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Home ताज़ा समाचार

ग्लोबल साउथ के हितों को प्रतिबिंबित करने के लिए आईएमएफ व डब्ल्यूबी में सुधार की जरूरत : गुटेरेस

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February 9, 2024
in ताज़ा समाचार
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संयुक्त राष्ट्र, 9 फरवरी (आईएएनएस)। संयुक्‍त राष्‍ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने कहा है कि ग्लोबल साउथ के हितों को प्रतिबिंबित करने के लिए अंतरराष्ट्रीय वित्तीय और विकास संस्थानों में सुधार किया जाना चाहिए।

विकासशील देशों के लिए ब्रिक्स एक महत्वपूर्ण और पूरक भूमिका निभा सकता है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि इसे विश्व अर्थव्यवस्था के विखंडन में योगदान नहीं देना चाहिए।

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उन्होंने गुरुवार को यहां एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, द्वितीय विश्व युद्ध के बाद 1940 के दशक में बनाए गए अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संस्थान – अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष और विश्व बैंक व सुरक्षा परिषद उस समय के शक्ति संबंध और वैश्विक अर्थव्यवस्था को दर्शाते हैं, लेकिन अब प्रासंगिक नहीं हैं

उन्होंने कहा, “आज की वैश्विक अर्थव्यवस्था का प्रतिनिधित्व करने के लिए, वास्तव में सार्वभौमिक और सही मायने में उन संस्थानों में सुधार करना बहुत महत्वपूर्ण होगा।”

उन्होंने जोर देकर कहा,” इस बात की जरूरत है कि वे संस्थाएं ग्लोबल साउथ के हितों को अधिक स्पष्ट रूप से प्रतिबिंबित करें।”

ब्रिक्स की भूमिका के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि वित्त और व्यापार क्षेत्रों में “विकासशील देशों का सहयोग करने के लिए विभिन्न संगठनों का होना महत्वपूर्ण है।”

उन्होंने कहा, “सबसे महत्वपूर्ण पहलुओं में से एक, जिसे हमें आज संरक्षित करने की आवश्यकता है, वह है एक वैश्विक अर्थव्यवस्था, एक वैश्विक बाजार, एक वैश्विक इंटरनेट और वैश्विक अर्थव्यवस्था के विखंडन से बचना।”

उन्होंने कहा, “एकजुट वैश्विक अर्थव्यवस्था के भीतर, मुझे लगता है कि इनमें से कई संस्थान (जैसे ब्रिक्स) बेहद महत्वपूर्ण और पूरक भूमिका निभा सकते हैं।”

ब्रिक्स, जो मूल रूप से उभरती अर्थव्यवस्थाओं ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका से बना है, ने इथियोपिया, मिस्र, ईरान, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात को शामिल करने के लिए विस्तार किया है और 34 देशों का सदस्यता संबंधी आवेदन लंबित हैं।

इसका उद्देश्य व्यापार और वित्तीय सहयोग को बढ़ावा देना है। संगठन ने विकास परियोजनाओं को वित्तपोषित करने और सदस्य देशों में वित्तीय स्थिरीकरण में मदद करने के लिए न्यू डेवलपमेंट बैंक बनाया है, जो कुछ हद तक स्थापित वित्तीय संस्थानों की तरह कार्य करता है।

विश्व बैंक और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष द्वारा समकालीन जरूरतों को पूरा करने के संबंध में गुटेरेस ने कहा कि वे कम पूंजी वाले हैं और वर्तमान वैश्विक जरूरतों के लिए बहुत छोटे हैं।

उन्होंने कहा, “वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद के प्रतिशत के रूप में विश्व बैंक की भुगतान पूंजी आज 1960 की तुलना में पांचवें हिस्से से भी कम है। हमें उन संस्थानों की पूंजी बढ़ाने की आवश्यकता है।”

गुटेरेस ने कहा कि वह सितंबर में संयुक्त राष्ट्र के भविष्य के शिखर सम्मेलन को देखना चाहेंगे, जिसमें उन संस्थानों को “संरचनात्मक रूप से आगे बढ़ने” के तरीके के लिए कुछ निर्देश दिए जाएं।

वैश्विक राजनीतिक स्थिति का आकलन करते हुए गुटेरेस ने कहा, “हम अब द्विध्रुवीय या एकध्रुवीय दुनिया में नहीं हैं, जैसा कि मैंने कहा, हम एक तरह से बहुध्रुवीय दुनिया की राह पर हैं, लेकिन बहुत ही अराजक स्थिति में हैं।”

उन्होंने कहा, “सत्ता संबंध अस्पष्ट हो गए हैं और आज हम दुनिया में जो देखते हैं, वह यह है कि राजनीतिज्ञ जो चाहते हैं वह कर रहे हैं और पूरी छूट के साथ कर रहे हैं।”

संघर्षों और विभाजनों को समाप्त करने, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस द्वारा उत्पन्न खतरों से प्रभावी ढंग से न‍िपटने, जलवायु कार्रवाई पर कार्य करने और सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए अमीर और उभरती अर्थव्यवस्थाओं के बीच व ‘उत्तर और दक्षिण, पूर्व और पश्चिम के बीच बातचीत की जरूरत है।

–आईएएनएस

सीबीटी/

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संयुक्त राष्ट्र, 9 फरवरी (आईएएनएस)। संयुक्‍त राष्‍ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने कहा है कि ग्लोबल साउथ के हितों को प्रतिबिंबित करने के लिए अंतरराष्ट्रीय वित्तीय और विकास संस्थानों में सुधार किया जाना चाहिए।

विकासशील देशों के लिए ब्रिक्स एक महत्वपूर्ण और पूरक भूमिका निभा सकता है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि इसे विश्व अर्थव्यवस्था के विखंडन में योगदान नहीं देना चाहिए।

उन्होंने गुरुवार को यहां एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, द्वितीय विश्व युद्ध के बाद 1940 के दशक में बनाए गए अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संस्थान – अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष और विश्व बैंक व सुरक्षा परिषद उस समय के शक्ति संबंध और वैश्विक अर्थव्यवस्था को दर्शाते हैं, लेकिन अब प्रासंगिक नहीं हैं

उन्होंने कहा, “आज की वैश्विक अर्थव्यवस्था का प्रतिनिधित्व करने के लिए, वास्तव में सार्वभौमिक और सही मायने में उन संस्थानों में सुधार करना बहुत महत्वपूर्ण होगा।”

उन्होंने जोर देकर कहा,” इस बात की जरूरत है कि वे संस्थाएं ग्लोबल साउथ के हितों को अधिक स्पष्ट रूप से प्रतिबिंबित करें।”

ब्रिक्स की भूमिका के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि वित्त और व्यापार क्षेत्रों में “विकासशील देशों का सहयोग करने के लिए विभिन्न संगठनों का होना महत्वपूर्ण है।”

उन्होंने कहा, “सबसे महत्वपूर्ण पहलुओं में से एक, जिसे हमें आज संरक्षित करने की आवश्यकता है, वह है एक वैश्विक अर्थव्यवस्था, एक वैश्विक बाजार, एक वैश्विक इंटरनेट और वैश्विक अर्थव्यवस्था के विखंडन से बचना।”

उन्होंने कहा, “एकजुट वैश्विक अर्थव्यवस्था के भीतर, मुझे लगता है कि इनमें से कई संस्थान (जैसे ब्रिक्स) बेहद महत्वपूर्ण और पूरक भूमिका निभा सकते हैं।”

ब्रिक्स, जो मूल रूप से उभरती अर्थव्यवस्थाओं ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका से बना है, ने इथियोपिया, मिस्र, ईरान, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात को शामिल करने के लिए विस्तार किया है और 34 देशों का सदस्यता संबंधी आवेदन लंबित हैं।

इसका उद्देश्य व्यापार और वित्तीय सहयोग को बढ़ावा देना है। संगठन ने विकास परियोजनाओं को वित्तपोषित करने और सदस्य देशों में वित्तीय स्थिरीकरण में मदद करने के लिए न्यू डेवलपमेंट बैंक बनाया है, जो कुछ हद तक स्थापित वित्तीय संस्थानों की तरह कार्य करता है।

विश्व बैंक और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष द्वारा समकालीन जरूरतों को पूरा करने के संबंध में गुटेरेस ने कहा कि वे कम पूंजी वाले हैं और वर्तमान वैश्विक जरूरतों के लिए बहुत छोटे हैं।

उन्होंने कहा, “वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद के प्रतिशत के रूप में विश्व बैंक की भुगतान पूंजी आज 1960 की तुलना में पांचवें हिस्से से भी कम है। हमें उन संस्थानों की पूंजी बढ़ाने की आवश्यकता है।”

गुटेरेस ने कहा कि वह सितंबर में संयुक्त राष्ट्र के भविष्य के शिखर सम्मेलन को देखना चाहेंगे, जिसमें उन संस्थानों को “संरचनात्मक रूप से आगे बढ़ने” के तरीके के लिए कुछ निर्देश दिए जाएं।

वैश्विक राजनीतिक स्थिति का आकलन करते हुए गुटेरेस ने कहा, “हम अब द्विध्रुवीय या एकध्रुवीय दुनिया में नहीं हैं, जैसा कि मैंने कहा, हम एक तरह से बहुध्रुवीय दुनिया की राह पर हैं, लेकिन बहुत ही अराजक स्थिति में हैं।”

उन्होंने कहा, “सत्ता संबंध अस्पष्ट हो गए हैं और आज हम दुनिया में जो देखते हैं, वह यह है कि राजनीतिज्ञ जो चाहते हैं वह कर रहे हैं और पूरी छूट के साथ कर रहे हैं।”

संघर्षों और विभाजनों को समाप्त करने, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस द्वारा उत्पन्न खतरों से प्रभावी ढंग से न‍िपटने, जलवायु कार्रवाई पर कार्य करने और सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए अमीर और उभरती अर्थव्यवस्थाओं के बीच व ‘उत्तर और दक्षिण, पूर्व और पश्चिम के बीच बातचीत की जरूरत है।

–आईएएनएस

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संयुक्त राष्ट्र, 9 फरवरी (आईएएनएस)। संयुक्‍त राष्‍ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने कहा है कि ग्लोबल साउथ के हितों को प्रतिबिंबित करने के लिए अंतरराष्ट्रीय वित्तीय और विकास संस्थानों में सुधार किया जाना चाहिए।

विकासशील देशों के लिए ब्रिक्स एक महत्वपूर्ण और पूरक भूमिका निभा सकता है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि इसे विश्व अर्थव्यवस्था के विखंडन में योगदान नहीं देना चाहिए।

उन्होंने गुरुवार को यहां एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, द्वितीय विश्व युद्ध के बाद 1940 के दशक में बनाए गए अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संस्थान – अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष और विश्व बैंक व सुरक्षा परिषद उस समय के शक्ति संबंध और वैश्विक अर्थव्यवस्था को दर्शाते हैं, लेकिन अब प्रासंगिक नहीं हैं

उन्होंने कहा, “आज की वैश्विक अर्थव्यवस्था का प्रतिनिधित्व करने के लिए, वास्तव में सार्वभौमिक और सही मायने में उन संस्थानों में सुधार करना बहुत महत्वपूर्ण होगा।”

उन्होंने जोर देकर कहा,” इस बात की जरूरत है कि वे संस्थाएं ग्लोबल साउथ के हितों को अधिक स्पष्ट रूप से प्रतिबिंबित करें।”

ब्रिक्स की भूमिका के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि वित्त और व्यापार क्षेत्रों में “विकासशील देशों का सहयोग करने के लिए विभिन्न संगठनों का होना महत्वपूर्ण है।”

उन्होंने कहा, “सबसे महत्वपूर्ण पहलुओं में से एक, जिसे हमें आज संरक्षित करने की आवश्यकता है, वह है एक वैश्विक अर्थव्यवस्था, एक वैश्विक बाजार, एक वैश्विक इंटरनेट और वैश्विक अर्थव्यवस्था के विखंडन से बचना।”

उन्होंने कहा, “एकजुट वैश्विक अर्थव्यवस्था के भीतर, मुझे लगता है कि इनमें से कई संस्थान (जैसे ब्रिक्स) बेहद महत्वपूर्ण और पूरक भूमिका निभा सकते हैं।”

ब्रिक्स, जो मूल रूप से उभरती अर्थव्यवस्थाओं ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका से बना है, ने इथियोपिया, मिस्र, ईरान, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात को शामिल करने के लिए विस्तार किया है और 34 देशों का सदस्यता संबंधी आवेदन लंबित हैं।

इसका उद्देश्य व्यापार और वित्तीय सहयोग को बढ़ावा देना है। संगठन ने विकास परियोजनाओं को वित्तपोषित करने और सदस्य देशों में वित्तीय स्थिरीकरण में मदद करने के लिए न्यू डेवलपमेंट बैंक बनाया है, जो कुछ हद तक स्थापित वित्तीय संस्थानों की तरह कार्य करता है।

विश्व बैंक और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष द्वारा समकालीन जरूरतों को पूरा करने के संबंध में गुटेरेस ने कहा कि वे कम पूंजी वाले हैं और वर्तमान वैश्विक जरूरतों के लिए बहुत छोटे हैं।

उन्होंने कहा, “वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद के प्रतिशत के रूप में विश्व बैंक की भुगतान पूंजी आज 1960 की तुलना में पांचवें हिस्से से भी कम है। हमें उन संस्थानों की पूंजी बढ़ाने की आवश्यकता है।”

गुटेरेस ने कहा कि वह सितंबर में संयुक्त राष्ट्र के भविष्य के शिखर सम्मेलन को देखना चाहेंगे, जिसमें उन संस्थानों को “संरचनात्मक रूप से आगे बढ़ने” के तरीके के लिए कुछ निर्देश दिए जाएं।

वैश्विक राजनीतिक स्थिति का आकलन करते हुए गुटेरेस ने कहा, “हम अब द्विध्रुवीय या एकध्रुवीय दुनिया में नहीं हैं, जैसा कि मैंने कहा, हम एक तरह से बहुध्रुवीय दुनिया की राह पर हैं, लेकिन बहुत ही अराजक स्थिति में हैं।”

उन्होंने कहा, “सत्ता संबंध अस्पष्ट हो गए हैं और आज हम दुनिया में जो देखते हैं, वह यह है कि राजनीतिज्ञ जो चाहते हैं वह कर रहे हैं और पूरी छूट के साथ कर रहे हैं।”

संघर्षों और विभाजनों को समाप्त करने, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस द्वारा उत्पन्न खतरों से प्रभावी ढंग से न‍िपटने, जलवायु कार्रवाई पर कार्य करने और सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए अमीर और उभरती अर्थव्यवस्थाओं के बीच व ‘उत्तर और दक्षिण, पूर्व और पश्चिम के बीच बातचीत की जरूरत है।

–आईएएनएस

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संयुक्त राष्ट्र, 9 फरवरी (आईएएनएस)। संयुक्‍त राष्‍ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने कहा है कि ग्लोबल साउथ के हितों को प्रतिबिंबित करने के लिए अंतरराष्ट्रीय वित्तीय और विकास संस्थानों में सुधार किया जाना चाहिए।

विकासशील देशों के लिए ब्रिक्स एक महत्वपूर्ण और पूरक भूमिका निभा सकता है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि इसे विश्व अर्थव्यवस्था के विखंडन में योगदान नहीं देना चाहिए।

उन्होंने गुरुवार को यहां एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, द्वितीय विश्व युद्ध के बाद 1940 के दशक में बनाए गए अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संस्थान – अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष और विश्व बैंक व सुरक्षा परिषद उस समय के शक्ति संबंध और वैश्विक अर्थव्यवस्था को दर्शाते हैं, लेकिन अब प्रासंगिक नहीं हैं

उन्होंने कहा, “आज की वैश्विक अर्थव्यवस्था का प्रतिनिधित्व करने के लिए, वास्तव में सार्वभौमिक और सही मायने में उन संस्थानों में सुधार करना बहुत महत्वपूर्ण होगा।”

उन्होंने जोर देकर कहा,” इस बात की जरूरत है कि वे संस्थाएं ग्लोबल साउथ के हितों को अधिक स्पष्ट रूप से प्रतिबिंबित करें।”

ब्रिक्स की भूमिका के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि वित्त और व्यापार क्षेत्रों में “विकासशील देशों का सहयोग करने के लिए विभिन्न संगठनों का होना महत्वपूर्ण है।”

उन्होंने कहा, “सबसे महत्वपूर्ण पहलुओं में से एक, जिसे हमें आज संरक्षित करने की आवश्यकता है, वह है एक वैश्विक अर्थव्यवस्था, एक वैश्विक बाजार, एक वैश्विक इंटरनेट और वैश्विक अर्थव्यवस्था के विखंडन से बचना।”

उन्होंने कहा, “एकजुट वैश्विक अर्थव्यवस्था के भीतर, मुझे लगता है कि इनमें से कई संस्थान (जैसे ब्रिक्स) बेहद महत्वपूर्ण और पूरक भूमिका निभा सकते हैं।”

ब्रिक्स, जो मूल रूप से उभरती अर्थव्यवस्थाओं ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका से बना है, ने इथियोपिया, मिस्र, ईरान, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात को शामिल करने के लिए विस्तार किया है और 34 देशों का सदस्यता संबंधी आवेदन लंबित हैं।

इसका उद्देश्य व्यापार और वित्तीय सहयोग को बढ़ावा देना है। संगठन ने विकास परियोजनाओं को वित्तपोषित करने और सदस्य देशों में वित्तीय स्थिरीकरण में मदद करने के लिए न्यू डेवलपमेंट बैंक बनाया है, जो कुछ हद तक स्थापित वित्तीय संस्थानों की तरह कार्य करता है।

विश्व बैंक और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष द्वारा समकालीन जरूरतों को पूरा करने के संबंध में गुटेरेस ने कहा कि वे कम पूंजी वाले हैं और वर्तमान वैश्विक जरूरतों के लिए बहुत छोटे हैं।

उन्होंने कहा, “वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद के प्रतिशत के रूप में विश्व बैंक की भुगतान पूंजी आज 1960 की तुलना में पांचवें हिस्से से भी कम है। हमें उन संस्थानों की पूंजी बढ़ाने की आवश्यकता है।”

गुटेरेस ने कहा कि वह सितंबर में संयुक्त राष्ट्र के भविष्य के शिखर सम्मेलन को देखना चाहेंगे, जिसमें उन संस्थानों को “संरचनात्मक रूप से आगे बढ़ने” के तरीके के लिए कुछ निर्देश दिए जाएं।

वैश्विक राजनीतिक स्थिति का आकलन करते हुए गुटेरेस ने कहा, “हम अब द्विध्रुवीय या एकध्रुवीय दुनिया में नहीं हैं, जैसा कि मैंने कहा, हम एक तरह से बहुध्रुवीय दुनिया की राह पर हैं, लेकिन बहुत ही अराजक स्थिति में हैं।”

उन्होंने कहा, “सत्ता संबंध अस्पष्ट हो गए हैं और आज हम दुनिया में जो देखते हैं, वह यह है कि राजनीतिज्ञ जो चाहते हैं वह कर रहे हैं और पूरी छूट के साथ कर रहे हैं।”

संघर्षों और विभाजनों को समाप्त करने, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस द्वारा उत्पन्न खतरों से प्रभावी ढंग से न‍िपटने, जलवायु कार्रवाई पर कार्य करने और सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए अमीर और उभरती अर्थव्यवस्थाओं के बीच व ‘उत्तर और दक्षिण, पूर्व और पश्चिम के बीच बातचीत की जरूरत है।

–आईएएनएस

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संयुक्त राष्ट्र, 9 फरवरी (आईएएनएस)। संयुक्‍त राष्‍ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने कहा है कि ग्लोबल साउथ के हितों को प्रतिबिंबित करने के लिए अंतरराष्ट्रीय वित्तीय और विकास संस्थानों में सुधार किया जाना चाहिए।

विकासशील देशों के लिए ब्रिक्स एक महत्वपूर्ण और पूरक भूमिका निभा सकता है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि इसे विश्व अर्थव्यवस्था के विखंडन में योगदान नहीं देना चाहिए।

उन्होंने गुरुवार को यहां एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, द्वितीय विश्व युद्ध के बाद 1940 के दशक में बनाए गए अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संस्थान – अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष और विश्व बैंक व सुरक्षा परिषद उस समय के शक्ति संबंध और वैश्विक अर्थव्यवस्था को दर्शाते हैं, लेकिन अब प्रासंगिक नहीं हैं

उन्होंने कहा, “आज की वैश्विक अर्थव्यवस्था का प्रतिनिधित्व करने के लिए, वास्तव में सार्वभौमिक और सही मायने में उन संस्थानों में सुधार करना बहुत महत्वपूर्ण होगा।”

उन्होंने जोर देकर कहा,” इस बात की जरूरत है कि वे संस्थाएं ग्लोबल साउथ के हितों को अधिक स्पष्ट रूप से प्रतिबिंबित करें।”

ब्रिक्स की भूमिका के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि वित्त और व्यापार क्षेत्रों में “विकासशील देशों का सहयोग करने के लिए विभिन्न संगठनों का होना महत्वपूर्ण है।”

उन्होंने कहा, “सबसे महत्वपूर्ण पहलुओं में से एक, जिसे हमें आज संरक्षित करने की आवश्यकता है, वह है एक वैश्विक अर्थव्यवस्था, एक वैश्विक बाजार, एक वैश्विक इंटरनेट और वैश्विक अर्थव्यवस्था के विखंडन से बचना।”

उन्होंने कहा, “एकजुट वैश्विक अर्थव्यवस्था के भीतर, मुझे लगता है कि इनमें से कई संस्थान (जैसे ब्रिक्स) बेहद महत्वपूर्ण और पूरक भूमिका निभा सकते हैं।”

ब्रिक्स, जो मूल रूप से उभरती अर्थव्यवस्थाओं ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका से बना है, ने इथियोपिया, मिस्र, ईरान, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात को शामिल करने के लिए विस्तार किया है और 34 देशों का सदस्यता संबंधी आवेदन लंबित हैं।

इसका उद्देश्य व्यापार और वित्तीय सहयोग को बढ़ावा देना है। संगठन ने विकास परियोजनाओं को वित्तपोषित करने और सदस्य देशों में वित्तीय स्थिरीकरण में मदद करने के लिए न्यू डेवलपमेंट बैंक बनाया है, जो कुछ हद तक स्थापित वित्तीय संस्थानों की तरह कार्य करता है।

विश्व बैंक और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष द्वारा समकालीन जरूरतों को पूरा करने के संबंध में गुटेरेस ने कहा कि वे कम पूंजी वाले हैं और वर्तमान वैश्विक जरूरतों के लिए बहुत छोटे हैं।

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गुटेरेस ने कहा कि वह सितंबर में संयुक्त राष्ट्र के भविष्य के शिखर सम्मेलन को देखना चाहेंगे, जिसमें उन संस्थानों को “संरचनात्मक रूप से आगे बढ़ने” के तरीके के लिए कुछ निर्देश दिए जाएं।

वैश्विक राजनीतिक स्थिति का आकलन करते हुए गुटेरेस ने कहा, “हम अब द्विध्रुवीय या एकध्रुवीय दुनिया में नहीं हैं, जैसा कि मैंने कहा, हम एक तरह से बहुध्रुवीय दुनिया की राह पर हैं, लेकिन बहुत ही अराजक स्थिति में हैं।”

उन्होंने कहा, “सत्ता संबंध अस्पष्ट हो गए हैं और आज हम दुनिया में जो देखते हैं, वह यह है कि राजनीतिज्ञ जो चाहते हैं वह कर रहे हैं और पूरी छूट के साथ कर रहे हैं।”

संघर्षों और विभाजनों को समाप्त करने, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस द्वारा उत्पन्न खतरों से प्रभावी ढंग से न‍िपटने, जलवायु कार्रवाई पर कार्य करने और सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए अमीर और उभरती अर्थव्यवस्थाओं के बीच व ‘उत्तर और दक्षिण, पूर्व और पश्चिम के बीच बातचीत की जरूरत है।

–आईएएनएस

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संयुक्त राष्ट्र, 9 फरवरी (आईएएनएस)। संयुक्‍त राष्‍ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने कहा है कि ग्लोबल साउथ के हितों को प्रतिबिंबित करने के लिए अंतरराष्ट्रीय वित्तीय और विकास संस्थानों में सुधार किया जाना चाहिए।

विकासशील देशों के लिए ब्रिक्स एक महत्वपूर्ण और पूरक भूमिका निभा सकता है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि इसे विश्व अर्थव्यवस्था के विखंडन में योगदान नहीं देना चाहिए।

उन्होंने गुरुवार को यहां एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, द्वितीय विश्व युद्ध के बाद 1940 के दशक में बनाए गए अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संस्थान – अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष और विश्व बैंक व सुरक्षा परिषद उस समय के शक्ति संबंध और वैश्विक अर्थव्यवस्था को दर्शाते हैं, लेकिन अब प्रासंगिक नहीं हैं

उन्होंने कहा, “आज की वैश्विक अर्थव्यवस्था का प्रतिनिधित्व करने के लिए, वास्तव में सार्वभौमिक और सही मायने में उन संस्थानों में सुधार करना बहुत महत्वपूर्ण होगा।”

उन्होंने जोर देकर कहा,” इस बात की जरूरत है कि वे संस्थाएं ग्लोबल साउथ के हितों को अधिक स्पष्ट रूप से प्रतिबिंबित करें।”

ब्रिक्स की भूमिका के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि वित्त और व्यापार क्षेत्रों में “विकासशील देशों का सहयोग करने के लिए विभिन्न संगठनों का होना महत्वपूर्ण है।”

उन्होंने कहा, “सबसे महत्वपूर्ण पहलुओं में से एक, जिसे हमें आज संरक्षित करने की आवश्यकता है, वह है एक वैश्विक अर्थव्यवस्था, एक वैश्विक बाजार, एक वैश्विक इंटरनेट और वैश्विक अर्थव्यवस्था के विखंडन से बचना।”

उन्होंने कहा, “एकजुट वैश्विक अर्थव्यवस्था के भीतर, मुझे लगता है कि इनमें से कई संस्थान (जैसे ब्रिक्स) बेहद महत्वपूर्ण और पूरक भूमिका निभा सकते हैं।”

ब्रिक्स, जो मूल रूप से उभरती अर्थव्यवस्थाओं ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका से बना है, ने इथियोपिया, मिस्र, ईरान, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात को शामिल करने के लिए विस्तार किया है और 34 देशों का सदस्यता संबंधी आवेदन लंबित हैं।

इसका उद्देश्य व्यापार और वित्तीय सहयोग को बढ़ावा देना है। संगठन ने विकास परियोजनाओं को वित्तपोषित करने और सदस्य देशों में वित्तीय स्थिरीकरण में मदद करने के लिए न्यू डेवलपमेंट बैंक बनाया है, जो कुछ हद तक स्थापित वित्तीय संस्थानों की तरह कार्य करता है।

विश्व बैंक और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष द्वारा समकालीन जरूरतों को पूरा करने के संबंध में गुटेरेस ने कहा कि वे कम पूंजी वाले हैं और वर्तमान वैश्विक जरूरतों के लिए बहुत छोटे हैं।

उन्होंने कहा, “वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद के प्रतिशत के रूप में विश्व बैंक की भुगतान पूंजी आज 1960 की तुलना में पांचवें हिस्से से भी कम है। हमें उन संस्थानों की पूंजी बढ़ाने की आवश्यकता है।”

गुटेरेस ने कहा कि वह सितंबर में संयुक्त राष्ट्र के भविष्य के शिखर सम्मेलन को देखना चाहेंगे, जिसमें उन संस्थानों को “संरचनात्मक रूप से आगे बढ़ने” के तरीके के लिए कुछ निर्देश दिए जाएं।

वैश्विक राजनीतिक स्थिति का आकलन करते हुए गुटेरेस ने कहा, “हम अब द्विध्रुवीय या एकध्रुवीय दुनिया में नहीं हैं, जैसा कि मैंने कहा, हम एक तरह से बहुध्रुवीय दुनिया की राह पर हैं, लेकिन बहुत ही अराजक स्थिति में हैं।”

उन्होंने कहा, “सत्ता संबंध अस्पष्ट हो गए हैं और आज हम दुनिया में जो देखते हैं, वह यह है कि राजनीतिज्ञ जो चाहते हैं वह कर रहे हैं और पूरी छूट के साथ कर रहे हैं।”

संघर्षों और विभाजनों को समाप्त करने, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस द्वारा उत्पन्न खतरों से प्रभावी ढंग से न‍िपटने, जलवायु कार्रवाई पर कार्य करने और सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए अमीर और उभरती अर्थव्यवस्थाओं के बीच व ‘उत्तर और दक्षिण, पूर्व और पश्चिम के बीच बातचीत की जरूरत है।

–आईएएनएस

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विकासशील देशों के लिए ब्रिक्स एक महत्वपूर्ण और पूरक भूमिका निभा सकता है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि इसे विश्व अर्थव्यवस्था के विखंडन में योगदान नहीं देना चाहिए।

उन्होंने गुरुवार को यहां एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, द्वितीय विश्व युद्ध के बाद 1940 के दशक में बनाए गए अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संस्थान – अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष और विश्व बैंक व सुरक्षा परिषद उस समय के शक्ति संबंध और वैश्विक अर्थव्यवस्था को दर्शाते हैं, लेकिन अब प्रासंगिक नहीं हैं

उन्होंने कहा, “आज की वैश्विक अर्थव्यवस्था का प्रतिनिधित्व करने के लिए, वास्तव में सार्वभौमिक और सही मायने में उन संस्थानों में सुधार करना बहुत महत्वपूर्ण होगा।”

उन्होंने जोर देकर कहा,” इस बात की जरूरत है कि वे संस्थाएं ग्लोबल साउथ के हितों को अधिक स्पष्ट रूप से प्रतिबिंबित करें।”

ब्रिक्स की भूमिका के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि वित्त और व्यापार क्षेत्रों में “विकासशील देशों का सहयोग करने के लिए विभिन्न संगठनों का होना महत्वपूर्ण है।”

उन्होंने कहा, “सबसे महत्वपूर्ण पहलुओं में से एक, जिसे हमें आज संरक्षित करने की आवश्यकता है, वह है एक वैश्विक अर्थव्यवस्था, एक वैश्विक बाजार, एक वैश्विक इंटरनेट और वैश्विक अर्थव्यवस्था के विखंडन से बचना।”

उन्होंने कहा, “एकजुट वैश्विक अर्थव्यवस्था के भीतर, मुझे लगता है कि इनमें से कई संस्थान (जैसे ब्रिक्स) बेहद महत्वपूर्ण और पूरक भूमिका निभा सकते हैं।”

ब्रिक्स, जो मूल रूप से उभरती अर्थव्यवस्थाओं ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका से बना है, ने इथियोपिया, मिस्र, ईरान, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात को शामिल करने के लिए विस्तार किया है और 34 देशों का सदस्यता संबंधी आवेदन लंबित हैं।

इसका उद्देश्य व्यापार और वित्तीय सहयोग को बढ़ावा देना है। संगठन ने विकास परियोजनाओं को वित्तपोषित करने और सदस्य देशों में वित्तीय स्थिरीकरण में मदद करने के लिए न्यू डेवलपमेंट बैंक बनाया है, जो कुछ हद तक स्थापित वित्तीय संस्थानों की तरह कार्य करता है।

विश्व बैंक और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष द्वारा समकालीन जरूरतों को पूरा करने के संबंध में गुटेरेस ने कहा कि वे कम पूंजी वाले हैं और वर्तमान वैश्विक जरूरतों के लिए बहुत छोटे हैं।

उन्होंने कहा, “वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद के प्रतिशत के रूप में विश्व बैंक की भुगतान पूंजी आज 1960 की तुलना में पांचवें हिस्से से भी कम है। हमें उन संस्थानों की पूंजी बढ़ाने की आवश्यकता है।”

गुटेरेस ने कहा कि वह सितंबर में संयुक्त राष्ट्र के भविष्य के शिखर सम्मेलन को देखना चाहेंगे, जिसमें उन संस्थानों को “संरचनात्मक रूप से आगे बढ़ने” के तरीके के लिए कुछ निर्देश दिए जाएं।

वैश्विक राजनीतिक स्थिति का आकलन करते हुए गुटेरेस ने कहा, “हम अब द्विध्रुवीय या एकध्रुवीय दुनिया में नहीं हैं, जैसा कि मैंने कहा, हम एक तरह से बहुध्रुवीय दुनिया की राह पर हैं, लेकिन बहुत ही अराजक स्थिति में हैं।”

उन्होंने कहा, “सत्ता संबंध अस्पष्ट हो गए हैं और आज हम दुनिया में जो देखते हैं, वह यह है कि राजनीतिज्ञ जो चाहते हैं वह कर रहे हैं और पूरी छूट के साथ कर रहे हैं।”

संघर्षों और विभाजनों को समाप्त करने, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस द्वारा उत्पन्न खतरों से प्रभावी ढंग से न‍िपटने, जलवायु कार्रवाई पर कार्य करने और सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए अमीर और उभरती अर्थव्यवस्थाओं के बीच व ‘उत्तर और दक्षिण, पूर्व और पश्चिम के बीच बातचीत की जरूरत है।

–आईएएनएस

सीबीटी/

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संयुक्त राष्ट्र, 9 फरवरी (आईएएनएस)। संयुक्‍त राष्‍ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने कहा है कि ग्लोबल साउथ के हितों को प्रतिबिंबित करने के लिए अंतरराष्ट्रीय वित्तीय और विकास संस्थानों में सुधार किया जाना चाहिए।

विकासशील देशों के लिए ब्रिक्स एक महत्वपूर्ण और पूरक भूमिका निभा सकता है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि इसे विश्व अर्थव्यवस्था के विखंडन में योगदान नहीं देना चाहिए।

उन्होंने गुरुवार को यहां एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, द्वितीय विश्व युद्ध के बाद 1940 के दशक में बनाए गए अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संस्थान – अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष और विश्व बैंक व सुरक्षा परिषद उस समय के शक्ति संबंध और वैश्विक अर्थव्यवस्था को दर्शाते हैं, लेकिन अब प्रासंगिक नहीं हैं

उन्होंने कहा, “आज की वैश्विक अर्थव्यवस्था का प्रतिनिधित्व करने के लिए, वास्तव में सार्वभौमिक और सही मायने में उन संस्थानों में सुधार करना बहुत महत्वपूर्ण होगा।”

उन्होंने जोर देकर कहा,” इस बात की जरूरत है कि वे संस्थाएं ग्लोबल साउथ के हितों को अधिक स्पष्ट रूप से प्रतिबिंबित करें।”

ब्रिक्स की भूमिका के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि वित्त और व्यापार क्षेत्रों में “विकासशील देशों का सहयोग करने के लिए विभिन्न संगठनों का होना महत्वपूर्ण है।”

उन्होंने कहा, “सबसे महत्वपूर्ण पहलुओं में से एक, जिसे हमें आज संरक्षित करने की आवश्यकता है, वह है एक वैश्विक अर्थव्यवस्था, एक वैश्विक बाजार, एक वैश्विक इंटरनेट और वैश्विक अर्थव्यवस्था के विखंडन से बचना।”

उन्होंने कहा, “एकजुट वैश्विक अर्थव्यवस्था के भीतर, मुझे लगता है कि इनमें से कई संस्थान (जैसे ब्रिक्स) बेहद महत्वपूर्ण और पूरक भूमिका निभा सकते हैं।”

ब्रिक्स, जो मूल रूप से उभरती अर्थव्यवस्थाओं ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका से बना है, ने इथियोपिया, मिस्र, ईरान, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात को शामिल करने के लिए विस्तार किया है और 34 देशों का सदस्यता संबंधी आवेदन लंबित हैं।

इसका उद्देश्य व्यापार और वित्तीय सहयोग को बढ़ावा देना है। संगठन ने विकास परियोजनाओं को वित्तपोषित करने और सदस्य देशों में वित्तीय स्थिरीकरण में मदद करने के लिए न्यू डेवलपमेंट बैंक बनाया है, जो कुछ हद तक स्थापित वित्तीय संस्थानों की तरह कार्य करता है।

विश्व बैंक और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष द्वारा समकालीन जरूरतों को पूरा करने के संबंध में गुटेरेस ने कहा कि वे कम पूंजी वाले हैं और वर्तमान वैश्विक जरूरतों के लिए बहुत छोटे हैं।

उन्होंने कहा, “वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद के प्रतिशत के रूप में विश्व बैंक की भुगतान पूंजी आज 1960 की तुलना में पांचवें हिस्से से भी कम है। हमें उन संस्थानों की पूंजी बढ़ाने की आवश्यकता है।”

गुटेरेस ने कहा कि वह सितंबर में संयुक्त राष्ट्र के भविष्य के शिखर सम्मेलन को देखना चाहेंगे, जिसमें उन संस्थानों को “संरचनात्मक रूप से आगे बढ़ने” के तरीके के लिए कुछ निर्देश दिए जाएं।

वैश्विक राजनीतिक स्थिति का आकलन करते हुए गुटेरेस ने कहा, “हम अब द्विध्रुवीय या एकध्रुवीय दुनिया में नहीं हैं, जैसा कि मैंने कहा, हम एक तरह से बहुध्रुवीय दुनिया की राह पर हैं, लेकिन बहुत ही अराजक स्थिति में हैं।”

उन्होंने कहा, “सत्ता संबंध अस्पष्ट हो गए हैं और आज हम दुनिया में जो देखते हैं, वह यह है कि राजनीतिज्ञ जो चाहते हैं वह कर रहे हैं और पूरी छूट के साथ कर रहे हैं।”

संघर्षों और विभाजनों को समाप्त करने, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस द्वारा उत्पन्न खतरों से प्रभावी ढंग से न‍िपटने, जलवायु कार्रवाई पर कार्य करने और सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए अमीर और उभरती अर्थव्यवस्थाओं के बीच व ‘उत्तर और दक्षिण, पूर्व और पश्चिम के बीच बातचीत की जरूरत है।

–आईएएनएस

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