deshbandhu

deshbandu_logo
  • राष्ट्रीय
  • अंतरराष्ट्रीय
  • लाइफ स्टाइल
  • अर्थजगत
  • मनोरंजन
  • खेल
  • अभिमत
  • धर्म
  • विचार
  • ई पेपर
deshbandu_logo
  • राष्ट्रीय
  • अंतरराष्ट्रीय
  • लाइफ स्टाइल
  • अर्थजगत
  • मनोरंजन
  • खेल
  • अभिमत
  • धर्म
  • विचार
  • ई पेपर
Menu
  • राष्ट्रीय
  • अंतरराष्ट्रीय
  • लाइफ स्टाइल
  • अर्थजगत
  • मनोरंजन
  • खेल
  • अभिमत
  • धर्म
  • विचार
  • ई पेपर
Facebook Twitter Youtube
  • भोपाल
  • इंदौर
  • उज्जैन
  • ग्वालियर
  • जबलपुर
  • रीवा
  • चंबल
  • नर्मदापुरम
  • शहडोल
  • सागर
  • देशबन्धु जनमत
  • पाठक प्रतिक्रियाएं
  • हमें जानें
  • विज्ञापन दरें
ADVERTISEMENT
Home राष्ट्रीय

चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट को बताया, ईवीएम की तीनों इकाइयों का होता है अपना-अपना माइक्रोकंट्रोलर

by
April 24, 2024
in राष्ट्रीय
0
चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट को बताया, ईवीएम की तीनों इकाइयों का होता है अपना-अपना माइक्रोकंट्रोलर
0
SHARES
1
VIEWS
Share on FacebookShare on Whatsapp
ADVERTISEMENT

नई दिल्ली, 24 अप्रैल (आईएएनएस)। भारतीय निर्वाचन आयोग ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) की तीनों इकाइयों (बैलेट यूनिट, कंट्रोल यूनिट और वीवीपैट) का अपना-अपना माइक्रोकंट्रोलर होता है।

न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष चुनाव आयोग के एक अधिकारी ने कहा, “ये माइक्रोकंट्रोलर सुरक्षित अनधिकृत एक्सेस मॉड्यूल में रखे गए हैं, इसलिए इन्हें भौतिक रूप से भी एक्सेस नहीं किया जा सकता है।” पीठ में न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता भी शामिल थे।

READ ALSO

युद्ध भड़काने के लिए पाकिस्तानी सेना अग्रिम मोर्चों की तरफ बढ रही, भारतीय सेनाएं भी मुस्तैद

ना ही S 400, ना ही ब्रह्मोस मिसाइल हुई तबाह, हर उकसावे का दिया जा रहा जवाब- कर्नल सोफिया

अधिकारी ने अदालत को बताया कि मतदान प्रक्रिया में उपयोग किए जाने वाले माइक्रोकंट्रोलर “एक बार प्रोग्राम करने योग्य” हैं और विनिर्माण के समय डाले गये इस प्रोग्राम को बाद के चरण में नहीं बदला जा सकता है।

उन्होंने कहा कि दो निर्माता इलेक्ट्रॉनिक्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड और भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड सिंबल लोडिंग यूनिट (एसएलयू) तैयार करते हैं।

चुनाव निकाय अधिकारी ने बताया कि मतगणना समाप्त होने के बाद सभी ईवीएम को जन प्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत चुनाव याचिका दायर करने के लिए प्रदान की गई 45 दिन की सीमा अवधि समाप्त होने तक संग्रहीत किया जाता है।

इसके बाद, 46वें दिन, मुख्य निर्वाचन अधिकारी संबंधित उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल को यह पता लगाने के लिए लिखते हैं कि क्या कोई चुनाव याचिका दायर की गई है और नकारात्मक उत्तर प्राप्त होने के बाद ही जिला अधिकारियों को स्ट्रॉन्ग रूम खोलने का निर्देश दिया जाता है। यदि कोई चुनाव याचिका दायर की गई पाई जाती है, तो स्ट्रॉन्ग रूम सील कर दिए जाते हैं और “कोई भी इसे छूता नहीं है”।

अधिकारी ने शीर्ष अदालत के समक्ष कहा, “मतदान समाप्त होने के बाद तीनों इकाइयों को सील कर दिया जाता है।”

इससे पहले दिन में, सुप्रीम कोर्ट ने ईसीआई की ओर से पेश वरिष्ठ वकील मनिंदर सिंह से कहा कि वे ईवीएम से संबंधित कुछ तकनीकी प्रश्नों का उत्तर देने के लिए चुनाव आयोग के अधिकारियों को दोपहर दो बजे उपस्थित रहने के लिए कहें।

उसने यह जानने की कोशिश की कि क्या माइक्रोकंट्रोलर कंट्रोलिंग यूनिट में या वीवीपीएटी (वोटर-वेरिफ़िएबल पेपर ऑडिट ट्रेल) में स्थापित है और क्या इस्तेमाल किया गया माइक्रोकंट्रोलर “वन-टाइम प्रोग्रामेबल” है या नहीं।

पिछले सप्ताह, शीर्ष अदालत ने जनहित याचिकाओं (पीआईएल) पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था, जिसमें वोटर-वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपीएटी) पर्चियों के साथ ईवीएम में डाले गए वोटों के अनिवार्य क्रॉस-सत्यापन की मांग की गई थी।

–आईएएनएस

एकेजे/

ADVERTISEMENT

नई दिल्ली, 24 अप्रैल (आईएएनएस)। भारतीय निर्वाचन आयोग ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) की तीनों इकाइयों (बैलेट यूनिट, कंट्रोल यूनिट और वीवीपैट) का अपना-अपना माइक्रोकंट्रोलर होता है।

न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष चुनाव आयोग के एक अधिकारी ने कहा, “ये माइक्रोकंट्रोलर सुरक्षित अनधिकृत एक्सेस मॉड्यूल में रखे गए हैं, इसलिए इन्हें भौतिक रूप से भी एक्सेस नहीं किया जा सकता है।” पीठ में न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता भी शामिल थे।

अधिकारी ने अदालत को बताया कि मतदान प्रक्रिया में उपयोग किए जाने वाले माइक्रोकंट्रोलर “एक बार प्रोग्राम करने योग्य” हैं और विनिर्माण के समय डाले गये इस प्रोग्राम को बाद के चरण में नहीं बदला जा सकता है।

उन्होंने कहा कि दो निर्माता इलेक्ट्रॉनिक्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड और भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड सिंबल लोडिंग यूनिट (एसएलयू) तैयार करते हैं।

चुनाव निकाय अधिकारी ने बताया कि मतगणना समाप्त होने के बाद सभी ईवीएम को जन प्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत चुनाव याचिका दायर करने के लिए प्रदान की गई 45 दिन की सीमा अवधि समाप्त होने तक संग्रहीत किया जाता है।

इसके बाद, 46वें दिन, मुख्य निर्वाचन अधिकारी संबंधित उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल को यह पता लगाने के लिए लिखते हैं कि क्या कोई चुनाव याचिका दायर की गई है और नकारात्मक उत्तर प्राप्त होने के बाद ही जिला अधिकारियों को स्ट्रॉन्ग रूम खोलने का निर्देश दिया जाता है। यदि कोई चुनाव याचिका दायर की गई पाई जाती है, तो स्ट्रॉन्ग रूम सील कर दिए जाते हैं और “कोई भी इसे छूता नहीं है”।

अधिकारी ने शीर्ष अदालत के समक्ष कहा, “मतदान समाप्त होने के बाद तीनों इकाइयों को सील कर दिया जाता है।”

इससे पहले दिन में, सुप्रीम कोर्ट ने ईसीआई की ओर से पेश वरिष्ठ वकील मनिंदर सिंह से कहा कि वे ईवीएम से संबंधित कुछ तकनीकी प्रश्नों का उत्तर देने के लिए चुनाव आयोग के अधिकारियों को दोपहर दो बजे उपस्थित रहने के लिए कहें।

उसने यह जानने की कोशिश की कि क्या माइक्रोकंट्रोलर कंट्रोलिंग यूनिट में या वीवीपीएटी (वोटर-वेरिफ़िएबल पेपर ऑडिट ट्रेल) में स्थापित है और क्या इस्तेमाल किया गया माइक्रोकंट्रोलर “वन-टाइम प्रोग्रामेबल” है या नहीं।

पिछले सप्ताह, शीर्ष अदालत ने जनहित याचिकाओं (पीआईएल) पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था, जिसमें वोटर-वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपीएटी) पर्चियों के साथ ईवीएम में डाले गए वोटों के अनिवार्य क्रॉस-सत्यापन की मांग की गई थी।

–आईएएनएस

एकेजे/

ADVERTISEMENT

नई दिल्ली, 24 अप्रैल (आईएएनएस)। भारतीय निर्वाचन आयोग ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) की तीनों इकाइयों (बैलेट यूनिट, कंट्रोल यूनिट और वीवीपैट) का अपना-अपना माइक्रोकंट्रोलर होता है।

न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष चुनाव आयोग के एक अधिकारी ने कहा, “ये माइक्रोकंट्रोलर सुरक्षित अनधिकृत एक्सेस मॉड्यूल में रखे गए हैं, इसलिए इन्हें भौतिक रूप से भी एक्सेस नहीं किया जा सकता है।” पीठ में न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता भी शामिल थे।

अधिकारी ने अदालत को बताया कि मतदान प्रक्रिया में उपयोग किए जाने वाले माइक्रोकंट्रोलर “एक बार प्रोग्राम करने योग्य” हैं और विनिर्माण के समय डाले गये इस प्रोग्राम को बाद के चरण में नहीं बदला जा सकता है।

उन्होंने कहा कि दो निर्माता इलेक्ट्रॉनिक्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड और भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड सिंबल लोडिंग यूनिट (एसएलयू) तैयार करते हैं।

चुनाव निकाय अधिकारी ने बताया कि मतगणना समाप्त होने के बाद सभी ईवीएम को जन प्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत चुनाव याचिका दायर करने के लिए प्रदान की गई 45 दिन की सीमा अवधि समाप्त होने तक संग्रहीत किया जाता है।

इसके बाद, 46वें दिन, मुख्य निर्वाचन अधिकारी संबंधित उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल को यह पता लगाने के लिए लिखते हैं कि क्या कोई चुनाव याचिका दायर की गई है और नकारात्मक उत्तर प्राप्त होने के बाद ही जिला अधिकारियों को स्ट्रॉन्ग रूम खोलने का निर्देश दिया जाता है। यदि कोई चुनाव याचिका दायर की गई पाई जाती है, तो स्ट्रॉन्ग रूम सील कर दिए जाते हैं और “कोई भी इसे छूता नहीं है”।

अधिकारी ने शीर्ष अदालत के समक्ष कहा, “मतदान समाप्त होने के बाद तीनों इकाइयों को सील कर दिया जाता है।”

इससे पहले दिन में, सुप्रीम कोर्ट ने ईसीआई की ओर से पेश वरिष्ठ वकील मनिंदर सिंह से कहा कि वे ईवीएम से संबंधित कुछ तकनीकी प्रश्नों का उत्तर देने के लिए चुनाव आयोग के अधिकारियों को दोपहर दो बजे उपस्थित रहने के लिए कहें।

उसने यह जानने की कोशिश की कि क्या माइक्रोकंट्रोलर कंट्रोलिंग यूनिट में या वीवीपीएटी (वोटर-वेरिफ़िएबल पेपर ऑडिट ट्रेल) में स्थापित है और क्या इस्तेमाल किया गया माइक्रोकंट्रोलर “वन-टाइम प्रोग्रामेबल” है या नहीं।

पिछले सप्ताह, शीर्ष अदालत ने जनहित याचिकाओं (पीआईएल) पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था, जिसमें वोटर-वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपीएटी) पर्चियों के साथ ईवीएम में डाले गए वोटों के अनिवार्य क्रॉस-सत्यापन की मांग की गई थी।

–आईएएनएस

एकेजे/

ADVERTISEMENT

नई दिल्ली, 24 अप्रैल (आईएएनएस)। भारतीय निर्वाचन आयोग ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) की तीनों इकाइयों (बैलेट यूनिट, कंट्रोल यूनिट और वीवीपैट) का अपना-अपना माइक्रोकंट्रोलर होता है।

न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष चुनाव आयोग के एक अधिकारी ने कहा, “ये माइक्रोकंट्रोलर सुरक्षित अनधिकृत एक्सेस मॉड्यूल में रखे गए हैं, इसलिए इन्हें भौतिक रूप से भी एक्सेस नहीं किया जा सकता है।” पीठ में न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता भी शामिल थे।

अधिकारी ने अदालत को बताया कि मतदान प्रक्रिया में उपयोग किए जाने वाले माइक्रोकंट्रोलर “एक बार प्रोग्राम करने योग्य” हैं और विनिर्माण के समय डाले गये इस प्रोग्राम को बाद के चरण में नहीं बदला जा सकता है।

उन्होंने कहा कि दो निर्माता इलेक्ट्रॉनिक्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड और भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड सिंबल लोडिंग यूनिट (एसएलयू) तैयार करते हैं।

चुनाव निकाय अधिकारी ने बताया कि मतगणना समाप्त होने के बाद सभी ईवीएम को जन प्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत चुनाव याचिका दायर करने के लिए प्रदान की गई 45 दिन की सीमा अवधि समाप्त होने तक संग्रहीत किया जाता है।

इसके बाद, 46वें दिन, मुख्य निर्वाचन अधिकारी संबंधित उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल को यह पता लगाने के लिए लिखते हैं कि क्या कोई चुनाव याचिका दायर की गई है और नकारात्मक उत्तर प्राप्त होने के बाद ही जिला अधिकारियों को स्ट्रॉन्ग रूम खोलने का निर्देश दिया जाता है। यदि कोई चुनाव याचिका दायर की गई पाई जाती है, तो स्ट्रॉन्ग रूम सील कर दिए जाते हैं और “कोई भी इसे छूता नहीं है”।

अधिकारी ने शीर्ष अदालत के समक्ष कहा, “मतदान समाप्त होने के बाद तीनों इकाइयों को सील कर दिया जाता है।”

इससे पहले दिन में, सुप्रीम कोर्ट ने ईसीआई की ओर से पेश वरिष्ठ वकील मनिंदर सिंह से कहा कि वे ईवीएम से संबंधित कुछ तकनीकी प्रश्नों का उत्तर देने के लिए चुनाव आयोग के अधिकारियों को दोपहर दो बजे उपस्थित रहने के लिए कहें।

उसने यह जानने की कोशिश की कि क्या माइक्रोकंट्रोलर कंट्रोलिंग यूनिट में या वीवीपीएटी (वोटर-वेरिफ़िएबल पेपर ऑडिट ट्रेल) में स्थापित है और क्या इस्तेमाल किया गया माइक्रोकंट्रोलर “वन-टाइम प्रोग्रामेबल” है या नहीं।

पिछले सप्ताह, शीर्ष अदालत ने जनहित याचिकाओं (पीआईएल) पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था, जिसमें वोटर-वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपीएटी) पर्चियों के साथ ईवीएम में डाले गए वोटों के अनिवार्य क्रॉस-सत्यापन की मांग की गई थी।

–आईएएनएस

एकेजे/

ADVERTISEMENT

नई दिल्ली, 24 अप्रैल (आईएएनएस)। भारतीय निर्वाचन आयोग ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) की तीनों इकाइयों (बैलेट यूनिट, कंट्रोल यूनिट और वीवीपैट) का अपना-अपना माइक्रोकंट्रोलर होता है।

न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष चुनाव आयोग के एक अधिकारी ने कहा, “ये माइक्रोकंट्रोलर सुरक्षित अनधिकृत एक्सेस मॉड्यूल में रखे गए हैं, इसलिए इन्हें भौतिक रूप से भी एक्सेस नहीं किया जा सकता है।” पीठ में न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता भी शामिल थे।

अधिकारी ने अदालत को बताया कि मतदान प्रक्रिया में उपयोग किए जाने वाले माइक्रोकंट्रोलर “एक बार प्रोग्राम करने योग्य” हैं और विनिर्माण के समय डाले गये इस प्रोग्राम को बाद के चरण में नहीं बदला जा सकता है।

उन्होंने कहा कि दो निर्माता इलेक्ट्रॉनिक्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड और भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड सिंबल लोडिंग यूनिट (एसएलयू) तैयार करते हैं।

चुनाव निकाय अधिकारी ने बताया कि मतगणना समाप्त होने के बाद सभी ईवीएम को जन प्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत चुनाव याचिका दायर करने के लिए प्रदान की गई 45 दिन की सीमा अवधि समाप्त होने तक संग्रहीत किया जाता है।

इसके बाद, 46वें दिन, मुख्य निर्वाचन अधिकारी संबंधित उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल को यह पता लगाने के लिए लिखते हैं कि क्या कोई चुनाव याचिका दायर की गई है और नकारात्मक उत्तर प्राप्त होने के बाद ही जिला अधिकारियों को स्ट्रॉन्ग रूम खोलने का निर्देश दिया जाता है। यदि कोई चुनाव याचिका दायर की गई पाई जाती है, तो स्ट्रॉन्ग रूम सील कर दिए जाते हैं और “कोई भी इसे छूता नहीं है”।

अधिकारी ने शीर्ष अदालत के समक्ष कहा, “मतदान समाप्त होने के बाद तीनों इकाइयों को सील कर दिया जाता है।”

इससे पहले दिन में, सुप्रीम कोर्ट ने ईसीआई की ओर से पेश वरिष्ठ वकील मनिंदर सिंह से कहा कि वे ईवीएम से संबंधित कुछ तकनीकी प्रश्नों का उत्तर देने के लिए चुनाव आयोग के अधिकारियों को दोपहर दो बजे उपस्थित रहने के लिए कहें।

उसने यह जानने की कोशिश की कि क्या माइक्रोकंट्रोलर कंट्रोलिंग यूनिट में या वीवीपीएटी (वोटर-वेरिफ़िएबल पेपर ऑडिट ट्रेल) में स्थापित है और क्या इस्तेमाल किया गया माइक्रोकंट्रोलर “वन-टाइम प्रोग्रामेबल” है या नहीं।

पिछले सप्ताह, शीर्ष अदालत ने जनहित याचिकाओं (पीआईएल) पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था, जिसमें वोटर-वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपीएटी) पर्चियों के साथ ईवीएम में डाले गए वोटों के अनिवार्य क्रॉस-सत्यापन की मांग की गई थी।

–आईएएनएस

एकेजे/

ADVERTISEMENT

नई दिल्ली, 24 अप्रैल (आईएएनएस)। भारतीय निर्वाचन आयोग ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) की तीनों इकाइयों (बैलेट यूनिट, कंट्रोल यूनिट और वीवीपैट) का अपना-अपना माइक्रोकंट्रोलर होता है।

न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष चुनाव आयोग के एक अधिकारी ने कहा, “ये माइक्रोकंट्रोलर सुरक्षित अनधिकृत एक्सेस मॉड्यूल में रखे गए हैं, इसलिए इन्हें भौतिक रूप से भी एक्सेस नहीं किया जा सकता है।” पीठ में न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता भी शामिल थे।

अधिकारी ने अदालत को बताया कि मतदान प्रक्रिया में उपयोग किए जाने वाले माइक्रोकंट्रोलर “एक बार प्रोग्राम करने योग्य” हैं और विनिर्माण के समय डाले गये इस प्रोग्राम को बाद के चरण में नहीं बदला जा सकता है।

उन्होंने कहा कि दो निर्माता इलेक्ट्रॉनिक्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड और भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड सिंबल लोडिंग यूनिट (एसएलयू) तैयार करते हैं।

चुनाव निकाय अधिकारी ने बताया कि मतगणना समाप्त होने के बाद सभी ईवीएम को जन प्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत चुनाव याचिका दायर करने के लिए प्रदान की गई 45 दिन की सीमा अवधि समाप्त होने तक संग्रहीत किया जाता है।

इसके बाद, 46वें दिन, मुख्य निर्वाचन अधिकारी संबंधित उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल को यह पता लगाने के लिए लिखते हैं कि क्या कोई चुनाव याचिका दायर की गई है और नकारात्मक उत्तर प्राप्त होने के बाद ही जिला अधिकारियों को स्ट्रॉन्ग रूम खोलने का निर्देश दिया जाता है। यदि कोई चुनाव याचिका दायर की गई पाई जाती है, तो स्ट्रॉन्ग रूम सील कर दिए जाते हैं और “कोई भी इसे छूता नहीं है”।

अधिकारी ने शीर्ष अदालत के समक्ष कहा, “मतदान समाप्त होने के बाद तीनों इकाइयों को सील कर दिया जाता है।”

इससे पहले दिन में, सुप्रीम कोर्ट ने ईसीआई की ओर से पेश वरिष्ठ वकील मनिंदर सिंह से कहा कि वे ईवीएम से संबंधित कुछ तकनीकी प्रश्नों का उत्तर देने के लिए चुनाव आयोग के अधिकारियों को दोपहर दो बजे उपस्थित रहने के लिए कहें।

उसने यह जानने की कोशिश की कि क्या माइक्रोकंट्रोलर कंट्रोलिंग यूनिट में या वीवीपीएटी (वोटर-वेरिफ़िएबल पेपर ऑडिट ट्रेल) में स्थापित है और क्या इस्तेमाल किया गया माइक्रोकंट्रोलर “वन-टाइम प्रोग्रामेबल” है या नहीं।

पिछले सप्ताह, शीर्ष अदालत ने जनहित याचिकाओं (पीआईएल) पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था, जिसमें वोटर-वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपीएटी) पर्चियों के साथ ईवीएम में डाले गए वोटों के अनिवार्य क्रॉस-सत्यापन की मांग की गई थी।

–आईएएनएस

एकेजे/

ADVERTISEMENT

नई दिल्ली, 24 अप्रैल (आईएएनएस)। भारतीय निर्वाचन आयोग ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) की तीनों इकाइयों (बैलेट यूनिट, कंट्रोल यूनिट और वीवीपैट) का अपना-अपना माइक्रोकंट्रोलर होता है।

न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष चुनाव आयोग के एक अधिकारी ने कहा, “ये माइक्रोकंट्रोलर सुरक्षित अनधिकृत एक्सेस मॉड्यूल में रखे गए हैं, इसलिए इन्हें भौतिक रूप से भी एक्सेस नहीं किया जा सकता है।” पीठ में न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता भी शामिल थे।

अधिकारी ने अदालत को बताया कि मतदान प्रक्रिया में उपयोग किए जाने वाले माइक्रोकंट्रोलर “एक बार प्रोग्राम करने योग्य” हैं और विनिर्माण के समय डाले गये इस प्रोग्राम को बाद के चरण में नहीं बदला जा सकता है।

उन्होंने कहा कि दो निर्माता इलेक्ट्रॉनिक्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड और भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड सिंबल लोडिंग यूनिट (एसएलयू) तैयार करते हैं।

चुनाव निकाय अधिकारी ने बताया कि मतगणना समाप्त होने के बाद सभी ईवीएम को जन प्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत चुनाव याचिका दायर करने के लिए प्रदान की गई 45 दिन की सीमा अवधि समाप्त होने तक संग्रहीत किया जाता है।

इसके बाद, 46वें दिन, मुख्य निर्वाचन अधिकारी संबंधित उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल को यह पता लगाने के लिए लिखते हैं कि क्या कोई चुनाव याचिका दायर की गई है और नकारात्मक उत्तर प्राप्त होने के बाद ही जिला अधिकारियों को स्ट्रॉन्ग रूम खोलने का निर्देश दिया जाता है। यदि कोई चुनाव याचिका दायर की गई पाई जाती है, तो स्ट्रॉन्ग रूम सील कर दिए जाते हैं और “कोई भी इसे छूता नहीं है”।

अधिकारी ने शीर्ष अदालत के समक्ष कहा, “मतदान समाप्त होने के बाद तीनों इकाइयों को सील कर दिया जाता है।”

इससे पहले दिन में, सुप्रीम कोर्ट ने ईसीआई की ओर से पेश वरिष्ठ वकील मनिंदर सिंह से कहा कि वे ईवीएम से संबंधित कुछ तकनीकी प्रश्नों का उत्तर देने के लिए चुनाव आयोग के अधिकारियों को दोपहर दो बजे उपस्थित रहने के लिए कहें।

उसने यह जानने की कोशिश की कि क्या माइक्रोकंट्रोलर कंट्रोलिंग यूनिट में या वीवीपीएटी (वोटर-वेरिफ़िएबल पेपर ऑडिट ट्रेल) में स्थापित है और क्या इस्तेमाल किया गया माइक्रोकंट्रोलर “वन-टाइम प्रोग्रामेबल” है या नहीं।

पिछले सप्ताह, शीर्ष अदालत ने जनहित याचिकाओं (पीआईएल) पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था, जिसमें वोटर-वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपीएटी) पर्चियों के साथ ईवीएम में डाले गए वोटों के अनिवार्य क्रॉस-सत्यापन की मांग की गई थी।

–आईएएनएस

एकेजे/

ADVERTISEMENT

नई दिल्ली, 24 अप्रैल (आईएएनएस)। भारतीय निर्वाचन आयोग ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) की तीनों इकाइयों (बैलेट यूनिट, कंट्रोल यूनिट और वीवीपैट) का अपना-अपना माइक्रोकंट्रोलर होता है।

न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष चुनाव आयोग के एक अधिकारी ने कहा, “ये माइक्रोकंट्रोलर सुरक्षित अनधिकृत एक्सेस मॉड्यूल में रखे गए हैं, इसलिए इन्हें भौतिक रूप से भी एक्सेस नहीं किया जा सकता है।” पीठ में न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता भी शामिल थे।

अधिकारी ने अदालत को बताया कि मतदान प्रक्रिया में उपयोग किए जाने वाले माइक्रोकंट्रोलर “एक बार प्रोग्राम करने योग्य” हैं और विनिर्माण के समय डाले गये इस प्रोग्राम को बाद के चरण में नहीं बदला जा सकता है।

उन्होंने कहा कि दो निर्माता इलेक्ट्रॉनिक्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड और भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड सिंबल लोडिंग यूनिट (एसएलयू) तैयार करते हैं।

चुनाव निकाय अधिकारी ने बताया कि मतगणना समाप्त होने के बाद सभी ईवीएम को जन प्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत चुनाव याचिका दायर करने के लिए प्रदान की गई 45 दिन की सीमा अवधि समाप्त होने तक संग्रहीत किया जाता है।

इसके बाद, 46वें दिन, मुख्य निर्वाचन अधिकारी संबंधित उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल को यह पता लगाने के लिए लिखते हैं कि क्या कोई चुनाव याचिका दायर की गई है और नकारात्मक उत्तर प्राप्त होने के बाद ही जिला अधिकारियों को स्ट्रॉन्ग रूम खोलने का निर्देश दिया जाता है। यदि कोई चुनाव याचिका दायर की गई पाई जाती है, तो स्ट्रॉन्ग रूम सील कर दिए जाते हैं और “कोई भी इसे छूता नहीं है”।

अधिकारी ने शीर्ष अदालत के समक्ष कहा, “मतदान समाप्त होने के बाद तीनों इकाइयों को सील कर दिया जाता है।”

इससे पहले दिन में, सुप्रीम कोर्ट ने ईसीआई की ओर से पेश वरिष्ठ वकील मनिंदर सिंह से कहा कि वे ईवीएम से संबंधित कुछ तकनीकी प्रश्नों का उत्तर देने के लिए चुनाव आयोग के अधिकारियों को दोपहर दो बजे उपस्थित रहने के लिए कहें।

उसने यह जानने की कोशिश की कि क्या माइक्रोकंट्रोलर कंट्रोलिंग यूनिट में या वीवीपीएटी (वोटर-वेरिफ़िएबल पेपर ऑडिट ट्रेल) में स्थापित है और क्या इस्तेमाल किया गया माइक्रोकंट्रोलर “वन-टाइम प्रोग्रामेबल” है या नहीं।

पिछले सप्ताह, शीर्ष अदालत ने जनहित याचिकाओं (पीआईएल) पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था, जिसमें वोटर-वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपीएटी) पर्चियों के साथ ईवीएम में डाले गए वोटों के अनिवार्य क्रॉस-सत्यापन की मांग की गई थी।

–आईएएनएस

एकेजे/

नई दिल्ली, 24 अप्रैल (आईएएनएस)। भारतीय निर्वाचन आयोग ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) की तीनों इकाइयों (बैलेट यूनिट, कंट्रोल यूनिट और वीवीपैट) का अपना-अपना माइक्रोकंट्रोलर होता है।

न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष चुनाव आयोग के एक अधिकारी ने कहा, “ये माइक्रोकंट्रोलर सुरक्षित अनधिकृत एक्सेस मॉड्यूल में रखे गए हैं, इसलिए इन्हें भौतिक रूप से भी एक्सेस नहीं किया जा सकता है।” पीठ में न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता भी शामिल थे।

अधिकारी ने अदालत को बताया कि मतदान प्रक्रिया में उपयोग किए जाने वाले माइक्रोकंट्रोलर “एक बार प्रोग्राम करने योग्य” हैं और विनिर्माण के समय डाले गये इस प्रोग्राम को बाद के चरण में नहीं बदला जा सकता है।

उन्होंने कहा कि दो निर्माता इलेक्ट्रॉनिक्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड और भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड सिंबल लोडिंग यूनिट (एसएलयू) तैयार करते हैं।

चुनाव निकाय अधिकारी ने बताया कि मतगणना समाप्त होने के बाद सभी ईवीएम को जन प्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत चुनाव याचिका दायर करने के लिए प्रदान की गई 45 दिन की सीमा अवधि समाप्त होने तक संग्रहीत किया जाता है।

इसके बाद, 46वें दिन, मुख्य निर्वाचन अधिकारी संबंधित उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल को यह पता लगाने के लिए लिखते हैं कि क्या कोई चुनाव याचिका दायर की गई है और नकारात्मक उत्तर प्राप्त होने के बाद ही जिला अधिकारियों को स्ट्रॉन्ग रूम खोलने का निर्देश दिया जाता है। यदि कोई चुनाव याचिका दायर की गई पाई जाती है, तो स्ट्रॉन्ग रूम सील कर दिए जाते हैं और “कोई भी इसे छूता नहीं है”।

अधिकारी ने शीर्ष अदालत के समक्ष कहा, “मतदान समाप्त होने के बाद तीनों इकाइयों को सील कर दिया जाता है।”

इससे पहले दिन में, सुप्रीम कोर्ट ने ईसीआई की ओर से पेश वरिष्ठ वकील मनिंदर सिंह से कहा कि वे ईवीएम से संबंधित कुछ तकनीकी प्रश्नों का उत्तर देने के लिए चुनाव आयोग के अधिकारियों को दोपहर दो बजे उपस्थित रहने के लिए कहें।

उसने यह जानने की कोशिश की कि क्या माइक्रोकंट्रोलर कंट्रोलिंग यूनिट में या वीवीपीएटी (वोटर-वेरिफ़िएबल पेपर ऑडिट ट्रेल) में स्थापित है और क्या इस्तेमाल किया गया माइक्रोकंट्रोलर “वन-टाइम प्रोग्रामेबल” है या नहीं।

पिछले सप्ताह, शीर्ष अदालत ने जनहित याचिकाओं (पीआईएल) पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था, जिसमें वोटर-वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपीएटी) पर्चियों के साथ ईवीएम में डाले गए वोटों के अनिवार्य क्रॉस-सत्यापन की मांग की गई थी।

–आईएएनएस

एकेजे/

ADVERTISEMENT

नई दिल्ली, 24 अप्रैल (आईएएनएस)। भारतीय निर्वाचन आयोग ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) की तीनों इकाइयों (बैलेट यूनिट, कंट्रोल यूनिट और वीवीपैट) का अपना-अपना माइक्रोकंट्रोलर होता है।

न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष चुनाव आयोग के एक अधिकारी ने कहा, “ये माइक्रोकंट्रोलर सुरक्षित अनधिकृत एक्सेस मॉड्यूल में रखे गए हैं, इसलिए इन्हें भौतिक रूप से भी एक्सेस नहीं किया जा सकता है।” पीठ में न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता भी शामिल थे।

अधिकारी ने अदालत को बताया कि मतदान प्रक्रिया में उपयोग किए जाने वाले माइक्रोकंट्रोलर “एक बार प्रोग्राम करने योग्य” हैं और विनिर्माण के समय डाले गये इस प्रोग्राम को बाद के चरण में नहीं बदला जा सकता है।

उन्होंने कहा कि दो निर्माता इलेक्ट्रॉनिक्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड और भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड सिंबल लोडिंग यूनिट (एसएलयू) तैयार करते हैं।

चुनाव निकाय अधिकारी ने बताया कि मतगणना समाप्त होने के बाद सभी ईवीएम को जन प्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत चुनाव याचिका दायर करने के लिए प्रदान की गई 45 दिन की सीमा अवधि समाप्त होने तक संग्रहीत किया जाता है।

इसके बाद, 46वें दिन, मुख्य निर्वाचन अधिकारी संबंधित उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल को यह पता लगाने के लिए लिखते हैं कि क्या कोई चुनाव याचिका दायर की गई है और नकारात्मक उत्तर प्राप्त होने के बाद ही जिला अधिकारियों को स्ट्रॉन्ग रूम खोलने का निर्देश दिया जाता है। यदि कोई चुनाव याचिका दायर की गई पाई जाती है, तो स्ट्रॉन्ग रूम सील कर दिए जाते हैं और “कोई भी इसे छूता नहीं है”।

अधिकारी ने शीर्ष अदालत के समक्ष कहा, “मतदान समाप्त होने के बाद तीनों इकाइयों को सील कर दिया जाता है।”

इससे पहले दिन में, सुप्रीम कोर्ट ने ईसीआई की ओर से पेश वरिष्ठ वकील मनिंदर सिंह से कहा कि वे ईवीएम से संबंधित कुछ तकनीकी प्रश्नों का उत्तर देने के लिए चुनाव आयोग के अधिकारियों को दोपहर दो बजे उपस्थित रहने के लिए कहें।

उसने यह जानने की कोशिश की कि क्या माइक्रोकंट्रोलर कंट्रोलिंग यूनिट में या वीवीपीएटी (वोटर-वेरिफ़िएबल पेपर ऑडिट ट्रेल) में स्थापित है और क्या इस्तेमाल किया गया माइक्रोकंट्रोलर “वन-टाइम प्रोग्रामेबल” है या नहीं।

पिछले सप्ताह, शीर्ष अदालत ने जनहित याचिकाओं (पीआईएल) पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था, जिसमें वोटर-वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपीएटी) पर्चियों के साथ ईवीएम में डाले गए वोटों के अनिवार्य क्रॉस-सत्यापन की मांग की गई थी।

–आईएएनएस

एकेजे/

ADVERTISEMENT

नई दिल्ली, 24 अप्रैल (आईएएनएस)। भारतीय निर्वाचन आयोग ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) की तीनों इकाइयों (बैलेट यूनिट, कंट्रोल यूनिट और वीवीपैट) का अपना-अपना माइक्रोकंट्रोलर होता है।

न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष चुनाव आयोग के एक अधिकारी ने कहा, “ये माइक्रोकंट्रोलर सुरक्षित अनधिकृत एक्सेस मॉड्यूल में रखे गए हैं, इसलिए इन्हें भौतिक रूप से भी एक्सेस नहीं किया जा सकता है।” पीठ में न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता भी शामिल थे।

अधिकारी ने अदालत को बताया कि मतदान प्रक्रिया में उपयोग किए जाने वाले माइक्रोकंट्रोलर “एक बार प्रोग्राम करने योग्य” हैं और विनिर्माण के समय डाले गये इस प्रोग्राम को बाद के चरण में नहीं बदला जा सकता है।

उन्होंने कहा कि दो निर्माता इलेक्ट्रॉनिक्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड और भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड सिंबल लोडिंग यूनिट (एसएलयू) तैयार करते हैं।

चुनाव निकाय अधिकारी ने बताया कि मतगणना समाप्त होने के बाद सभी ईवीएम को जन प्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत चुनाव याचिका दायर करने के लिए प्रदान की गई 45 दिन की सीमा अवधि समाप्त होने तक संग्रहीत किया जाता है।

इसके बाद, 46वें दिन, मुख्य निर्वाचन अधिकारी संबंधित उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल को यह पता लगाने के लिए लिखते हैं कि क्या कोई चुनाव याचिका दायर की गई है और नकारात्मक उत्तर प्राप्त होने के बाद ही जिला अधिकारियों को स्ट्रॉन्ग रूम खोलने का निर्देश दिया जाता है। यदि कोई चुनाव याचिका दायर की गई पाई जाती है, तो स्ट्रॉन्ग रूम सील कर दिए जाते हैं और “कोई भी इसे छूता नहीं है”।

अधिकारी ने शीर्ष अदालत के समक्ष कहा, “मतदान समाप्त होने के बाद तीनों इकाइयों को सील कर दिया जाता है।”

इससे पहले दिन में, सुप्रीम कोर्ट ने ईसीआई की ओर से पेश वरिष्ठ वकील मनिंदर सिंह से कहा कि वे ईवीएम से संबंधित कुछ तकनीकी प्रश्नों का उत्तर देने के लिए चुनाव आयोग के अधिकारियों को दोपहर दो बजे उपस्थित रहने के लिए कहें।

उसने यह जानने की कोशिश की कि क्या माइक्रोकंट्रोलर कंट्रोलिंग यूनिट में या वीवीपीएटी (वोटर-वेरिफ़िएबल पेपर ऑडिट ट्रेल) में स्थापित है और क्या इस्तेमाल किया गया माइक्रोकंट्रोलर “वन-टाइम प्रोग्रामेबल” है या नहीं।

पिछले सप्ताह, शीर्ष अदालत ने जनहित याचिकाओं (पीआईएल) पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था, जिसमें वोटर-वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपीएटी) पर्चियों के साथ ईवीएम में डाले गए वोटों के अनिवार्य क्रॉस-सत्यापन की मांग की गई थी।

–आईएएनएस

एकेजे/

ADVERTISEMENT

नई दिल्ली, 24 अप्रैल (आईएएनएस)। भारतीय निर्वाचन आयोग ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) की तीनों इकाइयों (बैलेट यूनिट, कंट्रोल यूनिट और वीवीपैट) का अपना-अपना माइक्रोकंट्रोलर होता है।

न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष चुनाव आयोग के एक अधिकारी ने कहा, “ये माइक्रोकंट्रोलर सुरक्षित अनधिकृत एक्सेस मॉड्यूल में रखे गए हैं, इसलिए इन्हें भौतिक रूप से भी एक्सेस नहीं किया जा सकता है।” पीठ में न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता भी शामिल थे।

अधिकारी ने अदालत को बताया कि मतदान प्रक्रिया में उपयोग किए जाने वाले माइक्रोकंट्रोलर “एक बार प्रोग्राम करने योग्य” हैं और विनिर्माण के समय डाले गये इस प्रोग्राम को बाद के चरण में नहीं बदला जा सकता है।

उन्होंने कहा कि दो निर्माता इलेक्ट्रॉनिक्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड और भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड सिंबल लोडिंग यूनिट (एसएलयू) तैयार करते हैं।

चुनाव निकाय अधिकारी ने बताया कि मतगणना समाप्त होने के बाद सभी ईवीएम को जन प्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत चुनाव याचिका दायर करने के लिए प्रदान की गई 45 दिन की सीमा अवधि समाप्त होने तक संग्रहीत किया जाता है।

इसके बाद, 46वें दिन, मुख्य निर्वाचन अधिकारी संबंधित उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल को यह पता लगाने के लिए लिखते हैं कि क्या कोई चुनाव याचिका दायर की गई है और नकारात्मक उत्तर प्राप्त होने के बाद ही जिला अधिकारियों को स्ट्रॉन्ग रूम खोलने का निर्देश दिया जाता है। यदि कोई चुनाव याचिका दायर की गई पाई जाती है, तो स्ट्रॉन्ग रूम सील कर दिए जाते हैं और “कोई भी इसे छूता नहीं है”।

अधिकारी ने शीर्ष अदालत के समक्ष कहा, “मतदान समाप्त होने के बाद तीनों इकाइयों को सील कर दिया जाता है।”

इससे पहले दिन में, सुप्रीम कोर्ट ने ईसीआई की ओर से पेश वरिष्ठ वकील मनिंदर सिंह से कहा कि वे ईवीएम से संबंधित कुछ तकनीकी प्रश्नों का उत्तर देने के लिए चुनाव आयोग के अधिकारियों को दोपहर दो बजे उपस्थित रहने के लिए कहें।

उसने यह जानने की कोशिश की कि क्या माइक्रोकंट्रोलर कंट्रोलिंग यूनिट में या वीवीपीएटी (वोटर-वेरिफ़िएबल पेपर ऑडिट ट्रेल) में स्थापित है और क्या इस्तेमाल किया गया माइक्रोकंट्रोलर “वन-टाइम प्रोग्रामेबल” है या नहीं।

पिछले सप्ताह, शीर्ष अदालत ने जनहित याचिकाओं (पीआईएल) पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था, जिसमें वोटर-वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपीएटी) पर्चियों के साथ ईवीएम में डाले गए वोटों के अनिवार्य क्रॉस-सत्यापन की मांग की गई थी।

–आईएएनएस

एकेजे/

ADVERTISEMENT

नई दिल्ली, 24 अप्रैल (आईएएनएस)। भारतीय निर्वाचन आयोग ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) की तीनों इकाइयों (बैलेट यूनिट, कंट्रोल यूनिट और वीवीपैट) का अपना-अपना माइक्रोकंट्रोलर होता है।

न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष चुनाव आयोग के एक अधिकारी ने कहा, “ये माइक्रोकंट्रोलर सुरक्षित अनधिकृत एक्सेस मॉड्यूल में रखे गए हैं, इसलिए इन्हें भौतिक रूप से भी एक्सेस नहीं किया जा सकता है।” पीठ में न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता भी शामिल थे।

अधिकारी ने अदालत को बताया कि मतदान प्रक्रिया में उपयोग किए जाने वाले माइक्रोकंट्रोलर “एक बार प्रोग्राम करने योग्य” हैं और विनिर्माण के समय डाले गये इस प्रोग्राम को बाद के चरण में नहीं बदला जा सकता है।

उन्होंने कहा कि दो निर्माता इलेक्ट्रॉनिक्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड और भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड सिंबल लोडिंग यूनिट (एसएलयू) तैयार करते हैं।

चुनाव निकाय अधिकारी ने बताया कि मतगणना समाप्त होने के बाद सभी ईवीएम को जन प्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत चुनाव याचिका दायर करने के लिए प्रदान की गई 45 दिन की सीमा अवधि समाप्त होने तक संग्रहीत किया जाता है।

इसके बाद, 46वें दिन, मुख्य निर्वाचन अधिकारी संबंधित उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल को यह पता लगाने के लिए लिखते हैं कि क्या कोई चुनाव याचिका दायर की गई है और नकारात्मक उत्तर प्राप्त होने के बाद ही जिला अधिकारियों को स्ट्रॉन्ग रूम खोलने का निर्देश दिया जाता है। यदि कोई चुनाव याचिका दायर की गई पाई जाती है, तो स्ट्रॉन्ग रूम सील कर दिए जाते हैं और “कोई भी इसे छूता नहीं है”।

अधिकारी ने शीर्ष अदालत के समक्ष कहा, “मतदान समाप्त होने के बाद तीनों इकाइयों को सील कर दिया जाता है।”

इससे पहले दिन में, सुप्रीम कोर्ट ने ईसीआई की ओर से पेश वरिष्ठ वकील मनिंदर सिंह से कहा कि वे ईवीएम से संबंधित कुछ तकनीकी प्रश्नों का उत्तर देने के लिए चुनाव आयोग के अधिकारियों को दोपहर दो बजे उपस्थित रहने के लिए कहें।

उसने यह जानने की कोशिश की कि क्या माइक्रोकंट्रोलर कंट्रोलिंग यूनिट में या वीवीपीएटी (वोटर-वेरिफ़िएबल पेपर ऑडिट ट्रेल) में स्थापित है और क्या इस्तेमाल किया गया माइक्रोकंट्रोलर “वन-टाइम प्रोग्रामेबल” है या नहीं।

पिछले सप्ताह, शीर्ष अदालत ने जनहित याचिकाओं (पीआईएल) पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था, जिसमें वोटर-वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपीएटी) पर्चियों के साथ ईवीएम में डाले गए वोटों के अनिवार्य क्रॉस-सत्यापन की मांग की गई थी।

–आईएएनएस

एकेजे/

ADVERTISEMENT

नई दिल्ली, 24 अप्रैल (आईएएनएस)। भारतीय निर्वाचन आयोग ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) की तीनों इकाइयों (बैलेट यूनिट, कंट्रोल यूनिट और वीवीपैट) का अपना-अपना माइक्रोकंट्रोलर होता है।

न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष चुनाव आयोग के एक अधिकारी ने कहा, “ये माइक्रोकंट्रोलर सुरक्षित अनधिकृत एक्सेस मॉड्यूल में रखे गए हैं, इसलिए इन्हें भौतिक रूप से भी एक्सेस नहीं किया जा सकता है।” पीठ में न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता भी शामिल थे।

अधिकारी ने अदालत को बताया कि मतदान प्रक्रिया में उपयोग किए जाने वाले माइक्रोकंट्रोलर “एक बार प्रोग्राम करने योग्य” हैं और विनिर्माण के समय डाले गये इस प्रोग्राम को बाद के चरण में नहीं बदला जा सकता है।

उन्होंने कहा कि दो निर्माता इलेक्ट्रॉनिक्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड और भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड सिंबल लोडिंग यूनिट (एसएलयू) तैयार करते हैं।

चुनाव निकाय अधिकारी ने बताया कि मतगणना समाप्त होने के बाद सभी ईवीएम को जन प्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत चुनाव याचिका दायर करने के लिए प्रदान की गई 45 दिन की सीमा अवधि समाप्त होने तक संग्रहीत किया जाता है।

इसके बाद, 46वें दिन, मुख्य निर्वाचन अधिकारी संबंधित उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल को यह पता लगाने के लिए लिखते हैं कि क्या कोई चुनाव याचिका दायर की गई है और नकारात्मक उत्तर प्राप्त होने के बाद ही जिला अधिकारियों को स्ट्रॉन्ग रूम खोलने का निर्देश दिया जाता है। यदि कोई चुनाव याचिका दायर की गई पाई जाती है, तो स्ट्रॉन्ग रूम सील कर दिए जाते हैं और “कोई भी इसे छूता नहीं है”।

अधिकारी ने शीर्ष अदालत के समक्ष कहा, “मतदान समाप्त होने के बाद तीनों इकाइयों को सील कर दिया जाता है।”

इससे पहले दिन में, सुप्रीम कोर्ट ने ईसीआई की ओर से पेश वरिष्ठ वकील मनिंदर सिंह से कहा कि वे ईवीएम से संबंधित कुछ तकनीकी प्रश्नों का उत्तर देने के लिए चुनाव आयोग के अधिकारियों को दोपहर दो बजे उपस्थित रहने के लिए कहें।

उसने यह जानने की कोशिश की कि क्या माइक्रोकंट्रोलर कंट्रोलिंग यूनिट में या वीवीपीएटी (वोटर-वेरिफ़िएबल पेपर ऑडिट ट्रेल) में स्थापित है और क्या इस्तेमाल किया गया माइक्रोकंट्रोलर “वन-टाइम प्रोग्रामेबल” है या नहीं।

पिछले सप्ताह, शीर्ष अदालत ने जनहित याचिकाओं (पीआईएल) पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था, जिसमें वोटर-वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपीएटी) पर्चियों के साथ ईवीएम में डाले गए वोटों के अनिवार्य क्रॉस-सत्यापन की मांग की गई थी।

–आईएएनएस

एकेजे/

ADVERTISEMENT

नई दिल्ली, 24 अप्रैल (आईएएनएस)। भारतीय निर्वाचन आयोग ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) की तीनों इकाइयों (बैलेट यूनिट, कंट्रोल यूनिट और वीवीपैट) का अपना-अपना माइक्रोकंट्रोलर होता है।

न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष चुनाव आयोग के एक अधिकारी ने कहा, “ये माइक्रोकंट्रोलर सुरक्षित अनधिकृत एक्सेस मॉड्यूल में रखे गए हैं, इसलिए इन्हें भौतिक रूप से भी एक्सेस नहीं किया जा सकता है।” पीठ में न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता भी शामिल थे।

अधिकारी ने अदालत को बताया कि मतदान प्रक्रिया में उपयोग किए जाने वाले माइक्रोकंट्रोलर “एक बार प्रोग्राम करने योग्य” हैं और विनिर्माण के समय डाले गये इस प्रोग्राम को बाद के चरण में नहीं बदला जा सकता है।

उन्होंने कहा कि दो निर्माता इलेक्ट्रॉनिक्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड और भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड सिंबल लोडिंग यूनिट (एसएलयू) तैयार करते हैं।

चुनाव निकाय अधिकारी ने बताया कि मतगणना समाप्त होने के बाद सभी ईवीएम को जन प्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत चुनाव याचिका दायर करने के लिए प्रदान की गई 45 दिन की सीमा अवधि समाप्त होने तक संग्रहीत किया जाता है।

इसके बाद, 46वें दिन, मुख्य निर्वाचन अधिकारी संबंधित उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल को यह पता लगाने के लिए लिखते हैं कि क्या कोई चुनाव याचिका दायर की गई है और नकारात्मक उत्तर प्राप्त होने के बाद ही जिला अधिकारियों को स्ट्रॉन्ग रूम खोलने का निर्देश दिया जाता है। यदि कोई चुनाव याचिका दायर की गई पाई जाती है, तो स्ट्रॉन्ग रूम सील कर दिए जाते हैं और “कोई भी इसे छूता नहीं है”।

अधिकारी ने शीर्ष अदालत के समक्ष कहा, “मतदान समाप्त होने के बाद तीनों इकाइयों को सील कर दिया जाता है।”

इससे पहले दिन में, सुप्रीम कोर्ट ने ईसीआई की ओर से पेश वरिष्ठ वकील मनिंदर सिंह से कहा कि वे ईवीएम से संबंधित कुछ तकनीकी प्रश्नों का उत्तर देने के लिए चुनाव आयोग के अधिकारियों को दोपहर दो बजे उपस्थित रहने के लिए कहें।

उसने यह जानने की कोशिश की कि क्या माइक्रोकंट्रोलर कंट्रोलिंग यूनिट में या वीवीपीएटी (वोटर-वेरिफ़िएबल पेपर ऑडिट ट्रेल) में स्थापित है और क्या इस्तेमाल किया गया माइक्रोकंट्रोलर “वन-टाइम प्रोग्रामेबल” है या नहीं।

पिछले सप्ताह, शीर्ष अदालत ने जनहित याचिकाओं (पीआईएल) पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था, जिसमें वोटर-वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपीएटी) पर्चियों के साथ ईवीएम में डाले गए वोटों के अनिवार्य क्रॉस-सत्यापन की मांग की गई थी।

–आईएएनएस

एकेजे/

ADVERTISEMENT

नई दिल्ली, 24 अप्रैल (आईएएनएस)। भारतीय निर्वाचन आयोग ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) की तीनों इकाइयों (बैलेट यूनिट, कंट्रोल यूनिट और वीवीपैट) का अपना-अपना माइक्रोकंट्रोलर होता है।

न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष चुनाव आयोग के एक अधिकारी ने कहा, “ये माइक्रोकंट्रोलर सुरक्षित अनधिकृत एक्सेस मॉड्यूल में रखे गए हैं, इसलिए इन्हें भौतिक रूप से भी एक्सेस नहीं किया जा सकता है।” पीठ में न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता भी शामिल थे।

अधिकारी ने अदालत को बताया कि मतदान प्रक्रिया में उपयोग किए जाने वाले माइक्रोकंट्रोलर “एक बार प्रोग्राम करने योग्य” हैं और विनिर्माण के समय डाले गये इस प्रोग्राम को बाद के चरण में नहीं बदला जा सकता है।

उन्होंने कहा कि दो निर्माता इलेक्ट्रॉनिक्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड और भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड सिंबल लोडिंग यूनिट (एसएलयू) तैयार करते हैं।

चुनाव निकाय अधिकारी ने बताया कि मतगणना समाप्त होने के बाद सभी ईवीएम को जन प्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत चुनाव याचिका दायर करने के लिए प्रदान की गई 45 दिन की सीमा अवधि समाप्त होने तक संग्रहीत किया जाता है।

इसके बाद, 46वें दिन, मुख्य निर्वाचन अधिकारी संबंधित उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल को यह पता लगाने के लिए लिखते हैं कि क्या कोई चुनाव याचिका दायर की गई है और नकारात्मक उत्तर प्राप्त होने के बाद ही जिला अधिकारियों को स्ट्रॉन्ग रूम खोलने का निर्देश दिया जाता है। यदि कोई चुनाव याचिका दायर की गई पाई जाती है, तो स्ट्रॉन्ग रूम सील कर दिए जाते हैं और “कोई भी इसे छूता नहीं है”।

अधिकारी ने शीर्ष अदालत के समक्ष कहा, “मतदान समाप्त होने के बाद तीनों इकाइयों को सील कर दिया जाता है।”

इससे पहले दिन में, सुप्रीम कोर्ट ने ईसीआई की ओर से पेश वरिष्ठ वकील मनिंदर सिंह से कहा कि वे ईवीएम से संबंधित कुछ तकनीकी प्रश्नों का उत्तर देने के लिए चुनाव आयोग के अधिकारियों को दोपहर दो बजे उपस्थित रहने के लिए कहें।

उसने यह जानने की कोशिश की कि क्या माइक्रोकंट्रोलर कंट्रोलिंग यूनिट में या वीवीपीएटी (वोटर-वेरिफ़िएबल पेपर ऑडिट ट्रेल) में स्थापित है और क्या इस्तेमाल किया गया माइक्रोकंट्रोलर “वन-टाइम प्रोग्रामेबल” है या नहीं।

पिछले सप्ताह, शीर्ष अदालत ने जनहित याचिकाओं (पीआईएल) पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था, जिसमें वोटर-वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपीएटी) पर्चियों के साथ ईवीएम में डाले गए वोटों के अनिवार्य क्रॉस-सत्यापन की मांग की गई थी।

–आईएएनएस

एकेजे/

Related Posts

युद्ध भड़काने के लिए पाकिस्तानी सेना अग्रिम मोर्चों की तरफ बढ रही, भारतीय सेनाएं भी मुस्तैद
ताज़ा समाचार

युद्ध भड़काने के लिए पाकिस्तानी सेना अग्रिम मोर्चों की तरफ बढ रही, भारतीय सेनाएं भी मुस्तैद

May 10, 2025
ना ही S 400, ना ही ब्रह्मोस मिसाइल हुई तबाह, हर उकसावे का दिया जा रहा जवाब- कर्नल सोफिया
ताज़ा समाचार

ना ही S 400, ना ही ब्रह्मोस मिसाइल हुई तबाह, हर उकसावे का दिया जा रहा जवाब- कर्नल सोफिया

May 10, 2025
सिद्धिविनायक मंदिर का बड़ा फैसला, नारियल और माला पर लगाई रोक
ताज़ा समाचार

भारत-पाक तनाव के बीच: सिद्धिविनायक मंदिर में नारियल और माला पर लगाई रोक

May 10, 2025
राष्ट्रीय

राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा की पाकिस्तान को कड़ी चेतावनी : “रावलपिंडी में लहराएगा भारत का तिरंगा”

May 10, 2025
राष्ट्रीय

पाकिस्तान एक कमजोर पहलवान, मेक इन इंडिया के हथियारों का दिख रहा दम: अनिल विज

May 10, 2025
जैसलमेर और बाड़मेर में लॉकडाउन जैसे हालात, पाकिस्तान से बढ़ते तनाव के बीच कड़ी सुरक्षा व्यवस्था
राष्ट्रीय

जैसलमेर और बाड़मेर में लॉकडाउन जैसे हालात, पाकिस्तान से बढ़ते तनाव के बीच कड़ी सुरक्षा व्यवस्था

May 10, 2025
Next Post
शी चिनफिंग ने चीनी आधुनिकीकरण में छोंगछिंग का नया अध्याय जोड़ने पर बल दिया

शी चिनफिंग ने चीनी आधुनिकीकरण में छोंगछिंग का नया अध्याय जोड़ने पर बल दिया

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

POPULAR NEWS

बंदा प्रकाश तेलंगाना विधान परिषद के उप सभापति चुने गए

बंदा प्रकाश तेलंगाना विधान परिषद के उप सभापति चुने गए

February 12, 2023
बीएसएफ ने मेघालय में 40 मवेशियों को छुड़ाया, 3 तस्कर गिरफ्तार

बीएसएफ ने मेघालय में 40 मवेशियों को छुड़ाया, 3 तस्कर गिरफ्तार

February 12, 2023
चीनी शताब्दी की दूर-दूर तक संभावना नहीं

चीनी शताब्दी की दूर-दूर तक संभावना नहीं

February 12, 2023

बंगाल के जलपाईगुड़ी में बाढ़ जैसे हालात, शहर में घुसने लगा नदी का पानी

August 26, 2023
राधिका खेड़ा ने छोड़ा कांग्रेस का दामन, प्राथमिक सदस्यता से दिया इस्तीफा

राधिका खेड़ा ने छोड़ा कांग्रेस का दामन, प्राथमिक सदस्यता से दिया इस्तीफा

May 5, 2024

EDITOR'S PICK

कर्नाटक हाईकोर्ट ने 5वीं और 8वीं की बोर्ड परीक्षा रद्द की

कर्नाटक हाईकोर्ट ने 5वीं और 8वीं की बोर्ड परीक्षा रद्द की

March 10, 2023
तस्वीरें वायरल होने से आहत किशोरी ने की आत्महत्या

तस्वीरें वायरल होने से आहत किशोरी ने की आत्महत्या

July 4, 2023
कल्ट स्पोर्ट ने ब्लूटूथ कॉलिंग फीचर के साथ लॉन्च की फिटनेस स्मार्टवॉच

कल्ट स्पोर्ट ने ब्लूटूथ कॉलिंग फीचर के साथ लॉन्च की फिटनेस स्मार्टवॉच

March 1, 2023

रियाद में सोमवार को भारत-खाड़ी सहयोग परिषद की महत्वपूर्ण बैठक

September 8, 2024
ADVERTISEMENT

Contact us

Address

Deshbandhu Complex, Naudra Bridge Jabalpur 482001

Mail

deshbandhump@gmail.com

Mobile

9425156056

Important links

  • राशि-भविष्य
  • वर्गीकृत विज्ञापन
  • लाइफ स्टाइल
  • मनोरंजन
  • ब्लॉग

Important links

  • देशबन्धु जनमत
  • पाठक प्रतिक्रियाएं
  • हमें जानें
  • विज्ञापन दरें
  • ई पेपर

Related Links

  • Mayaram Surjan
  • Swayamsiddha
  • Deshbandhu

Social Links

080842
Total views : 5869468
Powered By WPS Visitor Counter

Published by Abhas Surjan on behalf of Patrakar Prakashan Pvt.Ltd., Deshbandhu Complex, Naudra Bridge, Jabalpur – 482001 |T:+91 761 4006577 |M: +91 9425156056 Disclaimer, Privacy Policy & Other Terms & Conditions The contents of this website is for reading only. Any unauthorised attempt to temper / edit / change the contents of this website comes under cyber crime and is punishable.

Copyright @ 2022 Deshbandhu. All rights are reserved.

  • Disclaimer, Privacy Policy & Other Terms & Conditions
No Result
View All Result
  • राष्ट्रीय
  • अंतरराष्ट्रीय
  • लाइफ स्टाइल
  • अर्थजगत
  • मनोरंजन
  • खेल
  • अभिमत
  • धर्म
  • विचार
  • ई पेपर

Copyright @ 2022 Deshbandhu-MP All rights are reserved.

Welcome Back!

Login to your account below

Forgotten Password? Sign Up

Create New Account!

Fill the forms below to register

All fields are required. Log In

Retrieve your password

Please enter your username or email address to reset your password.

Log In

Notifications