जबलपुर, देशबन्धु. खनिज विभाग को अभी सशस्त्र बल की सेवाएं नहीं मिलेगी. ऐसा इसलिये हुआ है क्योंकि गृह विभाग से मंजूरी नहीं मिल पा रही है. इस प्रस्ताव पर जरूरी हरी झंडी सरकार की नहीं मिल सकी है.
पहले की तरह ही मैदानी अमले को होमगार्ड के भरोसे कार्रवाई करनी पड़ेगी. जिस तरह की स्थिति है उसके बाद या तो छापामार कार्रवाई को निरस्त कर दिया जाता है. अति आवश्यक होने पर संबंधित थाने की पुलिस की मदद ली जाती है.
गौरतलब है कि विगत में खनिज विभाग के आला अधिकारियों ने गृह मंत्रालय को प्रस्ताव भेजा था, जिसमें एसएएफ की यूनिट को खनिज विभाग के मैदानी अमले के साथ तैनात करने का आग्रह किया गया था. इसके पीछे तर्क दिये गये थे कि खनिज माफिया आधुनिक हथियारों से लैंस होते हैंं, कई बार अवैध परिवहन करने वाले जांच करने वालों पर वाहन चढ़ा देते हैं. इन्हीं सब कारणों को बताकर गृह विभाग से खनिज विभाग को सशस्त्र बलों की सेवाएं देने की बात कही गई है.
प्रस्ताव पर नहीं बन पा रही है एक राय- इधर सूत्रों का कहना है कि खनिज विभाग के प्रस्ताव पर सरकार के स्तर पर एक राय नहीं बन पा रही है. गृह विभाग से जुड़े सूत्रों का कहना है कि सशस्त्र बल का उपयोग खास प्रयोजन और स्थान के लिये किया जाता है. इस तरह खनिज विभाग की कार्रवाई में सशस्त्र बल का इस्तेमाल कैसे और किस स्तर पर किया जायेगा, इसके लिये अंतिम राय नहीं बन पा रही है. आला अधिकारी इस बाबत कई बार मंथन कर चुके हैं.
इन जिलों को माना गया संवेदनशील- खनिज विभाग के सूत्रों के मुताबिक अभी सीधे तौर संवेदनशील जिलों में नहीं आता है. इसे दूसरी श्रेणी में रखा गया है जहां पर खनिज माफिया का खतरा विंध्य, चंबल और नर्मदा अंचल के मुकाबले जोखिम कम माना गया है. इसके बावजूद खनिज विभाग की नीतिगत पॉलिसी में जबलपुर के खनिज विभाग को भी लाभ मिलेगा.
क्योंकि सशस्त्र बल के इस्तेमाल की सुविधा संबंधी प्रस्ताव भविष्य में पास होता है तो इसका लाभ महाकोशल को भी मिलने से इंकार नहीं किया जा सकता है.