श्रीहरिकोटा (आंध्र प्रदेश), 21 अक्टूबर (आईएएनएस)। भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी ने अपने रॉकेट के महत्वपूर्ण क्रू एस्केप सिस्टम की जांच के लिए पहली परीक्षण उड़ान को पुनर्निर्धारित किया है, जो 2025 में अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरिक्ष में ले जाएगा।
भारतीय मानव अंतरिक्ष मिशन को गगनयान कहा जाता है।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने मूल रूप से शनिवार सुबह 8 बजे यहां रॉकेट पोर्ट से टेस्ट व्हीकल एबॉर्ट मिशन-1 (टीवी-डी1) को लॉन्च करने का समय निर्धारित किया था।
लेकिन अंतरिक्ष एजेंसी ने अब सुबह 8.30 बजे उड़ान भरने के पुनर्निर्धारण की घोषणा की है।
इसरो के एक अधिकारी ने आईएएनएस को बताया कि देरी का कारण खराब दृश्यता और अनुपयुक्त मौसम की स्थिति है।
अंतरिक्ष एजेंसी के अध्यक्ष एस.सोमनाथ के अनुसार, फ्लाइट टेस्ट व्हीकल एबॉर्ट मिशन-1 (टीवी-डी1) नामक शनिवार सुबह का मिशन क्रू एस्केप सिस्टम का प्रदर्शन करेगा और यह इसरो द्वारा नियोजित चार ऐसी परीक्षण उड़ानों में से पहला है।
दूसरे शब्दों में, अगर क्रू मॉड्यूल में अंतरिक्ष यात्रियों को ले जाने वाले रॉकेट में कुछ गड़बड़ हो जाती है, तो उन्हें बचाना होगा, क्योंकि उनकी जान को खतरा है।
क्रू एस्केप सिस्टम को अंतरिक्ष यात्रियों को समुद्र में सुरक्षित रूप से नीचे लाकर उनके जीवन की रक्षा करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
लड़ाकू विमान से बाहर निकलने वाले लड़ाकू पायलट की तरह, अंतरिक्ष यात्रियों के साथ क्रू मॉड्यूल अलग हो जाएगा और पैराशूट की मदद से समुद्र में गिर जाएगा।
योजनाओं के अनुसार, भारत का पहला मानव अंतरिक्ष मिशन या गगनयान 2025 में होने की उम्मीद है और क्रू एस्केप सिस्टम का परीक्षण उसी का हिस्सा है।
–आईएएनएस
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