नई दिल्ली, 6 अगस्त (आईएएनएस)। विश्व बैंक के कार्यकारी निदेशकों द्वारा भारत में विश्व बैंक की परियोजनाओं के प्रभाव का अध्ययन करने के लिए एक बैठक का आयोजन किया गया। इस दौरान नमामि गंगा परियोजना पर एक विस्तृत प्रस्तुति दी गई। इस मौके पर पर विश्व बैंक के कंट्री निदेशक ऑगस्टे कौमे व विश्व बैंक समूह के नौ कार्यकारी निदेशक उपस्थित थे।
केंद्र सरकार के मुताबिक, गंगा में डॉल्फिन और स्थानीय मछलियों जैसी जलीय प्रजातियों का दिखना और बढ़ना, गंगा नदी में पानी की गुणवत्ता में सुधार का संकेत है। 2014 में श्रेणी पांच में दो और दूसरी और तीसरी श्रेणी में एक-एक प्रदूषित खंड था। इसकी तुलना में 2023 में दो खंड (हरिद्वार से सुल्तानपुर और बक्सर से भागलपुर) अब ‘प्रदूषण रहित’ हैं और श्रेणी 5 में शेष दो (कन्नौज से वाराणसी और त्रिवेणी से डायमंड हार्बर) स्वीकृत सीमा से मामूली रूप से अधिक हैं।
यहां बताया गया कि प्राकृतिक विश्व को पुनर्जीवित करने के लिए नमामि गंगे को दुनिया के शीर्ष दस पुनरुद्धार योजनाओं में से एक के रूप में चुना गया था। दुनिया भर के 160 से अधिक पर्यावरण-बहाली कार्यक्रमों में से चुने गए नमामि गंगे को 13 दिसंबर, 2022 को मॉन्ट्रियल, कनाडा में जैविक विविधता पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (सीओपी-15) के दौरान सम्मानित किया गया। एनएमसीजी मार्च 2023 में न्यूयॉर्क में आयोजित संयुक्त राष्ट्र विश्व जल सम्मेलन में भाग लेने वाली भारत की एकमात्र संस्था थी।
नमामि गंगे कार्यक्रम पर प्रस्तुति देते हुए राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) के महानिदेशक जी. अशोक कुमार ने कहा कि भारत के आर्थिक विकास के लिए पानी को सबसे महत्वपूर्ण घटक के रूप में पहचाना गया है। पिछले 7-8 वर्षों में जल क्षेत्र में बहुत सी पहल की गई हैं। 2019 में प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में विभिन्न विभागों को एक साथ लाकर जलशक्ति मंत्रालय बनाया गया था, ताकि विवाद के बिना त्वरित निर्णय लिया जा सके। जल क्षेत्र में कुछ प्रमुख पहलों में जल जीवन मिशन शामिल है, जिसका उद्देश्य 2024 तक सभी को घरेलू नल कनेक्शन प्रदान करना है, भागीदारी दृष्टिकोण के माध्यम से भूजल के प्रभावी प्रबंधन के लिए अटल भूजल योजना और स्वच्छ भारत मिशन जिसके भाग के रूप में 100 मिलियन से अधिक शौचालयों का निर्माण किया गया था, जिससे सभी के लिए स्वच्छता की दिशा में दुनिया का भार कम हो गया है। नमामि गंगे कार्यक्रम का अवलोकन देते हुए उन्होंने कहा कि यह न केवल गंगा नदी को स्वच्छ करने के लिए बल्कि जन भागीदारी के माध्यम से पूरे नदी इकोसिस्टम को बहाल करने के लिए एक समग्र और एकीकृत नदी कायाकल्प कार्यक्रम है। नमामि गंगे पांच महत्वपूर्ण स्तंभों पर आधारित है – निर्मल गंगा (अप्रदूषित नदी), अविरल गंगा (अप्रतिबंधित प्रवाह), जन गंगा (लोगों की भागीदारी), ज्ञान गंगा (ज्ञान और अनुसंधान आधारित हस्तक्षेप) और अर्थ गंगा (अर्थव्यवस्था के स्तम्भ के माध्यम से लोगों और नदी को जोड़ना)।
उन्होंने कहा, “लगभग 4.5 अरब अमेरिकी डॉलर की 442 परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है, जिनमें से 193 सीवेज प्रबंधन से संबंधित हैं। वित्तीय सहायता विश्व बैंक, जेआईसीए, एशियाई विकास बैंक आदि जैसे संगठनों से भी प्राप्त होती है।”
–आईएएनएस
जीसीबी/एसजीके