कोलकाता, 20 जून (आईएएनएस)। सर्वोच्च न्यायालय द्वारा मंगलवार को पश्चिम बंगाल में आगामी पंचायत चुनावों के लिए केंद्रीय सशस्त्र बलों की तैनाती पर कलकत्ता उच्च न्यायालय के आदेश को बरकरार रखने के बाद राजनीतिक गतिरोध शुरू हो गया है।
सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्रीय सशस्त्र बलों की तैनाती पर कलकत्ता उच्च न्यायालय के आदेश को बरकरार रखा और राज्य चुनाव आयोग और राज्य सरकार द्वारा दायर विशेष अनुमति याचिकाओं को खारिज कर दिया।
न्यायमूर्ति बी.वी. नागरत्न और मनोज मिश्रा की खंडपीठ ने कहा कि चूंकि कलकत्ता उच्च न्यायालय ने स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने के लिए केंद्रीय बलों को निर्देश दिया था, इसलिए इसका पालन करने में कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए।
घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए माकपा के राज्यसभा सदस्य और कलकत्ता उच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता बिकास रंजन भट्टाचार्य ने कहा कि शीर्ष अदालत का ऐसा आदेश अपरिहार्य था।
भट्टाचार्य ने कहा, राज्य सरकार और राज्य चुनाव आयोग स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने के लिए गंभीर नहीं थे और इसलिए वे केंद्रीय सशस्त्र बलों की तैनाती की प्रक्रिया को रोकने के लिए इतने उतावले थे। शीर्ष अदालत ने राज्य चुनाव आयोग द्वारा याचिका दायर करने के तर्क पर सही सवाल उठाया है।
इस फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए, भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और पार्टी के लोकसभा सदस्य दिलीप घोष ने कहा कि रथ यात्रा का शुभ दिन राज्य सरकार और राज्य चुनाव आयोग के लिए अंतरजली यात्रा (प्रलय का दिन) के दिन में बदल गया है।
घोष ने कहा, राज्य सरकार और सत्ताधारी पार्टी की चुनाव जीतने की मजबूरी हो सकती है। लेकिन राज्य चुनाव आयोग ने केंद्रीय सशस्त्र बलों की तैनाती का विरोध क्यों किया। यही वजह है कि आज सुप्रीम कोर्ट ने आयोग के कान खड़े कर दिए। .
पश्चिम बंगाल में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और दिग्गज लोकसभा सदस्य अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि शीर्ष अदालत के फैसले ने साबित कर दिया है कि पूरे मामले में राज्य चुनाव आयोग की भूमिका कितनी पक्षपाती थी।
खबर लिखे जाने तक इस मामले में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई थी।
–आईएएनएस
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