गोटेगांव. गौ माता की सुरक्षा के लिए शासन द्वारा ग्राम पंचायतों में गौशालाएं खोली गई है सड़क दुर्घटनाओं का शिकार हो रहे गोवंश, वहीं गौ सेवा योजना के तहत ग्राम पंचायतों को चिन्हित कर गौशालयों का निर्माण कराया गया है अब यह गौशालाएं गोवंशों को निहार रही है.कई गौशालाएं खाली पड़ी हुई है और सड़कों पर गोवंश अपना डेरा जमाए हुए हैं ऐसा मामला ग्राम पंचायत में बनी हुई गौशाला में देखने मिल रहा है, जहां पर गौ माता की उचित देखरेख नहीं की जाती क्या यह गौशालाएं गोवंश को सुरक्षित आश्रय देने के लिए बनाई गई थी या अपनी जेब में काली कमाई भरने बनाई गई है.
इन गौशालाओं के निर्माण में शासन की भारी-भरकम राशि खर्च की गई परंतु गौशालाएं जिम्मेदार अधिकारियों की अनदेखी की चलते लापरवाही की भेंट चढ़ा रही है. बीते दिवस मुख्यमंत्री ने घोषणा की है कि बूढ़ी गायों को गौ शाला में रखा जाकर उनका उपचार किया जाएगा.अब देखना है कि मुख्यमंत्री के आदेश का कहां तक पालन होता है.
*सड़क दुर्घटनाओं का शिकार हो रहे गोवंश*
गो वंश को रहने का सुरक्षित ठिकाना नहीं है वह सड़कों को ही अपना आशियाना समझ बैठे हैं लेकिन इन गोवंशों को यह मालूम नहीं कि यह कब काल के गाल में समा जाएं और कब कोई वाहन इनको टक्कर मार कर चला जाए. सैकड़ो गोवंश सड़कों पर नजर आते हैं. और दुर्घटना में इन गोवंश की मौत भी हो जाती है, और इन गोवंशों के कारण ना जाने कितने लोगों ने सड़क दुर्घटनाओं में अपनी जान गवा दी आखिर इस सबका जिम्मेदार कौन है
*गौशाला के संचालन में चल रहा है खेल*
इन गौशालाओं को लाखों का अनुदान एवं करोड़ रुपए की जमीन आवंटित है आपको बता दें कि पशु संवर्धन बोर्ड मध्यप्रदेश भोपाल के द्वारा गौशाला संचालन के लिए गोवंश अनुदान राशि को 20 रुपये से बढ़ाकर अब प्रति गोवंश पर प्रतिदिन 40 रुपए के हिसाब से राशि दी जाती है, फिर भी नगर हो या ग्रामीण क्षेत्र अक्सर वहां के चौक चौराहों पर गोवंश को आसानी से देखा जा सकता है.
*प्रशासन आखिर मोन क्यों*
गोवंश अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रहे हैं ऐसा कोई भी नहीं जिसने गऊ माता का दूध पिया ना पिया हो फिर भी जनप्रतिनिधि एवं प्रशासनिक अधिकारी से लेकर आम नागरिक तक मोन है वही गौ माता की जय हो गौ हत्या बंद कहने वाले मौन व्रत धारण किए हुए इसका क्या कारण हो सकता है,
*मोहन के राज में गोवंशों की हालत खराब*
मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव के राज में गोवंश को न्याय नहीं मिल पा रहा है यह गोवंश अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रहे हैं और मोहन से न्याय मांग रहे हैं एक मोहन द्वापर युग में थे जो गोवंश की सेवा करते थे और उनकी एक बांसुरी की धुन से सारे गोवंश चले आते थे एक मोहन मध्यप्रदेश में है जो गोवंशों के लिए लगातार प्रयास तो कर रहे हैं लेकिन वह प्रयास जमीन पर नजर नहीं आ रहा है अब देखना होगा कि इन गौवंश को आखिर में कब न्याय मिलेगा
*पशु मालिक छोड़ देते हैं गोवंश को आवारा*
वहीं देखने में आता है ज्यादातर पशु मालक जब तक गाय दूध देती है तब तक उसको अच्छे से चार भूसा खिलाते हैं और जैसे ही गोवंश बुजुर्ग हो जाती है उसको घर से निकाल कर आवारा छोड़ दिया जाता है जिससे वह असमय ही दुर्घटना का शिकार होती है और आवागमन करने वाले टू व्हीलर फोर व्हीलर वाहन चालक भी इन पशुओं से टकराकर दुर्घटनाग्रस्त हो रहे हैं. जबकि जिला कलेक्टर एवं स्थानीय अधिकारियों द्वारा गोवंश को आवारा छोड़ने पर कार्यवाही एवं जुर्माना करने की बात कही गई है लेकिन फिर भी समस्या जस की तस बनी हुई है.