दी है। राज्य के वन एवं पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने इसी सिलसिले में गुरुवार को विशेषज्ञों के साथ एक बैठक भी की। निजी वाहनों के लिए ऑड-ईवन की व्यवस्था लागू करने की संभावना के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने के कहा कि परिस्थितियों के आधार पर इस पर फैसला होगा। आईएएनएस एक्सप्लेनर में जानिये ऑड-ईवन समेत दूसरे प्रतिबंध और उपाय लागू करने के क्या हैं नियम।
दिल्ली में वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के उपाय राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र एवं आसपास के इलाकों के लिए गठित वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग द्वारा जारी वायु गुणवत्ता प्रबंधन योजना के तहत लागू किये जाते हैं। इसके लिए ग्रैप के नाम से योजना के दिशा-निर्देश हैं जिनमें पहले से तय है कि प्रदूषण का स्तर बढ़ने के साथ किस तरह के प्रतिबंध लगेंगे और क्या उपाय किये जाएंगे। पिछले साल अपडेट किये गए दिशा-निर्देशों के मुताबिक, ग्रैप के चार चरण हैं।
वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 201 से 300 के बीच रहने पर ग्रैप का पहला चरण लागू किया जाता है। एक्यूआई 301 से 400 के बीच होने पर दूसरा चरण और 401 से 450 के बीच होने पर तीसरा चरण लागू किया जाता। प्रदूषण बहुत ज्यादा बढ़ने के साथ एक्यूआई यदि 450 को पार कर जाता है तो ग्रैप का चौथा चरण लागू होता है जिसके तहत प्रतिबंध सबसे ज्यादा और सबसे कड़े होते हैं।
पहले चरण में कंस्ट्रक्शन और डिमोलिशन से निकलने वाली धूल और मलबे के प्रबंधन को लेकर निर्देश लागू होते हैं। खुली जगहों पर कचरा आदि जलाने और फेंकने से रोकने और नियमित तौर पर कूड़ा उठान के निर्देश हैं। सड़कों पर धूल को उड़ने से रोकने के लिए कुछ दिनों के अंतराल पर पानी का छिड़काव किया जाता है। डीजल जेनरेटर सेट का नियमित इस्तेमाल बंद कर दिया जाता है। पीयूसी के नियमों को सख्ती से लागू किया जाता है और वाहनों से निकलने वाले धुएं को लेकर सख्ती बरती जाती है।
दूसरे चरण में अस्पतालों, रेल और मेट्रो सेवाओं जैसी जगहों को छोड़कर कहीं और डीजल जनरेटर के इस्तेमाल पर प्रतिबंध रहता है। सड़कों की साफ-सफाई के साथ पानी का छिड़काव रोजाना किया जाता है। फैक्ट्रियों में सिर्फ उचित ईंधन का ही उपयोग सुनिश्चित किया जाता है। लोगों को पब्लिक ट्रांसपोर्ट का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल करने के लिए पार्किंग फीस बढ़ा दी जाती है। निर्माण स्थलों पर निरीक्षण बढ़ा दिया जाता है। मीडिया में विज्ञापन के जरिये लोगों को जागरूक किया जाता है।
तीसरे चरण में हर दिन सड़कों की साफ-सफाई कराई जाती है। नियमित तौर पर पानी का छिड़काव कराया जाता है। कंस्ट्रक्शन और डिमोलिशन से निकलने वाले धूल और मलबे का सही तरह का निष्पादन कराया जाता है। दिल्ली, गुरुग्राम, फरीदाबाद, गाजियाबाद और गौतम बुद्ध नगर में पेट्रोल से चलने वाले बीएस-3 इंजन वाले और डीजल से चलने वाले बीएस-4 चार पहिया वाहनों के इस्तेमाल पर रोक लगाने का प्रावधान है।
चौथे चरण में ट्रक, लोडर आदि भारी वाहनों को दिल्ली में प्रवेश करने पर रोक लगा दी जाती है। सिर्फ आवश्यक सामग्री वाली आपूर्ति करने वाले वाहनों को प्रवेश दिया जाता है। सभी प्रकार के निर्माण और तोड़फोड़ कार्यों पर प्रतिबंध लगा दिया जाता है। राज्य सरकार स्कूली छात्रों के लिए ऑनलाइन कक्षाओं और सरकारी और निजी कार्यालयों के लिए घर से काम करने पर भी निर्णय लेती हैं। ऑड-ईवन का निर्णय भी चौथे चरण में लिया जा सकता है, हालांकि यह जरूरी नहीं, लेकिन ऐसा करने के लिए राज्य सरकार को अधिकार दिये गये हैं।
–आईएएनएस
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