नई दिल्ली, 24 फरवरी (आईएएनएस)। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने शनिवार को क्वाड को और अधिक समसामयिक, प्रभावशाली और प्रासंगिक बनाने की आवश्यकता पर जोर दिया और कहा कि समूह तथा हिंद-प्रशांत के प्रति भारत की मजबूत प्रतिबद्धता ने अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया के साथ रणनीतिक साझेदारी को गहरा कर दिया है।
मंत्री ने नवें रायसीना डायलॉग के समापन पर पहले क्वाड थिंक टैंक फोरम में बोलते हुए पुष्टि की कि समूह खुले और समावेशी हिंद-प्रशांत को बनाए रखने की वकालत करने वाले चार जीवंत लोकतंत्रों के लिए एक महत्वपूर्ण और ठोस मंच बन गया है।
विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा, “क्वाड और हिंद-प्रशांत के प्रति हमारी मजबूत प्रतिबद्धता स्पष्ट रूप से हमारे तीन क्वाड भागीदारों के साथ हमारी रणनीतिक साझेदारी को गहरा करने में एक महत्वपूर्ण कारक रही है।”
पिछले पांच वर्षों में चार पक्षीय सुरक्षा वार्ता के “तेजी से” उदय के बारे में विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा, “क्वाड के बारे में तीन स्पष्ट संदेश हैं… एक, क्वाड कायम रहेगा। दूसरा, क्वाड और बड़ा होगा। और तीसरा, क्वाड योगदान देगा। इसलिए, मैं आप सभी से आग्रह करूंगा कि कृपया इसे और अधिक समसामयिक बनाने, इसे और अधिक प्रासंगिक बनाने, इसे और अधिक प्रभावशाली बनाने में हमारी मदद करें।”
इस बात पर प्रकाश डालते हुए कि समूह वैश्विक व्यवस्था में बदलाव से प्रेरित है जिसके लिए समान विचारधारा वाले लोगों के बीच अधिक सहयोग की आवश्यकता है, मंत्री ने अन्य तीन भागीदारों की भूरि-भूरि प्रशंसा की।
जयशंकर ने कहा, “अमेरिका के साथ हमने इतिहास की वैचारिक झिझक को पीछे छोड़ दिया है। जापान के साथ हमने लंबे समय से चली आ रही सद्भावना को और अधिक व्यावहारिक आकार दिया है। और ऑस्ट्रेलिया के साथ हमने वास्तव में गंभीरता से एक वास्तविक शुरुआत की है।” इस मौके पर ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री टोनी एबट भी मौजूद थे।
मंत्री ने स्वीकार किया कि चारों साझेदारों के रणनीतिक दृष्टिकोण में मजबूत सहमति को देखते हुए एक-दूसरे के साथ काम करने में सहजता बढ़ रही है और हाल के वर्षों में तीनों क्वाड देशों में से प्रत्येक के साथ द्विपक्षीय साझेदारी में बदलाव आया है।
क्वाड की उपलब्धियों और गतिविधियों को गिनाते हुए विदेश मंत्री जयशंकर ने बताया कि समूह के देशों ने नीति निर्माताओं और तकनीकी विशेषज्ञों को बुनियादी ढांचा परियोजनाओं और उनके कार्यान्वयन से परिचित कराने के लिए 1,800 से अधिक ‘इंफ्रास्ट्रक्चर फेलोशिप’ की घोषणा की है।
सत्र में बताया गया कि देश, अपनी तकनीकी विशेषज्ञता को एक साथ जोड़कर, स्मार्ट और विश्वसनीय विकल्पों का चयन करने के लिए हिंद-प्रशांत देशों की क्षमता बढ़ा रहे हैं।
क्वाड के तहत कुछ बड़े सहयोगों को सूचीबद्ध करते हुए विदेश मंत्री ने इंडो-पैसिफिक मैरीटाइम डोमेन जागरूकता पहल की बात की, जिसके तहत अवैध समुद्री गतिविधियों का मुकाबला करने और जलवायु से संबंधित और मानवीय घटनाओं पर प्रतिक्रिया देने के लिए डेटा की आपूर्ति की जा रही है।
हिंद-प्रशांत आर्थिक फ्रेमवर्क, जो वैकल्पिक आर्थिक जुड़ाव तंत्र की पेशकश करना चाहता है और आपूर्ति श्रृंखला, स्वच्छ अर्थव्यवस्था, स्थिरता और डिजिटल अर्थव्यवस्था जैसे मुद्दों को संबोधित करता है, का भी उल्लेख किया गया था।
–आईएएनएस
एकेजे/