नई दिल्ली, 11 जुलाई (आईएएनएस)। एक शोध में यह बात सामने आई है कि मक्खन जैसे सैचुरेटेड फैट से जैतून के तेल जैसे वनस्पति आधारित अनसैचुरेटेड फैट वाले आहार पर स्विच करने से रक्त में वसा की संरचना प्रभावित हो सकती है, जिससे दीर्घकालिक बीमारी का खतरा बढ़ सकता है।
वर्तमान दिशा-निर्देशों में आहार में अनसैचुरेटेड फैट का सेवन बढ़ाने तथा सैचुरेटेड फैट को कम करने के लिए कहा गया है, ताकि हृदय संबंधी बीमारियों को रोका जा सके, जिनमें हृदयाघात, स्ट्रोक, मधुमेह और इंसुलिन प्रतिरोध शामिल हैं।
नेचर मेडिसिन में प्रकाशित नए शोध में कहा गया है कि सैचुरेटेड फैट के स्थान पर अनसैचुरेटेड फैट का नियंत्रित आहार लेना स्वास्थ्य के लिए अच्छा हो सकता है साथ ही यह कार्डियो मेटाबोलिक जोखिम को कम कर सकता है।
इस शोध में टीम ने 113 प्रतिभागियों को शामिल किया जिन्हें दो समूहों में बांटा गया। एक समूह सैचुरेटेड फैट का सेवन कर रहा था, जबकि दूसरे समूह ने अनसैचुरेटेड फैट से भरपूर आहार लिया।
13 प्रतिभागियों पर 16 सप्ताह तक नजर रखी गई। साथ ही उनके रक्त के नमूनों का लिपिडो मिक्स या रक्त में वसा का विश्लेषण किया गया।
स्वस्थ रक्त वसा प्रोफाइल को इंगित करने वाले उच्च मल्टी-लिपिड स्कोर (एमएलएस) ने कार्डियो मेटाबोलिक रोगों के विकास के जोखिम को काफी हद तक कम कर दिया। स्वस्थ वसा युक्त आहार से हृदय रोग के 32 प्रतिशत और टाइप 2 मधुमेह के 26 प्रतिशत कम मामले सामने आए।
स्वीडन के चाल्मर्स यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी के अनुसंधान प्रमुख क्लेमेंस विटेनबेचर ने कहा, ”यह शोध भूमध्यसागरीय आहार जैसे अनसैचुरेटेड वनस्पति फैट से भरपूर आहार के स्वास्थ्य लाभों की और भी अधिक निश्चितता के साथ पुष्टि करता है और उन लोगों को लक्षित आहार संबंधी सलाह प्रदान करने में मदद कर सकता है जिन्हें अपने खाने की आदतों को बदलने से सबसे अधिक लाभ होगा।
शोध में यह भी पता चला कि रक्त में आहार से संबंधित वसा परिवर्तनों को सटीक रूप से मापना और उन्हें हृदय रोग और टाइप 2 मधुमेह के विकास के जोखिम से सीधे जोड़ना संभव है। इसमें बायोमार्कर-निर्देशित सटीक पोषण दृष्टिकोणों में आहार हस्तक्षेपों को लक्षित करने और निगरानी करने के लिए लिपिडो मिक्स-आधारित स्कोर की क्षमता पर भी प्रकाश डाला है।
–आईएएनएस
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