जयपुर, 8 जून (आईएएनएस)। राजस्थान के राजनीतिक गलियारों में कांग्रेस की राज्य इकाई के पूर्व अध्यक्ष सचिन पायलट और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बीच प्रतिद्वंद्विता की पृष्ठभूमि में अटकल लगाई जा रही है कि पूर्व उपमुख्यमंत्री एक नया राजनीतिक दल बनाने जा रहे हैं।
11 जून को सचिन पायलट के पिता पूर्व केंद्रीय मंत्री राजेश पायलट की पुण्यतिथि नजदीक आते ही यह मामला तूल पकड़ता जा रहा है।
सचिन पायलट हर साल 11 जून को अपने पिता की पुण्यतिथि पर उन्हें श्रद्धांजलि देने दौसा जाते हैं। दौसा उनके दिवंगत पिता राजेश पायलट का निर्वाचन क्षेत्र रहा है और क्षेत्र के किसान आज भी उनके प्रति सम्मान रखते हैं।
हालांकि पिछले तीन महीनों में हुए घटनाक्रमों के कारण इस साल 11 जून को सचिन पायलट के संभावित कदम को लेकर चर्चा है।
पायलट ने 11 अप्रैल को गहलोत सरकार से अपने कार्यकाल के दौरान पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के खिलाफ कथित भ्रष्टाचार के मामलों की जांच शुरू करने की मांग करते हुए एक दिन का उपवास रखा था। कांग्रेस जब विपक्ष में थी, तब उसने भ्रष्टाचार मुद्दा उठाया था।
पायलट ने 11 मई को पांच दिनों तक चलने वाली जन संघर्ष यात्रा की शुरुआत की थी। उन्होंने अजमेर से जयपुर की यात्रा की थी।
अब, जैसे-जैसे 11 जून की तारीख नजदीक आ रही है, पायलट के अगले संभावित कदम के बारे में कयास लगाए जा रहे हैं।
इस बीच, राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सदस्य सुशील असोपा ने कहा, ये प्रायोजित अटकलें हैं।
उन्होंने कहा, बिना किसी तैयारी के रातों-रात पार्टी नहीं बनाई जा सकती। इस तरह की अफवाहें कौन फैला रहा है, इसकी जांच शुरू करने की जरूरत है।
यह पूछे जाने पर कि सचिन पायलट के साथ दौसा कौन जाएगा, कांग्रेस नेता ने कहा : वही समर्थक और अनुयायी जो हर साल अपने नेता को उनकी पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि देने के लिए दौसा जाते हैं, वे वहां जाएंगे।
इस बीच, यह भी चर्चा है कि सीएम गहलोत और कांग्रेस के राजस्थान प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधवा ने किस तरह से पायलट पर अपना रुख नरम किया है।
जबकि गहलोत ने कहा कि पायलट के साथ समझौता स्थायी है, रंधावा ने वरिष्ठ नेताओं से युवाओं के लिए जगह बनाने का भी आह्वान किया।
पार्टी सूत्रों ने बताया कि हाल ही में पूर्व सीएम वसुंधरा राजे की भाजपा के दिग्गज नेताओं से हुई मुलाकात ने कांग्रेस नेताओं को टेंशन में डाल दिया है।
संभावना है कि राजे को अभियान समिति का प्रमुख बनाया जाएगा और ऐसे में पायलट को उनसे मुकाबला करने की जरूरत होगी, क्योंकि पूर्व डिप्टी सीएम ने ही पिछली भाजपा सरकार के तहत भ्रष्टाचार का मुद्दा उठाया था। विश्लेषकों का मानना है कि इस मुद्दे ने 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को कुछ महत्वपूर्ण अंक हासिल करने में मदद की।
घटनाक्रम से वाकिफ एक सूत्र ने कहा, पार्टी नेताओं की रणनीति में बदलाव आया है, उन्होंने पायलट पर अपना रुख नरम कर लिया है।
–आईएएनएस
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