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Home ताज़ा समाचार

क्या वोक्कालिगा वोट बैंक से कांग्रेस कर्नाटक में सत्ता करेगी हासिल?

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March 26, 2023
in ताज़ा समाचार
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क्या वोक्कालिगा वोट बैंक से कांग्रेस कर्नाटक में सत्ता करेगी हासिल?
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बेंगलुरू, 26 मार्च (आईएएनएस)। कर्नाटक में कांग्रेस को आगामी विधानसभा चुनाव में सत्ता हासिल करने का पूरा भरोसा है। पार्टी को दक्षिण कर्नाटक में प्रमुख वोक्कालिगा समुदाय का समर्थन मिलने की संभावना है।

पार्टी 1999 के परिणामों की पुनरावृत्ति की उम्मीद कर रही है, जब वोक्कालिगा समुदाय से आने वाले एस.एम. कृष्णा ने कांग्रेस के लिए स्पष्ट जनादेश सुनिश्चित करवाया था। वोक्कालिगा ने तब जद (एस) के बजाय कांग्रेस को चुना था। 20 साल बाद, एस.एम. कृष्णा की तरह, डी.के. शिवकुमार कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस कमेटी (केपीसीसी) के अध्यक्ष बने।

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शिवकुमार पहले ही वोक्कालिगा समुदाय से अपील कर चुके हैं कि वे उनकी उम्मीदवारी का उसी तरह समर्थन करें जैसे उन्होंने जद (एस) के पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा, एसएम कृष्णा और पूर्व मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी का समर्थन किया था।

वोक्कालिगा वोट बैंक काफी हद तक दक्षिण कर्नाटक में स्थित है। वे बेंगलुरु, बेंगलुरु ग्रामीण, कोलार, रामनगर, मांड्या, मैसूरु, तुमकुरु, हासन, चिक्कमगलुरु, शिवमोग्गा और चित्रदुर्ग के कुछ हिस्सों में फैले हुए हैं।

समुदाय से लगभग 40 विधायक राज्य विधानमंडल के लिए चुने जाएंगे।

भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव व विधायक सी.टी. रवि और उच्च शिक्षा मंत्री सी.एन. अश्वत्थ नारायण ने एक नया नैरेटिव लाकर वोक्कालिगा वोट बैंक को आकर्षित करने की पुरजोर कोशिश की है।

सवाल यह है कि क्या वोक्कालिगा शिवकुमार के पीछे खड़े होंगे? उनके करीबी सूत्रों का कहना है कि जैसे 1999 में एच.डी. देवेगौड़ा के ऊपर एस.एम. कृष्णा को चुना गया था, वैसे ही इतिहास खुद को दोहराएगा।

शिवकुमार के करीबी सूत्रों ने कहा, समुदाय से कुमारस्वामी दो बार सीएम बन चुके हैं। लोग शिवकुमार के संघर्ष के बारे में जानते हैं और समुदाय को सहानुभूति है क्योंकि उन्हें जेल भेजा गया था। जद (एस) के नेता भी चाहते हैं कि शिवकुमार को मौका मिले। कुमारस्वामी के पुत्र निखिल कुमारस्वामी की 1.25 लाख मतों के अंतर से हार एक स्पष्ट संकेत है कि जद (एस) सर्वोच्च नहीं है।

वोक्कालिगा एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष बेट्टे गौड़ा का मानना है कि समुदाय को लगता है कि इस बार शिवकुमार को मौका दिया जाना चाहिए।

चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे कांग्रेस के कानूनी प्रकोष्ठ के सचिव सूर्या मुकुंदराज ने बताया कि केंगल हनुमंतैया, कदीदल मंजप्पा और एस.एम. कृष्णा के बाद शिवकुमार जैसे पुराने मैसूर क्षेत्र के नेता को मौका मिल रहा है।

कांग्रेस के वोक्कालिगा नेता मैसूर, मांड्या और बेंगलुरु में सिलसिलेवार बैठकें कर रहे हैं। वोक्कालिगा नेताओं को विपक्ष का नेता बनने का मौका नहीं दिया गया है। कांग्रेस के शासन में वोक्कालिगा को गृह और अन्य जैसे महत्वपूर्ण विभाग भी नहीं दिए गए हैं।

समुदाय ने कुमारस्वामी को वोट दिया क्योंकि उनके मुख्यमंत्री बनने की संभावना थी। दक्षिण कर्नाटक के मैसूर, कोलार, तुमकुरु और अन्य जिलों में कांग्रेस और जद (एस) के बीच सीधी लड़ाई है। शिवकुमार की उम्मीदवारी यहां मदद करेगी।

उन्होंने कहा कि समुदाय इस बात से अवगत है कि भविष्य में नेतृत्व वोक्कालिगाओं के बीच से उभरेगा।

सीएम पद के लिए विपक्ष के नेता सिद्दारमैया के खिलाफ उनकी संभावनाओं के बारे में बात करते हुए, शिवकुमार के करीबी सूत्रों ने कहा कि शिवकुमार भाजपा के बी.एस. येदियुरप्पा हैं जो पार्टी संगठन के लिए काम करते हैं। चार साल पहले कांग्रेस कार्यालय सूना-सूना नजर आता था। यह शिवकुमार ही हैं जिन्होंने यह सुनिश्चित किया कि कांग्रेस अपने संगठनात्मक कौशल के माध्यम से सत्ता के बहुत करीब आए।

वोक्कालिगा राज्य में दूसरा सबसे बड़ा समुदाय है। वे राज्य में सरकारों के गठन में काफी प्रभाव डालते हैं। पंचमसाली उप-संप्रदाय को आरक्षण देने के विवाद के बाद लिंगायत वोट बैंक विभाजन की ओर बढ़ रहा है और भाजपा सामूहिक नेतृत्व के तहत चुनाव की ओर बढ़ रही है। ऐसे में कांग्रेस उम्मीद कर रही है कि वोक्कालिगा कांग्रेस के पक्ष में झुकेंगे, और विधानसभा चुनाव में जीत सुनिश्चित कराएंगे।

–आईएएनएस

पीके/एसकेपी

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बेंगलुरू, 26 मार्च (आईएएनएस)। कर्नाटक में कांग्रेस को आगामी विधानसभा चुनाव में सत्ता हासिल करने का पूरा भरोसा है। पार्टी को दक्षिण कर्नाटक में प्रमुख वोक्कालिगा समुदाय का समर्थन मिलने की संभावना है।

पार्टी 1999 के परिणामों की पुनरावृत्ति की उम्मीद कर रही है, जब वोक्कालिगा समुदाय से आने वाले एस.एम. कृष्णा ने कांग्रेस के लिए स्पष्ट जनादेश सुनिश्चित करवाया था। वोक्कालिगा ने तब जद (एस) के बजाय कांग्रेस को चुना था। 20 साल बाद, एस.एम. कृष्णा की तरह, डी.के. शिवकुमार कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस कमेटी (केपीसीसी) के अध्यक्ष बने।

शिवकुमार पहले ही वोक्कालिगा समुदाय से अपील कर चुके हैं कि वे उनकी उम्मीदवारी का उसी तरह समर्थन करें जैसे उन्होंने जद (एस) के पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा, एसएम कृष्णा और पूर्व मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी का समर्थन किया था।

वोक्कालिगा वोट बैंक काफी हद तक दक्षिण कर्नाटक में स्थित है। वे बेंगलुरु, बेंगलुरु ग्रामीण, कोलार, रामनगर, मांड्या, मैसूरु, तुमकुरु, हासन, चिक्कमगलुरु, शिवमोग्गा और चित्रदुर्ग के कुछ हिस्सों में फैले हुए हैं।

समुदाय से लगभग 40 विधायक राज्य विधानमंडल के लिए चुने जाएंगे।

भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव व विधायक सी.टी. रवि और उच्च शिक्षा मंत्री सी.एन. अश्वत्थ नारायण ने एक नया नैरेटिव लाकर वोक्कालिगा वोट बैंक को आकर्षित करने की पुरजोर कोशिश की है।

सवाल यह है कि क्या वोक्कालिगा शिवकुमार के पीछे खड़े होंगे? उनके करीबी सूत्रों का कहना है कि जैसे 1999 में एच.डी. देवेगौड़ा के ऊपर एस.एम. कृष्णा को चुना गया था, वैसे ही इतिहास खुद को दोहराएगा।

शिवकुमार के करीबी सूत्रों ने कहा, समुदाय से कुमारस्वामी दो बार सीएम बन चुके हैं। लोग शिवकुमार के संघर्ष के बारे में जानते हैं और समुदाय को सहानुभूति है क्योंकि उन्हें जेल भेजा गया था। जद (एस) के नेता भी चाहते हैं कि शिवकुमार को मौका मिले। कुमारस्वामी के पुत्र निखिल कुमारस्वामी की 1.25 लाख मतों के अंतर से हार एक स्पष्ट संकेत है कि जद (एस) सर्वोच्च नहीं है।

वोक्कालिगा एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष बेट्टे गौड़ा का मानना है कि समुदाय को लगता है कि इस बार शिवकुमार को मौका दिया जाना चाहिए।

चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे कांग्रेस के कानूनी प्रकोष्ठ के सचिव सूर्या मुकुंदराज ने बताया कि केंगल हनुमंतैया, कदीदल मंजप्पा और एस.एम. कृष्णा के बाद शिवकुमार जैसे पुराने मैसूर क्षेत्र के नेता को मौका मिल रहा है।

कांग्रेस के वोक्कालिगा नेता मैसूर, मांड्या और बेंगलुरु में सिलसिलेवार बैठकें कर रहे हैं। वोक्कालिगा नेताओं को विपक्ष का नेता बनने का मौका नहीं दिया गया है। कांग्रेस के शासन में वोक्कालिगा को गृह और अन्य जैसे महत्वपूर्ण विभाग भी नहीं दिए गए हैं।

समुदाय ने कुमारस्वामी को वोट दिया क्योंकि उनके मुख्यमंत्री बनने की संभावना थी। दक्षिण कर्नाटक के मैसूर, कोलार, तुमकुरु और अन्य जिलों में कांग्रेस और जद (एस) के बीच सीधी लड़ाई है। शिवकुमार की उम्मीदवारी यहां मदद करेगी।

उन्होंने कहा कि समुदाय इस बात से अवगत है कि भविष्य में नेतृत्व वोक्कालिगाओं के बीच से उभरेगा।

सीएम पद के लिए विपक्ष के नेता सिद्दारमैया के खिलाफ उनकी संभावनाओं के बारे में बात करते हुए, शिवकुमार के करीबी सूत्रों ने कहा कि शिवकुमार भाजपा के बी.एस. येदियुरप्पा हैं जो पार्टी संगठन के लिए काम करते हैं। चार साल पहले कांग्रेस कार्यालय सूना-सूना नजर आता था। यह शिवकुमार ही हैं जिन्होंने यह सुनिश्चित किया कि कांग्रेस अपने संगठनात्मक कौशल के माध्यम से सत्ता के बहुत करीब आए।

वोक्कालिगा राज्य में दूसरा सबसे बड़ा समुदाय है। वे राज्य में सरकारों के गठन में काफी प्रभाव डालते हैं। पंचमसाली उप-संप्रदाय को आरक्षण देने के विवाद के बाद लिंगायत वोट बैंक विभाजन की ओर बढ़ रहा है और भाजपा सामूहिक नेतृत्व के तहत चुनाव की ओर बढ़ रही है। ऐसे में कांग्रेस उम्मीद कर रही है कि वोक्कालिगा कांग्रेस के पक्ष में झुकेंगे, और विधानसभा चुनाव में जीत सुनिश्चित कराएंगे।

–आईएएनएस

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बेंगलुरू, 26 मार्च (आईएएनएस)। कर्नाटक में कांग्रेस को आगामी विधानसभा चुनाव में सत्ता हासिल करने का पूरा भरोसा है। पार्टी को दक्षिण कर्नाटक में प्रमुख वोक्कालिगा समुदाय का समर्थन मिलने की संभावना है।

पार्टी 1999 के परिणामों की पुनरावृत्ति की उम्मीद कर रही है, जब वोक्कालिगा समुदाय से आने वाले एस.एम. कृष्णा ने कांग्रेस के लिए स्पष्ट जनादेश सुनिश्चित करवाया था। वोक्कालिगा ने तब जद (एस) के बजाय कांग्रेस को चुना था। 20 साल बाद, एस.एम. कृष्णा की तरह, डी.के. शिवकुमार कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस कमेटी (केपीसीसी) के अध्यक्ष बने।

शिवकुमार पहले ही वोक्कालिगा समुदाय से अपील कर चुके हैं कि वे उनकी उम्मीदवारी का उसी तरह समर्थन करें जैसे उन्होंने जद (एस) के पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा, एसएम कृष्णा और पूर्व मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी का समर्थन किया था।

वोक्कालिगा वोट बैंक काफी हद तक दक्षिण कर्नाटक में स्थित है। वे बेंगलुरु, बेंगलुरु ग्रामीण, कोलार, रामनगर, मांड्या, मैसूरु, तुमकुरु, हासन, चिक्कमगलुरु, शिवमोग्गा और चित्रदुर्ग के कुछ हिस्सों में फैले हुए हैं।

समुदाय से लगभग 40 विधायक राज्य विधानमंडल के लिए चुने जाएंगे।

भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव व विधायक सी.टी. रवि और उच्च शिक्षा मंत्री सी.एन. अश्वत्थ नारायण ने एक नया नैरेटिव लाकर वोक्कालिगा वोट बैंक को आकर्षित करने की पुरजोर कोशिश की है।

सवाल यह है कि क्या वोक्कालिगा शिवकुमार के पीछे खड़े होंगे? उनके करीबी सूत्रों का कहना है कि जैसे 1999 में एच.डी. देवेगौड़ा के ऊपर एस.एम. कृष्णा को चुना गया था, वैसे ही इतिहास खुद को दोहराएगा।

शिवकुमार के करीबी सूत्रों ने कहा, समुदाय से कुमारस्वामी दो बार सीएम बन चुके हैं। लोग शिवकुमार के संघर्ष के बारे में जानते हैं और समुदाय को सहानुभूति है क्योंकि उन्हें जेल भेजा गया था। जद (एस) के नेता भी चाहते हैं कि शिवकुमार को मौका मिले। कुमारस्वामी के पुत्र निखिल कुमारस्वामी की 1.25 लाख मतों के अंतर से हार एक स्पष्ट संकेत है कि जद (एस) सर्वोच्च नहीं है।

वोक्कालिगा एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष बेट्टे गौड़ा का मानना है कि समुदाय को लगता है कि इस बार शिवकुमार को मौका दिया जाना चाहिए।

चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे कांग्रेस के कानूनी प्रकोष्ठ के सचिव सूर्या मुकुंदराज ने बताया कि केंगल हनुमंतैया, कदीदल मंजप्पा और एस.एम. कृष्णा के बाद शिवकुमार जैसे पुराने मैसूर क्षेत्र के नेता को मौका मिल रहा है।

कांग्रेस के वोक्कालिगा नेता मैसूर, मांड्या और बेंगलुरु में सिलसिलेवार बैठकें कर रहे हैं। वोक्कालिगा नेताओं को विपक्ष का नेता बनने का मौका नहीं दिया गया है। कांग्रेस के शासन में वोक्कालिगा को गृह और अन्य जैसे महत्वपूर्ण विभाग भी नहीं दिए गए हैं।

समुदाय ने कुमारस्वामी को वोट दिया क्योंकि उनके मुख्यमंत्री बनने की संभावना थी। दक्षिण कर्नाटक के मैसूर, कोलार, तुमकुरु और अन्य जिलों में कांग्रेस और जद (एस) के बीच सीधी लड़ाई है। शिवकुमार की उम्मीदवारी यहां मदद करेगी।

उन्होंने कहा कि समुदाय इस बात से अवगत है कि भविष्य में नेतृत्व वोक्कालिगाओं के बीच से उभरेगा।

सीएम पद के लिए विपक्ष के नेता सिद्दारमैया के खिलाफ उनकी संभावनाओं के बारे में बात करते हुए, शिवकुमार के करीबी सूत्रों ने कहा कि शिवकुमार भाजपा के बी.एस. येदियुरप्पा हैं जो पार्टी संगठन के लिए काम करते हैं। चार साल पहले कांग्रेस कार्यालय सूना-सूना नजर आता था। यह शिवकुमार ही हैं जिन्होंने यह सुनिश्चित किया कि कांग्रेस अपने संगठनात्मक कौशल के माध्यम से सत्ता के बहुत करीब आए।

वोक्कालिगा राज्य में दूसरा सबसे बड़ा समुदाय है। वे राज्य में सरकारों के गठन में काफी प्रभाव डालते हैं। पंचमसाली उप-संप्रदाय को आरक्षण देने के विवाद के बाद लिंगायत वोट बैंक विभाजन की ओर बढ़ रहा है और भाजपा सामूहिक नेतृत्व के तहत चुनाव की ओर बढ़ रही है। ऐसे में कांग्रेस उम्मीद कर रही है कि वोक्कालिगा कांग्रेस के पक्ष में झुकेंगे, और विधानसभा चुनाव में जीत सुनिश्चित कराएंगे।

–आईएएनएस

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बेंगलुरू, 26 मार्च (आईएएनएस)। कर्नाटक में कांग्रेस को आगामी विधानसभा चुनाव में सत्ता हासिल करने का पूरा भरोसा है। पार्टी को दक्षिण कर्नाटक में प्रमुख वोक्कालिगा समुदाय का समर्थन मिलने की संभावना है।

पार्टी 1999 के परिणामों की पुनरावृत्ति की उम्मीद कर रही है, जब वोक्कालिगा समुदाय से आने वाले एस.एम. कृष्णा ने कांग्रेस के लिए स्पष्ट जनादेश सुनिश्चित करवाया था। वोक्कालिगा ने तब जद (एस) के बजाय कांग्रेस को चुना था। 20 साल बाद, एस.एम. कृष्णा की तरह, डी.के. शिवकुमार कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस कमेटी (केपीसीसी) के अध्यक्ष बने।

शिवकुमार पहले ही वोक्कालिगा समुदाय से अपील कर चुके हैं कि वे उनकी उम्मीदवारी का उसी तरह समर्थन करें जैसे उन्होंने जद (एस) के पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा, एसएम कृष्णा और पूर्व मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी का समर्थन किया था।

वोक्कालिगा वोट बैंक काफी हद तक दक्षिण कर्नाटक में स्थित है। वे बेंगलुरु, बेंगलुरु ग्रामीण, कोलार, रामनगर, मांड्या, मैसूरु, तुमकुरु, हासन, चिक्कमगलुरु, शिवमोग्गा और चित्रदुर्ग के कुछ हिस्सों में फैले हुए हैं।

समुदाय से लगभग 40 विधायक राज्य विधानमंडल के लिए चुने जाएंगे।

भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव व विधायक सी.टी. रवि और उच्च शिक्षा मंत्री सी.एन. अश्वत्थ नारायण ने एक नया नैरेटिव लाकर वोक्कालिगा वोट बैंक को आकर्षित करने की पुरजोर कोशिश की है।

सवाल यह है कि क्या वोक्कालिगा शिवकुमार के पीछे खड़े होंगे? उनके करीबी सूत्रों का कहना है कि जैसे 1999 में एच.डी. देवेगौड़ा के ऊपर एस.एम. कृष्णा को चुना गया था, वैसे ही इतिहास खुद को दोहराएगा।

शिवकुमार के करीबी सूत्रों ने कहा, समुदाय से कुमारस्वामी दो बार सीएम बन चुके हैं। लोग शिवकुमार के संघर्ष के बारे में जानते हैं और समुदाय को सहानुभूति है क्योंकि उन्हें जेल भेजा गया था। जद (एस) के नेता भी चाहते हैं कि शिवकुमार को मौका मिले। कुमारस्वामी के पुत्र निखिल कुमारस्वामी की 1.25 लाख मतों के अंतर से हार एक स्पष्ट संकेत है कि जद (एस) सर्वोच्च नहीं है।

वोक्कालिगा एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष बेट्टे गौड़ा का मानना है कि समुदाय को लगता है कि इस बार शिवकुमार को मौका दिया जाना चाहिए।

चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे कांग्रेस के कानूनी प्रकोष्ठ के सचिव सूर्या मुकुंदराज ने बताया कि केंगल हनुमंतैया, कदीदल मंजप्पा और एस.एम. कृष्णा के बाद शिवकुमार जैसे पुराने मैसूर क्षेत्र के नेता को मौका मिल रहा है।

कांग्रेस के वोक्कालिगा नेता मैसूर, मांड्या और बेंगलुरु में सिलसिलेवार बैठकें कर रहे हैं। वोक्कालिगा नेताओं को विपक्ष का नेता बनने का मौका नहीं दिया गया है। कांग्रेस के शासन में वोक्कालिगा को गृह और अन्य जैसे महत्वपूर्ण विभाग भी नहीं दिए गए हैं।

समुदाय ने कुमारस्वामी को वोट दिया क्योंकि उनके मुख्यमंत्री बनने की संभावना थी। दक्षिण कर्नाटक के मैसूर, कोलार, तुमकुरु और अन्य जिलों में कांग्रेस और जद (एस) के बीच सीधी लड़ाई है। शिवकुमार की उम्मीदवारी यहां मदद करेगी।

उन्होंने कहा कि समुदाय इस बात से अवगत है कि भविष्य में नेतृत्व वोक्कालिगाओं के बीच से उभरेगा।

सीएम पद के लिए विपक्ष के नेता सिद्दारमैया के खिलाफ उनकी संभावनाओं के बारे में बात करते हुए, शिवकुमार के करीबी सूत्रों ने कहा कि शिवकुमार भाजपा के बी.एस. येदियुरप्पा हैं जो पार्टी संगठन के लिए काम करते हैं। चार साल पहले कांग्रेस कार्यालय सूना-सूना नजर आता था। यह शिवकुमार ही हैं जिन्होंने यह सुनिश्चित किया कि कांग्रेस अपने संगठनात्मक कौशल के माध्यम से सत्ता के बहुत करीब आए।

वोक्कालिगा राज्य में दूसरा सबसे बड़ा समुदाय है। वे राज्य में सरकारों के गठन में काफी प्रभाव डालते हैं। पंचमसाली उप-संप्रदाय को आरक्षण देने के विवाद के बाद लिंगायत वोट बैंक विभाजन की ओर बढ़ रहा है और भाजपा सामूहिक नेतृत्व के तहत चुनाव की ओर बढ़ रही है। ऐसे में कांग्रेस उम्मीद कर रही है कि वोक्कालिगा कांग्रेस के पक्ष में झुकेंगे, और विधानसभा चुनाव में जीत सुनिश्चित कराएंगे।

–आईएएनएस

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बेंगलुरू, 26 मार्च (आईएएनएस)। कर्नाटक में कांग्रेस को आगामी विधानसभा चुनाव में सत्ता हासिल करने का पूरा भरोसा है। पार्टी को दक्षिण कर्नाटक में प्रमुख वोक्कालिगा समुदाय का समर्थन मिलने की संभावना है।

पार्टी 1999 के परिणामों की पुनरावृत्ति की उम्मीद कर रही है, जब वोक्कालिगा समुदाय से आने वाले एस.एम. कृष्णा ने कांग्रेस के लिए स्पष्ट जनादेश सुनिश्चित करवाया था। वोक्कालिगा ने तब जद (एस) के बजाय कांग्रेस को चुना था। 20 साल बाद, एस.एम. कृष्णा की तरह, डी.के. शिवकुमार कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस कमेटी (केपीसीसी) के अध्यक्ष बने।

शिवकुमार पहले ही वोक्कालिगा समुदाय से अपील कर चुके हैं कि वे उनकी उम्मीदवारी का उसी तरह समर्थन करें जैसे उन्होंने जद (एस) के पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा, एसएम कृष्णा और पूर्व मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी का समर्थन किया था।

वोक्कालिगा वोट बैंक काफी हद तक दक्षिण कर्नाटक में स्थित है। वे बेंगलुरु, बेंगलुरु ग्रामीण, कोलार, रामनगर, मांड्या, मैसूरु, तुमकुरु, हासन, चिक्कमगलुरु, शिवमोग्गा और चित्रदुर्ग के कुछ हिस्सों में फैले हुए हैं।

समुदाय से लगभग 40 विधायक राज्य विधानमंडल के लिए चुने जाएंगे।

भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव व विधायक सी.टी. रवि और उच्च शिक्षा मंत्री सी.एन. अश्वत्थ नारायण ने एक नया नैरेटिव लाकर वोक्कालिगा वोट बैंक को आकर्षित करने की पुरजोर कोशिश की है।

सवाल यह है कि क्या वोक्कालिगा शिवकुमार के पीछे खड़े होंगे? उनके करीबी सूत्रों का कहना है कि जैसे 1999 में एच.डी. देवेगौड़ा के ऊपर एस.एम. कृष्णा को चुना गया था, वैसे ही इतिहास खुद को दोहराएगा।

शिवकुमार के करीबी सूत्रों ने कहा, समुदाय से कुमारस्वामी दो बार सीएम बन चुके हैं। लोग शिवकुमार के संघर्ष के बारे में जानते हैं और समुदाय को सहानुभूति है क्योंकि उन्हें जेल भेजा गया था। जद (एस) के नेता भी चाहते हैं कि शिवकुमार को मौका मिले। कुमारस्वामी के पुत्र निखिल कुमारस्वामी की 1.25 लाख मतों के अंतर से हार एक स्पष्ट संकेत है कि जद (एस) सर्वोच्च नहीं है।

वोक्कालिगा एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष बेट्टे गौड़ा का मानना है कि समुदाय को लगता है कि इस बार शिवकुमार को मौका दिया जाना चाहिए।

चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे कांग्रेस के कानूनी प्रकोष्ठ के सचिव सूर्या मुकुंदराज ने बताया कि केंगल हनुमंतैया, कदीदल मंजप्पा और एस.एम. कृष्णा के बाद शिवकुमार जैसे पुराने मैसूर क्षेत्र के नेता को मौका मिल रहा है।

कांग्रेस के वोक्कालिगा नेता मैसूर, मांड्या और बेंगलुरु में सिलसिलेवार बैठकें कर रहे हैं। वोक्कालिगा नेताओं को विपक्ष का नेता बनने का मौका नहीं दिया गया है। कांग्रेस के शासन में वोक्कालिगा को गृह और अन्य जैसे महत्वपूर्ण विभाग भी नहीं दिए गए हैं।

समुदाय ने कुमारस्वामी को वोट दिया क्योंकि उनके मुख्यमंत्री बनने की संभावना थी। दक्षिण कर्नाटक के मैसूर, कोलार, तुमकुरु और अन्य जिलों में कांग्रेस और जद (एस) के बीच सीधी लड़ाई है। शिवकुमार की उम्मीदवारी यहां मदद करेगी।

उन्होंने कहा कि समुदाय इस बात से अवगत है कि भविष्य में नेतृत्व वोक्कालिगाओं के बीच से उभरेगा।

सीएम पद के लिए विपक्ष के नेता सिद्दारमैया के खिलाफ उनकी संभावनाओं के बारे में बात करते हुए, शिवकुमार के करीबी सूत्रों ने कहा कि शिवकुमार भाजपा के बी.एस. येदियुरप्पा हैं जो पार्टी संगठन के लिए काम करते हैं। चार साल पहले कांग्रेस कार्यालय सूना-सूना नजर आता था। यह शिवकुमार ही हैं जिन्होंने यह सुनिश्चित किया कि कांग्रेस अपने संगठनात्मक कौशल के माध्यम से सत्ता के बहुत करीब आए।

वोक्कालिगा राज्य में दूसरा सबसे बड़ा समुदाय है। वे राज्य में सरकारों के गठन में काफी प्रभाव डालते हैं। पंचमसाली उप-संप्रदाय को आरक्षण देने के विवाद के बाद लिंगायत वोट बैंक विभाजन की ओर बढ़ रहा है और भाजपा सामूहिक नेतृत्व के तहत चुनाव की ओर बढ़ रही है। ऐसे में कांग्रेस उम्मीद कर रही है कि वोक्कालिगा कांग्रेस के पक्ष में झुकेंगे, और विधानसभा चुनाव में जीत सुनिश्चित कराएंगे।

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बेंगलुरू, 26 मार्च (आईएएनएस)। कर्नाटक में कांग्रेस को आगामी विधानसभा चुनाव में सत्ता हासिल करने का पूरा भरोसा है। पार्टी को दक्षिण कर्नाटक में प्रमुख वोक्कालिगा समुदाय का समर्थन मिलने की संभावना है।

पार्टी 1999 के परिणामों की पुनरावृत्ति की उम्मीद कर रही है, जब वोक्कालिगा समुदाय से आने वाले एस.एम. कृष्णा ने कांग्रेस के लिए स्पष्ट जनादेश सुनिश्चित करवाया था। वोक्कालिगा ने तब जद (एस) के बजाय कांग्रेस को चुना था। 20 साल बाद, एस.एम. कृष्णा की तरह, डी.के. शिवकुमार कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस कमेटी (केपीसीसी) के अध्यक्ष बने।

शिवकुमार पहले ही वोक्कालिगा समुदाय से अपील कर चुके हैं कि वे उनकी उम्मीदवारी का उसी तरह समर्थन करें जैसे उन्होंने जद (एस) के पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा, एसएम कृष्णा और पूर्व मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी का समर्थन किया था।

वोक्कालिगा वोट बैंक काफी हद तक दक्षिण कर्नाटक में स्थित है। वे बेंगलुरु, बेंगलुरु ग्रामीण, कोलार, रामनगर, मांड्या, मैसूरु, तुमकुरु, हासन, चिक्कमगलुरु, शिवमोग्गा और चित्रदुर्ग के कुछ हिस्सों में फैले हुए हैं।

समुदाय से लगभग 40 विधायक राज्य विधानमंडल के लिए चुने जाएंगे।

भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव व विधायक सी.टी. रवि और उच्च शिक्षा मंत्री सी.एन. अश्वत्थ नारायण ने एक नया नैरेटिव लाकर वोक्कालिगा वोट बैंक को आकर्षित करने की पुरजोर कोशिश की है।

सवाल यह है कि क्या वोक्कालिगा शिवकुमार के पीछे खड़े होंगे? उनके करीबी सूत्रों का कहना है कि जैसे 1999 में एच.डी. देवेगौड़ा के ऊपर एस.एम. कृष्णा को चुना गया था, वैसे ही इतिहास खुद को दोहराएगा।

शिवकुमार के करीबी सूत्रों ने कहा, समुदाय से कुमारस्वामी दो बार सीएम बन चुके हैं। लोग शिवकुमार के संघर्ष के बारे में जानते हैं और समुदाय को सहानुभूति है क्योंकि उन्हें जेल भेजा गया था। जद (एस) के नेता भी चाहते हैं कि शिवकुमार को मौका मिले। कुमारस्वामी के पुत्र निखिल कुमारस्वामी की 1.25 लाख मतों के अंतर से हार एक स्पष्ट संकेत है कि जद (एस) सर्वोच्च नहीं है।

वोक्कालिगा एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष बेट्टे गौड़ा का मानना है कि समुदाय को लगता है कि इस बार शिवकुमार को मौका दिया जाना चाहिए।

चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे कांग्रेस के कानूनी प्रकोष्ठ के सचिव सूर्या मुकुंदराज ने बताया कि केंगल हनुमंतैया, कदीदल मंजप्पा और एस.एम. कृष्णा के बाद शिवकुमार जैसे पुराने मैसूर क्षेत्र के नेता को मौका मिल रहा है।

कांग्रेस के वोक्कालिगा नेता मैसूर, मांड्या और बेंगलुरु में सिलसिलेवार बैठकें कर रहे हैं। वोक्कालिगा नेताओं को विपक्ष का नेता बनने का मौका नहीं दिया गया है। कांग्रेस के शासन में वोक्कालिगा को गृह और अन्य जैसे महत्वपूर्ण विभाग भी नहीं दिए गए हैं।

समुदाय ने कुमारस्वामी को वोट दिया क्योंकि उनके मुख्यमंत्री बनने की संभावना थी। दक्षिण कर्नाटक के मैसूर, कोलार, तुमकुरु और अन्य जिलों में कांग्रेस और जद (एस) के बीच सीधी लड़ाई है। शिवकुमार की उम्मीदवारी यहां मदद करेगी।

उन्होंने कहा कि समुदाय इस बात से अवगत है कि भविष्य में नेतृत्व वोक्कालिगाओं के बीच से उभरेगा।

सीएम पद के लिए विपक्ष के नेता सिद्दारमैया के खिलाफ उनकी संभावनाओं के बारे में बात करते हुए, शिवकुमार के करीबी सूत्रों ने कहा कि शिवकुमार भाजपा के बी.एस. येदियुरप्पा हैं जो पार्टी संगठन के लिए काम करते हैं। चार साल पहले कांग्रेस कार्यालय सूना-सूना नजर आता था। यह शिवकुमार ही हैं जिन्होंने यह सुनिश्चित किया कि कांग्रेस अपने संगठनात्मक कौशल के माध्यम से सत्ता के बहुत करीब आए।

वोक्कालिगा राज्य में दूसरा सबसे बड़ा समुदाय है। वे राज्य में सरकारों के गठन में काफी प्रभाव डालते हैं। पंचमसाली उप-संप्रदाय को आरक्षण देने के विवाद के बाद लिंगायत वोट बैंक विभाजन की ओर बढ़ रहा है और भाजपा सामूहिक नेतृत्व के तहत चुनाव की ओर बढ़ रही है। ऐसे में कांग्रेस उम्मीद कर रही है कि वोक्कालिगा कांग्रेस के पक्ष में झुकेंगे, और विधानसभा चुनाव में जीत सुनिश्चित कराएंगे।

–आईएएनएस

पीके/एसकेपी

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बेंगलुरू, 26 मार्च (आईएएनएस)। कर्नाटक में कांग्रेस को आगामी विधानसभा चुनाव में सत्ता हासिल करने का पूरा भरोसा है। पार्टी को दक्षिण कर्नाटक में प्रमुख वोक्कालिगा समुदाय का समर्थन मिलने की संभावना है।

पार्टी 1999 के परिणामों की पुनरावृत्ति की उम्मीद कर रही है, जब वोक्कालिगा समुदाय से आने वाले एस.एम. कृष्णा ने कांग्रेस के लिए स्पष्ट जनादेश सुनिश्चित करवाया था। वोक्कालिगा ने तब जद (एस) के बजाय कांग्रेस को चुना था। 20 साल बाद, एस.एम. कृष्णा की तरह, डी.के. शिवकुमार कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस कमेटी (केपीसीसी) के अध्यक्ष बने।

शिवकुमार पहले ही वोक्कालिगा समुदाय से अपील कर चुके हैं कि वे उनकी उम्मीदवारी का उसी तरह समर्थन करें जैसे उन्होंने जद (एस) के पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा, एसएम कृष्णा और पूर्व मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी का समर्थन किया था।

वोक्कालिगा वोट बैंक काफी हद तक दक्षिण कर्नाटक में स्थित है। वे बेंगलुरु, बेंगलुरु ग्रामीण, कोलार, रामनगर, मांड्या, मैसूरु, तुमकुरु, हासन, चिक्कमगलुरु, शिवमोग्गा और चित्रदुर्ग के कुछ हिस्सों में फैले हुए हैं।

समुदाय से लगभग 40 विधायक राज्य विधानमंडल के लिए चुने जाएंगे।

भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव व विधायक सी.टी. रवि और उच्च शिक्षा मंत्री सी.एन. अश्वत्थ नारायण ने एक नया नैरेटिव लाकर वोक्कालिगा वोट बैंक को आकर्षित करने की पुरजोर कोशिश की है।

सवाल यह है कि क्या वोक्कालिगा शिवकुमार के पीछे खड़े होंगे? उनके करीबी सूत्रों का कहना है कि जैसे 1999 में एच.डी. देवेगौड़ा के ऊपर एस.एम. कृष्णा को चुना गया था, वैसे ही इतिहास खुद को दोहराएगा।

शिवकुमार के करीबी सूत्रों ने कहा, समुदाय से कुमारस्वामी दो बार सीएम बन चुके हैं। लोग शिवकुमार के संघर्ष के बारे में जानते हैं और समुदाय को सहानुभूति है क्योंकि उन्हें जेल भेजा गया था। जद (एस) के नेता भी चाहते हैं कि शिवकुमार को मौका मिले। कुमारस्वामी के पुत्र निखिल कुमारस्वामी की 1.25 लाख मतों के अंतर से हार एक स्पष्ट संकेत है कि जद (एस) सर्वोच्च नहीं है।

वोक्कालिगा एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष बेट्टे गौड़ा का मानना है कि समुदाय को लगता है कि इस बार शिवकुमार को मौका दिया जाना चाहिए।

चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे कांग्रेस के कानूनी प्रकोष्ठ के सचिव सूर्या मुकुंदराज ने बताया कि केंगल हनुमंतैया, कदीदल मंजप्पा और एस.एम. कृष्णा के बाद शिवकुमार जैसे पुराने मैसूर क्षेत्र के नेता को मौका मिल रहा है।

कांग्रेस के वोक्कालिगा नेता मैसूर, मांड्या और बेंगलुरु में सिलसिलेवार बैठकें कर रहे हैं। वोक्कालिगा नेताओं को विपक्ष का नेता बनने का मौका नहीं दिया गया है। कांग्रेस के शासन में वोक्कालिगा को गृह और अन्य जैसे महत्वपूर्ण विभाग भी नहीं दिए गए हैं।

समुदाय ने कुमारस्वामी को वोट दिया क्योंकि उनके मुख्यमंत्री बनने की संभावना थी। दक्षिण कर्नाटक के मैसूर, कोलार, तुमकुरु और अन्य जिलों में कांग्रेस और जद (एस) के बीच सीधी लड़ाई है। शिवकुमार की उम्मीदवारी यहां मदद करेगी।

उन्होंने कहा कि समुदाय इस बात से अवगत है कि भविष्य में नेतृत्व वोक्कालिगाओं के बीच से उभरेगा।

सीएम पद के लिए विपक्ष के नेता सिद्दारमैया के खिलाफ उनकी संभावनाओं के बारे में बात करते हुए, शिवकुमार के करीबी सूत्रों ने कहा कि शिवकुमार भाजपा के बी.एस. येदियुरप्पा हैं जो पार्टी संगठन के लिए काम करते हैं। चार साल पहले कांग्रेस कार्यालय सूना-सूना नजर आता था। यह शिवकुमार ही हैं जिन्होंने यह सुनिश्चित किया कि कांग्रेस अपने संगठनात्मक कौशल के माध्यम से सत्ता के बहुत करीब आए।

वोक्कालिगा राज्य में दूसरा सबसे बड़ा समुदाय है। वे राज्य में सरकारों के गठन में काफी प्रभाव डालते हैं। पंचमसाली उप-संप्रदाय को आरक्षण देने के विवाद के बाद लिंगायत वोट बैंक विभाजन की ओर बढ़ रहा है और भाजपा सामूहिक नेतृत्व के तहत चुनाव की ओर बढ़ रही है। ऐसे में कांग्रेस उम्मीद कर रही है कि वोक्कालिगा कांग्रेस के पक्ष में झुकेंगे, और विधानसभा चुनाव में जीत सुनिश्चित कराएंगे।

–आईएएनएस

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बेंगलुरू, 26 मार्च (आईएएनएस)। कर्नाटक में कांग्रेस को आगामी विधानसभा चुनाव में सत्ता हासिल करने का पूरा भरोसा है। पार्टी को दक्षिण कर्नाटक में प्रमुख वोक्कालिगा समुदाय का समर्थन मिलने की संभावना है।

पार्टी 1999 के परिणामों की पुनरावृत्ति की उम्मीद कर रही है, जब वोक्कालिगा समुदाय से आने वाले एस.एम. कृष्णा ने कांग्रेस के लिए स्पष्ट जनादेश सुनिश्चित करवाया था। वोक्कालिगा ने तब जद (एस) के बजाय कांग्रेस को चुना था। 20 साल बाद, एस.एम. कृष्णा की तरह, डी.के. शिवकुमार कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस कमेटी (केपीसीसी) के अध्यक्ष बने।

शिवकुमार पहले ही वोक्कालिगा समुदाय से अपील कर चुके हैं कि वे उनकी उम्मीदवारी का उसी तरह समर्थन करें जैसे उन्होंने जद (एस) के पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा, एसएम कृष्णा और पूर्व मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी का समर्थन किया था।

वोक्कालिगा वोट बैंक काफी हद तक दक्षिण कर्नाटक में स्थित है। वे बेंगलुरु, बेंगलुरु ग्रामीण, कोलार, रामनगर, मांड्या, मैसूरु, तुमकुरु, हासन, चिक्कमगलुरु, शिवमोग्गा और चित्रदुर्ग के कुछ हिस्सों में फैले हुए हैं।

समुदाय से लगभग 40 विधायक राज्य विधानमंडल के लिए चुने जाएंगे।

भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव व विधायक सी.टी. रवि और उच्च शिक्षा मंत्री सी.एन. अश्वत्थ नारायण ने एक नया नैरेटिव लाकर वोक्कालिगा वोट बैंक को आकर्षित करने की पुरजोर कोशिश की है।

सवाल यह है कि क्या वोक्कालिगा शिवकुमार के पीछे खड़े होंगे? उनके करीबी सूत्रों का कहना है कि जैसे 1999 में एच.डी. देवेगौड़ा के ऊपर एस.एम. कृष्णा को चुना गया था, वैसे ही इतिहास खुद को दोहराएगा।

शिवकुमार के करीबी सूत्रों ने कहा, समुदाय से कुमारस्वामी दो बार सीएम बन चुके हैं। लोग शिवकुमार के संघर्ष के बारे में जानते हैं और समुदाय को सहानुभूति है क्योंकि उन्हें जेल भेजा गया था। जद (एस) के नेता भी चाहते हैं कि शिवकुमार को मौका मिले। कुमारस्वामी के पुत्र निखिल कुमारस्वामी की 1.25 लाख मतों के अंतर से हार एक स्पष्ट संकेत है कि जद (एस) सर्वोच्च नहीं है।

वोक्कालिगा एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष बेट्टे गौड़ा का मानना है कि समुदाय को लगता है कि इस बार शिवकुमार को मौका दिया जाना चाहिए।

चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे कांग्रेस के कानूनी प्रकोष्ठ के सचिव सूर्या मुकुंदराज ने बताया कि केंगल हनुमंतैया, कदीदल मंजप्पा और एस.एम. कृष्णा के बाद शिवकुमार जैसे पुराने मैसूर क्षेत्र के नेता को मौका मिल रहा है।

कांग्रेस के वोक्कालिगा नेता मैसूर, मांड्या और बेंगलुरु में सिलसिलेवार बैठकें कर रहे हैं। वोक्कालिगा नेताओं को विपक्ष का नेता बनने का मौका नहीं दिया गया है। कांग्रेस के शासन में वोक्कालिगा को गृह और अन्य जैसे महत्वपूर्ण विभाग भी नहीं दिए गए हैं।

समुदाय ने कुमारस्वामी को वोट दिया क्योंकि उनके मुख्यमंत्री बनने की संभावना थी। दक्षिण कर्नाटक के मैसूर, कोलार, तुमकुरु और अन्य जिलों में कांग्रेस और जद (एस) के बीच सीधी लड़ाई है। शिवकुमार की उम्मीदवारी यहां मदद करेगी।

उन्होंने कहा कि समुदाय इस बात से अवगत है कि भविष्य में नेतृत्व वोक्कालिगाओं के बीच से उभरेगा।

सीएम पद के लिए विपक्ष के नेता सिद्दारमैया के खिलाफ उनकी संभावनाओं के बारे में बात करते हुए, शिवकुमार के करीबी सूत्रों ने कहा कि शिवकुमार भाजपा के बी.एस. येदियुरप्पा हैं जो पार्टी संगठन के लिए काम करते हैं। चार साल पहले कांग्रेस कार्यालय सूना-सूना नजर आता था। यह शिवकुमार ही हैं जिन्होंने यह सुनिश्चित किया कि कांग्रेस अपने संगठनात्मक कौशल के माध्यम से सत्ता के बहुत करीब आए।

वोक्कालिगा राज्य में दूसरा सबसे बड़ा समुदाय है। वे राज्य में सरकारों के गठन में काफी प्रभाव डालते हैं। पंचमसाली उप-संप्रदाय को आरक्षण देने के विवाद के बाद लिंगायत वोट बैंक विभाजन की ओर बढ़ रहा है और भाजपा सामूहिक नेतृत्व के तहत चुनाव की ओर बढ़ रही है। ऐसे में कांग्रेस उम्मीद कर रही है कि वोक्कालिगा कांग्रेस के पक्ष में झुकेंगे, और विधानसभा चुनाव में जीत सुनिश्चित कराएंगे।

–आईएएनएस

पीके/एसकेपी

बेंगलुरू, 26 मार्च (आईएएनएस)। कर्नाटक में कांग्रेस को आगामी विधानसभा चुनाव में सत्ता हासिल करने का पूरा भरोसा है। पार्टी को दक्षिण कर्नाटक में प्रमुख वोक्कालिगा समुदाय का समर्थन मिलने की संभावना है।

पार्टी 1999 के परिणामों की पुनरावृत्ति की उम्मीद कर रही है, जब वोक्कालिगा समुदाय से आने वाले एस.एम. कृष्णा ने कांग्रेस के लिए स्पष्ट जनादेश सुनिश्चित करवाया था। वोक्कालिगा ने तब जद (एस) के बजाय कांग्रेस को चुना था। 20 साल बाद, एस.एम. कृष्णा की तरह, डी.के. शिवकुमार कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस कमेटी (केपीसीसी) के अध्यक्ष बने।

शिवकुमार पहले ही वोक्कालिगा समुदाय से अपील कर चुके हैं कि वे उनकी उम्मीदवारी का उसी तरह समर्थन करें जैसे उन्होंने जद (एस) के पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा, एसएम कृष्णा और पूर्व मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी का समर्थन किया था।

वोक्कालिगा वोट बैंक काफी हद तक दक्षिण कर्नाटक में स्थित है। वे बेंगलुरु, बेंगलुरु ग्रामीण, कोलार, रामनगर, मांड्या, मैसूरु, तुमकुरु, हासन, चिक्कमगलुरु, शिवमोग्गा और चित्रदुर्ग के कुछ हिस्सों में फैले हुए हैं।

समुदाय से लगभग 40 विधायक राज्य विधानमंडल के लिए चुने जाएंगे।

भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव व विधायक सी.टी. रवि और उच्च शिक्षा मंत्री सी.एन. अश्वत्थ नारायण ने एक नया नैरेटिव लाकर वोक्कालिगा वोट बैंक को आकर्षित करने की पुरजोर कोशिश की है।

सवाल यह है कि क्या वोक्कालिगा शिवकुमार के पीछे खड़े होंगे? उनके करीबी सूत्रों का कहना है कि जैसे 1999 में एच.डी. देवेगौड़ा के ऊपर एस.एम. कृष्णा को चुना गया था, वैसे ही इतिहास खुद को दोहराएगा।

शिवकुमार के करीबी सूत्रों ने कहा, समुदाय से कुमारस्वामी दो बार सीएम बन चुके हैं। लोग शिवकुमार के संघर्ष के बारे में जानते हैं और समुदाय को सहानुभूति है क्योंकि उन्हें जेल भेजा गया था। जद (एस) के नेता भी चाहते हैं कि शिवकुमार को मौका मिले। कुमारस्वामी के पुत्र निखिल कुमारस्वामी की 1.25 लाख मतों के अंतर से हार एक स्पष्ट संकेत है कि जद (एस) सर्वोच्च नहीं है।

वोक्कालिगा एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष बेट्टे गौड़ा का मानना है कि समुदाय को लगता है कि इस बार शिवकुमार को मौका दिया जाना चाहिए।

चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे कांग्रेस के कानूनी प्रकोष्ठ के सचिव सूर्या मुकुंदराज ने बताया कि केंगल हनुमंतैया, कदीदल मंजप्पा और एस.एम. कृष्णा के बाद शिवकुमार जैसे पुराने मैसूर क्षेत्र के नेता को मौका मिल रहा है।

कांग्रेस के वोक्कालिगा नेता मैसूर, मांड्या और बेंगलुरु में सिलसिलेवार बैठकें कर रहे हैं। वोक्कालिगा नेताओं को विपक्ष का नेता बनने का मौका नहीं दिया गया है। कांग्रेस के शासन में वोक्कालिगा को गृह और अन्य जैसे महत्वपूर्ण विभाग भी नहीं दिए गए हैं।

समुदाय ने कुमारस्वामी को वोट दिया क्योंकि उनके मुख्यमंत्री बनने की संभावना थी। दक्षिण कर्नाटक के मैसूर, कोलार, तुमकुरु और अन्य जिलों में कांग्रेस और जद (एस) के बीच सीधी लड़ाई है। शिवकुमार की उम्मीदवारी यहां मदद करेगी।

उन्होंने कहा कि समुदाय इस बात से अवगत है कि भविष्य में नेतृत्व वोक्कालिगाओं के बीच से उभरेगा।

सीएम पद के लिए विपक्ष के नेता सिद्दारमैया के खिलाफ उनकी संभावनाओं के बारे में बात करते हुए, शिवकुमार के करीबी सूत्रों ने कहा कि शिवकुमार भाजपा के बी.एस. येदियुरप्पा हैं जो पार्टी संगठन के लिए काम करते हैं। चार साल पहले कांग्रेस कार्यालय सूना-सूना नजर आता था। यह शिवकुमार ही हैं जिन्होंने यह सुनिश्चित किया कि कांग्रेस अपने संगठनात्मक कौशल के माध्यम से सत्ता के बहुत करीब आए।

वोक्कालिगा राज्य में दूसरा सबसे बड़ा समुदाय है। वे राज्य में सरकारों के गठन में काफी प्रभाव डालते हैं। पंचमसाली उप-संप्रदाय को आरक्षण देने के विवाद के बाद लिंगायत वोट बैंक विभाजन की ओर बढ़ रहा है और भाजपा सामूहिक नेतृत्व के तहत चुनाव की ओर बढ़ रही है। ऐसे में कांग्रेस उम्मीद कर रही है कि वोक्कालिगा कांग्रेस के पक्ष में झुकेंगे, और विधानसभा चुनाव में जीत सुनिश्चित कराएंगे।

–आईएएनएस

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बेंगलुरू, 26 मार्च (आईएएनएस)। कर्नाटक में कांग्रेस को आगामी विधानसभा चुनाव में सत्ता हासिल करने का पूरा भरोसा है। पार्टी को दक्षिण कर्नाटक में प्रमुख वोक्कालिगा समुदाय का समर्थन मिलने की संभावना है।

पार्टी 1999 के परिणामों की पुनरावृत्ति की उम्मीद कर रही है, जब वोक्कालिगा समुदाय से आने वाले एस.एम. कृष्णा ने कांग्रेस के लिए स्पष्ट जनादेश सुनिश्चित करवाया था। वोक्कालिगा ने तब जद (एस) के बजाय कांग्रेस को चुना था। 20 साल बाद, एस.एम. कृष्णा की तरह, डी.के. शिवकुमार कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस कमेटी (केपीसीसी) के अध्यक्ष बने।

शिवकुमार पहले ही वोक्कालिगा समुदाय से अपील कर चुके हैं कि वे उनकी उम्मीदवारी का उसी तरह समर्थन करें जैसे उन्होंने जद (एस) के पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा, एसएम कृष्णा और पूर्व मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी का समर्थन किया था।

वोक्कालिगा वोट बैंक काफी हद तक दक्षिण कर्नाटक में स्थित है। वे बेंगलुरु, बेंगलुरु ग्रामीण, कोलार, रामनगर, मांड्या, मैसूरु, तुमकुरु, हासन, चिक्कमगलुरु, शिवमोग्गा और चित्रदुर्ग के कुछ हिस्सों में फैले हुए हैं।

समुदाय से लगभग 40 विधायक राज्य विधानमंडल के लिए चुने जाएंगे।

भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव व विधायक सी.टी. रवि और उच्च शिक्षा मंत्री सी.एन. अश्वत्थ नारायण ने एक नया नैरेटिव लाकर वोक्कालिगा वोट बैंक को आकर्षित करने की पुरजोर कोशिश की है।

सवाल यह है कि क्या वोक्कालिगा शिवकुमार के पीछे खड़े होंगे? उनके करीबी सूत्रों का कहना है कि जैसे 1999 में एच.डी. देवेगौड़ा के ऊपर एस.एम. कृष्णा को चुना गया था, वैसे ही इतिहास खुद को दोहराएगा।

शिवकुमार के करीबी सूत्रों ने कहा, समुदाय से कुमारस्वामी दो बार सीएम बन चुके हैं। लोग शिवकुमार के संघर्ष के बारे में जानते हैं और समुदाय को सहानुभूति है क्योंकि उन्हें जेल भेजा गया था। जद (एस) के नेता भी चाहते हैं कि शिवकुमार को मौका मिले। कुमारस्वामी के पुत्र निखिल कुमारस्वामी की 1.25 लाख मतों के अंतर से हार एक स्पष्ट संकेत है कि जद (एस) सर्वोच्च नहीं है।

वोक्कालिगा एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष बेट्टे गौड़ा का मानना है कि समुदाय को लगता है कि इस बार शिवकुमार को मौका दिया जाना चाहिए।

चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे कांग्रेस के कानूनी प्रकोष्ठ के सचिव सूर्या मुकुंदराज ने बताया कि केंगल हनुमंतैया, कदीदल मंजप्पा और एस.एम. कृष्णा के बाद शिवकुमार जैसे पुराने मैसूर क्षेत्र के नेता को मौका मिल रहा है।

कांग्रेस के वोक्कालिगा नेता मैसूर, मांड्या और बेंगलुरु में सिलसिलेवार बैठकें कर रहे हैं। वोक्कालिगा नेताओं को विपक्ष का नेता बनने का मौका नहीं दिया गया है। कांग्रेस के शासन में वोक्कालिगा को गृह और अन्य जैसे महत्वपूर्ण विभाग भी नहीं दिए गए हैं।

समुदाय ने कुमारस्वामी को वोट दिया क्योंकि उनके मुख्यमंत्री बनने की संभावना थी। दक्षिण कर्नाटक के मैसूर, कोलार, तुमकुरु और अन्य जिलों में कांग्रेस और जद (एस) के बीच सीधी लड़ाई है। शिवकुमार की उम्मीदवारी यहां मदद करेगी।

उन्होंने कहा कि समुदाय इस बात से अवगत है कि भविष्य में नेतृत्व वोक्कालिगाओं के बीच से उभरेगा।

सीएम पद के लिए विपक्ष के नेता सिद्दारमैया के खिलाफ उनकी संभावनाओं के बारे में बात करते हुए, शिवकुमार के करीबी सूत्रों ने कहा कि शिवकुमार भाजपा के बी.एस. येदियुरप्पा हैं जो पार्टी संगठन के लिए काम करते हैं। चार साल पहले कांग्रेस कार्यालय सूना-सूना नजर आता था। यह शिवकुमार ही हैं जिन्होंने यह सुनिश्चित किया कि कांग्रेस अपने संगठनात्मक कौशल के माध्यम से सत्ता के बहुत करीब आए।

वोक्कालिगा राज्य में दूसरा सबसे बड़ा समुदाय है। वे राज्य में सरकारों के गठन में काफी प्रभाव डालते हैं। पंचमसाली उप-संप्रदाय को आरक्षण देने के विवाद के बाद लिंगायत वोट बैंक विभाजन की ओर बढ़ रहा है और भाजपा सामूहिक नेतृत्व के तहत चुनाव की ओर बढ़ रही है। ऐसे में कांग्रेस उम्मीद कर रही है कि वोक्कालिगा कांग्रेस के पक्ष में झुकेंगे, और विधानसभा चुनाव में जीत सुनिश्चित कराएंगे।

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बेंगलुरू, 26 मार्च (आईएएनएस)। कर्नाटक में कांग्रेस को आगामी विधानसभा चुनाव में सत्ता हासिल करने का पूरा भरोसा है। पार्टी को दक्षिण कर्नाटक में प्रमुख वोक्कालिगा समुदाय का समर्थन मिलने की संभावना है।

पार्टी 1999 के परिणामों की पुनरावृत्ति की उम्मीद कर रही है, जब वोक्कालिगा समुदाय से आने वाले एस.एम. कृष्णा ने कांग्रेस के लिए स्पष्ट जनादेश सुनिश्चित करवाया था। वोक्कालिगा ने तब जद (एस) के बजाय कांग्रेस को चुना था। 20 साल बाद, एस.एम. कृष्णा की तरह, डी.के. शिवकुमार कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस कमेटी (केपीसीसी) के अध्यक्ष बने।

शिवकुमार पहले ही वोक्कालिगा समुदाय से अपील कर चुके हैं कि वे उनकी उम्मीदवारी का उसी तरह समर्थन करें जैसे उन्होंने जद (एस) के पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा, एसएम कृष्णा और पूर्व मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी का समर्थन किया था।

वोक्कालिगा वोट बैंक काफी हद तक दक्षिण कर्नाटक में स्थित है। वे बेंगलुरु, बेंगलुरु ग्रामीण, कोलार, रामनगर, मांड्या, मैसूरु, तुमकुरु, हासन, चिक्कमगलुरु, शिवमोग्गा और चित्रदुर्ग के कुछ हिस्सों में फैले हुए हैं।

समुदाय से लगभग 40 विधायक राज्य विधानमंडल के लिए चुने जाएंगे।

भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव व विधायक सी.टी. रवि और उच्च शिक्षा मंत्री सी.एन. अश्वत्थ नारायण ने एक नया नैरेटिव लाकर वोक्कालिगा वोट बैंक को आकर्षित करने की पुरजोर कोशिश की है।

सवाल यह है कि क्या वोक्कालिगा शिवकुमार के पीछे खड़े होंगे? उनके करीबी सूत्रों का कहना है कि जैसे 1999 में एच.डी. देवेगौड़ा के ऊपर एस.एम. कृष्णा को चुना गया था, वैसे ही इतिहास खुद को दोहराएगा।

शिवकुमार के करीबी सूत्रों ने कहा, समुदाय से कुमारस्वामी दो बार सीएम बन चुके हैं। लोग शिवकुमार के संघर्ष के बारे में जानते हैं और समुदाय को सहानुभूति है क्योंकि उन्हें जेल भेजा गया था। जद (एस) के नेता भी चाहते हैं कि शिवकुमार को मौका मिले। कुमारस्वामी के पुत्र निखिल कुमारस्वामी की 1.25 लाख मतों के अंतर से हार एक स्पष्ट संकेत है कि जद (एस) सर्वोच्च नहीं है।

वोक्कालिगा एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष बेट्टे गौड़ा का मानना है कि समुदाय को लगता है कि इस बार शिवकुमार को मौका दिया जाना चाहिए।

चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे कांग्रेस के कानूनी प्रकोष्ठ के सचिव सूर्या मुकुंदराज ने बताया कि केंगल हनुमंतैया, कदीदल मंजप्पा और एस.एम. कृष्णा के बाद शिवकुमार जैसे पुराने मैसूर क्षेत्र के नेता को मौका मिल रहा है।

कांग्रेस के वोक्कालिगा नेता मैसूर, मांड्या और बेंगलुरु में सिलसिलेवार बैठकें कर रहे हैं। वोक्कालिगा नेताओं को विपक्ष का नेता बनने का मौका नहीं दिया गया है। कांग्रेस के शासन में वोक्कालिगा को गृह और अन्य जैसे महत्वपूर्ण विभाग भी नहीं दिए गए हैं।

समुदाय ने कुमारस्वामी को वोट दिया क्योंकि उनके मुख्यमंत्री बनने की संभावना थी। दक्षिण कर्नाटक के मैसूर, कोलार, तुमकुरु और अन्य जिलों में कांग्रेस और जद (एस) के बीच सीधी लड़ाई है। शिवकुमार की उम्मीदवारी यहां मदद करेगी।

उन्होंने कहा कि समुदाय इस बात से अवगत है कि भविष्य में नेतृत्व वोक्कालिगाओं के बीच से उभरेगा।

सीएम पद के लिए विपक्ष के नेता सिद्दारमैया के खिलाफ उनकी संभावनाओं के बारे में बात करते हुए, शिवकुमार के करीबी सूत्रों ने कहा कि शिवकुमार भाजपा के बी.एस. येदियुरप्पा हैं जो पार्टी संगठन के लिए काम करते हैं। चार साल पहले कांग्रेस कार्यालय सूना-सूना नजर आता था। यह शिवकुमार ही हैं जिन्होंने यह सुनिश्चित किया कि कांग्रेस अपने संगठनात्मक कौशल के माध्यम से सत्ता के बहुत करीब आए।

वोक्कालिगा राज्य में दूसरा सबसे बड़ा समुदाय है। वे राज्य में सरकारों के गठन में काफी प्रभाव डालते हैं। पंचमसाली उप-संप्रदाय को आरक्षण देने के विवाद के बाद लिंगायत वोट बैंक विभाजन की ओर बढ़ रहा है और भाजपा सामूहिक नेतृत्व के तहत चुनाव की ओर बढ़ रही है। ऐसे में कांग्रेस उम्मीद कर रही है कि वोक्कालिगा कांग्रेस के पक्ष में झुकेंगे, और विधानसभा चुनाव में जीत सुनिश्चित कराएंगे।

–आईएएनएस

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बेंगलुरू, 26 मार्च (आईएएनएस)। कर्नाटक में कांग्रेस को आगामी विधानसभा चुनाव में सत्ता हासिल करने का पूरा भरोसा है। पार्टी को दक्षिण कर्नाटक में प्रमुख वोक्कालिगा समुदाय का समर्थन मिलने की संभावना है।

पार्टी 1999 के परिणामों की पुनरावृत्ति की उम्मीद कर रही है, जब वोक्कालिगा समुदाय से आने वाले एस.एम. कृष्णा ने कांग्रेस के लिए स्पष्ट जनादेश सुनिश्चित करवाया था। वोक्कालिगा ने तब जद (एस) के बजाय कांग्रेस को चुना था। 20 साल बाद, एस.एम. कृष्णा की तरह, डी.के. शिवकुमार कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस कमेटी (केपीसीसी) के अध्यक्ष बने।

शिवकुमार पहले ही वोक्कालिगा समुदाय से अपील कर चुके हैं कि वे उनकी उम्मीदवारी का उसी तरह समर्थन करें जैसे उन्होंने जद (एस) के पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा, एसएम कृष्णा और पूर्व मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी का समर्थन किया था।

वोक्कालिगा वोट बैंक काफी हद तक दक्षिण कर्नाटक में स्थित है। वे बेंगलुरु, बेंगलुरु ग्रामीण, कोलार, रामनगर, मांड्या, मैसूरु, तुमकुरु, हासन, चिक्कमगलुरु, शिवमोग्गा और चित्रदुर्ग के कुछ हिस्सों में फैले हुए हैं।

समुदाय से लगभग 40 विधायक राज्य विधानमंडल के लिए चुने जाएंगे।

भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव व विधायक सी.टी. रवि और उच्च शिक्षा मंत्री सी.एन. अश्वत्थ नारायण ने एक नया नैरेटिव लाकर वोक्कालिगा वोट बैंक को आकर्षित करने की पुरजोर कोशिश की है।

सवाल यह है कि क्या वोक्कालिगा शिवकुमार के पीछे खड़े होंगे? उनके करीबी सूत्रों का कहना है कि जैसे 1999 में एच.डी. देवेगौड़ा के ऊपर एस.एम. कृष्णा को चुना गया था, वैसे ही इतिहास खुद को दोहराएगा।

शिवकुमार के करीबी सूत्रों ने कहा, समुदाय से कुमारस्वामी दो बार सीएम बन चुके हैं। लोग शिवकुमार के संघर्ष के बारे में जानते हैं और समुदाय को सहानुभूति है क्योंकि उन्हें जेल भेजा गया था। जद (एस) के नेता भी चाहते हैं कि शिवकुमार को मौका मिले। कुमारस्वामी के पुत्र निखिल कुमारस्वामी की 1.25 लाख मतों के अंतर से हार एक स्पष्ट संकेत है कि जद (एस) सर्वोच्च नहीं है।

वोक्कालिगा एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष बेट्टे गौड़ा का मानना है कि समुदाय को लगता है कि इस बार शिवकुमार को मौका दिया जाना चाहिए।

चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे कांग्रेस के कानूनी प्रकोष्ठ के सचिव सूर्या मुकुंदराज ने बताया कि केंगल हनुमंतैया, कदीदल मंजप्पा और एस.एम. कृष्णा के बाद शिवकुमार जैसे पुराने मैसूर क्षेत्र के नेता को मौका मिल रहा है।

कांग्रेस के वोक्कालिगा नेता मैसूर, मांड्या और बेंगलुरु में सिलसिलेवार बैठकें कर रहे हैं। वोक्कालिगा नेताओं को विपक्ष का नेता बनने का मौका नहीं दिया गया है। कांग्रेस के शासन में वोक्कालिगा को गृह और अन्य जैसे महत्वपूर्ण विभाग भी नहीं दिए गए हैं।

समुदाय ने कुमारस्वामी को वोट दिया क्योंकि उनके मुख्यमंत्री बनने की संभावना थी। दक्षिण कर्नाटक के मैसूर, कोलार, तुमकुरु और अन्य जिलों में कांग्रेस और जद (एस) के बीच सीधी लड़ाई है। शिवकुमार की उम्मीदवारी यहां मदद करेगी।

उन्होंने कहा कि समुदाय इस बात से अवगत है कि भविष्य में नेतृत्व वोक्कालिगाओं के बीच से उभरेगा।

सीएम पद के लिए विपक्ष के नेता सिद्दारमैया के खिलाफ उनकी संभावनाओं के बारे में बात करते हुए, शिवकुमार के करीबी सूत्रों ने कहा कि शिवकुमार भाजपा के बी.एस. येदियुरप्पा हैं जो पार्टी संगठन के लिए काम करते हैं। चार साल पहले कांग्रेस कार्यालय सूना-सूना नजर आता था। यह शिवकुमार ही हैं जिन्होंने यह सुनिश्चित किया कि कांग्रेस अपने संगठनात्मक कौशल के माध्यम से सत्ता के बहुत करीब आए।

वोक्कालिगा राज्य में दूसरा सबसे बड़ा समुदाय है। वे राज्य में सरकारों के गठन में काफी प्रभाव डालते हैं। पंचमसाली उप-संप्रदाय को आरक्षण देने के विवाद के बाद लिंगायत वोट बैंक विभाजन की ओर बढ़ रहा है और भाजपा सामूहिक नेतृत्व के तहत चुनाव की ओर बढ़ रही है। ऐसे में कांग्रेस उम्मीद कर रही है कि वोक्कालिगा कांग्रेस के पक्ष में झुकेंगे, और विधानसभा चुनाव में जीत सुनिश्चित कराएंगे।

–आईएएनएस

पीके/एसकेपी

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बेंगलुरू, 26 मार्च (आईएएनएस)। कर्नाटक में कांग्रेस को आगामी विधानसभा चुनाव में सत्ता हासिल करने का पूरा भरोसा है। पार्टी को दक्षिण कर्नाटक में प्रमुख वोक्कालिगा समुदाय का समर्थन मिलने की संभावना है।

पार्टी 1999 के परिणामों की पुनरावृत्ति की उम्मीद कर रही है, जब वोक्कालिगा समुदाय से आने वाले एस.एम. कृष्णा ने कांग्रेस के लिए स्पष्ट जनादेश सुनिश्चित करवाया था। वोक्कालिगा ने तब जद (एस) के बजाय कांग्रेस को चुना था। 20 साल बाद, एस.एम. कृष्णा की तरह, डी.के. शिवकुमार कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस कमेटी (केपीसीसी) के अध्यक्ष बने।

शिवकुमार पहले ही वोक्कालिगा समुदाय से अपील कर चुके हैं कि वे उनकी उम्मीदवारी का उसी तरह समर्थन करें जैसे उन्होंने जद (एस) के पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा, एसएम कृष्णा और पूर्व मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी का समर्थन किया था।

वोक्कालिगा वोट बैंक काफी हद तक दक्षिण कर्नाटक में स्थित है। वे बेंगलुरु, बेंगलुरु ग्रामीण, कोलार, रामनगर, मांड्या, मैसूरु, तुमकुरु, हासन, चिक्कमगलुरु, शिवमोग्गा और चित्रदुर्ग के कुछ हिस्सों में फैले हुए हैं।

समुदाय से लगभग 40 विधायक राज्य विधानमंडल के लिए चुने जाएंगे।

भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव व विधायक सी.टी. रवि और उच्च शिक्षा मंत्री सी.एन. अश्वत्थ नारायण ने एक नया नैरेटिव लाकर वोक्कालिगा वोट बैंक को आकर्षित करने की पुरजोर कोशिश की है।

सवाल यह है कि क्या वोक्कालिगा शिवकुमार के पीछे खड़े होंगे? उनके करीबी सूत्रों का कहना है कि जैसे 1999 में एच.डी. देवेगौड़ा के ऊपर एस.एम. कृष्णा को चुना गया था, वैसे ही इतिहास खुद को दोहराएगा।

शिवकुमार के करीबी सूत्रों ने कहा, समुदाय से कुमारस्वामी दो बार सीएम बन चुके हैं। लोग शिवकुमार के संघर्ष के बारे में जानते हैं और समुदाय को सहानुभूति है क्योंकि उन्हें जेल भेजा गया था। जद (एस) के नेता भी चाहते हैं कि शिवकुमार को मौका मिले। कुमारस्वामी के पुत्र निखिल कुमारस्वामी की 1.25 लाख मतों के अंतर से हार एक स्पष्ट संकेत है कि जद (एस) सर्वोच्च नहीं है।

वोक्कालिगा एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष बेट्टे गौड़ा का मानना है कि समुदाय को लगता है कि इस बार शिवकुमार को मौका दिया जाना चाहिए।

चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे कांग्रेस के कानूनी प्रकोष्ठ के सचिव सूर्या मुकुंदराज ने बताया कि केंगल हनुमंतैया, कदीदल मंजप्पा और एस.एम. कृष्णा के बाद शिवकुमार जैसे पुराने मैसूर क्षेत्र के नेता को मौका मिल रहा है।

कांग्रेस के वोक्कालिगा नेता मैसूर, मांड्या और बेंगलुरु में सिलसिलेवार बैठकें कर रहे हैं। वोक्कालिगा नेताओं को विपक्ष का नेता बनने का मौका नहीं दिया गया है। कांग्रेस के शासन में वोक्कालिगा को गृह और अन्य जैसे महत्वपूर्ण विभाग भी नहीं दिए गए हैं।

समुदाय ने कुमारस्वामी को वोट दिया क्योंकि उनके मुख्यमंत्री बनने की संभावना थी। दक्षिण कर्नाटक के मैसूर, कोलार, तुमकुरु और अन्य जिलों में कांग्रेस और जद (एस) के बीच सीधी लड़ाई है। शिवकुमार की उम्मीदवारी यहां मदद करेगी।

उन्होंने कहा कि समुदाय इस बात से अवगत है कि भविष्य में नेतृत्व वोक्कालिगाओं के बीच से उभरेगा।

सीएम पद के लिए विपक्ष के नेता सिद्दारमैया के खिलाफ उनकी संभावनाओं के बारे में बात करते हुए, शिवकुमार के करीबी सूत्रों ने कहा कि शिवकुमार भाजपा के बी.एस. येदियुरप्पा हैं जो पार्टी संगठन के लिए काम करते हैं। चार साल पहले कांग्रेस कार्यालय सूना-सूना नजर आता था। यह शिवकुमार ही हैं जिन्होंने यह सुनिश्चित किया कि कांग्रेस अपने संगठनात्मक कौशल के माध्यम से सत्ता के बहुत करीब आए।

वोक्कालिगा राज्य में दूसरा सबसे बड़ा समुदाय है। वे राज्य में सरकारों के गठन में काफी प्रभाव डालते हैं। पंचमसाली उप-संप्रदाय को आरक्षण देने के विवाद के बाद लिंगायत वोट बैंक विभाजन की ओर बढ़ रहा है और भाजपा सामूहिक नेतृत्व के तहत चुनाव की ओर बढ़ रही है। ऐसे में कांग्रेस उम्मीद कर रही है कि वोक्कालिगा कांग्रेस के पक्ष में झुकेंगे, और विधानसभा चुनाव में जीत सुनिश्चित कराएंगे।

–आईएएनएस

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बेंगलुरू, 26 मार्च (आईएएनएस)। कर्नाटक में कांग्रेस को आगामी विधानसभा चुनाव में सत्ता हासिल करने का पूरा भरोसा है। पार्टी को दक्षिण कर्नाटक में प्रमुख वोक्कालिगा समुदाय का समर्थन मिलने की संभावना है।

पार्टी 1999 के परिणामों की पुनरावृत्ति की उम्मीद कर रही है, जब वोक्कालिगा समुदाय से आने वाले एस.एम. कृष्णा ने कांग्रेस के लिए स्पष्ट जनादेश सुनिश्चित करवाया था। वोक्कालिगा ने तब जद (एस) के बजाय कांग्रेस को चुना था। 20 साल बाद, एस.एम. कृष्णा की तरह, डी.के. शिवकुमार कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस कमेटी (केपीसीसी) के अध्यक्ष बने।

शिवकुमार पहले ही वोक्कालिगा समुदाय से अपील कर चुके हैं कि वे उनकी उम्मीदवारी का उसी तरह समर्थन करें जैसे उन्होंने जद (एस) के पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा, एसएम कृष्णा और पूर्व मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी का समर्थन किया था।

वोक्कालिगा वोट बैंक काफी हद तक दक्षिण कर्नाटक में स्थित है। वे बेंगलुरु, बेंगलुरु ग्रामीण, कोलार, रामनगर, मांड्या, मैसूरु, तुमकुरु, हासन, चिक्कमगलुरु, शिवमोग्गा और चित्रदुर्ग के कुछ हिस्सों में फैले हुए हैं।

समुदाय से लगभग 40 विधायक राज्य विधानमंडल के लिए चुने जाएंगे।

भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव व विधायक सी.टी. रवि और उच्च शिक्षा मंत्री सी.एन. अश्वत्थ नारायण ने एक नया नैरेटिव लाकर वोक्कालिगा वोट बैंक को आकर्षित करने की पुरजोर कोशिश की है।

सवाल यह है कि क्या वोक्कालिगा शिवकुमार के पीछे खड़े होंगे? उनके करीबी सूत्रों का कहना है कि जैसे 1999 में एच.डी. देवेगौड़ा के ऊपर एस.एम. कृष्णा को चुना गया था, वैसे ही इतिहास खुद को दोहराएगा।

शिवकुमार के करीबी सूत्रों ने कहा, समुदाय से कुमारस्वामी दो बार सीएम बन चुके हैं। लोग शिवकुमार के संघर्ष के बारे में जानते हैं और समुदाय को सहानुभूति है क्योंकि उन्हें जेल भेजा गया था। जद (एस) के नेता भी चाहते हैं कि शिवकुमार को मौका मिले। कुमारस्वामी के पुत्र निखिल कुमारस्वामी की 1.25 लाख मतों के अंतर से हार एक स्पष्ट संकेत है कि जद (एस) सर्वोच्च नहीं है।

वोक्कालिगा एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष बेट्टे गौड़ा का मानना है कि समुदाय को लगता है कि इस बार शिवकुमार को मौका दिया जाना चाहिए।

चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे कांग्रेस के कानूनी प्रकोष्ठ के सचिव सूर्या मुकुंदराज ने बताया कि केंगल हनुमंतैया, कदीदल मंजप्पा और एस.एम. कृष्णा के बाद शिवकुमार जैसे पुराने मैसूर क्षेत्र के नेता को मौका मिल रहा है।

कांग्रेस के वोक्कालिगा नेता मैसूर, मांड्या और बेंगलुरु में सिलसिलेवार बैठकें कर रहे हैं। वोक्कालिगा नेताओं को विपक्ष का नेता बनने का मौका नहीं दिया गया है। कांग्रेस के शासन में वोक्कालिगा को गृह और अन्य जैसे महत्वपूर्ण विभाग भी नहीं दिए गए हैं।

समुदाय ने कुमारस्वामी को वोट दिया क्योंकि उनके मुख्यमंत्री बनने की संभावना थी। दक्षिण कर्नाटक के मैसूर, कोलार, तुमकुरु और अन्य जिलों में कांग्रेस और जद (एस) के बीच सीधी लड़ाई है। शिवकुमार की उम्मीदवारी यहां मदद करेगी।

उन्होंने कहा कि समुदाय इस बात से अवगत है कि भविष्य में नेतृत्व वोक्कालिगाओं के बीच से उभरेगा।

सीएम पद के लिए विपक्ष के नेता सिद्दारमैया के खिलाफ उनकी संभावनाओं के बारे में बात करते हुए, शिवकुमार के करीबी सूत्रों ने कहा कि शिवकुमार भाजपा के बी.एस. येदियुरप्पा हैं जो पार्टी संगठन के लिए काम करते हैं। चार साल पहले कांग्रेस कार्यालय सूना-सूना नजर आता था। यह शिवकुमार ही हैं जिन्होंने यह सुनिश्चित किया कि कांग्रेस अपने संगठनात्मक कौशल के माध्यम से सत्ता के बहुत करीब आए।

वोक्कालिगा राज्य में दूसरा सबसे बड़ा समुदाय है। वे राज्य में सरकारों के गठन में काफी प्रभाव डालते हैं। पंचमसाली उप-संप्रदाय को आरक्षण देने के विवाद के बाद लिंगायत वोट बैंक विभाजन की ओर बढ़ रहा है और भाजपा सामूहिक नेतृत्व के तहत चुनाव की ओर बढ़ रही है। ऐसे में कांग्रेस उम्मीद कर रही है कि वोक्कालिगा कांग्रेस के पक्ष में झुकेंगे, और विधानसभा चुनाव में जीत सुनिश्चित कराएंगे।

–आईएएनएस

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बेंगलुरू, 26 मार्च (आईएएनएस)। कर्नाटक में कांग्रेस को आगामी विधानसभा चुनाव में सत्ता हासिल करने का पूरा भरोसा है। पार्टी को दक्षिण कर्नाटक में प्रमुख वोक्कालिगा समुदाय का समर्थन मिलने की संभावना है।

पार्टी 1999 के परिणामों की पुनरावृत्ति की उम्मीद कर रही है, जब वोक्कालिगा समुदाय से आने वाले एस.एम. कृष्णा ने कांग्रेस के लिए स्पष्ट जनादेश सुनिश्चित करवाया था। वोक्कालिगा ने तब जद (एस) के बजाय कांग्रेस को चुना था। 20 साल बाद, एस.एम. कृष्णा की तरह, डी.के. शिवकुमार कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस कमेटी (केपीसीसी) के अध्यक्ष बने।

शिवकुमार पहले ही वोक्कालिगा समुदाय से अपील कर चुके हैं कि वे उनकी उम्मीदवारी का उसी तरह समर्थन करें जैसे उन्होंने जद (एस) के पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा, एसएम कृष्णा और पूर्व मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी का समर्थन किया था।

वोक्कालिगा वोट बैंक काफी हद तक दक्षिण कर्नाटक में स्थित है। वे बेंगलुरु, बेंगलुरु ग्रामीण, कोलार, रामनगर, मांड्या, मैसूरु, तुमकुरु, हासन, चिक्कमगलुरु, शिवमोग्गा और चित्रदुर्ग के कुछ हिस्सों में फैले हुए हैं।

समुदाय से लगभग 40 विधायक राज्य विधानमंडल के लिए चुने जाएंगे।

भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव व विधायक सी.टी. रवि और उच्च शिक्षा मंत्री सी.एन. अश्वत्थ नारायण ने एक नया नैरेटिव लाकर वोक्कालिगा वोट बैंक को आकर्षित करने की पुरजोर कोशिश की है।

सवाल यह है कि क्या वोक्कालिगा शिवकुमार के पीछे खड़े होंगे? उनके करीबी सूत्रों का कहना है कि जैसे 1999 में एच.डी. देवेगौड़ा के ऊपर एस.एम. कृष्णा को चुना गया था, वैसे ही इतिहास खुद को दोहराएगा।

शिवकुमार के करीबी सूत्रों ने कहा, समुदाय से कुमारस्वामी दो बार सीएम बन चुके हैं। लोग शिवकुमार के संघर्ष के बारे में जानते हैं और समुदाय को सहानुभूति है क्योंकि उन्हें जेल भेजा गया था। जद (एस) के नेता भी चाहते हैं कि शिवकुमार को मौका मिले। कुमारस्वामी के पुत्र निखिल कुमारस्वामी की 1.25 लाख मतों के अंतर से हार एक स्पष्ट संकेत है कि जद (एस) सर्वोच्च नहीं है।

वोक्कालिगा एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष बेट्टे गौड़ा का मानना है कि समुदाय को लगता है कि इस बार शिवकुमार को मौका दिया जाना चाहिए।

चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे कांग्रेस के कानूनी प्रकोष्ठ के सचिव सूर्या मुकुंदराज ने बताया कि केंगल हनुमंतैया, कदीदल मंजप्पा और एस.एम. कृष्णा के बाद शिवकुमार जैसे पुराने मैसूर क्षेत्र के नेता को मौका मिल रहा है।

कांग्रेस के वोक्कालिगा नेता मैसूर, मांड्या और बेंगलुरु में सिलसिलेवार बैठकें कर रहे हैं। वोक्कालिगा नेताओं को विपक्ष का नेता बनने का मौका नहीं दिया गया है। कांग्रेस के शासन में वोक्कालिगा को गृह और अन्य जैसे महत्वपूर्ण विभाग भी नहीं दिए गए हैं।

समुदाय ने कुमारस्वामी को वोट दिया क्योंकि उनके मुख्यमंत्री बनने की संभावना थी। दक्षिण कर्नाटक के मैसूर, कोलार, तुमकुरु और अन्य जिलों में कांग्रेस और जद (एस) के बीच सीधी लड़ाई है। शिवकुमार की उम्मीदवारी यहां मदद करेगी।

उन्होंने कहा कि समुदाय इस बात से अवगत है कि भविष्य में नेतृत्व वोक्कालिगाओं के बीच से उभरेगा।

सीएम पद के लिए विपक्ष के नेता सिद्दारमैया के खिलाफ उनकी संभावनाओं के बारे में बात करते हुए, शिवकुमार के करीबी सूत्रों ने कहा कि शिवकुमार भाजपा के बी.एस. येदियुरप्पा हैं जो पार्टी संगठन के लिए काम करते हैं। चार साल पहले कांग्रेस कार्यालय सूना-सूना नजर आता था। यह शिवकुमार ही हैं जिन्होंने यह सुनिश्चित किया कि कांग्रेस अपने संगठनात्मक कौशल के माध्यम से सत्ता के बहुत करीब आए।

वोक्कालिगा राज्य में दूसरा सबसे बड़ा समुदाय है। वे राज्य में सरकारों के गठन में काफी प्रभाव डालते हैं। पंचमसाली उप-संप्रदाय को आरक्षण देने के विवाद के बाद लिंगायत वोट बैंक विभाजन की ओर बढ़ रहा है और भाजपा सामूहिक नेतृत्व के तहत चुनाव की ओर बढ़ रही है। ऐसे में कांग्रेस उम्मीद कर रही है कि वोक्कालिगा कांग्रेस के पक्ष में झुकेंगे, और विधानसभा चुनाव में जीत सुनिश्चित कराएंगे।

–आईएएनएस

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बेंगलुरू, 26 मार्च (आईएएनएस)। कर्नाटक में कांग्रेस को आगामी विधानसभा चुनाव में सत्ता हासिल करने का पूरा भरोसा है। पार्टी को दक्षिण कर्नाटक में प्रमुख वोक्कालिगा समुदाय का समर्थन मिलने की संभावना है।

पार्टी 1999 के परिणामों की पुनरावृत्ति की उम्मीद कर रही है, जब वोक्कालिगा समुदाय से आने वाले एस.एम. कृष्णा ने कांग्रेस के लिए स्पष्ट जनादेश सुनिश्चित करवाया था। वोक्कालिगा ने तब जद (एस) के बजाय कांग्रेस को चुना था। 20 साल बाद, एस.एम. कृष्णा की तरह, डी.के. शिवकुमार कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस कमेटी (केपीसीसी) के अध्यक्ष बने।

शिवकुमार पहले ही वोक्कालिगा समुदाय से अपील कर चुके हैं कि वे उनकी उम्मीदवारी का उसी तरह समर्थन करें जैसे उन्होंने जद (एस) के पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा, एसएम कृष्णा और पूर्व मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी का समर्थन किया था।

वोक्कालिगा वोट बैंक काफी हद तक दक्षिण कर्नाटक में स्थित है। वे बेंगलुरु, बेंगलुरु ग्रामीण, कोलार, रामनगर, मांड्या, मैसूरु, तुमकुरु, हासन, चिक्कमगलुरु, शिवमोग्गा और चित्रदुर्ग के कुछ हिस्सों में फैले हुए हैं।

समुदाय से लगभग 40 विधायक राज्य विधानमंडल के लिए चुने जाएंगे।

भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव व विधायक सी.टी. रवि और उच्च शिक्षा मंत्री सी.एन. अश्वत्थ नारायण ने एक नया नैरेटिव लाकर वोक्कालिगा वोट बैंक को आकर्षित करने की पुरजोर कोशिश की है।

सवाल यह है कि क्या वोक्कालिगा शिवकुमार के पीछे खड़े होंगे? उनके करीबी सूत्रों का कहना है कि जैसे 1999 में एच.डी. देवेगौड़ा के ऊपर एस.एम. कृष्णा को चुना गया था, वैसे ही इतिहास खुद को दोहराएगा।

शिवकुमार के करीबी सूत्रों ने कहा, समुदाय से कुमारस्वामी दो बार सीएम बन चुके हैं। लोग शिवकुमार के संघर्ष के बारे में जानते हैं और समुदाय को सहानुभूति है क्योंकि उन्हें जेल भेजा गया था। जद (एस) के नेता भी चाहते हैं कि शिवकुमार को मौका मिले। कुमारस्वामी के पुत्र निखिल कुमारस्वामी की 1.25 लाख मतों के अंतर से हार एक स्पष्ट संकेत है कि जद (एस) सर्वोच्च नहीं है।

वोक्कालिगा एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष बेट्टे गौड़ा का मानना है कि समुदाय को लगता है कि इस बार शिवकुमार को मौका दिया जाना चाहिए।

चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे कांग्रेस के कानूनी प्रकोष्ठ के सचिव सूर्या मुकुंदराज ने बताया कि केंगल हनुमंतैया, कदीदल मंजप्पा और एस.एम. कृष्णा के बाद शिवकुमार जैसे पुराने मैसूर क्षेत्र के नेता को मौका मिल रहा है।

कांग्रेस के वोक्कालिगा नेता मैसूर, मांड्या और बेंगलुरु में सिलसिलेवार बैठकें कर रहे हैं। वोक्कालिगा नेताओं को विपक्ष का नेता बनने का मौका नहीं दिया गया है। कांग्रेस के शासन में वोक्कालिगा को गृह और अन्य जैसे महत्वपूर्ण विभाग भी नहीं दिए गए हैं।

समुदाय ने कुमारस्वामी को वोट दिया क्योंकि उनके मुख्यमंत्री बनने की संभावना थी। दक्षिण कर्नाटक के मैसूर, कोलार, तुमकुरु और अन्य जिलों में कांग्रेस और जद (एस) के बीच सीधी लड़ाई है। शिवकुमार की उम्मीदवारी यहां मदद करेगी।

उन्होंने कहा कि समुदाय इस बात से अवगत है कि भविष्य में नेतृत्व वोक्कालिगाओं के बीच से उभरेगा।

सीएम पद के लिए विपक्ष के नेता सिद्दारमैया के खिलाफ उनकी संभावनाओं के बारे में बात करते हुए, शिवकुमार के करीबी सूत्रों ने कहा कि शिवकुमार भाजपा के बी.एस. येदियुरप्पा हैं जो पार्टी संगठन के लिए काम करते हैं। चार साल पहले कांग्रेस कार्यालय सूना-सूना नजर आता था। यह शिवकुमार ही हैं जिन्होंने यह सुनिश्चित किया कि कांग्रेस अपने संगठनात्मक कौशल के माध्यम से सत्ता के बहुत करीब आए।

वोक्कालिगा राज्य में दूसरा सबसे बड़ा समुदाय है। वे राज्य में सरकारों के गठन में काफी प्रभाव डालते हैं। पंचमसाली उप-संप्रदाय को आरक्षण देने के विवाद के बाद लिंगायत वोट बैंक विभाजन की ओर बढ़ रहा है और भाजपा सामूहिक नेतृत्व के तहत चुनाव की ओर बढ़ रही है। ऐसे में कांग्रेस उम्मीद कर रही है कि वोक्कालिगा कांग्रेस के पक्ष में झुकेंगे, और विधानसभा चुनाव में जीत सुनिश्चित कराएंगे।

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