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Home ताज़ा समाचार

चीनी जालसाज फर्जी लोन ऐप से भारतीयों से कर रहे धोखाधड़ी

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February 19, 2023
in ताज़ा समाचार
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चीनी जालसाज फर्जी लोन ऐप से भारतीयों से कर रहे धोखाधड़ी
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नई दिल्ली, 19 फरवरी (आईएएनएस)। पिछले साल फरवरी में एक महिला ने दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल की आईएफएसओ यूनिट में एक शिकायत दर्ज कराई थी जिसमें आरोप लगाया गया था कि कुछ अज्ञात व्यक्तियों द्वारा उसके साथ दुर्व्यवहार किया गया और धमकी दी गई है, और सोशल मीडिया के माध्यम से उसके परिवार, दोस्तों और रिश्तेदारों को उसकी मॉफ्र्ड और अश्लील तस्वीरें भेजी गईं।

शिकायतकर्ता ने एक लोन ऐप कैश एडवांस से कर्ज लिया था और उसने उसे समय पर चुका दिया। लेकिन कर्ज चुकाने के बाद उन्हें कैश एडवांस कर्मचारियों के व्हाट्सऐप पर धमकी भरे कॉल और मैसेज आने लगे। यह कोई अकेला मामला नहीं था, बल्कि कई भारतीय हाल के दिनों में ऐसे हाई-एंड साइबर क्राइम का शिकार हुए हैं, जिसमें लोगों से प्रतिदिन सैकड़ों करोड़ रुपये की ठगी की जा रही है।

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ऐसा ही एक मामला दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा में आया जहां एक व्यक्ति ने आरोप लगाया कि कुछ अज्ञात व्यक्तियों द्वारा कुछ अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय व्हाट्सऐप मोबाइल नंबरों के माध्यम से लिए गए ऋण को चुकाने के लिए उसे और रिश्तेदारों को गाली और धमकी दी जा रही है।

एक अन्य मामले में, जब पुलिस महज 6,500 रुपये की साइबर धोखाधड़ी की जांच कर रही थी, तो वे यह जानकर चौंक गए कि जिस बैंक खाते में ठगी की रकम जमा की गई, उसमें रोजाना 19.43 करोड़ रुपये का लेन-देन होता था।

बात यह है कि हाई-टेक चीनी साइबर अपराधियों ने लोगों को ठगने के लिए एक नई रणनीति तैयार की है और फर्जी ऋण आवेदनों के जरिए भारतीयों को ठग रहे हैं।

दिल्ली पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, पिछले छह महीनों में धोखाधड़ी के कई मामले चीनी साइबर गिरोहों से जुड़े हुए हैं, जो सामने आए हैं। भोले-भाले भारतीय प्ले स्टोर पर उपलब्ध इन चीनी संचालित नकली ऋण ऐप के माध्यम से मिलने वाले छोटे-छोटे ऋणों के शिकार हो रहे हैं।

एक पुलिस अधिकारी ने कहा कि ये ऐप कुछ दिनों की अवधि के लिए इन एप्लिकेशन को डाउनलोड करने वाले किसी भी व्यक्ति को तुरंत पैसा उधार देते हैं। एप्लिकेशन डाउनलोड करते समय, ऐप ऋण (लोन) लेने वाले के फोन की संपर्क सूची, फोटो गैलरी और अन्य व्यक्तिगत डेटा तक पहुंच मांगता है।

लोन लेने के बाद कुल राशि का एक हिस्सा प्रोसेसिंग फीस के रूप में काट लिया जाता है और यदि शेष राशि का भुगतान निर्धारित समय के भीतर नहीं किया जाता है, तो ब्याज और जुर्माना मिलकर पुनर्भुगतान को ऋण राशि का 200 प्रतिशत तक ले जाते हैं।

पैसा नहीं देने पर नेपाल जैसे पड़ोसी देशों से बाहर चल रहे कॉल सेंटर पीड़ितों को उनकी निजी जानकारी लीक करने की धमकी देते हैं और उनके संपर्क में आए लोगों पर अभद्र टिप्पणियां करते हैं।

लेकिन अभी भी एक चीज है। पैसा सीधे अंतरराष्ट्रीय या चीनी बैंक खातों में स्थानांतरित नहीं किया जा सकता, इसलिए धोखेबाजों को भुगतान प्राप्त करने के लिए भारतीय बैंक खातों की जरूरत होती है। यहीं पर चीनी घोटालेबाज देश के कमजोर, गरीब और लालची लोगों को ढूंढ रहे हैं ताकि उन्हें भारतीय बैंक खाते का विवरण प्राप्त करने में मदद मिल सके।

अधिकारी ने कहा, वे अपने लिए इस प्रकार के बैंक खातों की व्यवस्था करने के लिए ऐसे लोगों की तलाश करते हैं। हाल ही में ऐसे ही एक मामले में दिल्ली पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए गए एक आरोपी व्यक्ति ने खुलासा किया कि चीनी साइबर जालसाजों से संपर्क साधने के लिए वह चीनी भाषा में प्राप्त संदेशों को गूगल ट्रांसलेटर की मदद से हिंदी में अनुवाद करता था और साथ ही गूगल ट्रांसलेटर की मदद से अपना वर्जन पास कराते थे।

–आईएएनएस

एफजेड/एसकेपी

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नई दिल्ली, 19 फरवरी (आईएएनएस)। पिछले साल फरवरी में एक महिला ने दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल की आईएफएसओ यूनिट में एक शिकायत दर्ज कराई थी जिसमें आरोप लगाया गया था कि कुछ अज्ञात व्यक्तियों द्वारा उसके साथ दुर्व्यवहार किया गया और धमकी दी गई है, और सोशल मीडिया के माध्यम से उसके परिवार, दोस्तों और रिश्तेदारों को उसकी मॉफ्र्ड और अश्लील तस्वीरें भेजी गईं।

शिकायतकर्ता ने एक लोन ऐप कैश एडवांस से कर्ज लिया था और उसने उसे समय पर चुका दिया। लेकिन कर्ज चुकाने के बाद उन्हें कैश एडवांस कर्मचारियों के व्हाट्सऐप पर धमकी भरे कॉल और मैसेज आने लगे। यह कोई अकेला मामला नहीं था, बल्कि कई भारतीय हाल के दिनों में ऐसे हाई-एंड साइबर क्राइम का शिकार हुए हैं, जिसमें लोगों से प्रतिदिन सैकड़ों करोड़ रुपये की ठगी की जा रही है।

ऐसा ही एक मामला दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा में आया जहां एक व्यक्ति ने आरोप लगाया कि कुछ अज्ञात व्यक्तियों द्वारा कुछ अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय व्हाट्सऐप मोबाइल नंबरों के माध्यम से लिए गए ऋण को चुकाने के लिए उसे और रिश्तेदारों को गाली और धमकी दी जा रही है।

एक अन्य मामले में, जब पुलिस महज 6,500 रुपये की साइबर धोखाधड़ी की जांच कर रही थी, तो वे यह जानकर चौंक गए कि जिस बैंक खाते में ठगी की रकम जमा की गई, उसमें रोजाना 19.43 करोड़ रुपये का लेन-देन होता था।

बात यह है कि हाई-टेक चीनी साइबर अपराधियों ने लोगों को ठगने के लिए एक नई रणनीति तैयार की है और फर्जी ऋण आवेदनों के जरिए भारतीयों को ठग रहे हैं।

दिल्ली पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, पिछले छह महीनों में धोखाधड़ी के कई मामले चीनी साइबर गिरोहों से जुड़े हुए हैं, जो सामने आए हैं। भोले-भाले भारतीय प्ले स्टोर पर उपलब्ध इन चीनी संचालित नकली ऋण ऐप के माध्यम से मिलने वाले छोटे-छोटे ऋणों के शिकार हो रहे हैं।

एक पुलिस अधिकारी ने कहा कि ये ऐप कुछ दिनों की अवधि के लिए इन एप्लिकेशन को डाउनलोड करने वाले किसी भी व्यक्ति को तुरंत पैसा उधार देते हैं। एप्लिकेशन डाउनलोड करते समय, ऐप ऋण (लोन) लेने वाले के फोन की संपर्क सूची, फोटो गैलरी और अन्य व्यक्तिगत डेटा तक पहुंच मांगता है।

लोन लेने के बाद कुल राशि का एक हिस्सा प्रोसेसिंग फीस के रूप में काट लिया जाता है और यदि शेष राशि का भुगतान निर्धारित समय के भीतर नहीं किया जाता है, तो ब्याज और जुर्माना मिलकर पुनर्भुगतान को ऋण राशि का 200 प्रतिशत तक ले जाते हैं।

पैसा नहीं देने पर नेपाल जैसे पड़ोसी देशों से बाहर चल रहे कॉल सेंटर पीड़ितों को उनकी निजी जानकारी लीक करने की धमकी देते हैं और उनके संपर्क में आए लोगों पर अभद्र टिप्पणियां करते हैं।

लेकिन अभी भी एक चीज है। पैसा सीधे अंतरराष्ट्रीय या चीनी बैंक खातों में स्थानांतरित नहीं किया जा सकता, इसलिए धोखेबाजों को भुगतान प्राप्त करने के लिए भारतीय बैंक खातों की जरूरत होती है। यहीं पर चीनी घोटालेबाज देश के कमजोर, गरीब और लालची लोगों को ढूंढ रहे हैं ताकि उन्हें भारतीय बैंक खाते का विवरण प्राप्त करने में मदद मिल सके।

अधिकारी ने कहा, वे अपने लिए इस प्रकार के बैंक खातों की व्यवस्था करने के लिए ऐसे लोगों की तलाश करते हैं। हाल ही में ऐसे ही एक मामले में दिल्ली पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए गए एक आरोपी व्यक्ति ने खुलासा किया कि चीनी साइबर जालसाजों से संपर्क साधने के लिए वह चीनी भाषा में प्राप्त संदेशों को गूगल ट्रांसलेटर की मदद से हिंदी में अनुवाद करता था और साथ ही गूगल ट्रांसलेटर की मदद से अपना वर्जन पास कराते थे।

–आईएएनएस

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नई दिल्ली, 19 फरवरी (आईएएनएस)। पिछले साल फरवरी में एक महिला ने दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल की आईएफएसओ यूनिट में एक शिकायत दर्ज कराई थी जिसमें आरोप लगाया गया था कि कुछ अज्ञात व्यक्तियों द्वारा उसके साथ दुर्व्यवहार किया गया और धमकी दी गई है, और सोशल मीडिया के माध्यम से उसके परिवार, दोस्तों और रिश्तेदारों को उसकी मॉफ्र्ड और अश्लील तस्वीरें भेजी गईं।

शिकायतकर्ता ने एक लोन ऐप कैश एडवांस से कर्ज लिया था और उसने उसे समय पर चुका दिया। लेकिन कर्ज चुकाने के बाद उन्हें कैश एडवांस कर्मचारियों के व्हाट्सऐप पर धमकी भरे कॉल और मैसेज आने लगे। यह कोई अकेला मामला नहीं था, बल्कि कई भारतीय हाल के दिनों में ऐसे हाई-एंड साइबर क्राइम का शिकार हुए हैं, जिसमें लोगों से प्रतिदिन सैकड़ों करोड़ रुपये की ठगी की जा रही है।

ऐसा ही एक मामला दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा में आया जहां एक व्यक्ति ने आरोप लगाया कि कुछ अज्ञात व्यक्तियों द्वारा कुछ अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय व्हाट्सऐप मोबाइल नंबरों के माध्यम से लिए गए ऋण को चुकाने के लिए उसे और रिश्तेदारों को गाली और धमकी दी जा रही है।

एक अन्य मामले में, जब पुलिस महज 6,500 रुपये की साइबर धोखाधड़ी की जांच कर रही थी, तो वे यह जानकर चौंक गए कि जिस बैंक खाते में ठगी की रकम जमा की गई, उसमें रोजाना 19.43 करोड़ रुपये का लेन-देन होता था।

बात यह है कि हाई-टेक चीनी साइबर अपराधियों ने लोगों को ठगने के लिए एक नई रणनीति तैयार की है और फर्जी ऋण आवेदनों के जरिए भारतीयों को ठग रहे हैं।

दिल्ली पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, पिछले छह महीनों में धोखाधड़ी के कई मामले चीनी साइबर गिरोहों से जुड़े हुए हैं, जो सामने आए हैं। भोले-भाले भारतीय प्ले स्टोर पर उपलब्ध इन चीनी संचालित नकली ऋण ऐप के माध्यम से मिलने वाले छोटे-छोटे ऋणों के शिकार हो रहे हैं।

एक पुलिस अधिकारी ने कहा कि ये ऐप कुछ दिनों की अवधि के लिए इन एप्लिकेशन को डाउनलोड करने वाले किसी भी व्यक्ति को तुरंत पैसा उधार देते हैं। एप्लिकेशन डाउनलोड करते समय, ऐप ऋण (लोन) लेने वाले के फोन की संपर्क सूची, फोटो गैलरी और अन्य व्यक्तिगत डेटा तक पहुंच मांगता है।

लोन लेने के बाद कुल राशि का एक हिस्सा प्रोसेसिंग फीस के रूप में काट लिया जाता है और यदि शेष राशि का भुगतान निर्धारित समय के भीतर नहीं किया जाता है, तो ब्याज और जुर्माना मिलकर पुनर्भुगतान को ऋण राशि का 200 प्रतिशत तक ले जाते हैं।

पैसा नहीं देने पर नेपाल जैसे पड़ोसी देशों से बाहर चल रहे कॉल सेंटर पीड़ितों को उनकी निजी जानकारी लीक करने की धमकी देते हैं और उनके संपर्क में आए लोगों पर अभद्र टिप्पणियां करते हैं।

लेकिन अभी भी एक चीज है। पैसा सीधे अंतरराष्ट्रीय या चीनी बैंक खातों में स्थानांतरित नहीं किया जा सकता, इसलिए धोखेबाजों को भुगतान प्राप्त करने के लिए भारतीय बैंक खातों की जरूरत होती है। यहीं पर चीनी घोटालेबाज देश के कमजोर, गरीब और लालची लोगों को ढूंढ रहे हैं ताकि उन्हें भारतीय बैंक खाते का विवरण प्राप्त करने में मदद मिल सके।

अधिकारी ने कहा, वे अपने लिए इस प्रकार के बैंक खातों की व्यवस्था करने के लिए ऐसे लोगों की तलाश करते हैं। हाल ही में ऐसे ही एक मामले में दिल्ली पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए गए एक आरोपी व्यक्ति ने खुलासा किया कि चीनी साइबर जालसाजों से संपर्क साधने के लिए वह चीनी भाषा में प्राप्त संदेशों को गूगल ट्रांसलेटर की मदद से हिंदी में अनुवाद करता था और साथ ही गूगल ट्रांसलेटर की मदद से अपना वर्जन पास कराते थे।

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एक अन्य मामले में, जब पुलिस महज 6,500 रुपये की साइबर धोखाधड़ी की जांच कर रही थी, तो वे यह जानकर चौंक गए कि जिस बैंक खाते में ठगी की रकम जमा की गई, उसमें रोजाना 19.43 करोड़ रुपये का लेन-देन होता था।

बात यह है कि हाई-टेक चीनी साइबर अपराधियों ने लोगों को ठगने के लिए एक नई रणनीति तैयार की है और फर्जी ऋण आवेदनों के जरिए भारतीयों को ठग रहे हैं।

दिल्ली पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, पिछले छह महीनों में धोखाधड़ी के कई मामले चीनी साइबर गिरोहों से जुड़े हुए हैं, जो सामने आए हैं। भोले-भाले भारतीय प्ले स्टोर पर उपलब्ध इन चीनी संचालित नकली ऋण ऐप के माध्यम से मिलने वाले छोटे-छोटे ऋणों के शिकार हो रहे हैं।

एक पुलिस अधिकारी ने कहा कि ये ऐप कुछ दिनों की अवधि के लिए इन एप्लिकेशन को डाउनलोड करने वाले किसी भी व्यक्ति को तुरंत पैसा उधार देते हैं। एप्लिकेशन डाउनलोड करते समय, ऐप ऋण (लोन) लेने वाले के फोन की संपर्क सूची, फोटो गैलरी और अन्य व्यक्तिगत डेटा तक पहुंच मांगता है।

लोन लेने के बाद कुल राशि का एक हिस्सा प्रोसेसिंग फीस के रूप में काट लिया जाता है और यदि शेष राशि का भुगतान निर्धारित समय के भीतर नहीं किया जाता है, तो ब्याज और जुर्माना मिलकर पुनर्भुगतान को ऋण राशि का 200 प्रतिशत तक ले जाते हैं।

पैसा नहीं देने पर नेपाल जैसे पड़ोसी देशों से बाहर चल रहे कॉल सेंटर पीड़ितों को उनकी निजी जानकारी लीक करने की धमकी देते हैं और उनके संपर्क में आए लोगों पर अभद्र टिप्पणियां करते हैं।

लेकिन अभी भी एक चीज है। पैसा सीधे अंतरराष्ट्रीय या चीनी बैंक खातों में स्थानांतरित नहीं किया जा सकता, इसलिए धोखेबाजों को भुगतान प्राप्त करने के लिए भारतीय बैंक खातों की जरूरत होती है। यहीं पर चीनी घोटालेबाज देश के कमजोर, गरीब और लालची लोगों को ढूंढ रहे हैं ताकि उन्हें भारतीय बैंक खाते का विवरण प्राप्त करने में मदद मिल सके।

अधिकारी ने कहा, वे अपने लिए इस प्रकार के बैंक खातों की व्यवस्था करने के लिए ऐसे लोगों की तलाश करते हैं। हाल ही में ऐसे ही एक मामले में दिल्ली पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए गए एक आरोपी व्यक्ति ने खुलासा किया कि चीनी साइबर जालसाजों से संपर्क साधने के लिए वह चीनी भाषा में प्राप्त संदेशों को गूगल ट्रांसलेटर की मदद से हिंदी में अनुवाद करता था और साथ ही गूगल ट्रांसलेटर की मदद से अपना वर्जन पास कराते थे।

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