वाराणसी, 5 फरवरी (आईएएनएस)। आपने पैसा निकलने वाले एटीएम के बारे में तो बहुत सुना होगा, लेकिन क्या रोटी एटीएम के बारे में जानते है। जी हां, भगवान शंकर के त्रिशूल पर बसे काशी में एक रोटी एटीएम है। इसको चलाने वाली संस्था ग्रूट गार्जियंस ने यह केवल आपकी सहूलियत के लिए चला रखा है। भोजन बनाते समय पहली रोटी का ग्रास गाय तक पहुंचा रही है। अंतिम रोटी के रूप में श्वान (कुत्ता) को खिलाया जाने वाला ग्रास भी उस तक पहुंचाने में आपकी मदद कर रहा है।
प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र वाराणसी के कुछ नौजवानों का मानना है कि सनातनी परंपरा के साथ बेजुबानों का पेट भरा जाए। इसीलिए गौरव राय ने अपने पांच साथियों के साथ मिलकर ग्रूट गार्जियंस नामक संस्था बनाई जो कि गली में घूम रहे कुत्ते और आवारा भूखे पशुओं का पेट भर सके। यह कारवां बढ़ अब 40 नवयुवकों तक पहुंच गया है।
संस्था के अध्यक्ष गौरव राय ने बताया कि उन्हें यह प्रेरणा उनके मित्र सिद्धार्थ सिंह से मिली जो कि एक रोड ऐक्सिडेंट में इस दुनिया से अलविदा कह गए। वो पशु प्रेमी थे। भूखे जानवरों को जहां देखते उन्हें बिस्किट और गुड़ आदि खिलाते थे। उनके अचानक निधन के बाद हम और हमारे मित्रों ने एक रोटी एटीएम शुरू किया है। जिसमें एकत्रित भोजन को हम गली के कुत्तों और निराश्रित गायों को खिलाते हैं। अभी पहला रोटी एटीएम पंडयेपुर के बांके बिहारी के एक सोसाइटी में लगाया है। जिसमें तकरीबन 100-150 रोटी जमा हो रही है। अब अगला एटीएम शिवपुर में लगाने जा रहे हैं।
उन्होंने बताया कि आगे चलकर बारात घरों, स्कूलों, होटलों और मंदिर में लगाया जाएगा जिससे अन्न की बरबादी न हो और बेजुबानों को भोजन मिल सके। इस कार्य में हमारा सहयोग कर रहे हैं प्रज्वल, हर्ष, अमन, मृत्युंजय, विकास, कविश, सदास, अविनाश, शिवानी, तूलिका, अक्षरा, कृतिका, हिमालय, निहाल समेत 40 से अधिक स्वयंसेवक है।
प्रज्वल ने बताया कि संस्था की शुरूआत 2019 में हुई थी। कोरोना महामारी के दौरान भी हम लोग आवारा पशुओं को खाना खिलाते थे और राशन भी बांट रहे थे। हमारी टीम लगातार लावारिस पशु कल्याण, बाल और महिला शिक्षा, और पर्यावरण की रक्षा जैसे विभिन्न क्षेत्रों में काम कर रही है। पशुओं के लिए और भी काम कर रहे हैं।
आध्यात्म के जानकार कहते हैं कि प्रत्येक प्राणी में नकारात्मक और सकारात्मक गुण होते हैं। हिन्दू धर्म में भी प्रत्येक प्राणी के सकारात्मक और नकारात्मक गुणों की चर्चा हुई है। प्रत्येक हिन्दू घर में भोजन बनाते समय पहली रोटी गाय और अंतिम रोटी कुत्ते के लिए निकाली जाती है। यहां तक कि भोजन करने के पूर्व अग्नि को उसका कुछ भाग अर्पित होता है। यही अग्निहोत्र कर्म है।
आचार्य सरोजकांत मिश्रा कहते हैं कि पुराणों के अनुसार गाय में सभी देवताओं का वास माना गया है। गाय को किसी भी रूप में सताना घोर पाप माना गया है। उसकी हत्या करना तो नर्क के द्वार को खोलने के समान है। भारत में गाय को देवी का दर्जा प्राप्त है। गाय के भीतर देवताओं का वास माना गया है। दिवाली के दूसरे दिन गोवर्धन पूजा के अवसर पर गायों की विशेष पूजा की जाती है और उनका मोर पंखों आदि से श्रृंगार किया जाता है। अथर्ववेद के अनुसार- धेनु सदानाम रईनाम अर्थात गाय समृद्धि का मूल स्रोत है। गाय समृद्धि व प्रचुरता की द्योतक है। वह सृष्टि के पोषण का स्रोत है। गाय के दूध से कई तरह के प्रॉडक्ट (उत्पाद) बनते हैं। गोबर से ईंधन व खाद मिलती है। इसके मूत्र से दवाएं व उर्वरक बनते हैं।
आचार्य सरोजकांत के अनुसार हिन्दू धर्म के पुराणों में कुत्ते को यम का दूत कहा गया है। ऋग्वेद में एक स्थान पर जघन्य शब्द करने वाले श्वानों का उल्लेख मिलता है, जो विनाश के लिए आते हैं।
कुत्ते को हिन्दू देवता भैरव महाराज का सेवक माना जाता है। कुत्ते को भोजन देने से भैरव महाराज प्रसन्न होते हैं और हर तरह के आकस्मिक संकटों से वे भक्त की रक्षा करते हैं। मान्यता है कि कुत्ते को प्रसन्न रखने से वह आपके आसपास यमदूत को भी नहीं फटकने देता है। कुत्ते को देखकर हर तरह की आत्माएं दूर भागने लगती हैं।
उन्होंने बताया कि कुत्ता एक ऐसा प्राणी है, जो भविष्य में होने वाली घटनाओं और ईथर माध्यम (सूक्ष्म जगत) की आत्माओं को देखने की क्षमता रखता है। कुत्ता कई किलोमीटर तक की गंध सूंघ सकता है। कुत्ते को हिन्दू धर्म में एक रहस्यमय प्राणी माना गया है, लेकिन इसको भोजन कराने से हर तरह के संकटों से बचा जा सकता है।
–आईएएनएस
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