पटना, 24 फरवरी (आईएएनएस)। बिहार सरकार ने शुक्रवार को 67वीं बीपीएससी प्रारंभिक परीक्षा के प्रश्नपत्र लीक मामले में शामिल दागी प्रखंड विकास पदाधिकारी जयवर्धन गुप्ता को रिश्वत लेने के आरोप में बर्खास्त कर दिया।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में यह फैसला लिया गया। भोजपुर जिले के घोसवरी प्रखंड में बीडीओ के पद पर तैनात गुप्ता को आर्थिक अपराध इकाई (ईओयू) की एक टीम ने 2017 में दिनेश गोप से एक लाख रुपये की रिश्वत लेते हुए पकड़ा था। गिरफ्तारी के बाद गृह विभाग ने उन्हें बीडीओ के पद से हटा दिया था। हालांकि, वह कुछ महीनों के बाद अपने पद को फिर से प्राप्त करने में सफल रहा और उसे बरहरा ब्लॉक में तैनात किया गया।
9 मई 2022 को हुई 67वीं बीपीएससी की प्रारंभिक परीक्षा में उसका नाम फिर आया, जब वह आरा के वीर कुंवर सिंह कॉलेज में स्टेटिक ऑफिसर के पद पर तैनात था। उस समय प्रश्नपत्र लीक हो गया था और ईओयू ने गुप्ता समेत चार लोगों को गिरफ्तार किया था। अन्य आरोपियों की पहचान डॉ योगेंद्र प्रसाद सिंह, प्राचार्य-सह-केंद्र अधीक्षक, सुशील कुमार सिंह, प्रोफेसर-सह-परीक्षा नियंत्रक, और अगम कुमार सहाय, कॉलेज के प्रोफेसर-सह-सहायक केंद्र अधीक्षक के रूप में हुई।
2017 में दिनेश गोप से 1 लाख रुपये की रिश्वत लेने का दोषी पाते हुए ईओयू द्वारा दायर एक जांच रिपोर्ट के आधार पर कैबिनेट ने उन्हें सेवा से बर्खास्त करने का फैसला किया है।
–आईएएनएस
केसी/एएनएम
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पटना, 24 फरवरी (आईएएनएस)। बिहार सरकार ने शुक्रवार को 67वीं बीपीएससी प्रारंभिक परीक्षा के प्रश्नपत्र लीक मामले में शामिल दागी प्रखंड विकास पदाधिकारी जयवर्धन गुप्ता को रिश्वत लेने के आरोप में बर्खास्त कर दिया।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में यह फैसला लिया गया। भोजपुर जिले के घोसवरी प्रखंड में बीडीओ के पद पर तैनात गुप्ता को आर्थिक अपराध इकाई (ईओयू) की एक टीम ने 2017 में दिनेश गोप से एक लाख रुपये की रिश्वत लेते हुए पकड़ा था। गिरफ्तारी के बाद गृह विभाग ने उन्हें बीडीओ के पद से हटा दिया था। हालांकि, वह कुछ महीनों के बाद अपने पद को फिर से प्राप्त करने में सफल रहा और उसे बरहरा ब्लॉक में तैनात किया गया।
9 मई 2022 को हुई 67वीं बीपीएससी की प्रारंभिक परीक्षा में उसका नाम फिर आया, जब वह आरा के वीर कुंवर सिंह कॉलेज में स्टेटिक ऑफिसर के पद पर तैनात था। उस समय प्रश्नपत्र लीक हो गया था और ईओयू ने गुप्ता समेत चार लोगों को गिरफ्तार किया था। अन्य आरोपियों की पहचान डॉ योगेंद्र प्रसाद सिंह, प्राचार्य-सह-केंद्र अधीक्षक, सुशील कुमार सिंह, प्रोफेसर-सह-परीक्षा नियंत्रक, और अगम कुमार सहाय, कॉलेज के प्रोफेसर-सह-सहायक केंद्र अधीक्षक के रूप में हुई।
2017 में दिनेश गोप से 1 लाख रुपये की रिश्वत लेने का दोषी पाते हुए ईओयू द्वारा दायर एक जांच रिपोर्ट के आधार पर कैबिनेट ने उन्हें सेवा से बर्खास्त करने का फैसला किया है।
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मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में यह फैसला लिया गया। भोजपुर जिले के घोसवरी प्रखंड में बीडीओ के पद पर तैनात गुप्ता को आर्थिक अपराध इकाई (ईओयू) की एक टीम ने 2017 में दिनेश गोप से एक लाख रुपये की रिश्वत लेते हुए पकड़ा था। गिरफ्तारी के बाद गृह विभाग ने उन्हें बीडीओ के पद से हटा दिया था। हालांकि, वह कुछ महीनों के बाद अपने पद को फिर से प्राप्त करने में सफल रहा और उसे बरहरा ब्लॉक में तैनात किया गया।
9 मई 2022 को हुई 67वीं बीपीएससी की प्रारंभिक परीक्षा में उसका नाम फिर आया, जब वह आरा के वीर कुंवर सिंह कॉलेज में स्टेटिक ऑफिसर के पद पर तैनात था। उस समय प्रश्नपत्र लीक हो गया था और ईओयू ने गुप्ता समेत चार लोगों को गिरफ्तार किया था। अन्य आरोपियों की पहचान डॉ योगेंद्र प्रसाद सिंह, प्राचार्य-सह-केंद्र अधीक्षक, सुशील कुमार सिंह, प्रोफेसर-सह-परीक्षा नियंत्रक, और अगम कुमार सहाय, कॉलेज के प्रोफेसर-सह-सहायक केंद्र अधीक्षक के रूप में हुई।
2017 में दिनेश गोप से 1 लाख रुपये की रिश्वत लेने का दोषी पाते हुए ईओयू द्वारा दायर एक जांच रिपोर्ट के आधार पर कैबिनेट ने उन्हें सेवा से बर्खास्त करने का फैसला किया है।
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मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में यह फैसला लिया गया। भोजपुर जिले के घोसवरी प्रखंड में बीडीओ के पद पर तैनात गुप्ता को आर्थिक अपराध इकाई (ईओयू) की एक टीम ने 2017 में दिनेश गोप से एक लाख रुपये की रिश्वत लेते हुए पकड़ा था। गिरफ्तारी के बाद गृह विभाग ने उन्हें बीडीओ के पद से हटा दिया था। हालांकि, वह कुछ महीनों के बाद अपने पद को फिर से प्राप्त करने में सफल रहा और उसे बरहरा ब्लॉक में तैनात किया गया।
9 मई 2022 को हुई 67वीं बीपीएससी की प्रारंभिक परीक्षा में उसका नाम फिर आया, जब वह आरा के वीर कुंवर सिंह कॉलेज में स्टेटिक ऑफिसर के पद पर तैनात था। उस समय प्रश्नपत्र लीक हो गया था और ईओयू ने गुप्ता समेत चार लोगों को गिरफ्तार किया था। अन्य आरोपियों की पहचान डॉ योगेंद्र प्रसाद सिंह, प्राचार्य-सह-केंद्र अधीक्षक, सुशील कुमार सिंह, प्रोफेसर-सह-परीक्षा नियंत्रक, और अगम कुमार सहाय, कॉलेज के प्रोफेसर-सह-सहायक केंद्र अधीक्षक के रूप में हुई।
2017 में दिनेश गोप से 1 लाख रुपये की रिश्वत लेने का दोषी पाते हुए ईओयू द्वारा दायर एक जांच रिपोर्ट के आधार पर कैबिनेट ने उन्हें सेवा से बर्खास्त करने का फैसला किया है।
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मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में यह फैसला लिया गया। भोजपुर जिले के घोसवरी प्रखंड में बीडीओ के पद पर तैनात गुप्ता को आर्थिक अपराध इकाई (ईओयू) की एक टीम ने 2017 में दिनेश गोप से एक लाख रुपये की रिश्वत लेते हुए पकड़ा था। गिरफ्तारी के बाद गृह विभाग ने उन्हें बीडीओ के पद से हटा दिया था। हालांकि, वह कुछ महीनों के बाद अपने पद को फिर से प्राप्त करने में सफल रहा और उसे बरहरा ब्लॉक में तैनात किया गया।
9 मई 2022 को हुई 67वीं बीपीएससी की प्रारंभिक परीक्षा में उसका नाम फिर आया, जब वह आरा के वीर कुंवर सिंह कॉलेज में स्टेटिक ऑफिसर के पद पर तैनात था। उस समय प्रश्नपत्र लीक हो गया था और ईओयू ने गुप्ता समेत चार लोगों को गिरफ्तार किया था। अन्य आरोपियों की पहचान डॉ योगेंद्र प्रसाद सिंह, प्राचार्य-सह-केंद्र अधीक्षक, सुशील कुमार सिंह, प्रोफेसर-सह-परीक्षा नियंत्रक, और अगम कुमार सहाय, कॉलेज के प्रोफेसर-सह-सहायक केंद्र अधीक्षक के रूप में हुई।
2017 में दिनेश गोप से 1 लाख रुपये की रिश्वत लेने का दोषी पाते हुए ईओयू द्वारा दायर एक जांच रिपोर्ट के आधार पर कैबिनेट ने उन्हें सेवा से बर्खास्त करने का फैसला किया है।
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मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में यह फैसला लिया गया। भोजपुर जिले के घोसवरी प्रखंड में बीडीओ के पद पर तैनात गुप्ता को आर्थिक अपराध इकाई (ईओयू) की एक टीम ने 2017 में दिनेश गोप से एक लाख रुपये की रिश्वत लेते हुए पकड़ा था। गिरफ्तारी के बाद गृह विभाग ने उन्हें बीडीओ के पद से हटा दिया था। हालांकि, वह कुछ महीनों के बाद अपने पद को फिर से प्राप्त करने में सफल रहा और उसे बरहरा ब्लॉक में तैनात किया गया।
9 मई 2022 को हुई 67वीं बीपीएससी की प्रारंभिक परीक्षा में उसका नाम फिर आया, जब वह आरा के वीर कुंवर सिंह कॉलेज में स्टेटिक ऑफिसर के पद पर तैनात था। उस समय प्रश्नपत्र लीक हो गया था और ईओयू ने गुप्ता समेत चार लोगों को गिरफ्तार किया था। अन्य आरोपियों की पहचान डॉ योगेंद्र प्रसाद सिंह, प्राचार्य-सह-केंद्र अधीक्षक, सुशील कुमार सिंह, प्रोफेसर-सह-परीक्षा नियंत्रक, और अगम कुमार सहाय, कॉलेज के प्रोफेसर-सह-सहायक केंद्र अधीक्षक के रूप में हुई।
2017 में दिनेश गोप से 1 लाख रुपये की रिश्वत लेने का दोषी पाते हुए ईओयू द्वारा दायर एक जांच रिपोर्ट के आधार पर कैबिनेट ने उन्हें सेवा से बर्खास्त करने का फैसला किया है।
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मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में यह फैसला लिया गया। भोजपुर जिले के घोसवरी प्रखंड में बीडीओ के पद पर तैनात गुप्ता को आर्थिक अपराध इकाई (ईओयू) की एक टीम ने 2017 में दिनेश गोप से एक लाख रुपये की रिश्वत लेते हुए पकड़ा था। गिरफ्तारी के बाद गृह विभाग ने उन्हें बीडीओ के पद से हटा दिया था। हालांकि, वह कुछ महीनों के बाद अपने पद को फिर से प्राप्त करने में सफल रहा और उसे बरहरा ब्लॉक में तैनात किया गया।
9 मई 2022 को हुई 67वीं बीपीएससी की प्रारंभिक परीक्षा में उसका नाम फिर आया, जब वह आरा के वीर कुंवर सिंह कॉलेज में स्टेटिक ऑफिसर के पद पर तैनात था। उस समय प्रश्नपत्र लीक हो गया था और ईओयू ने गुप्ता समेत चार लोगों को गिरफ्तार किया था। अन्य आरोपियों की पहचान डॉ योगेंद्र प्रसाद सिंह, प्राचार्य-सह-केंद्र अधीक्षक, सुशील कुमार सिंह, प्रोफेसर-सह-परीक्षा नियंत्रक, और अगम कुमार सहाय, कॉलेज के प्रोफेसर-सह-सहायक केंद्र अधीक्षक के रूप में हुई।
2017 में दिनेश गोप से 1 लाख रुपये की रिश्वत लेने का दोषी पाते हुए ईओयू द्वारा दायर एक जांच रिपोर्ट के आधार पर कैबिनेट ने उन्हें सेवा से बर्खास्त करने का फैसला किया है।
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मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में यह फैसला लिया गया। भोजपुर जिले के घोसवरी प्रखंड में बीडीओ के पद पर तैनात गुप्ता को आर्थिक अपराध इकाई (ईओयू) की एक टीम ने 2017 में दिनेश गोप से एक लाख रुपये की रिश्वत लेते हुए पकड़ा था। गिरफ्तारी के बाद गृह विभाग ने उन्हें बीडीओ के पद से हटा दिया था। हालांकि, वह कुछ महीनों के बाद अपने पद को फिर से प्राप्त करने में सफल रहा और उसे बरहरा ब्लॉक में तैनात किया गया।
9 मई 2022 को हुई 67वीं बीपीएससी की प्रारंभिक परीक्षा में उसका नाम फिर आया, जब वह आरा के वीर कुंवर सिंह कॉलेज में स्टेटिक ऑफिसर के पद पर तैनात था। उस समय प्रश्नपत्र लीक हो गया था और ईओयू ने गुप्ता समेत चार लोगों को गिरफ्तार किया था। अन्य आरोपियों की पहचान डॉ योगेंद्र प्रसाद सिंह, प्राचार्य-सह-केंद्र अधीक्षक, सुशील कुमार सिंह, प्रोफेसर-सह-परीक्षा नियंत्रक, और अगम कुमार सहाय, कॉलेज के प्रोफेसर-सह-सहायक केंद्र अधीक्षक के रूप में हुई।
2017 में दिनेश गोप से 1 लाख रुपये की रिश्वत लेने का दोषी पाते हुए ईओयू द्वारा दायर एक जांच रिपोर्ट के आधार पर कैबिनेट ने उन्हें सेवा से बर्खास्त करने का फैसला किया है।
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मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में यह फैसला लिया गया। भोजपुर जिले के घोसवरी प्रखंड में बीडीओ के पद पर तैनात गुप्ता को आर्थिक अपराध इकाई (ईओयू) की एक टीम ने 2017 में दिनेश गोप से एक लाख रुपये की रिश्वत लेते हुए पकड़ा था। गिरफ्तारी के बाद गृह विभाग ने उन्हें बीडीओ के पद से हटा दिया था। हालांकि, वह कुछ महीनों के बाद अपने पद को फिर से प्राप्त करने में सफल रहा और उसे बरहरा ब्लॉक में तैनात किया गया।
9 मई 2022 को हुई 67वीं बीपीएससी की प्रारंभिक परीक्षा में उसका नाम फिर आया, जब वह आरा के वीर कुंवर सिंह कॉलेज में स्टेटिक ऑफिसर के पद पर तैनात था। उस समय प्रश्नपत्र लीक हो गया था और ईओयू ने गुप्ता समेत चार लोगों को गिरफ्तार किया था। अन्य आरोपियों की पहचान डॉ योगेंद्र प्रसाद सिंह, प्राचार्य-सह-केंद्र अधीक्षक, सुशील कुमार सिंह, प्रोफेसर-सह-परीक्षा नियंत्रक, और अगम कुमार सहाय, कॉलेज के प्रोफेसर-सह-सहायक केंद्र अधीक्षक के रूप में हुई।
2017 में दिनेश गोप से 1 लाख रुपये की रिश्वत लेने का दोषी पाते हुए ईओयू द्वारा दायर एक जांच रिपोर्ट के आधार पर कैबिनेट ने उन्हें सेवा से बर्खास्त करने का फैसला किया है।
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मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में यह फैसला लिया गया। भोजपुर जिले के घोसवरी प्रखंड में बीडीओ के पद पर तैनात गुप्ता को आर्थिक अपराध इकाई (ईओयू) की एक टीम ने 2017 में दिनेश गोप से एक लाख रुपये की रिश्वत लेते हुए पकड़ा था। गिरफ्तारी के बाद गृह विभाग ने उन्हें बीडीओ के पद से हटा दिया था। हालांकि, वह कुछ महीनों के बाद अपने पद को फिर से प्राप्त करने में सफल रहा और उसे बरहरा ब्लॉक में तैनात किया गया।
9 मई 2022 को हुई 67वीं बीपीएससी की प्रारंभिक परीक्षा में उसका नाम फिर आया, जब वह आरा के वीर कुंवर सिंह कॉलेज में स्टेटिक ऑफिसर के पद पर तैनात था। उस समय प्रश्नपत्र लीक हो गया था और ईओयू ने गुप्ता समेत चार लोगों को गिरफ्तार किया था। अन्य आरोपियों की पहचान डॉ योगेंद्र प्रसाद सिंह, प्राचार्य-सह-केंद्र अधीक्षक, सुशील कुमार सिंह, प्रोफेसर-सह-परीक्षा नियंत्रक, और अगम कुमार सहाय, कॉलेज के प्रोफेसर-सह-सहायक केंद्र अधीक्षक के रूप में हुई।
2017 में दिनेश गोप से 1 लाख रुपये की रिश्वत लेने का दोषी पाते हुए ईओयू द्वारा दायर एक जांच रिपोर्ट के आधार पर कैबिनेट ने उन्हें सेवा से बर्खास्त करने का फैसला किया है।
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मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में यह फैसला लिया गया। भोजपुर जिले के घोसवरी प्रखंड में बीडीओ के पद पर तैनात गुप्ता को आर्थिक अपराध इकाई (ईओयू) की एक टीम ने 2017 में दिनेश गोप से एक लाख रुपये की रिश्वत लेते हुए पकड़ा था। गिरफ्तारी के बाद गृह विभाग ने उन्हें बीडीओ के पद से हटा दिया था। हालांकि, वह कुछ महीनों के बाद अपने पद को फिर से प्राप्त करने में सफल रहा और उसे बरहरा ब्लॉक में तैनात किया गया।
9 मई 2022 को हुई 67वीं बीपीएससी की प्रारंभिक परीक्षा में उसका नाम फिर आया, जब वह आरा के वीर कुंवर सिंह कॉलेज में स्टेटिक ऑफिसर के पद पर तैनात था। उस समय प्रश्नपत्र लीक हो गया था और ईओयू ने गुप्ता समेत चार लोगों को गिरफ्तार किया था। अन्य आरोपियों की पहचान डॉ योगेंद्र प्रसाद सिंह, प्राचार्य-सह-केंद्र अधीक्षक, सुशील कुमार सिंह, प्रोफेसर-सह-परीक्षा नियंत्रक, और अगम कुमार सहाय, कॉलेज के प्रोफेसर-सह-सहायक केंद्र अधीक्षक के रूप में हुई।
2017 में दिनेश गोप से 1 लाख रुपये की रिश्वत लेने का दोषी पाते हुए ईओयू द्वारा दायर एक जांच रिपोर्ट के आधार पर कैबिनेट ने उन्हें सेवा से बर्खास्त करने का फैसला किया है।
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मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में यह फैसला लिया गया। भोजपुर जिले के घोसवरी प्रखंड में बीडीओ के पद पर तैनात गुप्ता को आर्थिक अपराध इकाई (ईओयू) की एक टीम ने 2017 में दिनेश गोप से एक लाख रुपये की रिश्वत लेते हुए पकड़ा था। गिरफ्तारी के बाद गृह विभाग ने उन्हें बीडीओ के पद से हटा दिया था। हालांकि, वह कुछ महीनों के बाद अपने पद को फिर से प्राप्त करने में सफल रहा और उसे बरहरा ब्लॉक में तैनात किया गया।
9 मई 2022 को हुई 67वीं बीपीएससी की प्रारंभिक परीक्षा में उसका नाम फिर आया, जब वह आरा के वीर कुंवर सिंह कॉलेज में स्टेटिक ऑफिसर के पद पर तैनात था। उस समय प्रश्नपत्र लीक हो गया था और ईओयू ने गुप्ता समेत चार लोगों को गिरफ्तार किया था। अन्य आरोपियों की पहचान डॉ योगेंद्र प्रसाद सिंह, प्राचार्य-सह-केंद्र अधीक्षक, सुशील कुमार सिंह, प्रोफेसर-सह-परीक्षा नियंत्रक, और अगम कुमार सहाय, कॉलेज के प्रोफेसर-सह-सहायक केंद्र अधीक्षक के रूप में हुई।
2017 में दिनेश गोप से 1 लाख रुपये की रिश्वत लेने का दोषी पाते हुए ईओयू द्वारा दायर एक जांच रिपोर्ट के आधार पर कैबिनेट ने उन्हें सेवा से बर्खास्त करने का फैसला किया है।
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मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में यह फैसला लिया गया। भोजपुर जिले के घोसवरी प्रखंड में बीडीओ के पद पर तैनात गुप्ता को आर्थिक अपराध इकाई (ईओयू) की एक टीम ने 2017 में दिनेश गोप से एक लाख रुपये की रिश्वत लेते हुए पकड़ा था। गिरफ्तारी के बाद गृह विभाग ने उन्हें बीडीओ के पद से हटा दिया था। हालांकि, वह कुछ महीनों के बाद अपने पद को फिर से प्राप्त करने में सफल रहा और उसे बरहरा ब्लॉक में तैनात किया गया।
9 मई 2022 को हुई 67वीं बीपीएससी की प्रारंभिक परीक्षा में उसका नाम फिर आया, जब वह आरा के वीर कुंवर सिंह कॉलेज में स्टेटिक ऑफिसर के पद पर तैनात था। उस समय प्रश्नपत्र लीक हो गया था और ईओयू ने गुप्ता समेत चार लोगों को गिरफ्तार किया था। अन्य आरोपियों की पहचान डॉ योगेंद्र प्रसाद सिंह, प्राचार्य-सह-केंद्र अधीक्षक, सुशील कुमार सिंह, प्रोफेसर-सह-परीक्षा नियंत्रक, और अगम कुमार सहाय, कॉलेज के प्रोफेसर-सह-सहायक केंद्र अधीक्षक के रूप में हुई।
2017 में दिनेश गोप से 1 लाख रुपये की रिश्वत लेने का दोषी पाते हुए ईओयू द्वारा दायर एक जांच रिपोर्ट के आधार पर कैबिनेट ने उन्हें सेवा से बर्खास्त करने का फैसला किया है।
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मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में यह फैसला लिया गया। भोजपुर जिले के घोसवरी प्रखंड में बीडीओ के पद पर तैनात गुप्ता को आर्थिक अपराध इकाई (ईओयू) की एक टीम ने 2017 में दिनेश गोप से एक लाख रुपये की रिश्वत लेते हुए पकड़ा था। गिरफ्तारी के बाद गृह विभाग ने उन्हें बीडीओ के पद से हटा दिया था। हालांकि, वह कुछ महीनों के बाद अपने पद को फिर से प्राप्त करने में सफल रहा और उसे बरहरा ब्लॉक में तैनात किया गया।
9 मई 2022 को हुई 67वीं बीपीएससी की प्रारंभिक परीक्षा में उसका नाम फिर आया, जब वह आरा के वीर कुंवर सिंह कॉलेज में स्टेटिक ऑफिसर के पद पर तैनात था। उस समय प्रश्नपत्र लीक हो गया था और ईओयू ने गुप्ता समेत चार लोगों को गिरफ्तार किया था। अन्य आरोपियों की पहचान डॉ योगेंद्र प्रसाद सिंह, प्राचार्य-सह-केंद्र अधीक्षक, सुशील कुमार सिंह, प्रोफेसर-सह-परीक्षा नियंत्रक, और अगम कुमार सहाय, कॉलेज के प्रोफेसर-सह-सहायक केंद्र अधीक्षक के रूप में हुई।
2017 में दिनेश गोप से 1 लाख रुपये की रिश्वत लेने का दोषी पाते हुए ईओयू द्वारा दायर एक जांच रिपोर्ट के आधार पर कैबिनेट ने उन्हें सेवा से बर्खास्त करने का फैसला किया है।
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मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में यह फैसला लिया गया। भोजपुर जिले के घोसवरी प्रखंड में बीडीओ के पद पर तैनात गुप्ता को आर्थिक अपराध इकाई (ईओयू) की एक टीम ने 2017 में दिनेश गोप से एक लाख रुपये की रिश्वत लेते हुए पकड़ा था। गिरफ्तारी के बाद गृह विभाग ने उन्हें बीडीओ के पद से हटा दिया था। हालांकि, वह कुछ महीनों के बाद अपने पद को फिर से प्राप्त करने में सफल रहा और उसे बरहरा ब्लॉक में तैनात किया गया।
9 मई 2022 को हुई 67वीं बीपीएससी की प्रारंभिक परीक्षा में उसका नाम फिर आया, जब वह आरा के वीर कुंवर सिंह कॉलेज में स्टेटिक ऑफिसर के पद पर तैनात था। उस समय प्रश्नपत्र लीक हो गया था और ईओयू ने गुप्ता समेत चार लोगों को गिरफ्तार किया था। अन्य आरोपियों की पहचान डॉ योगेंद्र प्रसाद सिंह, प्राचार्य-सह-केंद्र अधीक्षक, सुशील कुमार सिंह, प्रोफेसर-सह-परीक्षा नियंत्रक, और अगम कुमार सहाय, कॉलेज के प्रोफेसर-सह-सहायक केंद्र अधीक्षक के रूप में हुई।
2017 में दिनेश गोप से 1 लाख रुपये की रिश्वत लेने का दोषी पाते हुए ईओयू द्वारा दायर एक जांच रिपोर्ट के आधार पर कैबिनेट ने उन्हें सेवा से बर्खास्त करने का फैसला किया है।
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पटना, 24 फरवरी (आईएएनएस)। बिहार सरकार ने शुक्रवार को 67वीं बीपीएससी प्रारंभिक परीक्षा के प्रश्नपत्र लीक मामले में शामिल दागी प्रखंड विकास पदाधिकारी जयवर्धन गुप्ता को रिश्वत लेने के आरोप में बर्खास्त कर दिया।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में यह फैसला लिया गया। भोजपुर जिले के घोसवरी प्रखंड में बीडीओ के पद पर तैनात गुप्ता को आर्थिक अपराध इकाई (ईओयू) की एक टीम ने 2017 में दिनेश गोप से एक लाख रुपये की रिश्वत लेते हुए पकड़ा था। गिरफ्तारी के बाद गृह विभाग ने उन्हें बीडीओ के पद से हटा दिया था। हालांकि, वह कुछ महीनों के बाद अपने पद को फिर से प्राप्त करने में सफल रहा और उसे बरहरा ब्लॉक में तैनात किया गया।
9 मई 2022 को हुई 67वीं बीपीएससी की प्रारंभिक परीक्षा में उसका नाम फिर आया, जब वह आरा के वीर कुंवर सिंह कॉलेज में स्टेटिक ऑफिसर के पद पर तैनात था। उस समय प्रश्नपत्र लीक हो गया था और ईओयू ने गुप्ता समेत चार लोगों को गिरफ्तार किया था। अन्य आरोपियों की पहचान डॉ योगेंद्र प्रसाद सिंह, प्राचार्य-सह-केंद्र अधीक्षक, सुशील कुमार सिंह, प्रोफेसर-सह-परीक्षा नियंत्रक, और अगम कुमार सहाय, कॉलेज के प्रोफेसर-सह-सहायक केंद्र अधीक्षक के रूप में हुई।
2017 में दिनेश गोप से 1 लाख रुपये की रिश्वत लेने का दोषी पाते हुए ईओयू द्वारा दायर एक जांच रिपोर्ट के आधार पर कैबिनेट ने उन्हें सेवा से बर्खास्त करने का फैसला किया है।