नई दिल्ली, 16 जून (आईएएनएस)। भारतीय अमेरिकी सांसद श्री थानेदार ने कहा है कि ऐसे समय में जब अमेरिकी उद्योग जगत को ज्यादा प्रवासियों की जरूरत है, ग्रीन कार्ड के लंबे बैकलॉग के कारण भारतीय तथा दूसरे देशों के कुशल कामगारों को मुश्किल हो रही है।
मिशिगन से अमेरिकी कांग्रेस के प्रतिनिधि थानेदार ने कहा कि वह कई विधेयकों पर काम कर रहे हैं ताकि ग्रीन कार्ड के लिए इंतजार का समय कम हो सके। अमेरिका में स्थायी रूप से रहने और काम करने के लिए ग्रीन कार्ड अनिवार्य है।
थानेदार ने एक ट्वीट में कहा, मैं सिर्फ एक सांसद नहीं हूं, मैं एक प्रवासी हूं। मैं 24 साल की उम्र में इस देश में आया, उस समय मेरे पास सिर्फ अमेरिका का एक सपना था। मैंने शिक्षा ली, कड़ी मेहनत की, उद्यमी बना और सैकड़ों लोगों के लिए रोजगार का सृजन किया।
उन्होंने कहा, आज अमेरिकी उद्योग को इन कुशल प्रवासियों की जरूरत है। इसके बावजूद ग्रीन कार्ड का लंबा बैकलॉग आम लोगों, वैज्ञानिकों, कुशल कामगारों और उनके परिवारों के लिए कठिनाई पैदा कर रहा है।
थानेदार ने कहा कि इस समय अमेरिका में आव्रजन तंत्र में बिखराव है जिसे दुरुस्त करने की जरूरत है।
अमेरिकी कामगारों में 17 प्रतिशत विदेशों में पैदा हुए लोग हैं जबकि अनुमानों के अनुसार, लगभग 4.4 प्रतिशत कामगार बिना कागजात के देश में हैं।
थानेदार समेत डेमोक्रेटिक पार्टी के 100 सांसदों ने ग्रीन कार्ड के आवंटन में देशवार कोटा समाप्त करने और एच-1बी वीजा कार्यक्रम में सुधार के लिए एक विधेयक अमेरिकी कांग्रेस में पेश किया है।
कैसे बनता है बैकलॉग:
अमेरिका में हर साल रोजगार के आधार पर 1.40 लाख ग्रीन कार्ड जारी किए जाते हैं। इसमें से किसी एक देश से सात प्रतिशत से ज्यादा को ग्रीन कार्ड नहीं दिया जाता है। हर देश के लिए संख्यात्मक सीमा भी तय की गई है।
यदि किसी एक देश से आवेदकों की संख्या सात प्रतिशत से ज्यादा है तो बाकी के आवेदकों को बैकलॉग में डाल दिया जाता है।
भारतीयों का कितना है बैकलॉग:
कैटो इंस्टीट्यूट के एक हालिया अध्ययन के अनुसार, कुशल भारतीय कामगारों के लिए सितंबर 2021 में बैकलॉग 7.19 लाख है और इस प्रकार उनके लिए इंतजार की अवधि करीब 90 साल है। अध्ययन में कहा गया है कि इनमें दो लाख भारतीयों के ग्रीन कार्ड मिलने से पहले देहावसान की संभावना है। भारत से हर साल करीब सात-आठ हजार लोगों को ग्रीन कार्ड जारी किए जाते हैं।
–आईएएनएस
एकेजे