बेंगलुरु, 26 अगस्त (आईएएनएस)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को चंद्रयान-3 मिशन की सफलता के लिए किए गए प्रयासों का वर्णन करते हुए कहा कि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के वैज्ञानिकों ने प्रयोग के लिए एक कृत्रिम चंद्रमा का निर्माण किया है।
चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर चंद्रयान-3 की सफल सॉफ्ट लैंडिंग के लिए वैज्ञानिकों की सराहना करने के लिए आयोजित एक कार्यक्रम में वैज्ञानिकों को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि वह चाहते हैं कि लोग जानें कि वैज्ञानिकों ने सफलता हासिल करने के लिए क्या प्रयास किए हैं। उन्होंने कहा, “लोगों को यह जानना चाहिए। वैज्ञानिकों ने एक कृत्रिम चंद्रमा बनाया है जिस पर लैंडर विक्रम का परीक्षण किया गया है।”
इस उपलब्धि ने पूरी पीढ़ी को उत्साह दिया है। उपग्रहों के प्रक्षेपण ने नवाचारों का मार्ग प्रशस्त किया है। अंतरिक्ष विज्ञान ने जीवन को आसान बनाने, प्रशासन और पारदर्शिता में योगदान दिया है। यह दूरस्थ स्वास्थ्य सेवाओं को सुनिश्चित करने में सहायक है। पीएम मोदी ने कहा कि अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के बिना हम टेलीमेडिसिन और टेली-एजुकेशन की कल्पना नहीं कर सकते।
जहां किसानों को मौसम संबंधी अपडेट से लाभ होगा, वहीं करोड़ों मछुआरों को बाढ़ और चक्रवात के बारे में अपडेट मिलेगा। प्राकृतिक आपदाओं से होने वाला नुकसान इतना बड़ा होगा कि इसकी लागत चंद्रमा मिशन से भी अधिक होगी। उन्होंने कहा कि भारत अंतरिक्ष अनुप्रयोगों के मामले में दुनिया के लिए एक मॉडल बन गया है।
प्रधानमंत्री ने सिफारिश की कि केंद्र और राज्य सरकारों को अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी पर एक राष्ट्रीय हैकथॉन आयोजित करना चाहिए। हजारों वर्ष पहले भारतीय दूरदर्शी लोगों ने अंतरिक्ष की खोज की थी। उन्होंने निष्कर्ष निकाला कि पृथ्वी गोल है, और पृथ्वी के ऊपर और नीचे एक ब्रह्मांड है।
अपने भाषण की शुरुआत में वैज्ञानिकों को धन्यवाद देते हुए भावुक पीएम ने कहा कि उनके दौरे की वजह से वैज्ञानिकों को सुबह जल्दी आना पड़ा।
उन्होंने कहा कि उनकी जितनी भी तारीफ की जाए वह कम है। मोदी ने कहा, “दोस्तों, मैंने चंद्रमा पर मजबूती से पैर जमाते हुए हमारे लैंडर की तस्वीर देखी। एक तरफ, यह विक्रम का ‘विश्वास’ था और दूसरी तरफ प्रज्ञान का ‘पराक्रम’।”
प्रधानमंत्री ने कहा, “मैं सफल चंद्रयान-3 मिशन के लिए सभी वैज्ञानिकों, तकनीशियनों और इंजीनियरों को धन्यवाद दूंगा। भारत चंद्रमा पर उतरने वाला चौथा देश है। भारत ने बहुत लंबा सफर तय किया है। जब यह सब शुरू हुआ तो कोई तकनीक या सहयोग नहीं था। हमें तीसरी दुनिया का देश करार दिया गया। अब, हम दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था हैं। हमें तीसरी पंक्ति से पहली पंक्ति में लाने में इसरो ने बड़ी भूमिका निभाई है। यह मेक इन इंडिया पहल के लिए एक बड़ा कदम है।”
–आईएएनएस
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