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क्या भारत-जापान में अन्य क्षेत्रों में भी हो सकती है साझेदारी? जेटीटीआरआई अध्यक्ष ने बताया

देशबन्धु by देशबन्धु
October 5, 2025
in अंतरराष्ट्रीय
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क्या भारत-जापान में अन्य क्षेत्रों में भी हो सकती है साझेदारी? जेटीटीआरआई अध्यक्ष ने बताया
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नई दिल्ली, 5 अक्टूबर (आईएएनएस)। जापान को पहली बार देश की पहली महिला प्रधानमंत्री मिलने जा रही है। वहीं, भारत और जापान के बीच बुलेट ट्रेन परियोजना तेजी से आगे बढ़ रही है। इस बीच जापान के परिवहन और पर्यटन अनुसंधान संस्थान (जेटीटीआरआई) एवं अंतरराष्ट्रीय हाई-स्पीड रेल एसोसिएशन (आईएचआरए) के अध्यक्ष मासाफुमी शुकुरी ने आईएएनएस से खास बातचीत की। इस दौरान उन्होंने भारत और जापान के बीच व्यापारिक संबंधों पर गहरी बातचीत की।

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भारत और जापान के बीच बुलेट ट्रेन को लेकर तेजी से काम चल रहा है। इसके बारे में जब आईएचआरए के अध्यक्ष से पूछा गया तो उन्होंने कहा, “जापान के तत्कालीन पीएम शिंजो आबे और भारत के पीएम नरेंद्र मोदी के बीच 2015 में जापान की तकनीक पर आधारित मुंबई और अहमदाबाद के बीच जापानी तकनीक पर आधारित एक हाई स्पीड रेल स्थापित करने के लिए की गई। आज 10 साल हो चुके हैं और मैं खुद अंतरराष्ट्रीय हाई स्पीड रेलवे एसोसिएशन के अध्यक्ष के रूप में इस विशेष परियोजना को बहुत करीब से देख रहा हूं।”

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उन्होंने कहा कि इस अवधि के दौरान मैं कोविड के अलावा विभिन्न निर्माण स्थलों पर भी गया, मैं हर साल भारत में रहा हूं और अपनी आंखों से प्रगति देखने के लिए दक्षिण पश्चिम का दौरा किया है, यह विशेष परियोजना है। खासकर अगर मैं इस बुनियादी ढांचे की प्रगति को देखता हूं तो विकास बहुत अच्छी प्रगति दिखा रहा है।

जेटीटीआरआई ने कहा कि मैं समझता हूं कि शुरुआती वर्षों के दौरान हमें भूमि अधिग्रहण के साथ कुछ समस्याएं थीं, जो थोड़ी देरी का कारण हो सकती हैं और भारतीय साइट के हितधारकों के प्रयासों से उस बाधा को दूर किया गया था, मेरा मानना ​​​​है कि परियोजना काफी प्रगतिशील है।

बुलेट ट्रेन के अलावा भारतीय परिवहन के अन्य क्षेत्रों में भारत-जापान की साझेदारी की संभावना पर उन्होंने कहा कि इस प्रोजेक्ट जापान ने भारत को केवल ओडीए के साथ-साथ तकनीकी सहयोग के रूप में सहायता प्रदान की है और इस पूरी परियोजना के दौरान जापान और अलग-अलग भारतीय साइटों, दिल्ली मेट्रो साइटों के हितधारकों के बीच काफी सहयोग देखने को मिला। इसलिए मेरा मानना ​​है कि आप जानते हैं कि यह दिल्ली मेट्रो एक बहुत ही सफल परियोजना रही है।

उन्होंने आगे कहा कि हम भारत के अन्य बड़े महानगरीय शहरों में भी इसी सफलता को दोहराने में सक्षम रहे हैं। इस प्रोजेक्ट का हिस्सा बनकर भारतीयों ने बहुत सारा ज्ञान और अनुभव दिया है और इस ज्ञान का उपयोग अब मेट्रो परियोजनाओं और विदेशी देशों जैसे बांग्लादेश, इंडोनेशिया आदि के निर्माण में मदद के लिए किया जा रहा है। जापान द्वारा भारत के लिए जो दीर्घकालिक योगदान दिया गया, वह भारत ने स्वयं किया है। इसलिए मेरा मानना ​​है कि विशेष रूप से मेट्रो परिवहन के क्षेत्र में एक शानदार सफलता की कहानी रही है।

उन्होंने आगे कहा कि शहरी परिवहन में पारंपरिक लाइनों को बढ़ाने में परेशानी होती है। यह वास्तव में एक बहुत ही महत्वपूर्ण क्षेत्र है, लेकिन इसमें भी जो अधिक महत्वपूर्ण है, वह यह सुनिश्चित करना है कि परिवहन के इन सभी साधनों के सुरक्षा मानक बेहतर और उन्नत हों और यह एक और क्षेत्र है जहां जापान विशेषज्ञता है। इसे अच्छी जानकारी है और मुझे लगता है कि जापान के अनुभव का उपयोग परिवहन के इन साधनों के सुरक्षा मानकों को बढ़ाने के लिए किया जा सकता है।

मासाफुमी शुकुरी ने कहा कि लॉजिस्टिक परिवहन से बहुत निकटता से संबंधित है, क्योंकि जब आप लॉजिस्टिक्स की बात करते हैं तो यह केवल परिवहन के विभिन्न साधनों का उपयोग करके भार या माल ढोना नहीं है, बल्कि आप जानते हैं कि यह उससे भी आगे है। जब आप कोल्ड चेन को देखते हैं तो यह एक और क्षेत्र है, जहां जापान के पास बहुत अच्छी तकनीक और अनुभव है और जापान को विश्वास है कि लॉजिस्टिक्स के क्षेत्र में जिस तरह का अनुभव और ज्ञान है, वह बहुत कुशल और उच्च गुणवत्ता वाली सेवाएं प्रदान कर सकता है। मेरा मानना ​​है कि यह एक और क्षेत्र है जिसमें भारत-जापान सहयोग की क्षमता है, इसलिए मुझे लगता है कि कई और क्षेत्र हैं, लेकिन अभी के लिए मुझे लगता है कि मैंने इन तीन क्षेत्रों को पहले ही साझा कर दिया है।

परिवहन के क्षेत्र में भारत के भविष्य को लेकर उन्होंने कहा, “इस मामले में मैं इस बहुत ही साहसिक और महत्वाकांक्षी लक्ष्य के बारे में बात करना चाहूंगा, जो भारतीय नेतृत्व द्वारा भेजा गया। ये लक्ष्य विकसित भारत का है, जिसे हम 2047 तक हासिल करना चाहते हैं और मैं देख सकता हूं कि भारत बहुत तेजी से इस विशेष लक्ष्य की ओर बढ़ रहा है।”

उन्होंने आगे कहा कि मैं कल कौटिल्य आर्थिक सम्मेलन के लिए यहां आया हूं, पहले दिन वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भी भारत की 8% की आर्थिक विकास दर बनाए रखने की महत्वाकांक्षा के बारे में बात किया था और यदि हम ऐसा करते हैं तो हम 2047 की शुरुआत को साकार करने में सक्षम होंगे। अगर हम केवल परिवहन क्षेत्र की बात करें, तो इसे प्राप्त करने के लिए भारत को यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि इसकी परिवहन क्षमता भी बढ़े और परिवहन के लिए बुनियादी ढांचा अधिक लोगों और अधिक माल को ले जाने में सक्षम हो।

उन्होंने आगे कहा कि मैं पूरे समाज के लिए कह सकता हूं कि इस पूरे अभ्यास में स्थिरता एक बहुत ही महत्वपूर्ण मुद्दा है, जिसे ध्यान में रखने की आवश्यकता है। यह सुनिश्चित करने के लिए कि आप सतत विकास और प्रगति कर रहे हैं, एक बहुत ही स्पष्ट लक्ष्य जो हम सभी के सामने है, वह है डीकार्बोनाइजेशन। हम जानते हैं कि जैसे-जैसे हम आगे बढ़ रहे हैं, इसे ध्यान में रखना महत्वपूर्ण है, इसलिए भारत को अपनी परिवहन क्षमता बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करना होगा, साथ ही यह सुनिश्चित करना होगा कि इसके लिए संगठन और स्थिरता को भी ध्यान में रखा जाए और ऐसा करने की भारत को आवश्यकता है।

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परिवहन और बुनियादी ढांचे के विकास में भारत-जापान की साझेदारी मजबूत करने को लेकर उन्होंने कहा कि हमें यह याद रखना होगा कि जापान और भारत दो अलग-अलग देश हैं और अब तक इन देशों ने प्रगति की है। आप जानते हैं कि चीजें कैसे की जाती हैं। दोनों देशों के हित के हवाई पहलू के साथ निर्णय लेने की प्रक्रिया भी अलग-अलग है, लेकिन सबसे पहले इस तथ्य को पहचानना जरूरी है कि हम दो अलग-अलग देश हैं जिन्होंने अब तक अलग-अलग तरीकों से काम किया है। हालांकि, अब से यह जरूरी है कि हमें एक ही मिशन की दिशा में कुशलतापूर्वक काम करना होगा।

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— आईएएनएस

केके/डीकेपी

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