बीजिंग, 17 नवंबर (आईएएनएस)। चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने 15 नवंबर की सुबह अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन से मुलाकात की। पिछले साल 14 नवंबर को इंडोनेशिया के बाली द्वीप में चीन और अमेरिका के राष्ट्रपतियों की मुलाकात के बाद यह एक और महत्वपूर्ण बैठक थी।
चीन और अमेरिका के राष्ट्रपतियों के बीच इस बैठक का महत्व न केवल “बाली लौटना” और असामान्य स्थिति को हल करना है। यह एक रणनीतिक, ऐतिहासिक और अग्रणी कदम भी है कि चीन-अमेरिका संबंधों को वापस पटरी पर लाएं।
चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने “पांच समानताएं” प्रस्तावित की, जिसने चीन और अमेरिका के स्थिर विकास के लिए पांच स्तंभ रखे और द्विपक्षीय संबंधों के भविष्य के लिए “सैन फ्रांसिस्को विजन” खोला। सही समझ स्थापित करना चीन-अमेरिका संबंधों का शुरुआती बिंदु है। केवल रिश्तों की स्थिति को स्पष्ट करने और एक-दूसरे की प्रेरणाओं और इरादों को सही ढंग से समझने से ही बातचीत और सहयोग प्रभावी ढंग से किया जा सकता है।
राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने कहा कि चीन हमेशा स्थिर, स्वस्थ और टिकाऊ चीन-अमेरिका संबंध बनाने के लिए प्रतिबद्ध रहा है। साथ ही चीन के ऐसे हित हैं, जिनकी रक्षा की जानी चाहिए, ऐसे सिद्धांत हैं जिनकी रक्षा की जानी चाहिए, और ऐसी मूल बातें हैं जिनका पालन किया जाना चाहिए। चीन को उम्मीद है कि चीन और अमेरिका भागीदार बन सकते हैं, एक-दूसरे का सम्मान कर सकते हैं और शांतिपूर्वक सह-अस्तित्व में रह सकते हैं।
चीन और अमेरिका के राष्ट्राध्यक्षों की यह बैठक समग्र स्थिति के आधार पर चीन-अमेरिका संबंधों और विश्व स्थिति को स्थिर बनाने के लिए चीन द्वारा की गई एक प्रमुख रणनीतिक विकल्प है। जाने-माने अमेरिकी अर्थशास्त्री जेफरी सैक्स ने कहा, “मैं अमेरिका-चीन संबंधों को संभालने में आपसी सम्मान, शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व और साझी जीत वाले सहयोग के तीन सिद्धांतों से दृढ़ता से सहमत हूं। मुझे उम्मीद है कि अमेरिका और चीन उभय प्रयास कर भू-राजनीतिक तनाव को दूर कर सकें, विश्व शांति की रक्षा कर सकें, गरीबी उन्मूलन और सतत विकास के लिए योगदान प्रदान कर सकें।”
सच्चाई यह है कि चीन और अमेरिका के बीच अभी भी कुछ रणनीतिक मुद्दों पर मतभेद हैं। हालांकि, जैसा कि राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने बैठक के दौरान जोर दिया, चीन और अमेरिका को मतभेदों को प्रभावी ढंग से प्रबंधित करने के लिए मिलकर काम करना चाहिए और मतभेदों को दोनों देशों के बीच खाई नहीं बनने देना चाहिए। वास्तव में, इस बैठक से पहले और बाद में, चीन और अमेरिका जलवायु परिवर्तन, कृत्रिम बुद्धिमत्ता, नशीली दवाओं के विरोधी सहयोग और मानवीय सांस्कृतिक आदान-प्रदान जैसे मुद्दों पर कई महत्वपूर्ण आम सहमतियों पर पहुंचे हैं। यह चीन और अमेरिका के लिए एक साथ आने का सही रास्ता तलाशने के लिए एक उपयोगी अभ्यास है।
जैसा कि पूर्व अमेरिकी विदेश मंत्री हेनरी किसिंजर ने कहा था, चीन और अमेरिका दोनों आज दुनिया की प्रमुख शक्तियां हैं, और दोनों पक्षों के बीच संघर्ष से अकल्पनीय परिणाम होंगे। दोनों पक्षों को मतभेदों को उचित रूप से प्रबंधित करना चाहिए।
दरअसल, चीन-अमेरिका सहयोग न केवल दोनों देशों के साझा हितों को पूरा करता है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय के प्रति जिम्मेदारी को भी दर्शाता है। दुनिया के सबसे बड़े विकसित और विकासशील देशों के रूप में, चीन और अमेरिका वैश्विक आर्थिक विकास को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। साथ ही, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्यों और वर्तमान वैश्विक शासन तंत्र में महत्वपूर्ण प्रतिभागियों के रूप में, दोनों वैश्विक चुनौतियों का सामना करने में भी अपूरणीय भूमिका निभाते हैं।
सैन फ्रांसिस्को में हुई बैठक में चीनी और अमेरिकी राष्ट्रपतियों द्वारा पहुंची सहमति और नतीजे पूरी तरह से प्रदर्शित करते हैं कि दोनों देशों के व्यापक साझा हित हैं और पारस्परिक लाभ और साझी जीत वाले परिणामों की संभावना है। हालांकि, स्थिर चीन-अमेरिका संबंध कोई इच्छाधारी सोच नहीं है और इसके लिए दोनों पक्षों को एक-दूसरे के प्रति काम करने की आवश्यकता है। संवाद और संचार विश्वास, सम्मान और सहयोग की ओर बढ़ने का आधार है।
(साभार- चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)
–आईएएनएस