अगरतला, 11 अप्रैल (आईएएनएस)। चीन द्वारा अरुणाचल प्रदेश में स्थानों का नाम बदलने का प्रयास किए जाने और सोमवार-मंगलवार को गृहमंत्री अमित शाह की यात्रा पर नाराजगी जताने के बीच पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्री जी. किशन रेड्डी ने मंगलवार को कहा कि अरुणाचल प्रदेश भारत का अभिन्न अंग था, है और रहेगा।
पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास (डीओएनईआर) मंत्री ने कहा कि कोई भी देश दूसरे को एक इंच जमीन नहीं देता और भारत भी किसी भी सूरत में ऐसा नहीं करेगा।
उन्होंने कहा, अरुणाचल प्रदेश हो या देश का कोई अन्य हिस्सा, हमारी सेना अपने क्षेत्र के एक-एक इंच की रक्षा के लिए तैयार है। चीन को यह एहसास होना चाहिए कि इस तरह के दावे से दोनों देशों के बीच खाई बढ़ेगी और इससे न तो चीन को फायदा होगा और न ही भारत को।
रेड्डी ने यहां एक कार्यक्रम के इतर मीडिया से कहा, इसलिए चीन को शांति को समझना और बनाए रखना चाहिए, चाहे वह अरुणाचल प्रदेश या अन्य सीमाओं में हो। उसे यथास्थिति बनाए रखनी चाहिए और दोनों देशों को भाईचारे के माध्यम से विकास की ओर बढ़ना चाहिए। लेकिन चीन भारत के साथ ऐसा नहीं कर रहा है। प्रधानमंत्री (नरेंद्र मोदी) ने इस मुद्दे को बार-बार चीन के सामने उठाया था।
मंत्री ने कहा कि किसी भी देश को अपने क्षेत्र में भारत की विकास प्रक्रिया में दखल देने का कोई अधिकार नहीं है।
उन्होंने कहा कि कुछ देश जो यहां के बाजार पर कब्जा करना चाहते हैं, वे भारत के विकास से नाखुश हैं, लेकिन देश अपने बुनियादी ढांचे का विकास करना और एक विनिर्माण केंद्र में बदलना जारी रखेगा।
उन्होंने कहा, सरकार भारत के सभी क्षेत्रों और क्षेत्रों को सभी दिशाओं से विकसित करना चाहती है, लेकिन कुछ देश नाराज हैं क्योंकि हमारा देश अपने बुनियादी ढांचे का विकास, निर्माण और सुधार कर रहा है।
रेड्डी ने कहा, हम उन्हें अपने उत्पादों को बेचने के लिए भारत को एक बाजार में बदलने की अनुमति नहीं देंगे। भारत विनिर्माण केंद्र होगा और वैश्विक बाजारों में अपने उत्पादों की बिक्री और निर्यात करेगा।
मंत्री ने 2014 में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार के सत्ता में आने के बाद से पूर्वोत्तर क्षेत्र में हो रही विभिन्न विकास योजनाओं और गतिविधियों, विशेष रूप से कनेक्टिविटी, पर्यटन, बुनियादी ढांचे के विकास, व्यापार और उद्योग के अलावा उग्रवाद को कम करके शांति बहाली के क्षेत्र में होने वाली गतिविधियों पर भी प्रकाश डाला।
रेड्डी ने कहा, पिछले नौ वर्षो के दौरान आठ पूर्वोत्तर राज्यों के विकास के लिए 5 लाख करोड़ रुपये पहले ही खर्च किए जा चुके हैं और अधिक पाइपलाइन में हैं। देश भर के सभी प्रमुख महानगरीय शहरों में रोड शो आयोजित करने के अलावा दिल्ली में पूर्वोत्तर निवेश शिखर सम्मेलन जल्द ही आयोजित किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि हालांकि उपयुक्त भूमि की उपलब्धता इस क्षेत्र में सबसे बड़ी चुनौती है।
–आईएएनएस
एसजीके/एएनएम