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Home ताज़ा समाचार

क्या है फेफड़े की खतरनाक बीमारी आईपीएफ, जिसके कारण हुआ जाकिर हुसैन का निधन

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December 16, 2024
in ताज़ा समाचार
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मुंबई, 16 दिसंबर (आईएएनएस)। देश के महान तबला वादक जाकिर हुसैन ने 73 वर्ष की आयु में दुनिया को अलविदा कह दिया। ‘उस्ताद’ फेफड़े की खतरनाक बीमारी इडियोपैथिक पल्मोनरी फाइब्रोसिस
(आईपीएफ) से पीड़ित थे। इस बीमारी के बारे में विस्तार से जानते हैं।

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इडियोपैथिक पल्मोनरी फाइब्रोसिस (आईपीएफ) एक गंभीर क्रॉनिक बीमारी है। आईपीएफ से पीड़ित व्यक्ति को सांस लेने में काफी दिक्कत होती है। आईपीएफ फेफड़ों में वायुकोषों या एल्वियोली के आस-पास के ऊतकों को प्रभावित करती है। फेफड़ों के ऊतक मोटे और कठोर हो जाते हैं और समय के साथ ये समस्याएं बढ़ती जाती हैं। एक समय ऐसा आता है, जब फेफड़ों में स्थायी निशान बन जाता है, जिसे फाइब्रोसिस कहा जाता है, जिससे सांस लेना धीरे-धीरे मुश्किल हो जाता है।

यदि आप धूम्रपान करते हैं या आपके परिवार का कोई सदस्य इस बीमारी से ग्रस्त रह चुका है तो बीमारी की चपेट में आने का खतरा बढ़ जाता है। कम उम्र की तुलना में यह बड़े उम्र के लोगों को ज्यादा प्रभावित करती है।

आईपीएफ के लक्षण पर नजर डालें तो इसमें सबसे बड़ा लक्षण है, सांस लेने में तकलीफ और खांसी का आना। स्थिति गंभीर होने पर सांस लेने में असमर्थता और हाई ब्लड प्रेशर भी शामिल है। संभवत: शुरुआत में कुछ लोगों में यह लक्षण दिखाई नहीं देते हैं, मगर जैसे-जैसे यह बीमारी बढ़ती जाती है, लक्षण बढ़ने के साथ ही हालत और भी खराब हो सकती है।

जानकारी के अनुसार वर्तमान में आईपीएफ का कोई इलाज नहीं है। हालांकि, कुछ उपचार आईपीएफ की प्रगति को धीमा कर सकते हैं और फेफड़ों को बेहतर काम करने में मदद कर सकते हैं। सही खानपान, व्यायाम और प्रदूषण से बचाव करके भी रोगी की दिनचर्या को सही किया जा सकता है। इन आसान सी चीजों के साथ रोग से पीड़ित लोगों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार किया जा सकता है।

इडियोपैथिक पल्मोनरी फाइब्रोसिस से पीड़ित उस्ताद जाकिर हुसैन का सैन फ्रांसिस्को में इलाज चल रहा था, जहां स्थिति गंभीर होने पर डॉक्टर उन्हें बचाने में असफल रहे और उन्होंने दम तोड़ दिया।

–आईएएनएस

एमटी/एएस

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मुंबई, 16 दिसंबर (आईएएनएस)। देश के महान तबला वादक जाकिर हुसैन ने 73 वर्ष की आयु में दुनिया को अलविदा कह दिया। ‘उस्ताद’ फेफड़े की खतरनाक बीमारी इडियोपैथिक पल्मोनरी फाइब्रोसिस
(आईपीएफ) से पीड़ित थे। इस बीमारी के बारे में विस्तार से जानते हैं।

इडियोपैथिक पल्मोनरी फाइब्रोसिस (आईपीएफ) एक गंभीर क्रॉनिक बीमारी है। आईपीएफ से पीड़ित व्यक्ति को सांस लेने में काफी दिक्कत होती है। आईपीएफ फेफड़ों में वायुकोषों या एल्वियोली के आस-पास के ऊतकों को प्रभावित करती है। फेफड़ों के ऊतक मोटे और कठोर हो जाते हैं और समय के साथ ये समस्याएं बढ़ती जाती हैं। एक समय ऐसा आता है, जब फेफड़ों में स्थायी निशान बन जाता है, जिसे फाइब्रोसिस कहा जाता है, जिससे सांस लेना धीरे-धीरे मुश्किल हो जाता है।

यदि आप धूम्रपान करते हैं या आपके परिवार का कोई सदस्य इस बीमारी से ग्रस्त रह चुका है तो बीमारी की चपेट में आने का खतरा बढ़ जाता है। कम उम्र की तुलना में यह बड़े उम्र के लोगों को ज्यादा प्रभावित करती है।

आईपीएफ के लक्षण पर नजर डालें तो इसमें सबसे बड़ा लक्षण है, सांस लेने में तकलीफ और खांसी का आना। स्थिति गंभीर होने पर सांस लेने में असमर्थता और हाई ब्लड प्रेशर भी शामिल है। संभवत: शुरुआत में कुछ लोगों में यह लक्षण दिखाई नहीं देते हैं, मगर जैसे-जैसे यह बीमारी बढ़ती जाती है, लक्षण बढ़ने के साथ ही हालत और भी खराब हो सकती है।

जानकारी के अनुसार वर्तमान में आईपीएफ का कोई इलाज नहीं है। हालांकि, कुछ उपचार आईपीएफ की प्रगति को धीमा कर सकते हैं और फेफड़ों को बेहतर काम करने में मदद कर सकते हैं। सही खानपान, व्यायाम और प्रदूषण से बचाव करके भी रोगी की दिनचर्या को सही किया जा सकता है। इन आसान सी चीजों के साथ रोग से पीड़ित लोगों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार किया जा सकता है।

इडियोपैथिक पल्मोनरी फाइब्रोसिस से पीड़ित उस्ताद जाकिर हुसैन का सैन फ्रांसिस्को में इलाज चल रहा था, जहां स्थिति गंभीर होने पर डॉक्टर उन्हें बचाने में असफल रहे और उन्होंने दम तोड़ दिया।

–आईएएनएस

एमटी/एएस

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मुंबई, 16 दिसंबर (आईएएनएस)। देश के महान तबला वादक जाकिर हुसैन ने 73 वर्ष की आयु में दुनिया को अलविदा कह दिया। ‘उस्ताद’ फेफड़े की खतरनाक बीमारी इडियोपैथिक पल्मोनरी फाइब्रोसिस
(आईपीएफ) से पीड़ित थे। इस बीमारी के बारे में विस्तार से जानते हैं।

इडियोपैथिक पल्मोनरी फाइब्रोसिस (आईपीएफ) एक गंभीर क्रॉनिक बीमारी है। आईपीएफ से पीड़ित व्यक्ति को सांस लेने में काफी दिक्कत होती है। आईपीएफ फेफड़ों में वायुकोषों या एल्वियोली के आस-पास के ऊतकों को प्रभावित करती है। फेफड़ों के ऊतक मोटे और कठोर हो जाते हैं और समय के साथ ये समस्याएं बढ़ती जाती हैं। एक समय ऐसा आता है, जब फेफड़ों में स्थायी निशान बन जाता है, जिसे फाइब्रोसिस कहा जाता है, जिससे सांस लेना धीरे-धीरे मुश्किल हो जाता है।

यदि आप धूम्रपान करते हैं या आपके परिवार का कोई सदस्य इस बीमारी से ग्रस्त रह चुका है तो बीमारी की चपेट में आने का खतरा बढ़ जाता है। कम उम्र की तुलना में यह बड़े उम्र के लोगों को ज्यादा प्रभावित करती है।

आईपीएफ के लक्षण पर नजर डालें तो इसमें सबसे बड़ा लक्षण है, सांस लेने में तकलीफ और खांसी का आना। स्थिति गंभीर होने पर सांस लेने में असमर्थता और हाई ब्लड प्रेशर भी शामिल है। संभवत: शुरुआत में कुछ लोगों में यह लक्षण दिखाई नहीं देते हैं, मगर जैसे-जैसे यह बीमारी बढ़ती जाती है, लक्षण बढ़ने के साथ ही हालत और भी खराब हो सकती है।

जानकारी के अनुसार वर्तमान में आईपीएफ का कोई इलाज नहीं है। हालांकि, कुछ उपचार आईपीएफ की प्रगति को धीमा कर सकते हैं और फेफड़ों को बेहतर काम करने में मदद कर सकते हैं। सही खानपान, व्यायाम और प्रदूषण से बचाव करके भी रोगी की दिनचर्या को सही किया जा सकता है। इन आसान सी चीजों के साथ रोग से पीड़ित लोगों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार किया जा सकता है।

इडियोपैथिक पल्मोनरी फाइब्रोसिस से पीड़ित उस्ताद जाकिर हुसैन का सैन फ्रांसिस्को में इलाज चल रहा था, जहां स्थिति गंभीर होने पर डॉक्टर उन्हें बचाने में असफल रहे और उन्होंने दम तोड़ दिया।

–आईएएनएस

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मुंबई, 16 दिसंबर (आईएएनएस)। देश के महान तबला वादक जाकिर हुसैन ने 73 वर्ष की आयु में दुनिया को अलविदा कह दिया। ‘उस्ताद’ फेफड़े की खतरनाक बीमारी इडियोपैथिक पल्मोनरी फाइब्रोसिस
(आईपीएफ) से पीड़ित थे। इस बीमारी के बारे में विस्तार से जानते हैं।

इडियोपैथिक पल्मोनरी फाइब्रोसिस (आईपीएफ) एक गंभीर क्रॉनिक बीमारी है। आईपीएफ से पीड़ित व्यक्ति को सांस लेने में काफी दिक्कत होती है। आईपीएफ फेफड़ों में वायुकोषों या एल्वियोली के आस-पास के ऊतकों को प्रभावित करती है। फेफड़ों के ऊतक मोटे और कठोर हो जाते हैं और समय के साथ ये समस्याएं बढ़ती जाती हैं। एक समय ऐसा आता है, जब फेफड़ों में स्थायी निशान बन जाता है, जिसे फाइब्रोसिस कहा जाता है, जिससे सांस लेना धीरे-धीरे मुश्किल हो जाता है।

यदि आप धूम्रपान करते हैं या आपके परिवार का कोई सदस्य इस बीमारी से ग्रस्त रह चुका है तो बीमारी की चपेट में आने का खतरा बढ़ जाता है। कम उम्र की तुलना में यह बड़े उम्र के लोगों को ज्यादा प्रभावित करती है।

आईपीएफ के लक्षण पर नजर डालें तो इसमें सबसे बड़ा लक्षण है, सांस लेने में तकलीफ और खांसी का आना। स्थिति गंभीर होने पर सांस लेने में असमर्थता और हाई ब्लड प्रेशर भी शामिल है। संभवत: शुरुआत में कुछ लोगों में यह लक्षण दिखाई नहीं देते हैं, मगर जैसे-जैसे यह बीमारी बढ़ती जाती है, लक्षण बढ़ने के साथ ही हालत और भी खराब हो सकती है।

जानकारी के अनुसार वर्तमान में आईपीएफ का कोई इलाज नहीं है। हालांकि, कुछ उपचार आईपीएफ की प्रगति को धीमा कर सकते हैं और फेफड़ों को बेहतर काम करने में मदद कर सकते हैं। सही खानपान, व्यायाम और प्रदूषण से बचाव करके भी रोगी की दिनचर्या को सही किया जा सकता है। इन आसान सी चीजों के साथ रोग से पीड़ित लोगों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार किया जा सकता है।

इडियोपैथिक पल्मोनरी फाइब्रोसिस से पीड़ित उस्ताद जाकिर हुसैन का सैन फ्रांसिस्को में इलाज चल रहा था, जहां स्थिति गंभीर होने पर डॉक्टर उन्हें बचाने में असफल रहे और उन्होंने दम तोड़ दिया।

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(आईपीएफ) से पीड़ित थे। इस बीमारी के बारे में विस्तार से जानते हैं।

इडियोपैथिक पल्मोनरी फाइब्रोसिस (आईपीएफ) एक गंभीर क्रॉनिक बीमारी है। आईपीएफ से पीड़ित व्यक्ति को सांस लेने में काफी दिक्कत होती है। आईपीएफ फेफड़ों में वायुकोषों या एल्वियोली के आस-पास के ऊतकों को प्रभावित करती है। फेफड़ों के ऊतक मोटे और कठोर हो जाते हैं और समय के साथ ये समस्याएं बढ़ती जाती हैं। एक समय ऐसा आता है, जब फेफड़ों में स्थायी निशान बन जाता है, जिसे फाइब्रोसिस कहा जाता है, जिससे सांस लेना धीरे-धीरे मुश्किल हो जाता है।

यदि आप धूम्रपान करते हैं या आपके परिवार का कोई सदस्य इस बीमारी से ग्रस्त रह चुका है तो बीमारी की चपेट में आने का खतरा बढ़ जाता है। कम उम्र की तुलना में यह बड़े उम्र के लोगों को ज्यादा प्रभावित करती है।

आईपीएफ के लक्षण पर नजर डालें तो इसमें सबसे बड़ा लक्षण है, सांस लेने में तकलीफ और खांसी का आना। स्थिति गंभीर होने पर सांस लेने में असमर्थता और हाई ब्लड प्रेशर भी शामिल है। संभवत: शुरुआत में कुछ लोगों में यह लक्षण दिखाई नहीं देते हैं, मगर जैसे-जैसे यह बीमारी बढ़ती जाती है, लक्षण बढ़ने के साथ ही हालत और भी खराब हो सकती है।

जानकारी के अनुसार वर्तमान में आईपीएफ का कोई इलाज नहीं है। हालांकि, कुछ उपचार आईपीएफ की प्रगति को धीमा कर सकते हैं और फेफड़ों को बेहतर काम करने में मदद कर सकते हैं। सही खानपान, व्यायाम और प्रदूषण से बचाव करके भी रोगी की दिनचर्या को सही किया जा सकता है। इन आसान सी चीजों के साथ रोग से पीड़ित लोगों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार किया जा सकता है।

इडियोपैथिक पल्मोनरी फाइब्रोसिस से पीड़ित उस्ताद जाकिर हुसैन का सैन फ्रांसिस्को में इलाज चल रहा था, जहां स्थिति गंभीर होने पर डॉक्टर उन्हें बचाने में असफल रहे और उन्होंने दम तोड़ दिया।

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(आईपीएफ) से पीड़ित थे। इस बीमारी के बारे में विस्तार से जानते हैं।

इडियोपैथिक पल्मोनरी फाइब्रोसिस (आईपीएफ) एक गंभीर क्रॉनिक बीमारी है। आईपीएफ से पीड़ित व्यक्ति को सांस लेने में काफी दिक्कत होती है। आईपीएफ फेफड़ों में वायुकोषों या एल्वियोली के आस-पास के ऊतकों को प्रभावित करती है। फेफड़ों के ऊतक मोटे और कठोर हो जाते हैं और समय के साथ ये समस्याएं बढ़ती जाती हैं। एक समय ऐसा आता है, जब फेफड़ों में स्थायी निशान बन जाता है, जिसे फाइब्रोसिस कहा जाता है, जिससे सांस लेना धीरे-धीरे मुश्किल हो जाता है।

यदि आप धूम्रपान करते हैं या आपके परिवार का कोई सदस्य इस बीमारी से ग्रस्त रह चुका है तो बीमारी की चपेट में आने का खतरा बढ़ जाता है। कम उम्र की तुलना में यह बड़े उम्र के लोगों को ज्यादा प्रभावित करती है।

आईपीएफ के लक्षण पर नजर डालें तो इसमें सबसे बड़ा लक्षण है, सांस लेने में तकलीफ और खांसी का आना। स्थिति गंभीर होने पर सांस लेने में असमर्थता और हाई ब्लड प्रेशर भी शामिल है। संभवत: शुरुआत में कुछ लोगों में यह लक्षण दिखाई नहीं देते हैं, मगर जैसे-जैसे यह बीमारी बढ़ती जाती है, लक्षण बढ़ने के साथ ही हालत और भी खराब हो सकती है।

जानकारी के अनुसार वर्तमान में आईपीएफ का कोई इलाज नहीं है। हालांकि, कुछ उपचार आईपीएफ की प्रगति को धीमा कर सकते हैं और फेफड़ों को बेहतर काम करने में मदद कर सकते हैं। सही खानपान, व्यायाम और प्रदूषण से बचाव करके भी रोगी की दिनचर्या को सही किया जा सकता है। इन आसान सी चीजों के साथ रोग से पीड़ित लोगों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार किया जा सकता है।

इडियोपैथिक पल्मोनरी फाइब्रोसिस से पीड़ित उस्ताद जाकिर हुसैन का सैन फ्रांसिस्को में इलाज चल रहा था, जहां स्थिति गंभीर होने पर डॉक्टर उन्हें बचाने में असफल रहे और उन्होंने दम तोड़ दिया।

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(आईपीएफ) से पीड़ित थे। इस बीमारी के बारे में विस्तार से जानते हैं।

इडियोपैथिक पल्मोनरी फाइब्रोसिस (आईपीएफ) एक गंभीर क्रॉनिक बीमारी है। आईपीएफ से पीड़ित व्यक्ति को सांस लेने में काफी दिक्कत होती है। आईपीएफ फेफड़ों में वायुकोषों या एल्वियोली के आस-पास के ऊतकों को प्रभावित करती है। फेफड़ों के ऊतक मोटे और कठोर हो जाते हैं और समय के साथ ये समस्याएं बढ़ती जाती हैं। एक समय ऐसा आता है, जब फेफड़ों में स्थायी निशान बन जाता है, जिसे फाइब्रोसिस कहा जाता है, जिससे सांस लेना धीरे-धीरे मुश्किल हो जाता है।

यदि आप धूम्रपान करते हैं या आपके परिवार का कोई सदस्य इस बीमारी से ग्रस्त रह चुका है तो बीमारी की चपेट में आने का खतरा बढ़ जाता है। कम उम्र की तुलना में यह बड़े उम्र के लोगों को ज्यादा प्रभावित करती है।

आईपीएफ के लक्षण पर नजर डालें तो इसमें सबसे बड़ा लक्षण है, सांस लेने में तकलीफ और खांसी का आना। स्थिति गंभीर होने पर सांस लेने में असमर्थता और हाई ब्लड प्रेशर भी शामिल है। संभवत: शुरुआत में कुछ लोगों में यह लक्षण दिखाई नहीं देते हैं, मगर जैसे-जैसे यह बीमारी बढ़ती जाती है, लक्षण बढ़ने के साथ ही हालत और भी खराब हो सकती है।

जानकारी के अनुसार वर्तमान में आईपीएफ का कोई इलाज नहीं है। हालांकि, कुछ उपचार आईपीएफ की प्रगति को धीमा कर सकते हैं और फेफड़ों को बेहतर काम करने में मदद कर सकते हैं। सही खानपान, व्यायाम और प्रदूषण से बचाव करके भी रोगी की दिनचर्या को सही किया जा सकता है। इन आसान सी चीजों के साथ रोग से पीड़ित लोगों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार किया जा सकता है।

इडियोपैथिक पल्मोनरी फाइब्रोसिस से पीड़ित उस्ताद जाकिर हुसैन का सैन फ्रांसिस्को में इलाज चल रहा था, जहां स्थिति गंभीर होने पर डॉक्टर उन्हें बचाने में असफल रहे और उन्होंने दम तोड़ दिया।

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मुंबई, 16 दिसंबर (आईएएनएस)। देश के महान तबला वादक जाकिर हुसैन ने 73 वर्ष की आयु में दुनिया को अलविदा कह दिया। ‘उस्ताद’ फेफड़े की खतरनाक बीमारी इडियोपैथिक पल्मोनरी फाइब्रोसिस
(आईपीएफ) से पीड़ित थे। इस बीमारी के बारे में विस्तार से जानते हैं।

इडियोपैथिक पल्मोनरी फाइब्रोसिस (आईपीएफ) एक गंभीर क्रॉनिक बीमारी है। आईपीएफ से पीड़ित व्यक्ति को सांस लेने में काफी दिक्कत होती है। आईपीएफ फेफड़ों में वायुकोषों या एल्वियोली के आस-पास के ऊतकों को प्रभावित करती है। फेफड़ों के ऊतक मोटे और कठोर हो जाते हैं और समय के साथ ये समस्याएं बढ़ती जाती हैं। एक समय ऐसा आता है, जब फेफड़ों में स्थायी निशान बन जाता है, जिसे फाइब्रोसिस कहा जाता है, जिससे सांस लेना धीरे-धीरे मुश्किल हो जाता है।

यदि आप धूम्रपान करते हैं या आपके परिवार का कोई सदस्य इस बीमारी से ग्रस्त रह चुका है तो बीमारी की चपेट में आने का खतरा बढ़ जाता है। कम उम्र की तुलना में यह बड़े उम्र के लोगों को ज्यादा प्रभावित करती है।

आईपीएफ के लक्षण पर नजर डालें तो इसमें सबसे बड़ा लक्षण है, सांस लेने में तकलीफ और खांसी का आना। स्थिति गंभीर होने पर सांस लेने में असमर्थता और हाई ब्लड प्रेशर भी शामिल है। संभवत: शुरुआत में कुछ लोगों में यह लक्षण दिखाई नहीं देते हैं, मगर जैसे-जैसे यह बीमारी बढ़ती जाती है, लक्षण बढ़ने के साथ ही हालत और भी खराब हो सकती है।

जानकारी के अनुसार वर्तमान में आईपीएफ का कोई इलाज नहीं है। हालांकि, कुछ उपचार आईपीएफ की प्रगति को धीमा कर सकते हैं और फेफड़ों को बेहतर काम करने में मदद कर सकते हैं। सही खानपान, व्यायाम और प्रदूषण से बचाव करके भी रोगी की दिनचर्या को सही किया जा सकता है। इन आसान सी चीजों के साथ रोग से पीड़ित लोगों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार किया जा सकता है।

इडियोपैथिक पल्मोनरी फाइब्रोसिस से पीड़ित उस्ताद जाकिर हुसैन का सैन फ्रांसिस्को में इलाज चल रहा था, जहां स्थिति गंभीर होने पर डॉक्टर उन्हें बचाने में असफल रहे और उन्होंने दम तोड़ दिया।

–आईएएनएस

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मुंबई, 16 दिसंबर (आईएएनएस)। देश के महान तबला वादक जाकिर हुसैन ने 73 वर्ष की आयु में दुनिया को अलविदा कह दिया। ‘उस्ताद’ फेफड़े की खतरनाक बीमारी इडियोपैथिक पल्मोनरी फाइब्रोसिस
(आईपीएफ) से पीड़ित थे। इस बीमारी के बारे में विस्तार से जानते हैं।

इडियोपैथिक पल्मोनरी फाइब्रोसिस (आईपीएफ) एक गंभीर क्रॉनिक बीमारी है। आईपीएफ से पीड़ित व्यक्ति को सांस लेने में काफी दिक्कत होती है। आईपीएफ फेफड़ों में वायुकोषों या एल्वियोली के आस-पास के ऊतकों को प्रभावित करती है। फेफड़ों के ऊतक मोटे और कठोर हो जाते हैं और समय के साथ ये समस्याएं बढ़ती जाती हैं। एक समय ऐसा आता है, जब फेफड़ों में स्थायी निशान बन जाता है, जिसे फाइब्रोसिस कहा जाता है, जिससे सांस लेना धीरे-धीरे मुश्किल हो जाता है।

यदि आप धूम्रपान करते हैं या आपके परिवार का कोई सदस्य इस बीमारी से ग्रस्त रह चुका है तो बीमारी की चपेट में आने का खतरा बढ़ जाता है। कम उम्र की तुलना में यह बड़े उम्र के लोगों को ज्यादा प्रभावित करती है।

आईपीएफ के लक्षण पर नजर डालें तो इसमें सबसे बड़ा लक्षण है, सांस लेने में तकलीफ और खांसी का आना। स्थिति गंभीर होने पर सांस लेने में असमर्थता और हाई ब्लड प्रेशर भी शामिल है। संभवत: शुरुआत में कुछ लोगों में यह लक्षण दिखाई नहीं देते हैं, मगर जैसे-जैसे यह बीमारी बढ़ती जाती है, लक्षण बढ़ने के साथ ही हालत और भी खराब हो सकती है।

जानकारी के अनुसार वर्तमान में आईपीएफ का कोई इलाज नहीं है। हालांकि, कुछ उपचार आईपीएफ की प्रगति को धीमा कर सकते हैं और फेफड़ों को बेहतर काम करने में मदद कर सकते हैं। सही खानपान, व्यायाम और प्रदूषण से बचाव करके भी रोगी की दिनचर्या को सही किया जा सकता है। इन आसान सी चीजों के साथ रोग से पीड़ित लोगों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार किया जा सकता है।

इडियोपैथिक पल्मोनरी फाइब्रोसिस से पीड़ित उस्ताद जाकिर हुसैन का सैन फ्रांसिस्को में इलाज चल रहा था, जहां स्थिति गंभीर होने पर डॉक्टर उन्हें बचाने में असफल रहे और उन्होंने दम तोड़ दिया।

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(आईपीएफ) से पीड़ित थे। इस बीमारी के बारे में विस्तार से जानते हैं।

इडियोपैथिक पल्मोनरी फाइब्रोसिस (आईपीएफ) एक गंभीर क्रॉनिक बीमारी है। आईपीएफ से पीड़ित व्यक्ति को सांस लेने में काफी दिक्कत होती है। आईपीएफ फेफड़ों में वायुकोषों या एल्वियोली के आस-पास के ऊतकों को प्रभावित करती है। फेफड़ों के ऊतक मोटे और कठोर हो जाते हैं और समय के साथ ये समस्याएं बढ़ती जाती हैं। एक समय ऐसा आता है, जब फेफड़ों में स्थायी निशान बन जाता है, जिसे फाइब्रोसिस कहा जाता है, जिससे सांस लेना धीरे-धीरे मुश्किल हो जाता है।

यदि आप धूम्रपान करते हैं या आपके परिवार का कोई सदस्य इस बीमारी से ग्रस्त रह चुका है तो बीमारी की चपेट में आने का खतरा बढ़ जाता है। कम उम्र की तुलना में यह बड़े उम्र के लोगों को ज्यादा प्रभावित करती है।

आईपीएफ के लक्षण पर नजर डालें तो इसमें सबसे बड़ा लक्षण है, सांस लेने में तकलीफ और खांसी का आना। स्थिति गंभीर होने पर सांस लेने में असमर्थता और हाई ब्लड प्रेशर भी शामिल है। संभवत: शुरुआत में कुछ लोगों में यह लक्षण दिखाई नहीं देते हैं, मगर जैसे-जैसे यह बीमारी बढ़ती जाती है, लक्षण बढ़ने के साथ ही हालत और भी खराब हो सकती है।

जानकारी के अनुसार वर्तमान में आईपीएफ का कोई इलाज नहीं है। हालांकि, कुछ उपचार आईपीएफ की प्रगति को धीमा कर सकते हैं और फेफड़ों को बेहतर काम करने में मदद कर सकते हैं। सही खानपान, व्यायाम और प्रदूषण से बचाव करके भी रोगी की दिनचर्या को सही किया जा सकता है। इन आसान सी चीजों के साथ रोग से पीड़ित लोगों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार किया जा सकता है।

इडियोपैथिक पल्मोनरी फाइब्रोसिस से पीड़ित उस्ताद जाकिर हुसैन का सैन फ्रांसिस्को में इलाज चल रहा था, जहां स्थिति गंभीर होने पर डॉक्टर उन्हें बचाने में असफल रहे और उन्होंने दम तोड़ दिया।

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(आईपीएफ) से पीड़ित थे। इस बीमारी के बारे में विस्तार से जानते हैं।

इडियोपैथिक पल्मोनरी फाइब्रोसिस (आईपीएफ) एक गंभीर क्रॉनिक बीमारी है। आईपीएफ से पीड़ित व्यक्ति को सांस लेने में काफी दिक्कत होती है। आईपीएफ फेफड़ों में वायुकोषों या एल्वियोली के आस-पास के ऊतकों को प्रभावित करती है। फेफड़ों के ऊतक मोटे और कठोर हो जाते हैं और समय के साथ ये समस्याएं बढ़ती जाती हैं। एक समय ऐसा आता है, जब फेफड़ों में स्थायी निशान बन जाता है, जिसे फाइब्रोसिस कहा जाता है, जिससे सांस लेना धीरे-धीरे मुश्किल हो जाता है।

यदि आप धूम्रपान करते हैं या आपके परिवार का कोई सदस्य इस बीमारी से ग्रस्त रह चुका है तो बीमारी की चपेट में आने का खतरा बढ़ जाता है। कम उम्र की तुलना में यह बड़े उम्र के लोगों को ज्यादा प्रभावित करती है।

आईपीएफ के लक्षण पर नजर डालें तो इसमें सबसे बड़ा लक्षण है, सांस लेने में तकलीफ और खांसी का आना। स्थिति गंभीर होने पर सांस लेने में असमर्थता और हाई ब्लड प्रेशर भी शामिल है। संभवत: शुरुआत में कुछ लोगों में यह लक्षण दिखाई नहीं देते हैं, मगर जैसे-जैसे यह बीमारी बढ़ती जाती है, लक्षण बढ़ने के साथ ही हालत और भी खराब हो सकती है।

जानकारी के अनुसार वर्तमान में आईपीएफ का कोई इलाज नहीं है। हालांकि, कुछ उपचार आईपीएफ की प्रगति को धीमा कर सकते हैं और फेफड़ों को बेहतर काम करने में मदद कर सकते हैं। सही खानपान, व्यायाम और प्रदूषण से बचाव करके भी रोगी की दिनचर्या को सही किया जा सकता है। इन आसान सी चीजों के साथ रोग से पीड़ित लोगों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार किया जा सकता है।

इडियोपैथिक पल्मोनरी फाइब्रोसिस से पीड़ित उस्ताद जाकिर हुसैन का सैन फ्रांसिस्को में इलाज चल रहा था, जहां स्थिति गंभीर होने पर डॉक्टर उन्हें बचाने में असफल रहे और उन्होंने दम तोड़ दिया।

–आईएएनएस

एमटी/एएस

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मुंबई, 16 दिसंबर (आईएएनएस)। देश के महान तबला वादक जाकिर हुसैन ने 73 वर्ष की आयु में दुनिया को अलविदा कह दिया। ‘उस्ताद’ फेफड़े की खतरनाक बीमारी इडियोपैथिक पल्मोनरी फाइब्रोसिस
(आईपीएफ) से पीड़ित थे। इस बीमारी के बारे में विस्तार से जानते हैं।

इडियोपैथिक पल्मोनरी फाइब्रोसिस (आईपीएफ) एक गंभीर क्रॉनिक बीमारी है। आईपीएफ से पीड़ित व्यक्ति को सांस लेने में काफी दिक्कत होती है। आईपीएफ फेफड़ों में वायुकोषों या एल्वियोली के आस-पास के ऊतकों को प्रभावित करती है। फेफड़ों के ऊतक मोटे और कठोर हो जाते हैं और समय के साथ ये समस्याएं बढ़ती जाती हैं। एक समय ऐसा आता है, जब फेफड़ों में स्थायी निशान बन जाता है, जिसे फाइब्रोसिस कहा जाता है, जिससे सांस लेना धीरे-धीरे मुश्किल हो जाता है।

यदि आप धूम्रपान करते हैं या आपके परिवार का कोई सदस्य इस बीमारी से ग्रस्त रह चुका है तो बीमारी की चपेट में आने का खतरा बढ़ जाता है। कम उम्र की तुलना में यह बड़े उम्र के लोगों को ज्यादा प्रभावित करती है।

आईपीएफ के लक्षण पर नजर डालें तो इसमें सबसे बड़ा लक्षण है, सांस लेने में तकलीफ और खांसी का आना। स्थिति गंभीर होने पर सांस लेने में असमर्थता और हाई ब्लड प्रेशर भी शामिल है। संभवत: शुरुआत में कुछ लोगों में यह लक्षण दिखाई नहीं देते हैं, मगर जैसे-जैसे यह बीमारी बढ़ती जाती है, लक्षण बढ़ने के साथ ही हालत और भी खराब हो सकती है।

जानकारी के अनुसार वर्तमान में आईपीएफ का कोई इलाज नहीं है। हालांकि, कुछ उपचार आईपीएफ की प्रगति को धीमा कर सकते हैं और फेफड़ों को बेहतर काम करने में मदद कर सकते हैं। सही खानपान, व्यायाम और प्रदूषण से बचाव करके भी रोगी की दिनचर्या को सही किया जा सकता है। इन आसान सी चीजों के साथ रोग से पीड़ित लोगों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार किया जा सकता है।

इडियोपैथिक पल्मोनरी फाइब्रोसिस से पीड़ित उस्ताद जाकिर हुसैन का सैन फ्रांसिस्को में इलाज चल रहा था, जहां स्थिति गंभीर होने पर डॉक्टर उन्हें बचाने में असफल रहे और उन्होंने दम तोड़ दिया।

–आईएएनएस

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मुंबई, 16 दिसंबर (आईएएनएस)। देश के महान तबला वादक जाकिर हुसैन ने 73 वर्ष की आयु में दुनिया को अलविदा कह दिया। ‘उस्ताद’ फेफड़े की खतरनाक बीमारी इडियोपैथिक पल्मोनरी फाइब्रोसिस
(आईपीएफ) से पीड़ित थे। इस बीमारी के बारे में विस्तार से जानते हैं।

इडियोपैथिक पल्मोनरी फाइब्रोसिस (आईपीएफ) एक गंभीर क्रॉनिक बीमारी है। आईपीएफ से पीड़ित व्यक्ति को सांस लेने में काफी दिक्कत होती है। आईपीएफ फेफड़ों में वायुकोषों या एल्वियोली के आस-पास के ऊतकों को प्रभावित करती है। फेफड़ों के ऊतक मोटे और कठोर हो जाते हैं और समय के साथ ये समस्याएं बढ़ती जाती हैं। एक समय ऐसा आता है, जब फेफड़ों में स्थायी निशान बन जाता है, जिसे फाइब्रोसिस कहा जाता है, जिससे सांस लेना धीरे-धीरे मुश्किल हो जाता है।

यदि आप धूम्रपान करते हैं या आपके परिवार का कोई सदस्य इस बीमारी से ग्रस्त रह चुका है तो बीमारी की चपेट में आने का खतरा बढ़ जाता है। कम उम्र की तुलना में यह बड़े उम्र के लोगों को ज्यादा प्रभावित करती है।

आईपीएफ के लक्षण पर नजर डालें तो इसमें सबसे बड़ा लक्षण है, सांस लेने में तकलीफ और खांसी का आना। स्थिति गंभीर होने पर सांस लेने में असमर्थता और हाई ब्लड प्रेशर भी शामिल है। संभवत: शुरुआत में कुछ लोगों में यह लक्षण दिखाई नहीं देते हैं, मगर जैसे-जैसे यह बीमारी बढ़ती जाती है, लक्षण बढ़ने के साथ ही हालत और भी खराब हो सकती है।

जानकारी के अनुसार वर्तमान में आईपीएफ का कोई इलाज नहीं है। हालांकि, कुछ उपचार आईपीएफ की प्रगति को धीमा कर सकते हैं और फेफड़ों को बेहतर काम करने में मदद कर सकते हैं। सही खानपान, व्यायाम और प्रदूषण से बचाव करके भी रोगी की दिनचर्या को सही किया जा सकता है। इन आसान सी चीजों के साथ रोग से पीड़ित लोगों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार किया जा सकता है।

इडियोपैथिक पल्मोनरी फाइब्रोसिस से पीड़ित उस्ताद जाकिर हुसैन का सैन फ्रांसिस्को में इलाज चल रहा था, जहां स्थिति गंभीर होने पर डॉक्टर उन्हें बचाने में असफल रहे और उन्होंने दम तोड़ दिया।

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मुंबई, 16 दिसंबर (आईएएनएस)। देश के महान तबला वादक जाकिर हुसैन ने 73 वर्ष की आयु में दुनिया को अलविदा कह दिया। ‘उस्ताद’ फेफड़े की खतरनाक बीमारी इडियोपैथिक पल्मोनरी फाइब्रोसिस
(आईपीएफ) से पीड़ित थे। इस बीमारी के बारे में विस्तार से जानते हैं।

इडियोपैथिक पल्मोनरी फाइब्रोसिस (आईपीएफ) एक गंभीर क्रॉनिक बीमारी है। आईपीएफ से पीड़ित व्यक्ति को सांस लेने में काफी दिक्कत होती है। आईपीएफ फेफड़ों में वायुकोषों या एल्वियोली के आस-पास के ऊतकों को प्रभावित करती है। फेफड़ों के ऊतक मोटे और कठोर हो जाते हैं और समय के साथ ये समस्याएं बढ़ती जाती हैं। एक समय ऐसा आता है, जब फेफड़ों में स्थायी निशान बन जाता है, जिसे फाइब्रोसिस कहा जाता है, जिससे सांस लेना धीरे-धीरे मुश्किल हो जाता है।

यदि आप धूम्रपान करते हैं या आपके परिवार का कोई सदस्य इस बीमारी से ग्रस्त रह चुका है तो बीमारी की चपेट में आने का खतरा बढ़ जाता है। कम उम्र की तुलना में यह बड़े उम्र के लोगों को ज्यादा प्रभावित करती है।

आईपीएफ के लक्षण पर नजर डालें तो इसमें सबसे बड़ा लक्षण है, सांस लेने में तकलीफ और खांसी का आना। स्थिति गंभीर होने पर सांस लेने में असमर्थता और हाई ब्लड प्रेशर भी शामिल है। संभवत: शुरुआत में कुछ लोगों में यह लक्षण दिखाई नहीं देते हैं, मगर जैसे-जैसे यह बीमारी बढ़ती जाती है, लक्षण बढ़ने के साथ ही हालत और भी खराब हो सकती है।

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इडियोपैथिक पल्मोनरी फाइब्रोसिस से पीड़ित उस्ताद जाकिर हुसैन का सैन फ्रांसिस्को में इलाज चल रहा था, जहां स्थिति गंभीर होने पर डॉक्टर उन्हें बचाने में असफल रहे और उन्होंने दम तोड़ दिया।

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(आईपीएफ) से पीड़ित थे। इस बीमारी के बारे में विस्तार से जानते हैं।

इडियोपैथिक पल्मोनरी फाइब्रोसिस (आईपीएफ) एक गंभीर क्रॉनिक बीमारी है। आईपीएफ से पीड़ित व्यक्ति को सांस लेने में काफी दिक्कत होती है। आईपीएफ फेफड़ों में वायुकोषों या एल्वियोली के आस-पास के ऊतकों को प्रभावित करती है। फेफड़ों के ऊतक मोटे और कठोर हो जाते हैं और समय के साथ ये समस्याएं बढ़ती जाती हैं। एक समय ऐसा आता है, जब फेफड़ों में स्थायी निशान बन जाता है, जिसे फाइब्रोसिस कहा जाता है, जिससे सांस लेना धीरे-धीरे मुश्किल हो जाता है।

यदि आप धूम्रपान करते हैं या आपके परिवार का कोई सदस्य इस बीमारी से ग्रस्त रह चुका है तो बीमारी की चपेट में आने का खतरा बढ़ जाता है। कम उम्र की तुलना में यह बड़े उम्र के लोगों को ज्यादा प्रभावित करती है।

आईपीएफ के लक्षण पर नजर डालें तो इसमें सबसे बड़ा लक्षण है, सांस लेने में तकलीफ और खांसी का आना। स्थिति गंभीर होने पर सांस लेने में असमर्थता और हाई ब्लड प्रेशर भी शामिल है। संभवत: शुरुआत में कुछ लोगों में यह लक्षण दिखाई नहीं देते हैं, मगर जैसे-जैसे यह बीमारी बढ़ती जाती है, लक्षण बढ़ने के साथ ही हालत और भी खराब हो सकती है।

जानकारी के अनुसार वर्तमान में आईपीएफ का कोई इलाज नहीं है। हालांकि, कुछ उपचार आईपीएफ की प्रगति को धीमा कर सकते हैं और फेफड़ों को बेहतर काम करने में मदद कर सकते हैं। सही खानपान, व्यायाम और प्रदूषण से बचाव करके भी रोगी की दिनचर्या को सही किया जा सकता है। इन आसान सी चीजों के साथ रोग से पीड़ित लोगों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार किया जा सकता है।

इडियोपैथिक पल्मोनरी फाइब्रोसिस से पीड़ित उस्ताद जाकिर हुसैन का सैन फ्रांसिस्को में इलाज चल रहा था, जहां स्थिति गंभीर होने पर डॉक्टर उन्हें बचाने में असफल रहे और उन्होंने दम तोड़ दिया।

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(आईपीएफ) से पीड़ित थे। इस बीमारी के बारे में विस्तार से जानते हैं।

इडियोपैथिक पल्मोनरी फाइब्रोसिस (आईपीएफ) एक गंभीर क्रॉनिक बीमारी है। आईपीएफ से पीड़ित व्यक्ति को सांस लेने में काफी दिक्कत होती है। आईपीएफ फेफड़ों में वायुकोषों या एल्वियोली के आस-पास के ऊतकों को प्रभावित करती है। फेफड़ों के ऊतक मोटे और कठोर हो जाते हैं और समय के साथ ये समस्याएं बढ़ती जाती हैं। एक समय ऐसा आता है, जब फेफड़ों में स्थायी निशान बन जाता है, जिसे फाइब्रोसिस कहा जाता है, जिससे सांस लेना धीरे-धीरे मुश्किल हो जाता है।

यदि आप धूम्रपान करते हैं या आपके परिवार का कोई सदस्य इस बीमारी से ग्रस्त रह चुका है तो बीमारी की चपेट में आने का खतरा बढ़ जाता है। कम उम्र की तुलना में यह बड़े उम्र के लोगों को ज्यादा प्रभावित करती है।

आईपीएफ के लक्षण पर नजर डालें तो इसमें सबसे बड़ा लक्षण है, सांस लेने में तकलीफ और खांसी का आना। स्थिति गंभीर होने पर सांस लेने में असमर्थता और हाई ब्लड प्रेशर भी शामिल है। संभवत: शुरुआत में कुछ लोगों में यह लक्षण दिखाई नहीं देते हैं, मगर जैसे-जैसे यह बीमारी बढ़ती जाती है, लक्षण बढ़ने के साथ ही हालत और भी खराब हो सकती है।

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इडियोपैथिक पल्मोनरी फाइब्रोसिस से पीड़ित उस्ताद जाकिर हुसैन का सैन फ्रांसिस्को में इलाज चल रहा था, जहां स्थिति गंभीर होने पर डॉक्टर उन्हें बचाने में असफल रहे और उन्होंने दम तोड़ दिया।

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