गोरखपुर, 3 जुलाई (आईएएनएस)। सनातन संस्कृति की पौराणिकता व ऐतिहासिकता को साहित्य के माध्यम से संरक्षित, संवर्धित करने वाली विश्व प्रतिष्ठित प्रकाशन संस्था गीता प्रेस की स्थापना का शताब्दी वर्ष समारोह इतिहास के पन्नों में दर्ज हो जाएगा। इसके शताब्दी वर्ष समारोह का आगाज राष्ट्रपति ने किया था तो समापन अवसर पर प्रधानमंत्री की मौजूदगी समारोह को खास व अविस्मरणीय बनाने वाली होगी।
शताब्दी वर्ष समारोह के शुभारंभ और समापन समारोह में देश की नामचीन और शीर्ष हस्तियों को बुलाने की गीता प्रेस प्रबंधन की यह हसरत पूरी हुई है मुख्यमंत्री योगी की पहल से।
जानकारों ने बताया कि 1923 में स्थापित गीता प्रेस की शताब्दी वर्ष समारोह का औपचारिक शुभारंभ तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ व राज्यपाल आनंदी बेन पटेल की उपस्थिति में 4 जून 2022 को किया था।
तब कोविंद ने गीता प्रेस का भ्रमण, यहां के लीलाचित्र मंदिर का अवलोकन करने के साथ ही आर्ट पेपर पर छपी श्रीरामचरितमानस के विशेष अंक व गीता तत्व विवेचनी का विमोचन किया था।
कोविंद ने कहा था कि गीता प्रेस एक सामान्य प्रिंटिंग प्रेस नहीं, बल्कि समाज का मार्गदर्शन करने वाला साहित्य का मंदिर है। सनातन धर्म और संस्कृति को बचाए रखने में इसकी भूमिका मंदिरों और तीर्थ स्थलों जितनी ही महत्वपूर्ण है।
अब सात जुलाई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मुख्य आतिथ्य में गीता प्रेस के शताब्दी वर्ष का समापन समारोह होने जा रहा है।
खास बात यह भी है कि नरेंद्र मोदी गीता प्रेस आने वाले पहले प्रधानमंत्री होंगे।
गीता प्रेस में वह आर्ट पेपर पर मुद्रित श्री शिव महापुराण के विशिष्ट अंक (रंगीन, चित्रमय) का भी विमोचन करेंगे।
धार्मिक व आध्यात्मिक पुस्तकों के प्रकाशन के लिहाज से गीता प्रेस विश्व की सबसे बड़ी प्रकाशन संस्था है। घर-घर में श्रीरामचरितमानस व श्रीमद्भागवत ग्रंथों को पहुंचाने का श्रेय गीता प्रेस को ही जाता है। गीता प्रेस की स्थापना 1923 में किराए के भवन में सेठ जयदयाल गोयंदका ने की थी।
विश्व विख्यात गृहस्थ संत भाईजी हनुमान प्रसाद पोद्दार के गीता प्रेस से जुड़ने और कल्याण पत्रिका का प्रकाशन शुरू होने के साथ ही इसकी ख्याति वैश्विक होती गई।
स्थापना काल से अब तक 92 करोड़ से अधिक पुस्तकों का प्रकाशन गीता प्रेस की तरफ से किया जा चुका है। गीता प्रेस की स्थापना के बाद से यहां विशिष्ट जनों का प्रायः आना होता रहता है।
यदि सत्ता व्यवस्था के शीर्ष को देखें तो अब तक दो राष्ट्रपति यहां आ चुके हैं। प्रधानमंत्री का आगमन प्रथम बार होगा।
गीता प्रेस के प्रबंधक लालमणि तिवारी के मुताबिक, 1955 में देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद यहां आए थे। तब उन्होंने यहां स्थित विश्व प्रसिद्ध लीला चित्र मंदिर और गीता प्रेस के मुख्य द्वार का लोकार्पण किया था।
प्रधानमंत्री मोदी अब सात जुलाई को आ रहे है। इसके पहले कई प्रदेशों के राज्यपाल भी यहां पर आ चुके हैं।
उल्लेखनीय है कि लीला चित्र मंदिर में श्रीमद्भागवत गीता के 18 अध्याय दीवारों पर लिखे गए हैं। गत वर्ष जब शताब्दी वर्ष का पड़ाव आया तो इस साल विशेष को यादगार बनाने के लिए गीताप्रेस ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के मार्गदर्शन में शुभारंभ अवसर पर राष्ट्रपति और समापन समारोह में प्रधानमंत्री को आमंत्रित किया।
–आईएएनएस
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