पुरी, 7 सितंबर (आईएएनएस)। साल का आखिरी चंद्र ग्रहण भारत में भी दिखाई देगा। नई दिल्ली से लेकर कोलकाता और चेन्नई से लेकर ओडिशा तक कुछ शहरों में पूर्ण ग्रहण दिखाई देगा। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, ग्रहण के दौरान सभी पारंपरिक अनुष्ठान किए जाते हैं। खासतौर पर मंदिरों के नियमों में बदलाव किया जाता है।
ज्योतिषाचार्य डॉ. नरेश चंद्र दाश ने बताया कि चंद्र ग्रहण रात 9:57 बजे शुरू होगा और रात 1:26 बजे समाप्त होगा। ग्रहण शुरू होने से 9 घंटे पहले सूतक काल आरंभ हो जाता है। इस बार दोपहर 12:57 बजे से सूतक लग चुका है, जो ग्रहण समाप्त होने तक रहेगा। सूतक में न तो खाना बनाना चाहिए और ना ही खाना चाहिए। पूजा-पाठ भी ग्रहण के समय बंद कर देना होता है। ग्रहण खत्म होने के बाद ही फिर से पूजा या भोजन की इजाजत होती है।
ज्योतिषाचार्य ने बताया कि श्री जगन्नाथ मंदिर में ग्रहण के दौरान पारंपरिक रूप से सभी नियमित अनुष्ठान रात 9:57 बजे से स्थगित कर दिए जाएंगे। इस दौरान विशेष धार्मिक क्रियाएं की जाएंगी। इसमें सबसे पहले भगवान को ‘ग्रहण महास्नान’ कराया जाएगा, फिर उन्हें ‘खाई कोरा भोग’ अर्पित किया जाएगा और विशेष वस्त्र पहनाए जाएंगे। भगवान जगन्नाथ को ग्रहों से ऊपर माना जाता है, इसलिए ग्रहण खत्म होते ही मंदिर की दिनचर्या नए सिरे से शुरू की जाएगी।
ज्योतिषीय मान्यता के अनुसार, ये ग्रहण वृषभ, मिथुन, कर्क, सिंह, मीन, और कुंभ राशि वालों के लिए ठीक नहीं है। ऐसे लोगों को सलाह दी गई है कि वे ग्रहण न देखें और घर के भीतर ही रहें। वहीं, मेष, तुला, वृश्चिक, कन्या, मकर, और धनु राशियों के लिए इसे शुभ माना गया है।
डॉ. दाश ने कहा कि गर्भवती महिलाएं, बुजुर्ग, बीमार और छोटे बच्चों को इन नियमों में थोड़ी छूट दी जाती है। उनके लिए कोई सख्ती नहीं है। ग्रहण काल में गर्भवती महिलाओं को बेहद सावधानी बरतने की सलाह भी दी जाती है।
पटना स्थित महावीर मंदिर के पुजारी पंडित भवनाथ झा के अनुसार, चंद्र ग्रहण राहु और केतु की छाया के कारण लगता है। इन दोनों को “छाया ग्रह” कहा जाता है, जिनका प्रभाव ग्रहण काल में विशेष रूप से सक्रिय माना जाता है।
पंडित झा का मानना है कि ग्रहण के समय नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव बढ़ जाता है, जो गर्भवती महिलाओं और गर्भ में पल रहे शिशु पर अशुभ असर डाल सकता है। इसी कारण इस समय विशेष सावधानी बरतने की सलाह दी जाती है।
उन्होंने बताया कि गर्भवती महिलाओं को ग्रहण के दौरान किसी भी प्रकार की धारदार चीजों का उपयोग करने से बचना चाहिए, जैसे कि काटना या जोड़ना। यह माना जाता है कि ऐसे कार्यों से गर्भ में पल रहे शिशु पर शारीरिक प्रभाव पड़ सकता है। इसके अलावा, ग्रहण को देखने से भी बचना चाहिए।
पंडित झा सलाह देते हैं कि इस समय महिलाओं को मंत्र जाप या किसी धार्मिक ग्रंथ का पाठ करना चाहिए, जिससे मानसिक शांति बनी रहे और नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव कम हो सके।
–आईएएनएस
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