नई दिल्ली, 10 फरवरी (आईएएनएस)। रक्षा उपकरणों की पूंजीगत खरीद विभिन्न घरेलू और साथ ही विदेशी विक्रेताओं से खतरे की धारणा, परिचालन संबंधी चुनौतियों और तकनीकी परिवर्तनों के आधार पर की जाती है ताकि सशस्त्र बलों को तत्परता की स्थिति में रखा जा सके और सुरक्षा चुनौतियों के पूरे स्पेक्ट्रम को पूरा किया जा सके, रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट ने शुक्रवार को लोकसभा में यह जानकारी दी।
भट्ट ने कहा कि रक्षा खरीद प्रक्रिया (डीपीपी) और रक्षा अधिग्रहण प्रक्रिया (डीएपी) ने आत्मनिर्भर भारत और मेक इन इंडिया पर ध्यान केंद्रित करते हुए स्वदेशी रक्षा क्षमता को बढ़ाने और आयात पर निर्भरता कम करने के लिए प्रमुख नीतिगत पहल की शुरूआत की।
भट्ट ने कहा- इसके अलावा, डीएपी-2020 अधिग्रहण की बाय इंडियन (आईडीडीएम) श्रेणी को सर्वोच्च वरीयता प्रदान करता है और बाय ग्लोबल को केवल असाधारण स्थितियों में ही रक्षा अधिग्रहण परिषद (डीएसी) की विशिष्ट स्वीकृति के साथ अनुमति दी जाती है। लोकसभा में एक लिखित उत्तर में मंत्री ने कहा कि रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने और भारत में रक्षा उपकरणों के डिजाइन, विकास और निर्माण को गति प्रदान करने के लिए सरकार द्वारा कुछ पहल की गई हैं।
इन पहलों के अनुसार, पुजरें के आरंभिक स्वदेशीकरण को सक्षम करने के लिए खरीदें (वैश्विक-भारत में निर्माण) की एक नई श्रेणी शुरू की गई है। यह श्रेणी विदेशी ओईएम को भारत में अपनी सहायक कंपनियों के माध्यम से विनिर्माण या रखरखाव संस्थाएं स्थापित करने के लिए प्रोत्साहित करती है। सरकार ने आयात प्रतिस्थापन के माध्यम से आत्मनिर्भरता के उद्देश्य से मेक 3 श्रेणियां भी पेश की हैं। लंबी वैधता अवधि वाली औद्योगिक लाइसेंसिंग प्रक्रिया के सरलीकरण के लिए भी कदम उठाए गए हैं।
रक्षा मंत्रालय के अनुसार, स्टार्टअप्स और एमएसएमई को शामिल करते हुए इनोवेशन फॉर डिफेंस एक्सीलेंस (आईडीईएक्स) योजना का शुभारंभ भी इन पहलों का हिस्सा है।
–आईएएनएस
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