नई दिल्ली, 01 मार्च, (आईएएनएस)। पिछड़े वर्ग के कॉलेज छात्रों के लिए शुल्क में रियायत सुनिश्चित करने की सिफारिश की गई है। यह सिफारिश दिल्ली के गुरु गोविंद सिंह इंद्रप्रस्थ यूनिवर्सिटी में पढ़ने वाले छात्रों के लिए है। दिल्ली विधानसभा की एक महत्वपूर्ण समिति के मुताबिक गुरु गोविंद सिंह इंद्रप्रस्थ यूनिवर्सिटी से संबंधित कॉलेजों में पिछड़े वर्ग के छात्रों को शुल्क में कोई रियायत नहीं मिल रही है। इस विश्वविद्यालय के लिए गठित राज्य शुल्क नियामक समिति, फीस संरचना को विनियमित करती है। विधानसभा समिति का कहना है कि शुल्क नियामक समिति में एससी एसटी और अन्य वंचित समुदायों का कोई प्रतिनिधित्व ही नहीं है।
दिल्ली विधानसभा की अनुसूचित जाति जनजाति कल्याण समिति की 11वीं बैठक विशेष रवि की अध्यक्षता में हुई। कल्याण समिति ने दिल्ली सरकार के उच्च शिक्षा विभाग और गुरु गोविंद सिंह इंद्रप्रस्थ यूनिवर्सिटी (जीजीएसआईपीयू) प्रशासन को अधित फीस संरचना और अनुसूचित जाति जनजाति के छात्रों को फीस में रियायत के मुद्दे पर चर्चा करने के लिए बुलाया।
विधानसभा समिति के मुताबिक बैठक में सामने आया कि डीपीसीआई अधिनियम 2007 के तहत गठित राज्य शुल्क नियामक समिति, फीस संरचना को विनियमित करती है। फीस संरचना को विनियमित करने वाली समिति में एससी, एसटी और अन्य वंचित समुदायों का कोई प्रतिनिधित्व नहीं है। यह भी विचार-विमर्श किया गया कि इन वर्गों के छात्रों को जीजीएसआईपीयू और संबद्ध कॉलेजों में शुल्क में कोई रियायत नहीं मिलती है।
यह जानकारी सामने आने के उपरांत अब दिल्ली विधानसभा की समिति के अध्यक्ष विशेष रवि ने उच्च शिक्षा विभाग को डीपीसीआई 2007 अधिनियम में संशोधन करने का निर्देश दिया है। इससे एससी एसटी के लिए फीस में रियायत सुनिश्चित करने के लिए राज्य शुल्क नियामक समिति में एससी एसटी समुदाय के एक सदस्य को शामिल किया जा सकेगा।
इस समिति ने जीजीएसआईपीयू से संबद्ध कॉलेजों के डिटेल ऑडिट के आधार पर फीस संरचना तय करने और सभी छात्रों के लिए फीस की समीक्षा कर कम करने की सिफारिश की है। इसके साथ अनुसूचित जाति जनजाति समुदायों के छात्रों के लिए शुल्क रियायत सुनिश्चित करने के लिए राज्य शुल्क नियामक समिति की भी सिफारिश की है।
विधायक विशेष रवि ने कहा कि इस समुदाय के छात्रों के लिए प्राथमिकता के आधार पर फीस में रियायत मिले। जीजीएसआईपीयू से संबद्ध कॉलेजों और अन्य सभी विश्वविद्यालयों के डिटेल ऑडिट के आधार पर फीस संरचना तय करने की सिफारिश की है।
–आईएएनएस
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