जबलपुर. प्रदेश के इंदौर सहित अन्य महानगरों में प्रतिबंधित चायनीज मांझा के खिलाफ कार्रवाई करते हुए स्टॉक जब्त किया जा रहा हैं लेकिन जिले में कई लोमहर्षक हादसों की वजह बन चुके इस मांझे की धड़ल्ले से बिक्री जारी हैं. प्रदेश के अन्य शहरों में स्थानीय प्रशासन द्वारा जहां चायनीज मांझे को बेचने या स्टॉक रखने पर प्रतिबंध लगाते हुए भारतीय नागरिक संहिता की धारा-163 के तहत प्रतिबंधात्मक आदेश जारी किया हैं.
वहींं जिलें में चायनीज मांझा बेचने वालों के प्रति किसी का ध्यान नहीं हैं. गौरतलब हैं कि जनवरी माह में होने वाले मकर सक्रांति पर्व के मद्देनजर प्रदेश के अन्य जिला प्रशासन ने चायनीज मांझे के निर्माण और बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया है. सख्ती दिखाते हुए इंदौर सहित अन्य जिलों में प्रशासन ने शुक्रवार को पतंग की दुकानों पर छापे मारे और बड़ी मात्रा में चाइनीज मांझे को जब्त किया गया.
बीते कुछ वर्षों में जबलपुर में मकर संक्रांति त्यौहार पर पतंगबाजी जोरों पर होने लगी है. लोग पतंगों के पेंच लड़ाने के लिए चायनीज मांझे की इस्तेमाल करते है, ताकि उनकी पतंग न कटे लेकिन चाइनीज मांझे के कारण पक्षियों के घायल होने और वाहन चालकों के गले व शरीर पर जानलेवा गंभीर चोट लगने के मामले में लगातार सामने आते है.
जिसके मद्देनजर प्रदेश के अन्य जिलों में चाइनीज मांझे को बेचने उसका स्टॉक रखने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है. साथ ही भारतीय नागरिक संहिता की धारा-163 के तहत प्रतिबंधात्मक आदेश जारी किया गया है लेकिन जिले में जिम्मेदारों ने अब तक न तो पतंगों की दुकानों की सुध ली हैं न हीं चाईनीज मांझे की. जिसके चलते शहर में लगभग हर पतंगबाज के पास बड़ी मात्रा में चाइनीज मांझे का स्टाक उपलब्ध हैं, जानकारों का कहना हैं कि ऐसा न हो जब तक इस मामले में प्रशासन-पुलिस की नींद खुले तब तक बहुत देर हो चुकी हो.
मैटलिक पाउडर से तैयार होता हैं चाइनीज मांझा
ज्ञात हो कि चाइनीज मांझा मेटालिक पाउडर से तैयार होता है. यह आसानी से नहीं टूटता. कई बार वाहन चालक के गले व शरीर के अन्य हिस्से इससे अत्यधिक गंभीर रूप से कट जाते है कई बार ये लोगों की मौत की वजह भी बन जाते हैं. यही नहीं बिजली के तारों के संपर्क में आने के कारण झटका भी लग सकता है और विद्युत आपूर्ति भी अवरुद्ध हो जाती है.