गांधीनगर, 25 सितंबर (आईएएनएस)। राज्य में वन विकास के क्षेत्र में गुरुवार को एक महत्वपूर्ण उपलब्धि दर्ज की गई, जब मुख्यमंत्री कार्यालय से वन और पर्यावरण मंत्री मुलुभाई बेरा के हस्ते 28 टेरिटरी डिविजनों में ‘फॉरेस्ट सॉइल हेल्थ कार्ड’ का लोकार्पण किया गया। यह पहली बार है कि गुजरात में इस तरह की महत्वाकांक्षी परियोजना लागू हुई है।
वन और पर्यावरण मंत्री मुलुभाई बेरा ने कहा कि राज्य में विभिन्न 444 स्थानों से तीन अलग-अलग गहराई पर 1,215 मिट्टी के नमूने एकत्रित कर उनका परीक्षण किया गया है। इस प्रक्रिया से प्राप्त जानकारी के आधार पर गुजरात में वनों के संरक्षण और विकास में महत्वपूर्ण परिणाम प्राप्त होंगे।
उन्होंने आगे बताया कि तत्कालीन मुख्यमंत्री और वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्ष 2005 में आयोजित कृषि महोत्सव में पहली बार ‘सॉइल हेल्थ कार्ड’ की अवधारणा प्रस्तुत की थी, जिसका उद्देश्य कृषि भूमि की गुणवत्ता का परीक्षण करना था। केंद्र सरकार द्वारा 19 फरवरी 2015 को इस योजना की शुरुआत की गई थी, ताकि किसानों को अत्यधिक रासायनिक और दवा उपयोग से होने वाले नुकसान से बचाया जा सके। अब वन क्षेत्रों के लिए यह पहल ‘फॉरेस्ट सॉइल हेल्थ कार्ड’ के रूप में लागू की गई है, जिससे वन विभाग को वनों की गुणवत्ता में सुधार के लिए आवश्यक दिशा मिल सकेगी।
इस परियोजना के तहत गुजरात, राजस्थान और दादरा नागर हवेली में कार्य पूरा किया गया है। कुल 444 स्थलों से 1,215 मिट्टी के नमूने लिए गए और प्रत्येक नमूने का परीक्षण 12 महत्वपूर्ण मानकों (पीएच, ईसी, कार्बनिक कार्बन, नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, पोटेशियम, सल्फर, जिंक, बोरॉन, आयरन, मैंगनीज, कॉपर) पर किया गया।
इस पहल के अंतर्गत 28 भू-सम्बंधित वन विभागों के लिए ‘फॉरेस्ट सॉइल हेल्थ कार्ड’ तैयार किए गए हैं।
गुजरात राज्य वन विभाग के प्रमुख मुख्य वन संरक्षक और हेड ऑफ फॉरेस्ट फोर्स डा. एपी. सिंह ने बताया कि यह परियोजना कैंपा (प्रतिपूरक वनरोपण निधि प्रबंधन एवं योजना प्राधिकरण) द्वारा अनुदानित है और इसके माध्यम से वनों के लिए मिट्टी की गुणवत्ता का वैज्ञानिक विश्लेषण किया गया है।
वन मंत्री मुलुभाई बेरा ने सभी अधिकारियों से अनुरोध किया कि फॉरेस्ट सॉइल हेल्थ कार्ड का उपयोग करते हुए वनों के संरक्षण में सक्रिय भूमिका निभाएं और इस पहल को सफल बनाएं।
–आईएएनएस
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