नई दिल्ली, 5 सितंबर (आईएएनएस)। कोविड ने दुनिया को परेशान कर रखा था। लोग बदहवास थे। अफरातफरी का माहौल था, लोग घरों में महीनों कैद रहने को मजबूर हो गए। ऐसे विकट समय में ही डॉ केके अग्रवाल लाखों का हाथ थामा। उनकी उंगली पकड़ी और कहा ‘शो मस्ट गो ऑन’।
मुंह पर मास्क लगा कर, सीटी स्कैन के लिए जाने से पहले तक सोशल मीडिया के जरिए बड़ी आबादी को ढांढस बंधाते रहे, ऐसे शख्स को ‘मरीजों का मसीहा’ न कहा जाए तो भला किस नाम से पुकारा जाए। अंतिम सांस तक अपने बारे में नहीं सोचा बल्कि हजारों की तादाद में उन्हें देखने सुनने वाले सामाजिक परिवार की उम्मीद का दीपक थामे रखा।
पद्म श्री डॉ केके अग्रवाल खुद में एक इंस्टीट्यूट थे। दिल को समझने बूझने वाले और आम मरीज का दुख दर्द समझने वाले। एलोपैथ की डिग्री लेकिन आयुर्वेद से भी जबरदस्त अपनापा था। इसलिए ‘एलोवेडा’ की बात करते थे। 5 सितंबर 1958 को जन्मे डॉ साहब ने जीवन की आखिरी सांस तक मानव समाज के लिए लड़ाई लड़ी।
अब भी सोशल मीडिया पर उनके वीडियोज उपलब्ध हैं। भला कौन भूल सकता है कोविड19 की वो दूसरी लहर और मौतों की खबर से गमगीन माहौल। डॉ अग्रवाल डटे हुए थे। वैक्सीन को लेकर तरह तरह की भ्रांतियों को नजरअंदाज करने की सीख दे रहे थए। आखिरी वीडियो क्लिप में से एक में कहा था- “मैंने तीन मास्क और एक फेस शील्ड पहना है। मैं अब अपना सीटी स्कैन कराने जा रहा हूं। आप सभी जानते हैं कि मैंने दो खुराक वैक्सीन प्राप्त की हैं और मुझे क्लासिकल ब्रेकथ्रू कोविड हो गया है।” 17 मई 2021 में जिंदगी के प्रति लगाव पैदा करने वाला ये मसीहा लाखों-करोड़ों भारतीयों की आंखों में आंसू देकर दुनिया से विदा हो गया।
उन्होंने फेसबुक लाइव वीडियो की शुरुआत में कहा और फिर अगले 20 मिनट तक मरीजों के कोविड से संबंधित प्रश्नों का उत्तर दिया और स्कैन के लिए चले गए। प्रक्रिया के बाद, डॉ अग्रवाल घर वापस आए और तीन मिनट के लिए एक और फेसबुक लाइव सत्र किया जिसमें उन्होंने सीटी स्कैन में क्या देखा गया था, इसके बारे में बात की। “मेरा सीटी स्कैन सामान्य है। वैक्सीन से न डरें। यह अंततः आपको गंभीर कोविड से बचाएगा।”
डॉ केके अग्रवाल एक कार्डियोलॉजिस्ट, हार्ट केयर फाउंडेशन ऑफ इंडिया (एचसीएफआई) के अध्यक्ष और भारतीय मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के पूर्व अध्यक्ष थे। उन्हें 2005 में डॉ बीसी रॉय पुरस्कार और 2010 में पद्म श्री से सम्मानित किया गया था।
अब बात उस दंत चिकित्सक की जिसका पति आतंकवाद की भेंट चढ़ गया। स्थापित चिकित्सक थीं खुद को समेटा और दो किशोर वय बच्चों संग यात्रा जारी रखी। इनका नाम था अमृत तिवारी। सियासत से तगड़ा नाता रहा। पति राज्यसभा के नामित सांसद थे और पिता भी। आगे चलकर इनके बेटे मनीष तिवारी ने भी राजनीति की। कांग्रेस के बड़े नेताओं में से एक माने जाते हैं और सांसद भी हैं। 5 सितंबर को इनकी भी जयंती है।
प्रोफेसर अमृता तिवारी एक प्रतिष्ठित मेडिकल साइंटिस्ट थीं, जिन्होंने मेडिकल क्षेत्र में उत्कृष्ट सेवाएं प्रदान कीं। उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया गया था। अपने करियर में कई बड़ी उपलब्धियां हासिल कीं। वे इंडियन डेंटल एसोसिएशन की अध्यक्ष, पीजीआई की मेडिकल साइंस फैकल्टी की डीन, और नेशनल ओरल हेल्थ पॉलिसी ड्राफ्ट की सदस्य थीं। उन्होंने मेडिकल रिसर्च में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया और उनके 133 रिसर्च पेपर प्रकाशित हुए। उन्होंने सात किताबें लिखीं और इंटरनेशनल कांफ्रेंसेज में 42 रिसर्च पेपर प्रस्तुत किए। उपलब्धियों के लिए इन्हें पद्मश्री से भी सम्मानित किया गया। 13 जनवरी 2018 को इनका लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया।
–आईएएनएस
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