गुवाहाटी, 7 अक्टूबर (आईएएनएस)। गुवाहाटी विश्वविद्यालय प्रशासन ने हाल ही में हुए छात्र संघ चुनावों के बाद हुई हिंसा के बाद लड़कों के दो छात्रावासों को अस्थायी रूप से बंद करने का अपना निर्णय सोमवार को वापस ले लिया।
एक अधिसूचना में विश्वविद्यालय ने कहा कि छात्र संघ निकाय के साथ चर्चा के बाद प्रशासन ने दो छात्रावासों को बंद करने का अपना पूर्व निर्णय वापस ले लिया है। अधिसूचना में आगे कहा गया है, “बिजली और पानी की आपूर्ति बहाल करने के निर्देश दिए गए हैं। सहायक कर्मचारियों को फिर से तैनात किया गया है। दो छात्रावासों आरसीसी 1 और आरसीसी 2 के छात्र पूजा की छुट्टियों के बाद संबंधित वार्डन को छात्रावास प्रवेश या पुनः प्रवेश पर्ची दिखाने पर संबंधित छात्रावासों में रहना जारी रख सकते हैं।”
इससे पहले, पिछले सप्ताह विश्वविद्यालय प्रशासन ने दो छात्रावासों को अस्थायी रूप से बंद करने का आदेश दिया था, क्योंकि 27 सितंबर को छात्र संघ चुनाव के तुरंत बाद हिंसक झड़पें शुरू हो गई थी। इस घटना में कम से कम 12 छात्र घायल हो गए और प्रशासन ने हिंसा में शामिल लोगों के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी।
कुलपति नानी गोपाल महंत ने पहले कहा, “स्नातकोत्तर छात्र संघ (पीजीएसयू) चुनाव परिणामों की घोषणा के बाद आरसीसी 1 और आरसीसी 2 छात्रावासों के बीच संघर्ष शुरू हुआ। हमारे विश्वविद्यालय की विरासत को खेदजनक घटनाओं से नुकसान पहुंचा है, जिसमें 12 लड़के गंभीर रूप से घायल हो गए। इसके अलावा, हमारे दो सुरक्षा गार्ड भी घायल हो गए, जिनमें से एक को इलाज के लिए अस्पताल के गहन चिकित्सा इकाई (आईसीयू) में भेजा गया।”
उन्होंने कहा, “शिक्षा छात्रों की सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए, लेकिन ऐसा लगता है कि इसमें कुछ विचलन हुआ है।” महंत ने आगे कहा कि यह सुनिश्चित करने के लिए कि उन्हें अपनी शिक्षा पूरी करने में कोई परेशानी न हो, छात्रों को अलग-अलग छात्रावासों में स्थानांतरित किया जा रहा है।
उनके अनुसार, पुलिस में शिकायत पहले ही दर्ज कर दी गई है तथा इस कृत्य के लिए जिम्मेदार लोग सजा से बच नहीं पाएंगे।
कुलपति ने कहा, “हमने स्वस्थ वातावरण बनाने के लिए छात्रावासों को अस्थायी रूप से बंद करने का विकल्प चुना। हमारे छात्रों की शिक्षा में किसी भी तरह का हस्तक्षेप बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।”
गौरतलब है कि छात्र संघ चुनाव में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद द्वारा समर्थित उम्मीदवार ने अध्यक्ष पद पर जीत हासिल की, जबकि असम छात्र परिषद द्वारा समर्थित उम्मीदवार को महासचिव पद मिला।
-आईएएनएस
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