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Home राष्ट्रीय

चुनौतियों के बावजूद भारतीय विमानन क्षेत्र सही दिशा में

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May 21, 2023
in राष्ट्रीय
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चेन्नई, 21 मई (आईएएनएस)। काफी धूमधड़ाके साथ टेकऑफ के बाद क्रैश लैंडिंग शुरू से ही भारतीय विमानन क्षेत्र में देखा गया है।

एनईपीसी एयरलाइंस, दमानिया एयरवेज, जेट एयरवेज, किंगफिशर एयरलाइंस, डेक्कन एविएशन, पैरामाउंट एयरवेज जैसे बड़े नामों के अलावा कई आया राम और गया राम इसके कुछ उदाहरण हैं।

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न सिर्फ ये एयरलाइंस डूब गईं, बल्कि वे उन्हें कर्ज देने वाले सार्वजनिक बैंकों और उनमें निवेश करने वाले आम शेयरधारकों की पूंजी भी ले डूबे।

यह अलग बात है कि स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) ने ट्रेडमार्क/ब्रांड वैल्यू की एवज में किंगफिशर एयरलाइंस को हजारों करोड़ रुपये उधार दिए थे।

लंबे समय तक एयर इंडिया और इंडियन एयरलाइंस (बाद में एयर इंडिया में विलय) बची रह सकीं क्योंकि वे भारत सरकार के स्वामित्व में थीं। हाल ही में टाटा समूह ने एयर इंडिया का अधिग्रहण किया है।

जो भी हो, अब दो एयरलाइंस वित्तीय समस्याओं के लिए सुर्खियों में हैं – गो एयरलाइंस (इंडिया) और स्पाइसजेट।

वाडिया समूह की गो एयरलाइंस ने इस महीने की शुरुआत में स्वेच्छा से राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) के समक्ष से संबंधित इस महीने की शुरूआत में स्वेच्छा से एक दिवाला याचिका दायर किया, जिसे बाद में स्वीकार कर एक अंतरिम समाधान पेशेवर (आईआरपी) नियुक्त किया गया।

गो एयरलाइंस के अधिकारियों ने कहा कि यह उसके बेड़े के विमानों को पट्टेदारों द्वारा वापस ले लिए जाने से बचाने के लिए किया गया था।

गो एयरलाइंस ने अपनी समस्याओं के लिए इंजन आपूर्तिकर्ता प्रैट एंड व्हिटनी को दोषी ठहराया क्योंकि उसके 54 विमानों के बेड़े का लगभग 50 प्रतिशत इंजन की खराबी के कारण ग्राउंडेड है और आपूर्तिकर्ता ने अतिरिक्त इंजनों की आपूर्ति से मना कर दिया है।

दूसरी ओर, आयरलैंड स्थित विमान पट्टेदार एयरकैसल लिमिटेड ने एनसीएलटी की मुख्य बेंच के समक्ष याचिका दायर कर एयरलाइन के खिलाफ दिवालियापन प्रक्रिया शुरू करने की मांग की है।

तो, क्या भारतीय विमानन क्षेत्र आया राम और गया राम की कहानी है या यह बदलाव के लिए तैयार है?

ऐसा कहा जाता है कि बढ़ता मध्यम वर्ग किफायती विमान सेवा कंपनियों (एलसीसी) के लिए बेहतरीन अवसर प्रदान करता है।

गो एयरलाइंस के सीईओ कौशिक खोना ने कम लागत वाली एयरलाइंस के व्यवहार्य व्यावसायिक प्रस्ताव के सवाल पर कहा कि कंपनी 2009-10 से 2019-20 तक मुनाफा कमा रही थी। जनवरी 2020 से ही प्रैट एंड व्हिटनी इंजन की समस्या बढ़ गई और कंपनी को समस्याओं का सामना करना पड़ा क्योंकि एयरलाइंस की निश्चित लागत बहुत ज्यादा होती है।

खोना ने कहा कि केवल किफायती एयरलाइंस व्यवसाय ही लाभदायक हो सकता है।

भारत सरकार नए हवाईअड्डों के निर्माण पर भी ध्यान केंद्रित कर रही है, जो बदले में एयरलाइंस के लिए हवाई संपर्क और पैसेंजर लोड फैक्टर (भरी सीटों के अनुपात) को बढ़ाएगा।

भविष्य की बात भविष्य में। क्रेडिट रेटिंग एजेंसी आईसीआरए की मौजूदा रिपोर्ट उद्योग के लिए एक अलग तस्वीर पेश करती है।

आईसीआरए ने अपनी नवीनतम क्षेत्रीय रिपोर्ट में कहा कि वित्त वर्ष 2023-24 में विमानन उद्योग का नुकसान कम होकर लगभग 50-70 अरब रुपये रह जाने की संभावना है, क्योंकि यात्रियों की संख्या ठीक-ठाक है और एयरलाइंस में अपना राजस्व बढ़ाने की क्षमता है।

ऐसा कहा जाता है कि उच्च लागत और टिकट की कम कीमतों के कारण किफायती विमान सेवा खंड फंस गया है।

अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपये के कमजोर पड़ने और विमानईंधन (एटीएफ) की ऊंची कीमत एयरलाइंस की नींव को प्रभावित करती हैं।

आईसीआरए के उपाध्यक्ष और कॉपोर्रेट रेटिंग्स के सेक्टर हेड सुप्रियो बनर्जी ने कहा, एटीएफ की कीमतों में पिछले चार महीनों में क्रमिक गिरावट देखी गई है, फिर भी यह कोविड से पहले की तुलना में काफी महंगा है।

आईसीआरए के अनुसार, एटीएफ की औसत कीमत वित्त वर्ष 2023 में 1,21,013 रुपये प्रति किलोलीटर और अप्रैल 2023 में 99,506 रुपये प्रति किलोलीटर थी जबकि वित्त वर्ष 2020 में औरसम कीमत 64,715 रुपये प्रति किलोलीटर थी।

एयरलाइंस के व्यय में ईंधन की लागत का हिस्सा लगभग 30-40 प्रतिशत होता है, जबकि एयरलाइंस के परिचालन खर्च का लगभग 35-50 प्रतिशत – जिसमें विमान लीज भुगतान, ईंधन खर्च और विमान और इंजन रखरखाव खर्च शामिल हैं – का भुगतान अमेरिकी डॉलर में होता है। इसके अलावा, कुछ एयरलाइंस पर विदेशी मुद्रा में कर्ज भी है।

आईसीआरए के अनुसार, भारतीय विमानन क्षेत्र ने उच्च एटीएफ कीमतों और रुपये के मूल्यह्रास के कारण वित्त वर्ष 2022-23 में लगभग 110-130 अरब रुपये का शुद्ध घाटा दर्ज किया।

घरेलू यात्री हवाई यातायात में अब तेजी आ रही है। इंजन की समस्याओं के कारण कई विमान ग्राउंडेड हैं और गो एयरलाइंस ने उडाने बंद कर दी हैं। इन सभी कारणों से दूसरी एयरलाइंस के भरी सीटों का अनुपात (पीएलएफ) बढ़ा है और टिकटों की कीमतों में तेजी आई है।

आईस्ीआरए ने बताया कि अप्रैल 2023 में घरेलू मार्गो पर यात्रियों की संख्या लगभग 129 लाख रही है, जो मार्च 2023 में लगभग 128.9 लाख थी। यह अप्रैल 2022 के लगभग 105 लाख की तुलना में 22 प्रतिशत अधिक और कोविड-19 से पहले अप्रैल 2019 के लगभग 110 लाख की तुलना में 17 प्रतिशत अधिक है।

घरेलू एयरलाइनों के लिए अप्रैल 2023 में पीएलएफ लगभग 91 प्रतिशत रहा जो अप्रैल 2022 में लगभग 81 प्रतिशत था।

एयरलाइंस की वित्तीय स्थिति की बात करें तो एयर इंडिया, विस्तारा और एयर एशिया को टाटा समूह का समर्थन प्राप्त है। कुछ एयरलाइंस के लिए कुछ समय के लिए तरलता का दबाव रहेगा लेकिन पिछले वर्षों की तुलना में स्थिति अच्छी रहेगी।

भले ही कई भारतीय एयरलाइन ब्रांड हवा में उड़ रहे हैं, केवल तीन यात्री एयरलाइंस – इंटरग्लोब एविएशन लिमिटेड (ब्रांड इंडिगो), स्पाइसजेट, जेट एयरवेज – और एक हेलीकॉप्टर सेवा कंपनी ग्लोबल वेक्ट्रा हेलिकॉर्प लिमिटेड शेयर बाजारों में सूचीबद्ध हैं।

सरकारी आंकड़ों के अनुसार, जनवरी-मार्च 2023 के दौरान इंडिगो की बाजार हिस्सेदारी 55.7 प्रतिशत और स्पाइस जेट का 6.9 प्रतिशत है।

जेट एयरवेज अभी वित्तीय समस्याओं के कारण चालू नहीं है।

भारतीय विमानन क्षेत्र स्थिरता की बात करें तो अभी इसे लेकर कोई चिंता की बात नहीं है।

टाटा समूह विस्तारा और एयरएशिया का एयर इंडिया में विलय करने की तैयारी में है। अब तक इन तीनों तीन एयरलाइंस की संयुक्त बाजार हिस्सेदारी 25.1 प्रतिशत (एयर इंडिया 9 प्रतिशत, विस्तारा 8.8 प्रतिशत और एयर एशिया 7.3 प्रतिशत) है।

विलय के बाद और बेड़े के विस्तार के साथ अगर चीजें सही रास्ते पर रहीं तो एयर इंडिया की बाजार हिस्सेदारी में वृद्धि होनी चाहिए। दूसरी ओर, इंडिगो को उसकी बाजार हिस्सेदारी को देखते हुए कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए।

इसके अलावा यात्री यातायात में वृद्धि और बेहतर राजस्व के साथ भारतीय एयरलाइन क्षेत्र के ऊंची उड़ान भरने की उम्मीद है।

–आईएएनएस

एकेजे

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चेन्नई, 21 मई (आईएएनएस)। काफी धूमधड़ाके साथ टेकऑफ के बाद क्रैश लैंडिंग शुरू से ही भारतीय विमानन क्षेत्र में देखा गया है।

एनईपीसी एयरलाइंस, दमानिया एयरवेज, जेट एयरवेज, किंगफिशर एयरलाइंस, डेक्कन एविएशन, पैरामाउंट एयरवेज जैसे बड़े नामों के अलावा कई आया राम और गया राम इसके कुछ उदाहरण हैं।

न सिर्फ ये एयरलाइंस डूब गईं, बल्कि वे उन्हें कर्ज देने वाले सार्वजनिक बैंकों और उनमें निवेश करने वाले आम शेयरधारकों की पूंजी भी ले डूबे।

यह अलग बात है कि स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) ने ट्रेडमार्क/ब्रांड वैल्यू की एवज में किंगफिशर एयरलाइंस को हजारों करोड़ रुपये उधार दिए थे।

लंबे समय तक एयर इंडिया और इंडियन एयरलाइंस (बाद में एयर इंडिया में विलय) बची रह सकीं क्योंकि वे भारत सरकार के स्वामित्व में थीं। हाल ही में टाटा समूह ने एयर इंडिया का अधिग्रहण किया है।

जो भी हो, अब दो एयरलाइंस वित्तीय समस्याओं के लिए सुर्खियों में हैं – गो एयरलाइंस (इंडिया) और स्पाइसजेट।

वाडिया समूह की गो एयरलाइंस ने इस महीने की शुरुआत में स्वेच्छा से राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) के समक्ष से संबंधित इस महीने की शुरूआत में स्वेच्छा से एक दिवाला याचिका दायर किया, जिसे बाद में स्वीकार कर एक अंतरिम समाधान पेशेवर (आईआरपी) नियुक्त किया गया।

गो एयरलाइंस के अधिकारियों ने कहा कि यह उसके बेड़े के विमानों को पट्टेदारों द्वारा वापस ले लिए जाने से बचाने के लिए किया गया था।

गो एयरलाइंस ने अपनी समस्याओं के लिए इंजन आपूर्तिकर्ता प्रैट एंड व्हिटनी को दोषी ठहराया क्योंकि उसके 54 विमानों के बेड़े का लगभग 50 प्रतिशत इंजन की खराबी के कारण ग्राउंडेड है और आपूर्तिकर्ता ने अतिरिक्त इंजनों की आपूर्ति से मना कर दिया है।

दूसरी ओर, आयरलैंड स्थित विमान पट्टेदार एयरकैसल लिमिटेड ने एनसीएलटी की मुख्य बेंच के समक्ष याचिका दायर कर एयरलाइन के खिलाफ दिवालियापन प्रक्रिया शुरू करने की मांग की है।

तो, क्या भारतीय विमानन क्षेत्र आया राम और गया राम की कहानी है या यह बदलाव के लिए तैयार है?

ऐसा कहा जाता है कि बढ़ता मध्यम वर्ग किफायती विमान सेवा कंपनियों (एलसीसी) के लिए बेहतरीन अवसर प्रदान करता है।

गो एयरलाइंस के सीईओ कौशिक खोना ने कम लागत वाली एयरलाइंस के व्यवहार्य व्यावसायिक प्रस्ताव के सवाल पर कहा कि कंपनी 2009-10 से 2019-20 तक मुनाफा कमा रही थी। जनवरी 2020 से ही प्रैट एंड व्हिटनी इंजन की समस्या बढ़ गई और कंपनी को समस्याओं का सामना करना पड़ा क्योंकि एयरलाइंस की निश्चित लागत बहुत ज्यादा होती है।

खोना ने कहा कि केवल किफायती एयरलाइंस व्यवसाय ही लाभदायक हो सकता है।

भारत सरकार नए हवाईअड्डों के निर्माण पर भी ध्यान केंद्रित कर रही है, जो बदले में एयरलाइंस के लिए हवाई संपर्क और पैसेंजर लोड फैक्टर (भरी सीटों के अनुपात) को बढ़ाएगा।

भविष्य की बात भविष्य में। क्रेडिट रेटिंग एजेंसी आईसीआरए की मौजूदा रिपोर्ट उद्योग के लिए एक अलग तस्वीर पेश करती है।

आईसीआरए ने अपनी नवीनतम क्षेत्रीय रिपोर्ट में कहा कि वित्त वर्ष 2023-24 में विमानन उद्योग का नुकसान कम होकर लगभग 50-70 अरब रुपये रह जाने की संभावना है, क्योंकि यात्रियों की संख्या ठीक-ठाक है और एयरलाइंस में अपना राजस्व बढ़ाने की क्षमता है।

ऐसा कहा जाता है कि उच्च लागत और टिकट की कम कीमतों के कारण किफायती विमान सेवा खंड फंस गया है।

अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपये के कमजोर पड़ने और विमानईंधन (एटीएफ) की ऊंची कीमत एयरलाइंस की नींव को प्रभावित करती हैं।

आईसीआरए के उपाध्यक्ष और कॉपोर्रेट रेटिंग्स के सेक्टर हेड सुप्रियो बनर्जी ने कहा, एटीएफ की कीमतों में पिछले चार महीनों में क्रमिक गिरावट देखी गई है, फिर भी यह कोविड से पहले की तुलना में काफी महंगा है।

आईसीआरए के अनुसार, एटीएफ की औसत कीमत वित्त वर्ष 2023 में 1,21,013 रुपये प्रति किलोलीटर और अप्रैल 2023 में 99,506 रुपये प्रति किलोलीटर थी जबकि वित्त वर्ष 2020 में औरसम कीमत 64,715 रुपये प्रति किलोलीटर थी।

एयरलाइंस के व्यय में ईंधन की लागत का हिस्सा लगभग 30-40 प्रतिशत होता है, जबकि एयरलाइंस के परिचालन खर्च का लगभग 35-50 प्रतिशत – जिसमें विमान लीज भुगतान, ईंधन खर्च और विमान और इंजन रखरखाव खर्च शामिल हैं – का भुगतान अमेरिकी डॉलर में होता है। इसके अलावा, कुछ एयरलाइंस पर विदेशी मुद्रा में कर्ज भी है।

आईसीआरए के अनुसार, भारतीय विमानन क्षेत्र ने उच्च एटीएफ कीमतों और रुपये के मूल्यह्रास के कारण वित्त वर्ष 2022-23 में लगभग 110-130 अरब रुपये का शुद्ध घाटा दर्ज किया।

घरेलू यात्री हवाई यातायात में अब तेजी आ रही है। इंजन की समस्याओं के कारण कई विमान ग्राउंडेड हैं और गो एयरलाइंस ने उडाने बंद कर दी हैं। इन सभी कारणों से दूसरी एयरलाइंस के भरी सीटों का अनुपात (पीएलएफ) बढ़ा है और टिकटों की कीमतों में तेजी आई है।

आईस्ीआरए ने बताया कि अप्रैल 2023 में घरेलू मार्गो पर यात्रियों की संख्या लगभग 129 लाख रही है, जो मार्च 2023 में लगभग 128.9 लाख थी। यह अप्रैल 2022 के लगभग 105 लाख की तुलना में 22 प्रतिशत अधिक और कोविड-19 से पहले अप्रैल 2019 के लगभग 110 लाख की तुलना में 17 प्रतिशत अधिक है।

घरेलू एयरलाइनों के लिए अप्रैल 2023 में पीएलएफ लगभग 91 प्रतिशत रहा जो अप्रैल 2022 में लगभग 81 प्रतिशत था।

एयरलाइंस की वित्तीय स्थिति की बात करें तो एयर इंडिया, विस्तारा और एयर एशिया को टाटा समूह का समर्थन प्राप्त है। कुछ एयरलाइंस के लिए कुछ समय के लिए तरलता का दबाव रहेगा लेकिन पिछले वर्षों की तुलना में स्थिति अच्छी रहेगी।

भले ही कई भारतीय एयरलाइन ब्रांड हवा में उड़ रहे हैं, केवल तीन यात्री एयरलाइंस – इंटरग्लोब एविएशन लिमिटेड (ब्रांड इंडिगो), स्पाइसजेट, जेट एयरवेज – और एक हेलीकॉप्टर सेवा कंपनी ग्लोबल वेक्ट्रा हेलिकॉर्प लिमिटेड शेयर बाजारों में सूचीबद्ध हैं।

सरकारी आंकड़ों के अनुसार, जनवरी-मार्च 2023 के दौरान इंडिगो की बाजार हिस्सेदारी 55.7 प्रतिशत और स्पाइस जेट का 6.9 प्रतिशत है।

जेट एयरवेज अभी वित्तीय समस्याओं के कारण चालू नहीं है।

भारतीय विमानन क्षेत्र स्थिरता की बात करें तो अभी इसे लेकर कोई चिंता की बात नहीं है।

टाटा समूह विस्तारा और एयरएशिया का एयर इंडिया में विलय करने की तैयारी में है। अब तक इन तीनों तीन एयरलाइंस की संयुक्त बाजार हिस्सेदारी 25.1 प्रतिशत (एयर इंडिया 9 प्रतिशत, विस्तारा 8.8 प्रतिशत और एयर एशिया 7.3 प्रतिशत) है।

विलय के बाद और बेड़े के विस्तार के साथ अगर चीजें सही रास्ते पर रहीं तो एयर इंडिया की बाजार हिस्सेदारी में वृद्धि होनी चाहिए। दूसरी ओर, इंडिगो को उसकी बाजार हिस्सेदारी को देखते हुए कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए।

इसके अलावा यात्री यातायात में वृद्धि और बेहतर राजस्व के साथ भारतीय एयरलाइन क्षेत्र के ऊंची उड़ान भरने की उम्मीद है।

–आईएएनएस

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एनईपीसी एयरलाइंस, दमानिया एयरवेज, जेट एयरवेज, किंगफिशर एयरलाइंस, डेक्कन एविएशन, पैरामाउंट एयरवेज जैसे बड़े नामों के अलावा कई आया राम और गया राम इसके कुछ उदाहरण हैं।

न सिर्फ ये एयरलाइंस डूब गईं, बल्कि वे उन्हें कर्ज देने वाले सार्वजनिक बैंकों और उनमें निवेश करने वाले आम शेयरधारकों की पूंजी भी ले डूबे।

यह अलग बात है कि स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) ने ट्रेडमार्क/ब्रांड वैल्यू की एवज में किंगफिशर एयरलाइंस को हजारों करोड़ रुपये उधार दिए थे।

लंबे समय तक एयर इंडिया और इंडियन एयरलाइंस (बाद में एयर इंडिया में विलय) बची रह सकीं क्योंकि वे भारत सरकार के स्वामित्व में थीं। हाल ही में टाटा समूह ने एयर इंडिया का अधिग्रहण किया है।

जो भी हो, अब दो एयरलाइंस वित्तीय समस्याओं के लिए सुर्खियों में हैं – गो एयरलाइंस (इंडिया) और स्पाइसजेट।

वाडिया समूह की गो एयरलाइंस ने इस महीने की शुरुआत में स्वेच्छा से राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) के समक्ष से संबंधित इस महीने की शुरूआत में स्वेच्छा से एक दिवाला याचिका दायर किया, जिसे बाद में स्वीकार कर एक अंतरिम समाधान पेशेवर (आईआरपी) नियुक्त किया गया।

गो एयरलाइंस के अधिकारियों ने कहा कि यह उसके बेड़े के विमानों को पट्टेदारों द्वारा वापस ले लिए जाने से बचाने के लिए किया गया था।

गो एयरलाइंस ने अपनी समस्याओं के लिए इंजन आपूर्तिकर्ता प्रैट एंड व्हिटनी को दोषी ठहराया क्योंकि उसके 54 विमानों के बेड़े का लगभग 50 प्रतिशत इंजन की खराबी के कारण ग्राउंडेड है और आपूर्तिकर्ता ने अतिरिक्त इंजनों की आपूर्ति से मना कर दिया है।

दूसरी ओर, आयरलैंड स्थित विमान पट्टेदार एयरकैसल लिमिटेड ने एनसीएलटी की मुख्य बेंच के समक्ष याचिका दायर कर एयरलाइन के खिलाफ दिवालियापन प्रक्रिया शुरू करने की मांग की है।

तो, क्या भारतीय विमानन क्षेत्र आया राम और गया राम की कहानी है या यह बदलाव के लिए तैयार है?

ऐसा कहा जाता है कि बढ़ता मध्यम वर्ग किफायती विमान सेवा कंपनियों (एलसीसी) के लिए बेहतरीन अवसर प्रदान करता है।

गो एयरलाइंस के सीईओ कौशिक खोना ने कम लागत वाली एयरलाइंस के व्यवहार्य व्यावसायिक प्रस्ताव के सवाल पर कहा कि कंपनी 2009-10 से 2019-20 तक मुनाफा कमा रही थी। जनवरी 2020 से ही प्रैट एंड व्हिटनी इंजन की समस्या बढ़ गई और कंपनी को समस्याओं का सामना करना पड़ा क्योंकि एयरलाइंस की निश्चित लागत बहुत ज्यादा होती है।

खोना ने कहा कि केवल किफायती एयरलाइंस व्यवसाय ही लाभदायक हो सकता है।

भारत सरकार नए हवाईअड्डों के निर्माण पर भी ध्यान केंद्रित कर रही है, जो बदले में एयरलाइंस के लिए हवाई संपर्क और पैसेंजर लोड फैक्टर (भरी सीटों के अनुपात) को बढ़ाएगा।

भविष्य की बात भविष्य में। क्रेडिट रेटिंग एजेंसी आईसीआरए की मौजूदा रिपोर्ट उद्योग के लिए एक अलग तस्वीर पेश करती है।

आईसीआरए ने अपनी नवीनतम क्षेत्रीय रिपोर्ट में कहा कि वित्त वर्ष 2023-24 में विमानन उद्योग का नुकसान कम होकर लगभग 50-70 अरब रुपये रह जाने की संभावना है, क्योंकि यात्रियों की संख्या ठीक-ठाक है और एयरलाइंस में अपना राजस्व बढ़ाने की क्षमता है।

ऐसा कहा जाता है कि उच्च लागत और टिकट की कम कीमतों के कारण किफायती विमान सेवा खंड फंस गया है।

अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपये के कमजोर पड़ने और विमानईंधन (एटीएफ) की ऊंची कीमत एयरलाइंस की नींव को प्रभावित करती हैं।

आईसीआरए के उपाध्यक्ष और कॉपोर्रेट रेटिंग्स के सेक्टर हेड सुप्रियो बनर्जी ने कहा, एटीएफ की कीमतों में पिछले चार महीनों में क्रमिक गिरावट देखी गई है, फिर भी यह कोविड से पहले की तुलना में काफी महंगा है।

आईसीआरए के अनुसार, एटीएफ की औसत कीमत वित्त वर्ष 2023 में 1,21,013 रुपये प्रति किलोलीटर और अप्रैल 2023 में 99,506 रुपये प्रति किलोलीटर थी जबकि वित्त वर्ष 2020 में औरसम कीमत 64,715 रुपये प्रति किलोलीटर थी।

एयरलाइंस के व्यय में ईंधन की लागत का हिस्सा लगभग 30-40 प्रतिशत होता है, जबकि एयरलाइंस के परिचालन खर्च का लगभग 35-50 प्रतिशत – जिसमें विमान लीज भुगतान, ईंधन खर्च और विमान और इंजन रखरखाव खर्च शामिल हैं – का भुगतान अमेरिकी डॉलर में होता है। इसके अलावा, कुछ एयरलाइंस पर विदेशी मुद्रा में कर्ज भी है।

आईसीआरए के अनुसार, भारतीय विमानन क्षेत्र ने उच्च एटीएफ कीमतों और रुपये के मूल्यह्रास के कारण वित्त वर्ष 2022-23 में लगभग 110-130 अरब रुपये का शुद्ध घाटा दर्ज किया।

घरेलू यात्री हवाई यातायात में अब तेजी आ रही है। इंजन की समस्याओं के कारण कई विमान ग्राउंडेड हैं और गो एयरलाइंस ने उडाने बंद कर दी हैं। इन सभी कारणों से दूसरी एयरलाइंस के भरी सीटों का अनुपात (पीएलएफ) बढ़ा है और टिकटों की कीमतों में तेजी आई है।

आईस्ीआरए ने बताया कि अप्रैल 2023 में घरेलू मार्गो पर यात्रियों की संख्या लगभग 129 लाख रही है, जो मार्च 2023 में लगभग 128.9 लाख थी। यह अप्रैल 2022 के लगभग 105 लाख की तुलना में 22 प्रतिशत अधिक और कोविड-19 से पहले अप्रैल 2019 के लगभग 110 लाख की तुलना में 17 प्रतिशत अधिक है।

घरेलू एयरलाइनों के लिए अप्रैल 2023 में पीएलएफ लगभग 91 प्रतिशत रहा जो अप्रैल 2022 में लगभग 81 प्रतिशत था।

एयरलाइंस की वित्तीय स्थिति की बात करें तो एयर इंडिया, विस्तारा और एयर एशिया को टाटा समूह का समर्थन प्राप्त है। कुछ एयरलाइंस के लिए कुछ समय के लिए तरलता का दबाव रहेगा लेकिन पिछले वर्षों की तुलना में स्थिति अच्छी रहेगी।

भले ही कई भारतीय एयरलाइन ब्रांड हवा में उड़ रहे हैं, केवल तीन यात्री एयरलाइंस – इंटरग्लोब एविएशन लिमिटेड (ब्रांड इंडिगो), स्पाइसजेट, जेट एयरवेज – और एक हेलीकॉप्टर सेवा कंपनी ग्लोबल वेक्ट्रा हेलिकॉर्प लिमिटेड शेयर बाजारों में सूचीबद्ध हैं।

सरकारी आंकड़ों के अनुसार, जनवरी-मार्च 2023 के दौरान इंडिगो की बाजार हिस्सेदारी 55.7 प्रतिशत और स्पाइस जेट का 6.9 प्रतिशत है।

जेट एयरवेज अभी वित्तीय समस्याओं के कारण चालू नहीं है।

भारतीय विमानन क्षेत्र स्थिरता की बात करें तो अभी इसे लेकर कोई चिंता की बात नहीं है।

टाटा समूह विस्तारा और एयरएशिया का एयर इंडिया में विलय करने की तैयारी में है। अब तक इन तीनों तीन एयरलाइंस की संयुक्त बाजार हिस्सेदारी 25.1 प्रतिशत (एयर इंडिया 9 प्रतिशत, विस्तारा 8.8 प्रतिशत और एयर एशिया 7.3 प्रतिशत) है।

विलय के बाद और बेड़े के विस्तार के साथ अगर चीजें सही रास्ते पर रहीं तो एयर इंडिया की बाजार हिस्सेदारी में वृद्धि होनी चाहिए। दूसरी ओर, इंडिगो को उसकी बाजार हिस्सेदारी को देखते हुए कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए।

इसके अलावा यात्री यातायात में वृद्धि और बेहतर राजस्व के साथ भारतीय एयरलाइन क्षेत्र के ऊंची उड़ान भरने की उम्मीद है।

–आईएएनएस

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एनईपीसी एयरलाइंस, दमानिया एयरवेज, जेट एयरवेज, किंगफिशर एयरलाइंस, डेक्कन एविएशन, पैरामाउंट एयरवेज जैसे बड़े नामों के अलावा कई आया राम और गया राम इसके कुछ उदाहरण हैं।

न सिर्फ ये एयरलाइंस डूब गईं, बल्कि वे उन्हें कर्ज देने वाले सार्वजनिक बैंकों और उनमें निवेश करने वाले आम शेयरधारकों की पूंजी भी ले डूबे।

यह अलग बात है कि स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) ने ट्रेडमार्क/ब्रांड वैल्यू की एवज में किंगफिशर एयरलाइंस को हजारों करोड़ रुपये उधार दिए थे।

लंबे समय तक एयर इंडिया और इंडियन एयरलाइंस (बाद में एयर इंडिया में विलय) बची रह सकीं क्योंकि वे भारत सरकार के स्वामित्व में थीं। हाल ही में टाटा समूह ने एयर इंडिया का अधिग्रहण किया है।

जो भी हो, अब दो एयरलाइंस वित्तीय समस्याओं के लिए सुर्खियों में हैं – गो एयरलाइंस (इंडिया) और स्पाइसजेट।

वाडिया समूह की गो एयरलाइंस ने इस महीने की शुरुआत में स्वेच्छा से राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) के समक्ष से संबंधित इस महीने की शुरूआत में स्वेच्छा से एक दिवाला याचिका दायर किया, जिसे बाद में स्वीकार कर एक अंतरिम समाधान पेशेवर (आईआरपी) नियुक्त किया गया।

गो एयरलाइंस के अधिकारियों ने कहा कि यह उसके बेड़े के विमानों को पट्टेदारों द्वारा वापस ले लिए जाने से बचाने के लिए किया गया था।

गो एयरलाइंस ने अपनी समस्याओं के लिए इंजन आपूर्तिकर्ता प्रैट एंड व्हिटनी को दोषी ठहराया क्योंकि उसके 54 विमानों के बेड़े का लगभग 50 प्रतिशत इंजन की खराबी के कारण ग्राउंडेड है और आपूर्तिकर्ता ने अतिरिक्त इंजनों की आपूर्ति से मना कर दिया है।

दूसरी ओर, आयरलैंड स्थित विमान पट्टेदार एयरकैसल लिमिटेड ने एनसीएलटी की मुख्य बेंच के समक्ष याचिका दायर कर एयरलाइन के खिलाफ दिवालियापन प्रक्रिया शुरू करने की मांग की है।

तो, क्या भारतीय विमानन क्षेत्र आया राम और गया राम की कहानी है या यह बदलाव के लिए तैयार है?

ऐसा कहा जाता है कि बढ़ता मध्यम वर्ग किफायती विमान सेवा कंपनियों (एलसीसी) के लिए बेहतरीन अवसर प्रदान करता है।

गो एयरलाइंस के सीईओ कौशिक खोना ने कम लागत वाली एयरलाइंस के व्यवहार्य व्यावसायिक प्रस्ताव के सवाल पर कहा कि कंपनी 2009-10 से 2019-20 तक मुनाफा कमा रही थी। जनवरी 2020 से ही प्रैट एंड व्हिटनी इंजन की समस्या बढ़ गई और कंपनी को समस्याओं का सामना करना पड़ा क्योंकि एयरलाइंस की निश्चित लागत बहुत ज्यादा होती है।

खोना ने कहा कि केवल किफायती एयरलाइंस व्यवसाय ही लाभदायक हो सकता है।

भारत सरकार नए हवाईअड्डों के निर्माण पर भी ध्यान केंद्रित कर रही है, जो बदले में एयरलाइंस के लिए हवाई संपर्क और पैसेंजर लोड फैक्टर (भरी सीटों के अनुपात) को बढ़ाएगा।

भविष्य की बात भविष्य में। क्रेडिट रेटिंग एजेंसी आईसीआरए की मौजूदा रिपोर्ट उद्योग के लिए एक अलग तस्वीर पेश करती है।

आईसीआरए ने अपनी नवीनतम क्षेत्रीय रिपोर्ट में कहा कि वित्त वर्ष 2023-24 में विमानन उद्योग का नुकसान कम होकर लगभग 50-70 अरब रुपये रह जाने की संभावना है, क्योंकि यात्रियों की संख्या ठीक-ठाक है और एयरलाइंस में अपना राजस्व बढ़ाने की क्षमता है।

ऐसा कहा जाता है कि उच्च लागत और टिकट की कम कीमतों के कारण किफायती विमान सेवा खंड फंस गया है।

अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपये के कमजोर पड़ने और विमानईंधन (एटीएफ) की ऊंची कीमत एयरलाइंस की नींव को प्रभावित करती हैं।

आईसीआरए के उपाध्यक्ष और कॉपोर्रेट रेटिंग्स के सेक्टर हेड सुप्रियो बनर्जी ने कहा, एटीएफ की कीमतों में पिछले चार महीनों में क्रमिक गिरावट देखी गई है, फिर भी यह कोविड से पहले की तुलना में काफी महंगा है।

आईसीआरए के अनुसार, एटीएफ की औसत कीमत वित्त वर्ष 2023 में 1,21,013 रुपये प्रति किलोलीटर और अप्रैल 2023 में 99,506 रुपये प्रति किलोलीटर थी जबकि वित्त वर्ष 2020 में औरसम कीमत 64,715 रुपये प्रति किलोलीटर थी।

एयरलाइंस के व्यय में ईंधन की लागत का हिस्सा लगभग 30-40 प्रतिशत होता है, जबकि एयरलाइंस के परिचालन खर्च का लगभग 35-50 प्रतिशत – जिसमें विमान लीज भुगतान, ईंधन खर्च और विमान और इंजन रखरखाव खर्च शामिल हैं – का भुगतान अमेरिकी डॉलर में होता है। इसके अलावा, कुछ एयरलाइंस पर विदेशी मुद्रा में कर्ज भी है।

आईसीआरए के अनुसार, भारतीय विमानन क्षेत्र ने उच्च एटीएफ कीमतों और रुपये के मूल्यह्रास के कारण वित्त वर्ष 2022-23 में लगभग 110-130 अरब रुपये का शुद्ध घाटा दर्ज किया।

घरेलू यात्री हवाई यातायात में अब तेजी आ रही है। इंजन की समस्याओं के कारण कई विमान ग्राउंडेड हैं और गो एयरलाइंस ने उडाने बंद कर दी हैं। इन सभी कारणों से दूसरी एयरलाइंस के भरी सीटों का अनुपात (पीएलएफ) बढ़ा है और टिकटों की कीमतों में तेजी आई है।

आईस्ीआरए ने बताया कि अप्रैल 2023 में घरेलू मार्गो पर यात्रियों की संख्या लगभग 129 लाख रही है, जो मार्च 2023 में लगभग 128.9 लाख थी। यह अप्रैल 2022 के लगभग 105 लाख की तुलना में 22 प्रतिशत अधिक और कोविड-19 से पहले अप्रैल 2019 के लगभग 110 लाख की तुलना में 17 प्रतिशत अधिक है।

घरेलू एयरलाइनों के लिए अप्रैल 2023 में पीएलएफ लगभग 91 प्रतिशत रहा जो अप्रैल 2022 में लगभग 81 प्रतिशत था।

एयरलाइंस की वित्तीय स्थिति की बात करें तो एयर इंडिया, विस्तारा और एयर एशिया को टाटा समूह का समर्थन प्राप्त है। कुछ एयरलाइंस के लिए कुछ समय के लिए तरलता का दबाव रहेगा लेकिन पिछले वर्षों की तुलना में स्थिति अच्छी रहेगी।

भले ही कई भारतीय एयरलाइन ब्रांड हवा में उड़ रहे हैं, केवल तीन यात्री एयरलाइंस – इंटरग्लोब एविएशन लिमिटेड (ब्रांड इंडिगो), स्पाइसजेट, जेट एयरवेज – और एक हेलीकॉप्टर सेवा कंपनी ग्लोबल वेक्ट्रा हेलिकॉर्प लिमिटेड शेयर बाजारों में सूचीबद्ध हैं।

सरकारी आंकड़ों के अनुसार, जनवरी-मार्च 2023 के दौरान इंडिगो की बाजार हिस्सेदारी 55.7 प्रतिशत और स्पाइस जेट का 6.9 प्रतिशत है।

जेट एयरवेज अभी वित्तीय समस्याओं के कारण चालू नहीं है।

भारतीय विमानन क्षेत्र स्थिरता की बात करें तो अभी इसे लेकर कोई चिंता की बात नहीं है।

टाटा समूह विस्तारा और एयरएशिया का एयर इंडिया में विलय करने की तैयारी में है। अब तक इन तीनों तीन एयरलाइंस की संयुक्त बाजार हिस्सेदारी 25.1 प्रतिशत (एयर इंडिया 9 प्रतिशत, विस्तारा 8.8 प्रतिशत और एयर एशिया 7.3 प्रतिशत) है।

विलय के बाद और बेड़े के विस्तार के साथ अगर चीजें सही रास्ते पर रहीं तो एयर इंडिया की बाजार हिस्सेदारी में वृद्धि होनी चाहिए। दूसरी ओर, इंडिगो को उसकी बाजार हिस्सेदारी को देखते हुए कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए।

इसके अलावा यात्री यातायात में वृद्धि और बेहतर राजस्व के साथ भारतीय एयरलाइन क्षेत्र के ऊंची उड़ान भरने की उम्मीद है।

–आईएएनएस

एकेजे

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चेन्नई, 21 मई (आईएएनएस)। काफी धूमधड़ाके साथ टेकऑफ के बाद क्रैश लैंडिंग शुरू से ही भारतीय विमानन क्षेत्र में देखा गया है।

एनईपीसी एयरलाइंस, दमानिया एयरवेज, जेट एयरवेज, किंगफिशर एयरलाइंस, डेक्कन एविएशन, पैरामाउंट एयरवेज जैसे बड़े नामों के अलावा कई आया राम और गया राम इसके कुछ उदाहरण हैं।

न सिर्फ ये एयरलाइंस डूब गईं, बल्कि वे उन्हें कर्ज देने वाले सार्वजनिक बैंकों और उनमें निवेश करने वाले आम शेयरधारकों की पूंजी भी ले डूबे।

यह अलग बात है कि स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) ने ट्रेडमार्क/ब्रांड वैल्यू की एवज में किंगफिशर एयरलाइंस को हजारों करोड़ रुपये उधार दिए थे।

लंबे समय तक एयर इंडिया और इंडियन एयरलाइंस (बाद में एयर इंडिया में विलय) बची रह सकीं क्योंकि वे भारत सरकार के स्वामित्व में थीं। हाल ही में टाटा समूह ने एयर इंडिया का अधिग्रहण किया है।

जो भी हो, अब दो एयरलाइंस वित्तीय समस्याओं के लिए सुर्खियों में हैं – गो एयरलाइंस (इंडिया) और स्पाइसजेट।

वाडिया समूह की गो एयरलाइंस ने इस महीने की शुरुआत में स्वेच्छा से राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) के समक्ष से संबंधित इस महीने की शुरूआत में स्वेच्छा से एक दिवाला याचिका दायर किया, जिसे बाद में स्वीकार कर एक अंतरिम समाधान पेशेवर (आईआरपी) नियुक्त किया गया।

गो एयरलाइंस के अधिकारियों ने कहा कि यह उसके बेड़े के विमानों को पट्टेदारों द्वारा वापस ले लिए जाने से बचाने के लिए किया गया था।

गो एयरलाइंस ने अपनी समस्याओं के लिए इंजन आपूर्तिकर्ता प्रैट एंड व्हिटनी को दोषी ठहराया क्योंकि उसके 54 विमानों के बेड़े का लगभग 50 प्रतिशत इंजन की खराबी के कारण ग्राउंडेड है और आपूर्तिकर्ता ने अतिरिक्त इंजनों की आपूर्ति से मना कर दिया है।

दूसरी ओर, आयरलैंड स्थित विमान पट्टेदार एयरकैसल लिमिटेड ने एनसीएलटी की मुख्य बेंच के समक्ष याचिका दायर कर एयरलाइन के खिलाफ दिवालियापन प्रक्रिया शुरू करने की मांग की है।

तो, क्या भारतीय विमानन क्षेत्र आया राम और गया राम की कहानी है या यह बदलाव के लिए तैयार है?

ऐसा कहा जाता है कि बढ़ता मध्यम वर्ग किफायती विमान सेवा कंपनियों (एलसीसी) के लिए बेहतरीन अवसर प्रदान करता है।

गो एयरलाइंस के सीईओ कौशिक खोना ने कम लागत वाली एयरलाइंस के व्यवहार्य व्यावसायिक प्रस्ताव के सवाल पर कहा कि कंपनी 2009-10 से 2019-20 तक मुनाफा कमा रही थी। जनवरी 2020 से ही प्रैट एंड व्हिटनी इंजन की समस्या बढ़ गई और कंपनी को समस्याओं का सामना करना पड़ा क्योंकि एयरलाइंस की निश्चित लागत बहुत ज्यादा होती है।

खोना ने कहा कि केवल किफायती एयरलाइंस व्यवसाय ही लाभदायक हो सकता है।

भारत सरकार नए हवाईअड्डों के निर्माण पर भी ध्यान केंद्रित कर रही है, जो बदले में एयरलाइंस के लिए हवाई संपर्क और पैसेंजर लोड फैक्टर (भरी सीटों के अनुपात) को बढ़ाएगा।

भविष्य की बात भविष्य में। क्रेडिट रेटिंग एजेंसी आईसीआरए की मौजूदा रिपोर्ट उद्योग के लिए एक अलग तस्वीर पेश करती है।

आईसीआरए ने अपनी नवीनतम क्षेत्रीय रिपोर्ट में कहा कि वित्त वर्ष 2023-24 में विमानन उद्योग का नुकसान कम होकर लगभग 50-70 अरब रुपये रह जाने की संभावना है, क्योंकि यात्रियों की संख्या ठीक-ठाक है और एयरलाइंस में अपना राजस्व बढ़ाने की क्षमता है।

ऐसा कहा जाता है कि उच्च लागत और टिकट की कम कीमतों के कारण किफायती विमान सेवा खंड फंस गया है।

अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपये के कमजोर पड़ने और विमानईंधन (एटीएफ) की ऊंची कीमत एयरलाइंस की नींव को प्रभावित करती हैं।

आईसीआरए के उपाध्यक्ष और कॉपोर्रेट रेटिंग्स के सेक्टर हेड सुप्रियो बनर्जी ने कहा, एटीएफ की कीमतों में पिछले चार महीनों में क्रमिक गिरावट देखी गई है, फिर भी यह कोविड से पहले की तुलना में काफी महंगा है।

आईसीआरए के अनुसार, एटीएफ की औसत कीमत वित्त वर्ष 2023 में 1,21,013 रुपये प्रति किलोलीटर और अप्रैल 2023 में 99,506 रुपये प्रति किलोलीटर थी जबकि वित्त वर्ष 2020 में औरसम कीमत 64,715 रुपये प्रति किलोलीटर थी।

एयरलाइंस के व्यय में ईंधन की लागत का हिस्सा लगभग 30-40 प्रतिशत होता है, जबकि एयरलाइंस के परिचालन खर्च का लगभग 35-50 प्रतिशत – जिसमें विमान लीज भुगतान, ईंधन खर्च और विमान और इंजन रखरखाव खर्च शामिल हैं – का भुगतान अमेरिकी डॉलर में होता है। इसके अलावा, कुछ एयरलाइंस पर विदेशी मुद्रा में कर्ज भी है।

आईसीआरए के अनुसार, भारतीय विमानन क्षेत्र ने उच्च एटीएफ कीमतों और रुपये के मूल्यह्रास के कारण वित्त वर्ष 2022-23 में लगभग 110-130 अरब रुपये का शुद्ध घाटा दर्ज किया।

घरेलू यात्री हवाई यातायात में अब तेजी आ रही है। इंजन की समस्याओं के कारण कई विमान ग्राउंडेड हैं और गो एयरलाइंस ने उडाने बंद कर दी हैं। इन सभी कारणों से दूसरी एयरलाइंस के भरी सीटों का अनुपात (पीएलएफ) बढ़ा है और टिकटों की कीमतों में तेजी आई है।

आईस्ीआरए ने बताया कि अप्रैल 2023 में घरेलू मार्गो पर यात्रियों की संख्या लगभग 129 लाख रही है, जो मार्च 2023 में लगभग 128.9 लाख थी। यह अप्रैल 2022 के लगभग 105 लाख की तुलना में 22 प्रतिशत अधिक और कोविड-19 से पहले अप्रैल 2019 के लगभग 110 लाख की तुलना में 17 प्रतिशत अधिक है।

घरेलू एयरलाइनों के लिए अप्रैल 2023 में पीएलएफ लगभग 91 प्रतिशत रहा जो अप्रैल 2022 में लगभग 81 प्रतिशत था।

एयरलाइंस की वित्तीय स्थिति की बात करें तो एयर इंडिया, विस्तारा और एयर एशिया को टाटा समूह का समर्थन प्राप्त है। कुछ एयरलाइंस के लिए कुछ समय के लिए तरलता का दबाव रहेगा लेकिन पिछले वर्षों की तुलना में स्थिति अच्छी रहेगी।

भले ही कई भारतीय एयरलाइन ब्रांड हवा में उड़ रहे हैं, केवल तीन यात्री एयरलाइंस – इंटरग्लोब एविएशन लिमिटेड (ब्रांड इंडिगो), स्पाइसजेट, जेट एयरवेज – और एक हेलीकॉप्टर सेवा कंपनी ग्लोबल वेक्ट्रा हेलिकॉर्प लिमिटेड शेयर बाजारों में सूचीबद्ध हैं।

सरकारी आंकड़ों के अनुसार, जनवरी-मार्च 2023 के दौरान इंडिगो की बाजार हिस्सेदारी 55.7 प्रतिशत और स्पाइस जेट का 6.9 प्रतिशत है।

जेट एयरवेज अभी वित्तीय समस्याओं के कारण चालू नहीं है।

भारतीय विमानन क्षेत्र स्थिरता की बात करें तो अभी इसे लेकर कोई चिंता की बात नहीं है।

टाटा समूह विस्तारा और एयरएशिया का एयर इंडिया में विलय करने की तैयारी में है। अब तक इन तीनों तीन एयरलाइंस की संयुक्त बाजार हिस्सेदारी 25.1 प्रतिशत (एयर इंडिया 9 प्रतिशत, विस्तारा 8.8 प्रतिशत और एयर एशिया 7.3 प्रतिशत) है।

विलय के बाद और बेड़े के विस्तार के साथ अगर चीजें सही रास्ते पर रहीं तो एयर इंडिया की बाजार हिस्सेदारी में वृद्धि होनी चाहिए। दूसरी ओर, इंडिगो को उसकी बाजार हिस्सेदारी को देखते हुए कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए।

इसके अलावा यात्री यातायात में वृद्धि और बेहतर राजस्व के साथ भारतीय एयरलाइन क्षेत्र के ऊंची उड़ान भरने की उम्मीद है।

–आईएएनएस

एकेजे

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चेन्नई, 21 मई (आईएएनएस)। काफी धूमधड़ाके साथ टेकऑफ के बाद क्रैश लैंडिंग शुरू से ही भारतीय विमानन क्षेत्र में देखा गया है।

एनईपीसी एयरलाइंस, दमानिया एयरवेज, जेट एयरवेज, किंगफिशर एयरलाइंस, डेक्कन एविएशन, पैरामाउंट एयरवेज जैसे बड़े नामों के अलावा कई आया राम और गया राम इसके कुछ उदाहरण हैं।

न सिर्फ ये एयरलाइंस डूब गईं, बल्कि वे उन्हें कर्ज देने वाले सार्वजनिक बैंकों और उनमें निवेश करने वाले आम शेयरधारकों की पूंजी भी ले डूबे।

यह अलग बात है कि स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) ने ट्रेडमार्क/ब्रांड वैल्यू की एवज में किंगफिशर एयरलाइंस को हजारों करोड़ रुपये उधार दिए थे।

लंबे समय तक एयर इंडिया और इंडियन एयरलाइंस (बाद में एयर इंडिया में विलय) बची रह सकीं क्योंकि वे भारत सरकार के स्वामित्व में थीं। हाल ही में टाटा समूह ने एयर इंडिया का अधिग्रहण किया है।

जो भी हो, अब दो एयरलाइंस वित्तीय समस्याओं के लिए सुर्खियों में हैं – गो एयरलाइंस (इंडिया) और स्पाइसजेट।

वाडिया समूह की गो एयरलाइंस ने इस महीने की शुरुआत में स्वेच्छा से राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) के समक्ष से संबंधित इस महीने की शुरूआत में स्वेच्छा से एक दिवाला याचिका दायर किया, जिसे बाद में स्वीकार कर एक अंतरिम समाधान पेशेवर (आईआरपी) नियुक्त किया गया।

गो एयरलाइंस के अधिकारियों ने कहा कि यह उसके बेड़े के विमानों को पट्टेदारों द्वारा वापस ले लिए जाने से बचाने के लिए किया गया था।

गो एयरलाइंस ने अपनी समस्याओं के लिए इंजन आपूर्तिकर्ता प्रैट एंड व्हिटनी को दोषी ठहराया क्योंकि उसके 54 विमानों के बेड़े का लगभग 50 प्रतिशत इंजन की खराबी के कारण ग्राउंडेड है और आपूर्तिकर्ता ने अतिरिक्त इंजनों की आपूर्ति से मना कर दिया है।

दूसरी ओर, आयरलैंड स्थित विमान पट्टेदार एयरकैसल लिमिटेड ने एनसीएलटी की मुख्य बेंच के समक्ष याचिका दायर कर एयरलाइन के खिलाफ दिवालियापन प्रक्रिया शुरू करने की मांग की है।

तो, क्या भारतीय विमानन क्षेत्र आया राम और गया राम की कहानी है या यह बदलाव के लिए तैयार है?

ऐसा कहा जाता है कि बढ़ता मध्यम वर्ग किफायती विमान सेवा कंपनियों (एलसीसी) के लिए बेहतरीन अवसर प्रदान करता है।

गो एयरलाइंस के सीईओ कौशिक खोना ने कम लागत वाली एयरलाइंस के व्यवहार्य व्यावसायिक प्रस्ताव के सवाल पर कहा कि कंपनी 2009-10 से 2019-20 तक मुनाफा कमा रही थी। जनवरी 2020 से ही प्रैट एंड व्हिटनी इंजन की समस्या बढ़ गई और कंपनी को समस्याओं का सामना करना पड़ा क्योंकि एयरलाइंस की निश्चित लागत बहुत ज्यादा होती है।

खोना ने कहा कि केवल किफायती एयरलाइंस व्यवसाय ही लाभदायक हो सकता है।

भारत सरकार नए हवाईअड्डों के निर्माण पर भी ध्यान केंद्रित कर रही है, जो बदले में एयरलाइंस के लिए हवाई संपर्क और पैसेंजर लोड फैक्टर (भरी सीटों के अनुपात) को बढ़ाएगा।

भविष्य की बात भविष्य में। क्रेडिट रेटिंग एजेंसी आईसीआरए की मौजूदा रिपोर्ट उद्योग के लिए एक अलग तस्वीर पेश करती है।

आईसीआरए ने अपनी नवीनतम क्षेत्रीय रिपोर्ट में कहा कि वित्त वर्ष 2023-24 में विमानन उद्योग का नुकसान कम होकर लगभग 50-70 अरब रुपये रह जाने की संभावना है, क्योंकि यात्रियों की संख्या ठीक-ठाक है और एयरलाइंस में अपना राजस्व बढ़ाने की क्षमता है।

ऐसा कहा जाता है कि उच्च लागत और टिकट की कम कीमतों के कारण किफायती विमान सेवा खंड फंस गया है।

अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपये के कमजोर पड़ने और विमानईंधन (एटीएफ) की ऊंची कीमत एयरलाइंस की नींव को प्रभावित करती हैं।

आईसीआरए के उपाध्यक्ष और कॉपोर्रेट रेटिंग्स के सेक्टर हेड सुप्रियो बनर्जी ने कहा, एटीएफ की कीमतों में पिछले चार महीनों में क्रमिक गिरावट देखी गई है, फिर भी यह कोविड से पहले की तुलना में काफी महंगा है।

आईसीआरए के अनुसार, एटीएफ की औसत कीमत वित्त वर्ष 2023 में 1,21,013 रुपये प्रति किलोलीटर और अप्रैल 2023 में 99,506 रुपये प्रति किलोलीटर थी जबकि वित्त वर्ष 2020 में औरसम कीमत 64,715 रुपये प्रति किलोलीटर थी।

एयरलाइंस के व्यय में ईंधन की लागत का हिस्सा लगभग 30-40 प्रतिशत होता है, जबकि एयरलाइंस के परिचालन खर्च का लगभग 35-50 प्रतिशत – जिसमें विमान लीज भुगतान, ईंधन खर्च और विमान और इंजन रखरखाव खर्च शामिल हैं – का भुगतान अमेरिकी डॉलर में होता है। इसके अलावा, कुछ एयरलाइंस पर विदेशी मुद्रा में कर्ज भी है।

आईसीआरए के अनुसार, भारतीय विमानन क्षेत्र ने उच्च एटीएफ कीमतों और रुपये के मूल्यह्रास के कारण वित्त वर्ष 2022-23 में लगभग 110-130 अरब रुपये का शुद्ध घाटा दर्ज किया।

घरेलू यात्री हवाई यातायात में अब तेजी आ रही है। इंजन की समस्याओं के कारण कई विमान ग्राउंडेड हैं और गो एयरलाइंस ने उडाने बंद कर दी हैं। इन सभी कारणों से दूसरी एयरलाइंस के भरी सीटों का अनुपात (पीएलएफ) बढ़ा है और टिकटों की कीमतों में तेजी आई है।

आईस्ीआरए ने बताया कि अप्रैल 2023 में घरेलू मार्गो पर यात्रियों की संख्या लगभग 129 लाख रही है, जो मार्च 2023 में लगभग 128.9 लाख थी। यह अप्रैल 2022 के लगभग 105 लाख की तुलना में 22 प्रतिशत अधिक और कोविड-19 से पहले अप्रैल 2019 के लगभग 110 लाख की तुलना में 17 प्रतिशत अधिक है।

घरेलू एयरलाइनों के लिए अप्रैल 2023 में पीएलएफ लगभग 91 प्रतिशत रहा जो अप्रैल 2022 में लगभग 81 प्रतिशत था।

एयरलाइंस की वित्तीय स्थिति की बात करें तो एयर इंडिया, विस्तारा और एयर एशिया को टाटा समूह का समर्थन प्राप्त है। कुछ एयरलाइंस के लिए कुछ समय के लिए तरलता का दबाव रहेगा लेकिन पिछले वर्षों की तुलना में स्थिति अच्छी रहेगी।

भले ही कई भारतीय एयरलाइन ब्रांड हवा में उड़ रहे हैं, केवल तीन यात्री एयरलाइंस – इंटरग्लोब एविएशन लिमिटेड (ब्रांड इंडिगो), स्पाइसजेट, जेट एयरवेज – और एक हेलीकॉप्टर सेवा कंपनी ग्लोबल वेक्ट्रा हेलिकॉर्प लिमिटेड शेयर बाजारों में सूचीबद्ध हैं।

सरकारी आंकड़ों के अनुसार, जनवरी-मार्च 2023 के दौरान इंडिगो की बाजार हिस्सेदारी 55.7 प्रतिशत और स्पाइस जेट का 6.9 प्रतिशत है।

जेट एयरवेज अभी वित्तीय समस्याओं के कारण चालू नहीं है।

भारतीय विमानन क्षेत्र स्थिरता की बात करें तो अभी इसे लेकर कोई चिंता की बात नहीं है।

टाटा समूह विस्तारा और एयरएशिया का एयर इंडिया में विलय करने की तैयारी में है। अब तक इन तीनों तीन एयरलाइंस की संयुक्त बाजार हिस्सेदारी 25.1 प्रतिशत (एयर इंडिया 9 प्रतिशत, विस्तारा 8.8 प्रतिशत और एयर एशिया 7.3 प्रतिशत) है।

विलय के बाद और बेड़े के विस्तार के साथ अगर चीजें सही रास्ते पर रहीं तो एयर इंडिया की बाजार हिस्सेदारी में वृद्धि होनी चाहिए। दूसरी ओर, इंडिगो को उसकी बाजार हिस्सेदारी को देखते हुए कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए।

इसके अलावा यात्री यातायात में वृद्धि और बेहतर राजस्व के साथ भारतीय एयरलाइन क्षेत्र के ऊंची उड़ान भरने की उम्मीद है।

–आईएएनएस

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चेन्नई, 21 मई (आईएएनएस)। काफी धूमधड़ाके साथ टेकऑफ के बाद क्रैश लैंडिंग शुरू से ही भारतीय विमानन क्षेत्र में देखा गया है।

एनईपीसी एयरलाइंस, दमानिया एयरवेज, जेट एयरवेज, किंगफिशर एयरलाइंस, डेक्कन एविएशन, पैरामाउंट एयरवेज जैसे बड़े नामों के अलावा कई आया राम और गया राम इसके कुछ उदाहरण हैं।

न सिर्फ ये एयरलाइंस डूब गईं, बल्कि वे उन्हें कर्ज देने वाले सार्वजनिक बैंकों और उनमें निवेश करने वाले आम शेयरधारकों की पूंजी भी ले डूबे।

यह अलग बात है कि स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) ने ट्रेडमार्क/ब्रांड वैल्यू की एवज में किंगफिशर एयरलाइंस को हजारों करोड़ रुपये उधार दिए थे।

लंबे समय तक एयर इंडिया और इंडियन एयरलाइंस (बाद में एयर इंडिया में विलय) बची रह सकीं क्योंकि वे भारत सरकार के स्वामित्व में थीं। हाल ही में टाटा समूह ने एयर इंडिया का अधिग्रहण किया है।

जो भी हो, अब दो एयरलाइंस वित्तीय समस्याओं के लिए सुर्खियों में हैं – गो एयरलाइंस (इंडिया) और स्पाइसजेट।

वाडिया समूह की गो एयरलाइंस ने इस महीने की शुरुआत में स्वेच्छा से राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) के समक्ष से संबंधित इस महीने की शुरूआत में स्वेच्छा से एक दिवाला याचिका दायर किया, जिसे बाद में स्वीकार कर एक अंतरिम समाधान पेशेवर (आईआरपी) नियुक्त किया गया।

गो एयरलाइंस के अधिकारियों ने कहा कि यह उसके बेड़े के विमानों को पट्टेदारों द्वारा वापस ले लिए जाने से बचाने के लिए किया गया था।

गो एयरलाइंस ने अपनी समस्याओं के लिए इंजन आपूर्तिकर्ता प्रैट एंड व्हिटनी को दोषी ठहराया क्योंकि उसके 54 विमानों के बेड़े का लगभग 50 प्रतिशत इंजन की खराबी के कारण ग्राउंडेड है और आपूर्तिकर्ता ने अतिरिक्त इंजनों की आपूर्ति से मना कर दिया है।

दूसरी ओर, आयरलैंड स्थित विमान पट्टेदार एयरकैसल लिमिटेड ने एनसीएलटी की मुख्य बेंच के समक्ष याचिका दायर कर एयरलाइन के खिलाफ दिवालियापन प्रक्रिया शुरू करने की मांग की है।

तो, क्या भारतीय विमानन क्षेत्र आया राम और गया राम की कहानी है या यह बदलाव के लिए तैयार है?

ऐसा कहा जाता है कि बढ़ता मध्यम वर्ग किफायती विमान सेवा कंपनियों (एलसीसी) के लिए बेहतरीन अवसर प्रदान करता है।

गो एयरलाइंस के सीईओ कौशिक खोना ने कम लागत वाली एयरलाइंस के व्यवहार्य व्यावसायिक प्रस्ताव के सवाल पर कहा कि कंपनी 2009-10 से 2019-20 तक मुनाफा कमा रही थी। जनवरी 2020 से ही प्रैट एंड व्हिटनी इंजन की समस्या बढ़ गई और कंपनी को समस्याओं का सामना करना पड़ा क्योंकि एयरलाइंस की निश्चित लागत बहुत ज्यादा होती है।

खोना ने कहा कि केवल किफायती एयरलाइंस व्यवसाय ही लाभदायक हो सकता है।

भारत सरकार नए हवाईअड्डों के निर्माण पर भी ध्यान केंद्रित कर रही है, जो बदले में एयरलाइंस के लिए हवाई संपर्क और पैसेंजर लोड फैक्टर (भरी सीटों के अनुपात) को बढ़ाएगा।

भविष्य की बात भविष्य में। क्रेडिट रेटिंग एजेंसी आईसीआरए की मौजूदा रिपोर्ट उद्योग के लिए एक अलग तस्वीर पेश करती है।

आईसीआरए ने अपनी नवीनतम क्षेत्रीय रिपोर्ट में कहा कि वित्त वर्ष 2023-24 में विमानन उद्योग का नुकसान कम होकर लगभग 50-70 अरब रुपये रह जाने की संभावना है, क्योंकि यात्रियों की संख्या ठीक-ठाक है और एयरलाइंस में अपना राजस्व बढ़ाने की क्षमता है।

ऐसा कहा जाता है कि उच्च लागत और टिकट की कम कीमतों के कारण किफायती विमान सेवा खंड फंस गया है।

अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपये के कमजोर पड़ने और विमानईंधन (एटीएफ) की ऊंची कीमत एयरलाइंस की नींव को प्रभावित करती हैं।

आईसीआरए के उपाध्यक्ष और कॉपोर्रेट रेटिंग्स के सेक्टर हेड सुप्रियो बनर्जी ने कहा, एटीएफ की कीमतों में पिछले चार महीनों में क्रमिक गिरावट देखी गई है, फिर भी यह कोविड से पहले की तुलना में काफी महंगा है।

आईसीआरए के अनुसार, एटीएफ की औसत कीमत वित्त वर्ष 2023 में 1,21,013 रुपये प्रति किलोलीटर और अप्रैल 2023 में 99,506 रुपये प्रति किलोलीटर थी जबकि वित्त वर्ष 2020 में औरसम कीमत 64,715 रुपये प्रति किलोलीटर थी।

एयरलाइंस के व्यय में ईंधन की लागत का हिस्सा लगभग 30-40 प्रतिशत होता है, जबकि एयरलाइंस के परिचालन खर्च का लगभग 35-50 प्रतिशत – जिसमें विमान लीज भुगतान, ईंधन खर्च और विमान और इंजन रखरखाव खर्च शामिल हैं – का भुगतान अमेरिकी डॉलर में होता है। इसके अलावा, कुछ एयरलाइंस पर विदेशी मुद्रा में कर्ज भी है।

आईसीआरए के अनुसार, भारतीय विमानन क्षेत्र ने उच्च एटीएफ कीमतों और रुपये के मूल्यह्रास के कारण वित्त वर्ष 2022-23 में लगभग 110-130 अरब रुपये का शुद्ध घाटा दर्ज किया।

घरेलू यात्री हवाई यातायात में अब तेजी आ रही है। इंजन की समस्याओं के कारण कई विमान ग्राउंडेड हैं और गो एयरलाइंस ने उडाने बंद कर दी हैं। इन सभी कारणों से दूसरी एयरलाइंस के भरी सीटों का अनुपात (पीएलएफ) बढ़ा है और टिकटों की कीमतों में तेजी आई है।

आईस्ीआरए ने बताया कि अप्रैल 2023 में घरेलू मार्गो पर यात्रियों की संख्या लगभग 129 लाख रही है, जो मार्च 2023 में लगभग 128.9 लाख थी। यह अप्रैल 2022 के लगभग 105 लाख की तुलना में 22 प्रतिशत अधिक और कोविड-19 से पहले अप्रैल 2019 के लगभग 110 लाख की तुलना में 17 प्रतिशत अधिक है।

घरेलू एयरलाइनों के लिए अप्रैल 2023 में पीएलएफ लगभग 91 प्रतिशत रहा जो अप्रैल 2022 में लगभग 81 प्रतिशत था।

एयरलाइंस की वित्तीय स्थिति की बात करें तो एयर इंडिया, विस्तारा और एयर एशिया को टाटा समूह का समर्थन प्राप्त है। कुछ एयरलाइंस के लिए कुछ समय के लिए तरलता का दबाव रहेगा लेकिन पिछले वर्षों की तुलना में स्थिति अच्छी रहेगी।

भले ही कई भारतीय एयरलाइन ब्रांड हवा में उड़ रहे हैं, केवल तीन यात्री एयरलाइंस – इंटरग्लोब एविएशन लिमिटेड (ब्रांड इंडिगो), स्पाइसजेट, जेट एयरवेज – और एक हेलीकॉप्टर सेवा कंपनी ग्लोबल वेक्ट्रा हेलिकॉर्प लिमिटेड शेयर बाजारों में सूचीबद्ध हैं।

सरकारी आंकड़ों के अनुसार, जनवरी-मार्च 2023 के दौरान इंडिगो की बाजार हिस्सेदारी 55.7 प्रतिशत और स्पाइस जेट का 6.9 प्रतिशत है।

जेट एयरवेज अभी वित्तीय समस्याओं के कारण चालू नहीं है।

भारतीय विमानन क्षेत्र स्थिरता की बात करें तो अभी इसे लेकर कोई चिंता की बात नहीं है।

टाटा समूह विस्तारा और एयरएशिया का एयर इंडिया में विलय करने की तैयारी में है। अब तक इन तीनों तीन एयरलाइंस की संयुक्त बाजार हिस्सेदारी 25.1 प्रतिशत (एयर इंडिया 9 प्रतिशत, विस्तारा 8.8 प्रतिशत और एयर एशिया 7.3 प्रतिशत) है।

विलय के बाद और बेड़े के विस्तार के साथ अगर चीजें सही रास्ते पर रहीं तो एयर इंडिया की बाजार हिस्सेदारी में वृद्धि होनी चाहिए। दूसरी ओर, इंडिगो को उसकी बाजार हिस्सेदारी को देखते हुए कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए।

इसके अलावा यात्री यातायात में वृद्धि और बेहतर राजस्व के साथ भारतीय एयरलाइन क्षेत्र के ऊंची उड़ान भरने की उम्मीद है।

–आईएएनएस

एकेजे

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चेन्नई, 21 मई (आईएएनएस)। काफी धूमधड़ाके साथ टेकऑफ के बाद क्रैश लैंडिंग शुरू से ही भारतीय विमानन क्षेत्र में देखा गया है।

एनईपीसी एयरलाइंस, दमानिया एयरवेज, जेट एयरवेज, किंगफिशर एयरलाइंस, डेक्कन एविएशन, पैरामाउंट एयरवेज जैसे बड़े नामों के अलावा कई आया राम और गया राम इसके कुछ उदाहरण हैं।

न सिर्फ ये एयरलाइंस डूब गईं, बल्कि वे उन्हें कर्ज देने वाले सार्वजनिक बैंकों और उनमें निवेश करने वाले आम शेयरधारकों की पूंजी भी ले डूबे।

यह अलग बात है कि स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) ने ट्रेडमार्क/ब्रांड वैल्यू की एवज में किंगफिशर एयरलाइंस को हजारों करोड़ रुपये उधार दिए थे।

लंबे समय तक एयर इंडिया और इंडियन एयरलाइंस (बाद में एयर इंडिया में विलय) बची रह सकीं क्योंकि वे भारत सरकार के स्वामित्व में थीं। हाल ही में टाटा समूह ने एयर इंडिया का अधिग्रहण किया है।

जो भी हो, अब दो एयरलाइंस वित्तीय समस्याओं के लिए सुर्खियों में हैं – गो एयरलाइंस (इंडिया) और स्पाइसजेट।

वाडिया समूह की गो एयरलाइंस ने इस महीने की शुरुआत में स्वेच्छा से राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) के समक्ष से संबंधित इस महीने की शुरूआत में स्वेच्छा से एक दिवाला याचिका दायर किया, जिसे बाद में स्वीकार कर एक अंतरिम समाधान पेशेवर (आईआरपी) नियुक्त किया गया।

गो एयरलाइंस के अधिकारियों ने कहा कि यह उसके बेड़े के विमानों को पट्टेदारों द्वारा वापस ले लिए जाने से बचाने के लिए किया गया था।

गो एयरलाइंस ने अपनी समस्याओं के लिए इंजन आपूर्तिकर्ता प्रैट एंड व्हिटनी को दोषी ठहराया क्योंकि उसके 54 विमानों के बेड़े का लगभग 50 प्रतिशत इंजन की खराबी के कारण ग्राउंडेड है और आपूर्तिकर्ता ने अतिरिक्त इंजनों की आपूर्ति से मना कर दिया है।

दूसरी ओर, आयरलैंड स्थित विमान पट्टेदार एयरकैसल लिमिटेड ने एनसीएलटी की मुख्य बेंच के समक्ष याचिका दायर कर एयरलाइन के खिलाफ दिवालियापन प्रक्रिया शुरू करने की मांग की है।

तो, क्या भारतीय विमानन क्षेत्र आया राम और गया राम की कहानी है या यह बदलाव के लिए तैयार है?

ऐसा कहा जाता है कि बढ़ता मध्यम वर्ग किफायती विमान सेवा कंपनियों (एलसीसी) के लिए बेहतरीन अवसर प्रदान करता है।

गो एयरलाइंस के सीईओ कौशिक खोना ने कम लागत वाली एयरलाइंस के व्यवहार्य व्यावसायिक प्रस्ताव के सवाल पर कहा कि कंपनी 2009-10 से 2019-20 तक मुनाफा कमा रही थी। जनवरी 2020 से ही प्रैट एंड व्हिटनी इंजन की समस्या बढ़ गई और कंपनी को समस्याओं का सामना करना पड़ा क्योंकि एयरलाइंस की निश्चित लागत बहुत ज्यादा होती है।

खोना ने कहा कि केवल किफायती एयरलाइंस व्यवसाय ही लाभदायक हो सकता है।

भारत सरकार नए हवाईअड्डों के निर्माण पर भी ध्यान केंद्रित कर रही है, जो बदले में एयरलाइंस के लिए हवाई संपर्क और पैसेंजर लोड फैक्टर (भरी सीटों के अनुपात) को बढ़ाएगा।

भविष्य की बात भविष्य में। क्रेडिट रेटिंग एजेंसी आईसीआरए की मौजूदा रिपोर्ट उद्योग के लिए एक अलग तस्वीर पेश करती है।

आईसीआरए ने अपनी नवीनतम क्षेत्रीय रिपोर्ट में कहा कि वित्त वर्ष 2023-24 में विमानन उद्योग का नुकसान कम होकर लगभग 50-70 अरब रुपये रह जाने की संभावना है, क्योंकि यात्रियों की संख्या ठीक-ठाक है और एयरलाइंस में अपना राजस्व बढ़ाने की क्षमता है।

ऐसा कहा जाता है कि उच्च लागत और टिकट की कम कीमतों के कारण किफायती विमान सेवा खंड फंस गया है।

अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपये के कमजोर पड़ने और विमानईंधन (एटीएफ) की ऊंची कीमत एयरलाइंस की नींव को प्रभावित करती हैं।

आईसीआरए के उपाध्यक्ष और कॉपोर्रेट रेटिंग्स के सेक्टर हेड सुप्रियो बनर्जी ने कहा, एटीएफ की कीमतों में पिछले चार महीनों में क्रमिक गिरावट देखी गई है, फिर भी यह कोविड से पहले की तुलना में काफी महंगा है।

आईसीआरए के अनुसार, एटीएफ की औसत कीमत वित्त वर्ष 2023 में 1,21,013 रुपये प्रति किलोलीटर और अप्रैल 2023 में 99,506 रुपये प्रति किलोलीटर थी जबकि वित्त वर्ष 2020 में औरसम कीमत 64,715 रुपये प्रति किलोलीटर थी।

एयरलाइंस के व्यय में ईंधन की लागत का हिस्सा लगभग 30-40 प्रतिशत होता है, जबकि एयरलाइंस के परिचालन खर्च का लगभग 35-50 प्रतिशत – जिसमें विमान लीज भुगतान, ईंधन खर्च और विमान और इंजन रखरखाव खर्च शामिल हैं – का भुगतान अमेरिकी डॉलर में होता है। इसके अलावा, कुछ एयरलाइंस पर विदेशी मुद्रा में कर्ज भी है।

आईसीआरए के अनुसार, भारतीय विमानन क्षेत्र ने उच्च एटीएफ कीमतों और रुपये के मूल्यह्रास के कारण वित्त वर्ष 2022-23 में लगभग 110-130 अरब रुपये का शुद्ध घाटा दर्ज किया।

घरेलू यात्री हवाई यातायात में अब तेजी आ रही है। इंजन की समस्याओं के कारण कई विमान ग्राउंडेड हैं और गो एयरलाइंस ने उडाने बंद कर दी हैं। इन सभी कारणों से दूसरी एयरलाइंस के भरी सीटों का अनुपात (पीएलएफ) बढ़ा है और टिकटों की कीमतों में तेजी आई है।

आईस्ीआरए ने बताया कि अप्रैल 2023 में घरेलू मार्गो पर यात्रियों की संख्या लगभग 129 लाख रही है, जो मार्च 2023 में लगभग 128.9 लाख थी। यह अप्रैल 2022 के लगभग 105 लाख की तुलना में 22 प्रतिशत अधिक और कोविड-19 से पहले अप्रैल 2019 के लगभग 110 लाख की तुलना में 17 प्रतिशत अधिक है।

घरेलू एयरलाइनों के लिए अप्रैल 2023 में पीएलएफ लगभग 91 प्रतिशत रहा जो अप्रैल 2022 में लगभग 81 प्रतिशत था।

एयरलाइंस की वित्तीय स्थिति की बात करें तो एयर इंडिया, विस्तारा और एयर एशिया को टाटा समूह का समर्थन प्राप्त है। कुछ एयरलाइंस के लिए कुछ समय के लिए तरलता का दबाव रहेगा लेकिन पिछले वर्षों की तुलना में स्थिति अच्छी रहेगी।

भले ही कई भारतीय एयरलाइन ब्रांड हवा में उड़ रहे हैं, केवल तीन यात्री एयरलाइंस – इंटरग्लोब एविएशन लिमिटेड (ब्रांड इंडिगो), स्पाइसजेट, जेट एयरवेज – और एक हेलीकॉप्टर सेवा कंपनी ग्लोबल वेक्ट्रा हेलिकॉर्प लिमिटेड शेयर बाजारों में सूचीबद्ध हैं।

सरकारी आंकड़ों के अनुसार, जनवरी-मार्च 2023 के दौरान इंडिगो की बाजार हिस्सेदारी 55.7 प्रतिशत और स्पाइस जेट का 6.9 प्रतिशत है।

जेट एयरवेज अभी वित्तीय समस्याओं के कारण चालू नहीं है।

भारतीय विमानन क्षेत्र स्थिरता की बात करें तो अभी इसे लेकर कोई चिंता की बात नहीं है।

टाटा समूह विस्तारा और एयरएशिया का एयर इंडिया में विलय करने की तैयारी में है। अब तक इन तीनों तीन एयरलाइंस की संयुक्त बाजार हिस्सेदारी 25.1 प्रतिशत (एयर इंडिया 9 प्रतिशत, विस्तारा 8.8 प्रतिशत और एयर एशिया 7.3 प्रतिशत) है।

विलय के बाद और बेड़े के विस्तार के साथ अगर चीजें सही रास्ते पर रहीं तो एयर इंडिया की बाजार हिस्सेदारी में वृद्धि होनी चाहिए। दूसरी ओर, इंडिगो को उसकी बाजार हिस्सेदारी को देखते हुए कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए।

इसके अलावा यात्री यातायात में वृद्धि और बेहतर राजस्व के साथ भारतीय एयरलाइन क्षेत्र के ऊंची उड़ान भरने की उम्मीद है।

–आईएएनएस

एकेजे

चेन्नई, 21 मई (आईएएनएस)। काफी धूमधड़ाके साथ टेकऑफ के बाद क्रैश लैंडिंग शुरू से ही भारतीय विमानन क्षेत्र में देखा गया है।

एनईपीसी एयरलाइंस, दमानिया एयरवेज, जेट एयरवेज, किंगफिशर एयरलाइंस, डेक्कन एविएशन, पैरामाउंट एयरवेज जैसे बड़े नामों के अलावा कई आया राम और गया राम इसके कुछ उदाहरण हैं।

न सिर्फ ये एयरलाइंस डूब गईं, बल्कि वे उन्हें कर्ज देने वाले सार्वजनिक बैंकों और उनमें निवेश करने वाले आम शेयरधारकों की पूंजी भी ले डूबे।

यह अलग बात है कि स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) ने ट्रेडमार्क/ब्रांड वैल्यू की एवज में किंगफिशर एयरलाइंस को हजारों करोड़ रुपये उधार दिए थे।

लंबे समय तक एयर इंडिया और इंडियन एयरलाइंस (बाद में एयर इंडिया में विलय) बची रह सकीं क्योंकि वे भारत सरकार के स्वामित्व में थीं। हाल ही में टाटा समूह ने एयर इंडिया का अधिग्रहण किया है।

जो भी हो, अब दो एयरलाइंस वित्तीय समस्याओं के लिए सुर्खियों में हैं – गो एयरलाइंस (इंडिया) और स्पाइसजेट।

वाडिया समूह की गो एयरलाइंस ने इस महीने की शुरुआत में स्वेच्छा से राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) के समक्ष से संबंधित इस महीने की शुरूआत में स्वेच्छा से एक दिवाला याचिका दायर किया, जिसे बाद में स्वीकार कर एक अंतरिम समाधान पेशेवर (आईआरपी) नियुक्त किया गया।

गो एयरलाइंस के अधिकारियों ने कहा कि यह उसके बेड़े के विमानों को पट्टेदारों द्वारा वापस ले लिए जाने से बचाने के लिए किया गया था।

गो एयरलाइंस ने अपनी समस्याओं के लिए इंजन आपूर्तिकर्ता प्रैट एंड व्हिटनी को दोषी ठहराया क्योंकि उसके 54 विमानों के बेड़े का लगभग 50 प्रतिशत इंजन की खराबी के कारण ग्राउंडेड है और आपूर्तिकर्ता ने अतिरिक्त इंजनों की आपूर्ति से मना कर दिया है।

दूसरी ओर, आयरलैंड स्थित विमान पट्टेदार एयरकैसल लिमिटेड ने एनसीएलटी की मुख्य बेंच के समक्ष याचिका दायर कर एयरलाइन के खिलाफ दिवालियापन प्रक्रिया शुरू करने की मांग की है।

तो, क्या भारतीय विमानन क्षेत्र आया राम और गया राम की कहानी है या यह बदलाव के लिए तैयार है?

ऐसा कहा जाता है कि बढ़ता मध्यम वर्ग किफायती विमान सेवा कंपनियों (एलसीसी) के लिए बेहतरीन अवसर प्रदान करता है।

गो एयरलाइंस के सीईओ कौशिक खोना ने कम लागत वाली एयरलाइंस के व्यवहार्य व्यावसायिक प्रस्ताव के सवाल पर कहा कि कंपनी 2009-10 से 2019-20 तक मुनाफा कमा रही थी। जनवरी 2020 से ही प्रैट एंड व्हिटनी इंजन की समस्या बढ़ गई और कंपनी को समस्याओं का सामना करना पड़ा क्योंकि एयरलाइंस की निश्चित लागत बहुत ज्यादा होती है।

खोना ने कहा कि केवल किफायती एयरलाइंस व्यवसाय ही लाभदायक हो सकता है।

भारत सरकार नए हवाईअड्डों के निर्माण पर भी ध्यान केंद्रित कर रही है, जो बदले में एयरलाइंस के लिए हवाई संपर्क और पैसेंजर लोड फैक्टर (भरी सीटों के अनुपात) को बढ़ाएगा।

भविष्य की बात भविष्य में। क्रेडिट रेटिंग एजेंसी आईसीआरए की मौजूदा रिपोर्ट उद्योग के लिए एक अलग तस्वीर पेश करती है।

आईसीआरए ने अपनी नवीनतम क्षेत्रीय रिपोर्ट में कहा कि वित्त वर्ष 2023-24 में विमानन उद्योग का नुकसान कम होकर लगभग 50-70 अरब रुपये रह जाने की संभावना है, क्योंकि यात्रियों की संख्या ठीक-ठाक है और एयरलाइंस में अपना राजस्व बढ़ाने की क्षमता है।

ऐसा कहा जाता है कि उच्च लागत और टिकट की कम कीमतों के कारण किफायती विमान सेवा खंड फंस गया है।

अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपये के कमजोर पड़ने और विमानईंधन (एटीएफ) की ऊंची कीमत एयरलाइंस की नींव को प्रभावित करती हैं।

आईसीआरए के उपाध्यक्ष और कॉपोर्रेट रेटिंग्स के सेक्टर हेड सुप्रियो बनर्जी ने कहा, एटीएफ की कीमतों में पिछले चार महीनों में क्रमिक गिरावट देखी गई है, फिर भी यह कोविड से पहले की तुलना में काफी महंगा है।

आईसीआरए के अनुसार, एटीएफ की औसत कीमत वित्त वर्ष 2023 में 1,21,013 रुपये प्रति किलोलीटर और अप्रैल 2023 में 99,506 रुपये प्रति किलोलीटर थी जबकि वित्त वर्ष 2020 में औरसम कीमत 64,715 रुपये प्रति किलोलीटर थी।

एयरलाइंस के व्यय में ईंधन की लागत का हिस्सा लगभग 30-40 प्रतिशत होता है, जबकि एयरलाइंस के परिचालन खर्च का लगभग 35-50 प्रतिशत – जिसमें विमान लीज भुगतान, ईंधन खर्च और विमान और इंजन रखरखाव खर्च शामिल हैं – का भुगतान अमेरिकी डॉलर में होता है। इसके अलावा, कुछ एयरलाइंस पर विदेशी मुद्रा में कर्ज भी है।

आईसीआरए के अनुसार, भारतीय विमानन क्षेत्र ने उच्च एटीएफ कीमतों और रुपये के मूल्यह्रास के कारण वित्त वर्ष 2022-23 में लगभग 110-130 अरब रुपये का शुद्ध घाटा दर्ज किया।

घरेलू यात्री हवाई यातायात में अब तेजी आ रही है। इंजन की समस्याओं के कारण कई विमान ग्राउंडेड हैं और गो एयरलाइंस ने उडाने बंद कर दी हैं। इन सभी कारणों से दूसरी एयरलाइंस के भरी सीटों का अनुपात (पीएलएफ) बढ़ा है और टिकटों की कीमतों में तेजी आई है।

आईस्ीआरए ने बताया कि अप्रैल 2023 में घरेलू मार्गो पर यात्रियों की संख्या लगभग 129 लाख रही है, जो मार्च 2023 में लगभग 128.9 लाख थी। यह अप्रैल 2022 के लगभग 105 लाख की तुलना में 22 प्रतिशत अधिक और कोविड-19 से पहले अप्रैल 2019 के लगभग 110 लाख की तुलना में 17 प्रतिशत अधिक है।

घरेलू एयरलाइनों के लिए अप्रैल 2023 में पीएलएफ लगभग 91 प्रतिशत रहा जो अप्रैल 2022 में लगभग 81 प्रतिशत था।

एयरलाइंस की वित्तीय स्थिति की बात करें तो एयर इंडिया, विस्तारा और एयर एशिया को टाटा समूह का समर्थन प्राप्त है। कुछ एयरलाइंस के लिए कुछ समय के लिए तरलता का दबाव रहेगा लेकिन पिछले वर्षों की तुलना में स्थिति अच्छी रहेगी।

भले ही कई भारतीय एयरलाइन ब्रांड हवा में उड़ रहे हैं, केवल तीन यात्री एयरलाइंस – इंटरग्लोब एविएशन लिमिटेड (ब्रांड इंडिगो), स्पाइसजेट, जेट एयरवेज – और एक हेलीकॉप्टर सेवा कंपनी ग्लोबल वेक्ट्रा हेलिकॉर्प लिमिटेड शेयर बाजारों में सूचीबद्ध हैं।

सरकारी आंकड़ों के अनुसार, जनवरी-मार्च 2023 के दौरान इंडिगो की बाजार हिस्सेदारी 55.7 प्रतिशत और स्पाइस जेट का 6.9 प्रतिशत है।

जेट एयरवेज अभी वित्तीय समस्याओं के कारण चालू नहीं है।

भारतीय विमानन क्षेत्र स्थिरता की बात करें तो अभी इसे लेकर कोई चिंता की बात नहीं है।

टाटा समूह विस्तारा और एयरएशिया का एयर इंडिया में विलय करने की तैयारी में है। अब तक इन तीनों तीन एयरलाइंस की संयुक्त बाजार हिस्सेदारी 25.1 प्रतिशत (एयर इंडिया 9 प्रतिशत, विस्तारा 8.8 प्रतिशत और एयर एशिया 7.3 प्रतिशत) है।

विलय के बाद और बेड़े के विस्तार के साथ अगर चीजें सही रास्ते पर रहीं तो एयर इंडिया की बाजार हिस्सेदारी में वृद्धि होनी चाहिए। दूसरी ओर, इंडिगो को उसकी बाजार हिस्सेदारी को देखते हुए कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए।

इसके अलावा यात्री यातायात में वृद्धि और बेहतर राजस्व के साथ भारतीय एयरलाइन क्षेत्र के ऊंची उड़ान भरने की उम्मीद है।

–आईएएनएस

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चेन्नई, 21 मई (आईएएनएस)। काफी धूमधड़ाके साथ टेकऑफ के बाद क्रैश लैंडिंग शुरू से ही भारतीय विमानन क्षेत्र में देखा गया है।

एनईपीसी एयरलाइंस, दमानिया एयरवेज, जेट एयरवेज, किंगफिशर एयरलाइंस, डेक्कन एविएशन, पैरामाउंट एयरवेज जैसे बड़े नामों के अलावा कई आया राम और गया राम इसके कुछ उदाहरण हैं।

न सिर्फ ये एयरलाइंस डूब गईं, बल्कि वे उन्हें कर्ज देने वाले सार्वजनिक बैंकों और उनमें निवेश करने वाले आम शेयरधारकों की पूंजी भी ले डूबे।

यह अलग बात है कि स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) ने ट्रेडमार्क/ब्रांड वैल्यू की एवज में किंगफिशर एयरलाइंस को हजारों करोड़ रुपये उधार दिए थे।

लंबे समय तक एयर इंडिया और इंडियन एयरलाइंस (बाद में एयर इंडिया में विलय) बची रह सकीं क्योंकि वे भारत सरकार के स्वामित्व में थीं। हाल ही में टाटा समूह ने एयर इंडिया का अधिग्रहण किया है।

जो भी हो, अब दो एयरलाइंस वित्तीय समस्याओं के लिए सुर्खियों में हैं – गो एयरलाइंस (इंडिया) और स्पाइसजेट।

वाडिया समूह की गो एयरलाइंस ने इस महीने की शुरुआत में स्वेच्छा से राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) के समक्ष से संबंधित इस महीने की शुरूआत में स्वेच्छा से एक दिवाला याचिका दायर किया, जिसे बाद में स्वीकार कर एक अंतरिम समाधान पेशेवर (आईआरपी) नियुक्त किया गया।

गो एयरलाइंस के अधिकारियों ने कहा कि यह उसके बेड़े के विमानों को पट्टेदारों द्वारा वापस ले लिए जाने से बचाने के लिए किया गया था।

गो एयरलाइंस ने अपनी समस्याओं के लिए इंजन आपूर्तिकर्ता प्रैट एंड व्हिटनी को दोषी ठहराया क्योंकि उसके 54 विमानों के बेड़े का लगभग 50 प्रतिशत इंजन की खराबी के कारण ग्राउंडेड है और आपूर्तिकर्ता ने अतिरिक्त इंजनों की आपूर्ति से मना कर दिया है।

दूसरी ओर, आयरलैंड स्थित विमान पट्टेदार एयरकैसल लिमिटेड ने एनसीएलटी की मुख्य बेंच के समक्ष याचिका दायर कर एयरलाइन के खिलाफ दिवालियापन प्रक्रिया शुरू करने की मांग की है।

तो, क्या भारतीय विमानन क्षेत्र आया राम और गया राम की कहानी है या यह बदलाव के लिए तैयार है?

ऐसा कहा जाता है कि बढ़ता मध्यम वर्ग किफायती विमान सेवा कंपनियों (एलसीसी) के लिए बेहतरीन अवसर प्रदान करता है।

गो एयरलाइंस के सीईओ कौशिक खोना ने कम लागत वाली एयरलाइंस के व्यवहार्य व्यावसायिक प्रस्ताव के सवाल पर कहा कि कंपनी 2009-10 से 2019-20 तक मुनाफा कमा रही थी। जनवरी 2020 से ही प्रैट एंड व्हिटनी इंजन की समस्या बढ़ गई और कंपनी को समस्याओं का सामना करना पड़ा क्योंकि एयरलाइंस की निश्चित लागत बहुत ज्यादा होती है।

खोना ने कहा कि केवल किफायती एयरलाइंस व्यवसाय ही लाभदायक हो सकता है।

भारत सरकार नए हवाईअड्डों के निर्माण पर भी ध्यान केंद्रित कर रही है, जो बदले में एयरलाइंस के लिए हवाई संपर्क और पैसेंजर लोड फैक्टर (भरी सीटों के अनुपात) को बढ़ाएगा।

भविष्य की बात भविष्य में। क्रेडिट रेटिंग एजेंसी आईसीआरए की मौजूदा रिपोर्ट उद्योग के लिए एक अलग तस्वीर पेश करती है।

आईसीआरए ने अपनी नवीनतम क्षेत्रीय रिपोर्ट में कहा कि वित्त वर्ष 2023-24 में विमानन उद्योग का नुकसान कम होकर लगभग 50-70 अरब रुपये रह जाने की संभावना है, क्योंकि यात्रियों की संख्या ठीक-ठाक है और एयरलाइंस में अपना राजस्व बढ़ाने की क्षमता है।

ऐसा कहा जाता है कि उच्च लागत और टिकट की कम कीमतों के कारण किफायती विमान सेवा खंड फंस गया है।

अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपये के कमजोर पड़ने और विमानईंधन (एटीएफ) की ऊंची कीमत एयरलाइंस की नींव को प्रभावित करती हैं।

आईसीआरए के उपाध्यक्ष और कॉपोर्रेट रेटिंग्स के सेक्टर हेड सुप्रियो बनर्जी ने कहा, एटीएफ की कीमतों में पिछले चार महीनों में क्रमिक गिरावट देखी गई है, फिर भी यह कोविड से पहले की तुलना में काफी महंगा है।

आईसीआरए के अनुसार, एटीएफ की औसत कीमत वित्त वर्ष 2023 में 1,21,013 रुपये प्रति किलोलीटर और अप्रैल 2023 में 99,506 रुपये प्रति किलोलीटर थी जबकि वित्त वर्ष 2020 में औरसम कीमत 64,715 रुपये प्रति किलोलीटर थी।

एयरलाइंस के व्यय में ईंधन की लागत का हिस्सा लगभग 30-40 प्रतिशत होता है, जबकि एयरलाइंस के परिचालन खर्च का लगभग 35-50 प्रतिशत – जिसमें विमान लीज भुगतान, ईंधन खर्च और विमान और इंजन रखरखाव खर्च शामिल हैं – का भुगतान अमेरिकी डॉलर में होता है। इसके अलावा, कुछ एयरलाइंस पर विदेशी मुद्रा में कर्ज भी है।

आईसीआरए के अनुसार, भारतीय विमानन क्षेत्र ने उच्च एटीएफ कीमतों और रुपये के मूल्यह्रास के कारण वित्त वर्ष 2022-23 में लगभग 110-130 अरब रुपये का शुद्ध घाटा दर्ज किया।

घरेलू यात्री हवाई यातायात में अब तेजी आ रही है। इंजन की समस्याओं के कारण कई विमान ग्राउंडेड हैं और गो एयरलाइंस ने उडाने बंद कर दी हैं। इन सभी कारणों से दूसरी एयरलाइंस के भरी सीटों का अनुपात (पीएलएफ) बढ़ा है और टिकटों की कीमतों में तेजी आई है।

आईस्ीआरए ने बताया कि अप्रैल 2023 में घरेलू मार्गो पर यात्रियों की संख्या लगभग 129 लाख रही है, जो मार्च 2023 में लगभग 128.9 लाख थी। यह अप्रैल 2022 के लगभग 105 लाख की तुलना में 22 प्रतिशत अधिक और कोविड-19 से पहले अप्रैल 2019 के लगभग 110 लाख की तुलना में 17 प्रतिशत अधिक है।

घरेलू एयरलाइनों के लिए अप्रैल 2023 में पीएलएफ लगभग 91 प्रतिशत रहा जो अप्रैल 2022 में लगभग 81 प्रतिशत था।

एयरलाइंस की वित्तीय स्थिति की बात करें तो एयर इंडिया, विस्तारा और एयर एशिया को टाटा समूह का समर्थन प्राप्त है। कुछ एयरलाइंस के लिए कुछ समय के लिए तरलता का दबाव रहेगा लेकिन पिछले वर्षों की तुलना में स्थिति अच्छी रहेगी।

भले ही कई भारतीय एयरलाइन ब्रांड हवा में उड़ रहे हैं, केवल तीन यात्री एयरलाइंस – इंटरग्लोब एविएशन लिमिटेड (ब्रांड इंडिगो), स्पाइसजेट, जेट एयरवेज – और एक हेलीकॉप्टर सेवा कंपनी ग्लोबल वेक्ट्रा हेलिकॉर्प लिमिटेड शेयर बाजारों में सूचीबद्ध हैं।

सरकारी आंकड़ों के अनुसार, जनवरी-मार्च 2023 के दौरान इंडिगो की बाजार हिस्सेदारी 55.7 प्रतिशत और स्पाइस जेट का 6.9 प्रतिशत है।

जेट एयरवेज अभी वित्तीय समस्याओं के कारण चालू नहीं है।

भारतीय विमानन क्षेत्र स्थिरता की बात करें तो अभी इसे लेकर कोई चिंता की बात नहीं है।

टाटा समूह विस्तारा और एयरएशिया का एयर इंडिया में विलय करने की तैयारी में है। अब तक इन तीनों तीन एयरलाइंस की संयुक्त बाजार हिस्सेदारी 25.1 प्रतिशत (एयर इंडिया 9 प्रतिशत, विस्तारा 8.8 प्रतिशत और एयर एशिया 7.3 प्रतिशत) है।

विलय के बाद और बेड़े के विस्तार के साथ अगर चीजें सही रास्ते पर रहीं तो एयर इंडिया की बाजार हिस्सेदारी में वृद्धि होनी चाहिए। दूसरी ओर, इंडिगो को उसकी बाजार हिस्सेदारी को देखते हुए कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए।

इसके अलावा यात्री यातायात में वृद्धि और बेहतर राजस्व के साथ भारतीय एयरलाइन क्षेत्र के ऊंची उड़ान भरने की उम्मीद है।

–आईएएनएस

एकेजे

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चेन्नई, 21 मई (आईएएनएस)। काफी धूमधड़ाके साथ टेकऑफ के बाद क्रैश लैंडिंग शुरू से ही भारतीय विमानन क्षेत्र में देखा गया है।

एनईपीसी एयरलाइंस, दमानिया एयरवेज, जेट एयरवेज, किंगफिशर एयरलाइंस, डेक्कन एविएशन, पैरामाउंट एयरवेज जैसे बड़े नामों के अलावा कई आया राम और गया राम इसके कुछ उदाहरण हैं।

न सिर्फ ये एयरलाइंस डूब गईं, बल्कि वे उन्हें कर्ज देने वाले सार्वजनिक बैंकों और उनमें निवेश करने वाले आम शेयरधारकों की पूंजी भी ले डूबे।

यह अलग बात है कि स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) ने ट्रेडमार्क/ब्रांड वैल्यू की एवज में किंगफिशर एयरलाइंस को हजारों करोड़ रुपये उधार दिए थे।

लंबे समय तक एयर इंडिया और इंडियन एयरलाइंस (बाद में एयर इंडिया में विलय) बची रह सकीं क्योंकि वे भारत सरकार के स्वामित्व में थीं। हाल ही में टाटा समूह ने एयर इंडिया का अधिग्रहण किया है।

जो भी हो, अब दो एयरलाइंस वित्तीय समस्याओं के लिए सुर्खियों में हैं – गो एयरलाइंस (इंडिया) और स्पाइसजेट।

वाडिया समूह की गो एयरलाइंस ने इस महीने की शुरुआत में स्वेच्छा से राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) के समक्ष से संबंधित इस महीने की शुरूआत में स्वेच्छा से एक दिवाला याचिका दायर किया, जिसे बाद में स्वीकार कर एक अंतरिम समाधान पेशेवर (आईआरपी) नियुक्त किया गया।

गो एयरलाइंस के अधिकारियों ने कहा कि यह उसके बेड़े के विमानों को पट्टेदारों द्वारा वापस ले लिए जाने से बचाने के लिए किया गया था।

गो एयरलाइंस ने अपनी समस्याओं के लिए इंजन आपूर्तिकर्ता प्रैट एंड व्हिटनी को दोषी ठहराया क्योंकि उसके 54 विमानों के बेड़े का लगभग 50 प्रतिशत इंजन की खराबी के कारण ग्राउंडेड है और आपूर्तिकर्ता ने अतिरिक्त इंजनों की आपूर्ति से मना कर दिया है।

दूसरी ओर, आयरलैंड स्थित विमान पट्टेदार एयरकैसल लिमिटेड ने एनसीएलटी की मुख्य बेंच के समक्ष याचिका दायर कर एयरलाइन के खिलाफ दिवालियापन प्रक्रिया शुरू करने की मांग की है।

तो, क्या भारतीय विमानन क्षेत्र आया राम और गया राम की कहानी है या यह बदलाव के लिए तैयार है?

ऐसा कहा जाता है कि बढ़ता मध्यम वर्ग किफायती विमान सेवा कंपनियों (एलसीसी) के लिए बेहतरीन अवसर प्रदान करता है।

गो एयरलाइंस के सीईओ कौशिक खोना ने कम लागत वाली एयरलाइंस के व्यवहार्य व्यावसायिक प्रस्ताव के सवाल पर कहा कि कंपनी 2009-10 से 2019-20 तक मुनाफा कमा रही थी। जनवरी 2020 से ही प्रैट एंड व्हिटनी इंजन की समस्या बढ़ गई और कंपनी को समस्याओं का सामना करना पड़ा क्योंकि एयरलाइंस की निश्चित लागत बहुत ज्यादा होती है।

खोना ने कहा कि केवल किफायती एयरलाइंस व्यवसाय ही लाभदायक हो सकता है।

भारत सरकार नए हवाईअड्डों के निर्माण पर भी ध्यान केंद्रित कर रही है, जो बदले में एयरलाइंस के लिए हवाई संपर्क और पैसेंजर लोड फैक्टर (भरी सीटों के अनुपात) को बढ़ाएगा।

भविष्य की बात भविष्य में। क्रेडिट रेटिंग एजेंसी आईसीआरए की मौजूदा रिपोर्ट उद्योग के लिए एक अलग तस्वीर पेश करती है।

आईसीआरए ने अपनी नवीनतम क्षेत्रीय रिपोर्ट में कहा कि वित्त वर्ष 2023-24 में विमानन उद्योग का नुकसान कम होकर लगभग 50-70 अरब रुपये रह जाने की संभावना है, क्योंकि यात्रियों की संख्या ठीक-ठाक है और एयरलाइंस में अपना राजस्व बढ़ाने की क्षमता है।

ऐसा कहा जाता है कि उच्च लागत और टिकट की कम कीमतों के कारण किफायती विमान सेवा खंड फंस गया है।

अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपये के कमजोर पड़ने और विमानईंधन (एटीएफ) की ऊंची कीमत एयरलाइंस की नींव को प्रभावित करती हैं।

आईसीआरए के उपाध्यक्ष और कॉपोर्रेट रेटिंग्स के सेक्टर हेड सुप्रियो बनर्जी ने कहा, एटीएफ की कीमतों में पिछले चार महीनों में क्रमिक गिरावट देखी गई है, फिर भी यह कोविड से पहले की तुलना में काफी महंगा है।

आईसीआरए के अनुसार, एटीएफ की औसत कीमत वित्त वर्ष 2023 में 1,21,013 रुपये प्रति किलोलीटर और अप्रैल 2023 में 99,506 रुपये प्रति किलोलीटर थी जबकि वित्त वर्ष 2020 में औरसम कीमत 64,715 रुपये प्रति किलोलीटर थी।

एयरलाइंस के व्यय में ईंधन की लागत का हिस्सा लगभग 30-40 प्रतिशत होता है, जबकि एयरलाइंस के परिचालन खर्च का लगभग 35-50 प्रतिशत – जिसमें विमान लीज भुगतान, ईंधन खर्च और विमान और इंजन रखरखाव खर्च शामिल हैं – का भुगतान अमेरिकी डॉलर में होता है। इसके अलावा, कुछ एयरलाइंस पर विदेशी मुद्रा में कर्ज भी है।

आईसीआरए के अनुसार, भारतीय विमानन क्षेत्र ने उच्च एटीएफ कीमतों और रुपये के मूल्यह्रास के कारण वित्त वर्ष 2022-23 में लगभग 110-130 अरब रुपये का शुद्ध घाटा दर्ज किया।

घरेलू यात्री हवाई यातायात में अब तेजी आ रही है। इंजन की समस्याओं के कारण कई विमान ग्राउंडेड हैं और गो एयरलाइंस ने उडाने बंद कर दी हैं। इन सभी कारणों से दूसरी एयरलाइंस के भरी सीटों का अनुपात (पीएलएफ) बढ़ा है और टिकटों की कीमतों में तेजी आई है।

आईस्ीआरए ने बताया कि अप्रैल 2023 में घरेलू मार्गो पर यात्रियों की संख्या लगभग 129 लाख रही है, जो मार्च 2023 में लगभग 128.9 लाख थी। यह अप्रैल 2022 के लगभग 105 लाख की तुलना में 22 प्रतिशत अधिक और कोविड-19 से पहले अप्रैल 2019 के लगभग 110 लाख की तुलना में 17 प्रतिशत अधिक है।

घरेलू एयरलाइनों के लिए अप्रैल 2023 में पीएलएफ लगभग 91 प्रतिशत रहा जो अप्रैल 2022 में लगभग 81 प्रतिशत था।

एयरलाइंस की वित्तीय स्थिति की बात करें तो एयर इंडिया, विस्तारा और एयर एशिया को टाटा समूह का समर्थन प्राप्त है। कुछ एयरलाइंस के लिए कुछ समय के लिए तरलता का दबाव रहेगा लेकिन पिछले वर्षों की तुलना में स्थिति अच्छी रहेगी।

भले ही कई भारतीय एयरलाइन ब्रांड हवा में उड़ रहे हैं, केवल तीन यात्री एयरलाइंस – इंटरग्लोब एविएशन लिमिटेड (ब्रांड इंडिगो), स्पाइसजेट, जेट एयरवेज – और एक हेलीकॉप्टर सेवा कंपनी ग्लोबल वेक्ट्रा हेलिकॉर्प लिमिटेड शेयर बाजारों में सूचीबद्ध हैं।

सरकारी आंकड़ों के अनुसार, जनवरी-मार्च 2023 के दौरान इंडिगो की बाजार हिस्सेदारी 55.7 प्रतिशत और स्पाइस जेट का 6.9 प्रतिशत है।

जेट एयरवेज अभी वित्तीय समस्याओं के कारण चालू नहीं है।

भारतीय विमानन क्षेत्र स्थिरता की बात करें तो अभी इसे लेकर कोई चिंता की बात नहीं है।

टाटा समूह विस्तारा और एयरएशिया का एयर इंडिया में विलय करने की तैयारी में है। अब तक इन तीनों तीन एयरलाइंस की संयुक्त बाजार हिस्सेदारी 25.1 प्रतिशत (एयर इंडिया 9 प्रतिशत, विस्तारा 8.8 प्रतिशत और एयर एशिया 7.3 प्रतिशत) है।

विलय के बाद और बेड़े के विस्तार के साथ अगर चीजें सही रास्ते पर रहीं तो एयर इंडिया की बाजार हिस्सेदारी में वृद्धि होनी चाहिए। दूसरी ओर, इंडिगो को उसकी बाजार हिस्सेदारी को देखते हुए कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए।

इसके अलावा यात्री यातायात में वृद्धि और बेहतर राजस्व के साथ भारतीय एयरलाइन क्षेत्र के ऊंची उड़ान भरने की उम्मीद है।

–आईएएनएस

एकेजे

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चेन्नई, 21 मई (आईएएनएस)। काफी धूमधड़ाके साथ टेकऑफ के बाद क्रैश लैंडिंग शुरू से ही भारतीय विमानन क्षेत्र में देखा गया है।

एनईपीसी एयरलाइंस, दमानिया एयरवेज, जेट एयरवेज, किंगफिशर एयरलाइंस, डेक्कन एविएशन, पैरामाउंट एयरवेज जैसे बड़े नामों के अलावा कई आया राम और गया राम इसके कुछ उदाहरण हैं।

न सिर्फ ये एयरलाइंस डूब गईं, बल्कि वे उन्हें कर्ज देने वाले सार्वजनिक बैंकों और उनमें निवेश करने वाले आम शेयरधारकों की पूंजी भी ले डूबे।

यह अलग बात है कि स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) ने ट्रेडमार्क/ब्रांड वैल्यू की एवज में किंगफिशर एयरलाइंस को हजारों करोड़ रुपये उधार दिए थे।

लंबे समय तक एयर इंडिया और इंडियन एयरलाइंस (बाद में एयर इंडिया में विलय) बची रह सकीं क्योंकि वे भारत सरकार के स्वामित्व में थीं। हाल ही में टाटा समूह ने एयर इंडिया का अधिग्रहण किया है।

जो भी हो, अब दो एयरलाइंस वित्तीय समस्याओं के लिए सुर्खियों में हैं – गो एयरलाइंस (इंडिया) और स्पाइसजेट।

वाडिया समूह की गो एयरलाइंस ने इस महीने की शुरुआत में स्वेच्छा से राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) के समक्ष से संबंधित इस महीने की शुरूआत में स्वेच्छा से एक दिवाला याचिका दायर किया, जिसे बाद में स्वीकार कर एक अंतरिम समाधान पेशेवर (आईआरपी) नियुक्त किया गया।

गो एयरलाइंस के अधिकारियों ने कहा कि यह उसके बेड़े के विमानों को पट्टेदारों द्वारा वापस ले लिए जाने से बचाने के लिए किया गया था।

गो एयरलाइंस ने अपनी समस्याओं के लिए इंजन आपूर्तिकर्ता प्रैट एंड व्हिटनी को दोषी ठहराया क्योंकि उसके 54 विमानों के बेड़े का लगभग 50 प्रतिशत इंजन की खराबी के कारण ग्राउंडेड है और आपूर्तिकर्ता ने अतिरिक्त इंजनों की आपूर्ति से मना कर दिया है।

दूसरी ओर, आयरलैंड स्थित विमान पट्टेदार एयरकैसल लिमिटेड ने एनसीएलटी की मुख्य बेंच के समक्ष याचिका दायर कर एयरलाइन के खिलाफ दिवालियापन प्रक्रिया शुरू करने की मांग की है।

तो, क्या भारतीय विमानन क्षेत्र आया राम और गया राम की कहानी है या यह बदलाव के लिए तैयार है?

ऐसा कहा जाता है कि बढ़ता मध्यम वर्ग किफायती विमान सेवा कंपनियों (एलसीसी) के लिए बेहतरीन अवसर प्रदान करता है।

गो एयरलाइंस के सीईओ कौशिक खोना ने कम लागत वाली एयरलाइंस के व्यवहार्य व्यावसायिक प्रस्ताव के सवाल पर कहा कि कंपनी 2009-10 से 2019-20 तक मुनाफा कमा रही थी। जनवरी 2020 से ही प्रैट एंड व्हिटनी इंजन की समस्या बढ़ गई और कंपनी को समस्याओं का सामना करना पड़ा क्योंकि एयरलाइंस की निश्चित लागत बहुत ज्यादा होती है।

खोना ने कहा कि केवल किफायती एयरलाइंस व्यवसाय ही लाभदायक हो सकता है।

भारत सरकार नए हवाईअड्डों के निर्माण पर भी ध्यान केंद्रित कर रही है, जो बदले में एयरलाइंस के लिए हवाई संपर्क और पैसेंजर लोड फैक्टर (भरी सीटों के अनुपात) को बढ़ाएगा।

भविष्य की बात भविष्य में। क्रेडिट रेटिंग एजेंसी आईसीआरए की मौजूदा रिपोर्ट उद्योग के लिए एक अलग तस्वीर पेश करती है।

आईसीआरए ने अपनी नवीनतम क्षेत्रीय रिपोर्ट में कहा कि वित्त वर्ष 2023-24 में विमानन उद्योग का नुकसान कम होकर लगभग 50-70 अरब रुपये रह जाने की संभावना है, क्योंकि यात्रियों की संख्या ठीक-ठाक है और एयरलाइंस में अपना राजस्व बढ़ाने की क्षमता है।

ऐसा कहा जाता है कि उच्च लागत और टिकट की कम कीमतों के कारण किफायती विमान सेवा खंड फंस गया है।

अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपये के कमजोर पड़ने और विमानईंधन (एटीएफ) की ऊंची कीमत एयरलाइंस की नींव को प्रभावित करती हैं।

आईसीआरए के उपाध्यक्ष और कॉपोर्रेट रेटिंग्स के सेक्टर हेड सुप्रियो बनर्जी ने कहा, एटीएफ की कीमतों में पिछले चार महीनों में क्रमिक गिरावट देखी गई है, फिर भी यह कोविड से पहले की तुलना में काफी महंगा है।

आईसीआरए के अनुसार, एटीएफ की औसत कीमत वित्त वर्ष 2023 में 1,21,013 रुपये प्रति किलोलीटर और अप्रैल 2023 में 99,506 रुपये प्रति किलोलीटर थी जबकि वित्त वर्ष 2020 में औरसम कीमत 64,715 रुपये प्रति किलोलीटर थी।

एयरलाइंस के व्यय में ईंधन की लागत का हिस्सा लगभग 30-40 प्रतिशत होता है, जबकि एयरलाइंस के परिचालन खर्च का लगभग 35-50 प्रतिशत – जिसमें विमान लीज भुगतान, ईंधन खर्च और विमान और इंजन रखरखाव खर्च शामिल हैं – का भुगतान अमेरिकी डॉलर में होता है। इसके अलावा, कुछ एयरलाइंस पर विदेशी मुद्रा में कर्ज भी है।

आईसीआरए के अनुसार, भारतीय विमानन क्षेत्र ने उच्च एटीएफ कीमतों और रुपये के मूल्यह्रास के कारण वित्त वर्ष 2022-23 में लगभग 110-130 अरब रुपये का शुद्ध घाटा दर्ज किया।

घरेलू यात्री हवाई यातायात में अब तेजी आ रही है। इंजन की समस्याओं के कारण कई विमान ग्राउंडेड हैं और गो एयरलाइंस ने उडाने बंद कर दी हैं। इन सभी कारणों से दूसरी एयरलाइंस के भरी सीटों का अनुपात (पीएलएफ) बढ़ा है और टिकटों की कीमतों में तेजी आई है।

आईस्ीआरए ने बताया कि अप्रैल 2023 में घरेलू मार्गो पर यात्रियों की संख्या लगभग 129 लाख रही है, जो मार्च 2023 में लगभग 128.9 लाख थी। यह अप्रैल 2022 के लगभग 105 लाख की तुलना में 22 प्रतिशत अधिक और कोविड-19 से पहले अप्रैल 2019 के लगभग 110 लाख की तुलना में 17 प्रतिशत अधिक है।

घरेलू एयरलाइनों के लिए अप्रैल 2023 में पीएलएफ लगभग 91 प्रतिशत रहा जो अप्रैल 2022 में लगभग 81 प्रतिशत था।

एयरलाइंस की वित्तीय स्थिति की बात करें तो एयर इंडिया, विस्तारा और एयर एशिया को टाटा समूह का समर्थन प्राप्त है। कुछ एयरलाइंस के लिए कुछ समय के लिए तरलता का दबाव रहेगा लेकिन पिछले वर्षों की तुलना में स्थिति अच्छी रहेगी।

भले ही कई भारतीय एयरलाइन ब्रांड हवा में उड़ रहे हैं, केवल तीन यात्री एयरलाइंस – इंटरग्लोब एविएशन लिमिटेड (ब्रांड इंडिगो), स्पाइसजेट, जेट एयरवेज – और एक हेलीकॉप्टर सेवा कंपनी ग्लोबल वेक्ट्रा हेलिकॉर्प लिमिटेड शेयर बाजारों में सूचीबद्ध हैं।

सरकारी आंकड़ों के अनुसार, जनवरी-मार्च 2023 के दौरान इंडिगो की बाजार हिस्सेदारी 55.7 प्रतिशत और स्पाइस जेट का 6.9 प्रतिशत है।

जेट एयरवेज अभी वित्तीय समस्याओं के कारण चालू नहीं है।

भारतीय विमानन क्षेत्र स्थिरता की बात करें तो अभी इसे लेकर कोई चिंता की बात नहीं है।

टाटा समूह विस्तारा और एयरएशिया का एयर इंडिया में विलय करने की तैयारी में है। अब तक इन तीनों तीन एयरलाइंस की संयुक्त बाजार हिस्सेदारी 25.1 प्रतिशत (एयर इंडिया 9 प्रतिशत, विस्तारा 8.8 प्रतिशत और एयर एशिया 7.3 प्रतिशत) है।

विलय के बाद और बेड़े के विस्तार के साथ अगर चीजें सही रास्ते पर रहीं तो एयर इंडिया की बाजार हिस्सेदारी में वृद्धि होनी चाहिए। दूसरी ओर, इंडिगो को उसकी बाजार हिस्सेदारी को देखते हुए कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए।

इसके अलावा यात्री यातायात में वृद्धि और बेहतर राजस्व के साथ भारतीय एयरलाइन क्षेत्र के ऊंची उड़ान भरने की उम्मीद है।

–आईएएनएस

एकेजे

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चेन्नई, 21 मई (आईएएनएस)। काफी धूमधड़ाके साथ टेकऑफ के बाद क्रैश लैंडिंग शुरू से ही भारतीय विमानन क्षेत्र में देखा गया है।

एनईपीसी एयरलाइंस, दमानिया एयरवेज, जेट एयरवेज, किंगफिशर एयरलाइंस, डेक्कन एविएशन, पैरामाउंट एयरवेज जैसे बड़े नामों के अलावा कई आया राम और गया राम इसके कुछ उदाहरण हैं।

न सिर्फ ये एयरलाइंस डूब गईं, बल्कि वे उन्हें कर्ज देने वाले सार्वजनिक बैंकों और उनमें निवेश करने वाले आम शेयरधारकों की पूंजी भी ले डूबे।

यह अलग बात है कि स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) ने ट्रेडमार्क/ब्रांड वैल्यू की एवज में किंगफिशर एयरलाइंस को हजारों करोड़ रुपये उधार दिए थे।

लंबे समय तक एयर इंडिया और इंडियन एयरलाइंस (बाद में एयर इंडिया में विलय) बची रह सकीं क्योंकि वे भारत सरकार के स्वामित्व में थीं। हाल ही में टाटा समूह ने एयर इंडिया का अधिग्रहण किया है।

जो भी हो, अब दो एयरलाइंस वित्तीय समस्याओं के लिए सुर्खियों में हैं – गो एयरलाइंस (इंडिया) और स्पाइसजेट।

वाडिया समूह की गो एयरलाइंस ने इस महीने की शुरुआत में स्वेच्छा से राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) के समक्ष से संबंधित इस महीने की शुरूआत में स्वेच्छा से एक दिवाला याचिका दायर किया, जिसे बाद में स्वीकार कर एक अंतरिम समाधान पेशेवर (आईआरपी) नियुक्त किया गया।

गो एयरलाइंस के अधिकारियों ने कहा कि यह उसके बेड़े के विमानों को पट्टेदारों द्वारा वापस ले लिए जाने से बचाने के लिए किया गया था।

गो एयरलाइंस ने अपनी समस्याओं के लिए इंजन आपूर्तिकर्ता प्रैट एंड व्हिटनी को दोषी ठहराया क्योंकि उसके 54 विमानों के बेड़े का लगभग 50 प्रतिशत इंजन की खराबी के कारण ग्राउंडेड है और आपूर्तिकर्ता ने अतिरिक्त इंजनों की आपूर्ति से मना कर दिया है।

दूसरी ओर, आयरलैंड स्थित विमान पट्टेदार एयरकैसल लिमिटेड ने एनसीएलटी की मुख्य बेंच के समक्ष याचिका दायर कर एयरलाइन के खिलाफ दिवालियापन प्रक्रिया शुरू करने की मांग की है।

तो, क्या भारतीय विमानन क्षेत्र आया राम और गया राम की कहानी है या यह बदलाव के लिए तैयार है?

ऐसा कहा जाता है कि बढ़ता मध्यम वर्ग किफायती विमान सेवा कंपनियों (एलसीसी) के लिए बेहतरीन अवसर प्रदान करता है।

गो एयरलाइंस के सीईओ कौशिक खोना ने कम लागत वाली एयरलाइंस के व्यवहार्य व्यावसायिक प्रस्ताव के सवाल पर कहा कि कंपनी 2009-10 से 2019-20 तक मुनाफा कमा रही थी। जनवरी 2020 से ही प्रैट एंड व्हिटनी इंजन की समस्या बढ़ गई और कंपनी को समस्याओं का सामना करना पड़ा क्योंकि एयरलाइंस की निश्चित लागत बहुत ज्यादा होती है।

खोना ने कहा कि केवल किफायती एयरलाइंस व्यवसाय ही लाभदायक हो सकता है।

भारत सरकार नए हवाईअड्डों के निर्माण पर भी ध्यान केंद्रित कर रही है, जो बदले में एयरलाइंस के लिए हवाई संपर्क और पैसेंजर लोड फैक्टर (भरी सीटों के अनुपात) को बढ़ाएगा।

भविष्य की बात भविष्य में। क्रेडिट रेटिंग एजेंसी आईसीआरए की मौजूदा रिपोर्ट उद्योग के लिए एक अलग तस्वीर पेश करती है।

आईसीआरए ने अपनी नवीनतम क्षेत्रीय रिपोर्ट में कहा कि वित्त वर्ष 2023-24 में विमानन उद्योग का नुकसान कम होकर लगभग 50-70 अरब रुपये रह जाने की संभावना है, क्योंकि यात्रियों की संख्या ठीक-ठाक है और एयरलाइंस में अपना राजस्व बढ़ाने की क्षमता है।

ऐसा कहा जाता है कि उच्च लागत और टिकट की कम कीमतों के कारण किफायती विमान सेवा खंड फंस गया है।

अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपये के कमजोर पड़ने और विमानईंधन (एटीएफ) की ऊंची कीमत एयरलाइंस की नींव को प्रभावित करती हैं।

आईसीआरए के उपाध्यक्ष और कॉपोर्रेट रेटिंग्स के सेक्टर हेड सुप्रियो बनर्जी ने कहा, एटीएफ की कीमतों में पिछले चार महीनों में क्रमिक गिरावट देखी गई है, फिर भी यह कोविड से पहले की तुलना में काफी महंगा है।

आईसीआरए के अनुसार, एटीएफ की औसत कीमत वित्त वर्ष 2023 में 1,21,013 रुपये प्रति किलोलीटर और अप्रैल 2023 में 99,506 रुपये प्रति किलोलीटर थी जबकि वित्त वर्ष 2020 में औरसम कीमत 64,715 रुपये प्रति किलोलीटर थी।

एयरलाइंस के व्यय में ईंधन की लागत का हिस्सा लगभग 30-40 प्रतिशत होता है, जबकि एयरलाइंस के परिचालन खर्च का लगभग 35-50 प्रतिशत – जिसमें विमान लीज भुगतान, ईंधन खर्च और विमान और इंजन रखरखाव खर्च शामिल हैं – का भुगतान अमेरिकी डॉलर में होता है। इसके अलावा, कुछ एयरलाइंस पर विदेशी मुद्रा में कर्ज भी है।

आईसीआरए के अनुसार, भारतीय विमानन क्षेत्र ने उच्च एटीएफ कीमतों और रुपये के मूल्यह्रास के कारण वित्त वर्ष 2022-23 में लगभग 110-130 अरब रुपये का शुद्ध घाटा दर्ज किया।

घरेलू यात्री हवाई यातायात में अब तेजी आ रही है। इंजन की समस्याओं के कारण कई विमान ग्राउंडेड हैं और गो एयरलाइंस ने उडाने बंद कर दी हैं। इन सभी कारणों से दूसरी एयरलाइंस के भरी सीटों का अनुपात (पीएलएफ) बढ़ा है और टिकटों की कीमतों में तेजी आई है।

आईस्ीआरए ने बताया कि अप्रैल 2023 में घरेलू मार्गो पर यात्रियों की संख्या लगभग 129 लाख रही है, जो मार्च 2023 में लगभग 128.9 लाख थी। यह अप्रैल 2022 के लगभग 105 लाख की तुलना में 22 प्रतिशत अधिक और कोविड-19 से पहले अप्रैल 2019 के लगभग 110 लाख की तुलना में 17 प्रतिशत अधिक है।

घरेलू एयरलाइनों के लिए अप्रैल 2023 में पीएलएफ लगभग 91 प्रतिशत रहा जो अप्रैल 2022 में लगभग 81 प्रतिशत था।

एयरलाइंस की वित्तीय स्थिति की बात करें तो एयर इंडिया, विस्तारा और एयर एशिया को टाटा समूह का समर्थन प्राप्त है। कुछ एयरलाइंस के लिए कुछ समय के लिए तरलता का दबाव रहेगा लेकिन पिछले वर्षों की तुलना में स्थिति अच्छी रहेगी।

भले ही कई भारतीय एयरलाइन ब्रांड हवा में उड़ रहे हैं, केवल तीन यात्री एयरलाइंस – इंटरग्लोब एविएशन लिमिटेड (ब्रांड इंडिगो), स्पाइसजेट, जेट एयरवेज – और एक हेलीकॉप्टर सेवा कंपनी ग्लोबल वेक्ट्रा हेलिकॉर्प लिमिटेड शेयर बाजारों में सूचीबद्ध हैं।

सरकारी आंकड़ों के अनुसार, जनवरी-मार्च 2023 के दौरान इंडिगो की बाजार हिस्सेदारी 55.7 प्रतिशत और स्पाइस जेट का 6.9 प्रतिशत है।

जेट एयरवेज अभी वित्तीय समस्याओं के कारण चालू नहीं है।

भारतीय विमानन क्षेत्र स्थिरता की बात करें तो अभी इसे लेकर कोई चिंता की बात नहीं है।

टाटा समूह विस्तारा और एयरएशिया का एयर इंडिया में विलय करने की तैयारी में है। अब तक इन तीनों तीन एयरलाइंस की संयुक्त बाजार हिस्सेदारी 25.1 प्रतिशत (एयर इंडिया 9 प्रतिशत, विस्तारा 8.8 प्रतिशत और एयर एशिया 7.3 प्रतिशत) है।

विलय के बाद और बेड़े के विस्तार के साथ अगर चीजें सही रास्ते पर रहीं तो एयर इंडिया की बाजार हिस्सेदारी में वृद्धि होनी चाहिए। दूसरी ओर, इंडिगो को उसकी बाजार हिस्सेदारी को देखते हुए कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए।

इसके अलावा यात्री यातायात में वृद्धि और बेहतर राजस्व के साथ भारतीय एयरलाइन क्षेत्र के ऊंची उड़ान भरने की उम्मीद है।

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चेन्नई, 21 मई (आईएएनएस)। काफी धूमधड़ाके साथ टेकऑफ के बाद क्रैश लैंडिंग शुरू से ही भारतीय विमानन क्षेत्र में देखा गया है।

एनईपीसी एयरलाइंस, दमानिया एयरवेज, जेट एयरवेज, किंगफिशर एयरलाइंस, डेक्कन एविएशन, पैरामाउंट एयरवेज जैसे बड़े नामों के अलावा कई आया राम और गया राम इसके कुछ उदाहरण हैं।

न सिर्फ ये एयरलाइंस डूब गईं, बल्कि वे उन्हें कर्ज देने वाले सार्वजनिक बैंकों और उनमें निवेश करने वाले आम शेयरधारकों की पूंजी भी ले डूबे।

यह अलग बात है कि स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) ने ट्रेडमार्क/ब्रांड वैल्यू की एवज में किंगफिशर एयरलाइंस को हजारों करोड़ रुपये उधार दिए थे।

लंबे समय तक एयर इंडिया और इंडियन एयरलाइंस (बाद में एयर इंडिया में विलय) बची रह सकीं क्योंकि वे भारत सरकार के स्वामित्व में थीं। हाल ही में टाटा समूह ने एयर इंडिया का अधिग्रहण किया है।

जो भी हो, अब दो एयरलाइंस वित्तीय समस्याओं के लिए सुर्खियों में हैं – गो एयरलाइंस (इंडिया) और स्पाइसजेट।

वाडिया समूह की गो एयरलाइंस ने इस महीने की शुरुआत में स्वेच्छा से राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) के समक्ष से संबंधित इस महीने की शुरूआत में स्वेच्छा से एक दिवाला याचिका दायर किया, जिसे बाद में स्वीकार कर एक अंतरिम समाधान पेशेवर (आईआरपी) नियुक्त किया गया।

गो एयरलाइंस के अधिकारियों ने कहा कि यह उसके बेड़े के विमानों को पट्टेदारों द्वारा वापस ले लिए जाने से बचाने के लिए किया गया था।

गो एयरलाइंस ने अपनी समस्याओं के लिए इंजन आपूर्तिकर्ता प्रैट एंड व्हिटनी को दोषी ठहराया क्योंकि उसके 54 विमानों के बेड़े का लगभग 50 प्रतिशत इंजन की खराबी के कारण ग्राउंडेड है और आपूर्तिकर्ता ने अतिरिक्त इंजनों की आपूर्ति से मना कर दिया है।

दूसरी ओर, आयरलैंड स्थित विमान पट्टेदार एयरकैसल लिमिटेड ने एनसीएलटी की मुख्य बेंच के समक्ष याचिका दायर कर एयरलाइन के खिलाफ दिवालियापन प्रक्रिया शुरू करने की मांग की है।

तो, क्या भारतीय विमानन क्षेत्र आया राम और गया राम की कहानी है या यह बदलाव के लिए तैयार है?

ऐसा कहा जाता है कि बढ़ता मध्यम वर्ग किफायती विमान सेवा कंपनियों (एलसीसी) के लिए बेहतरीन अवसर प्रदान करता है।

गो एयरलाइंस के सीईओ कौशिक खोना ने कम लागत वाली एयरलाइंस के व्यवहार्य व्यावसायिक प्रस्ताव के सवाल पर कहा कि कंपनी 2009-10 से 2019-20 तक मुनाफा कमा रही थी। जनवरी 2020 से ही प्रैट एंड व्हिटनी इंजन की समस्या बढ़ गई और कंपनी को समस्याओं का सामना करना पड़ा क्योंकि एयरलाइंस की निश्चित लागत बहुत ज्यादा होती है।

खोना ने कहा कि केवल किफायती एयरलाइंस व्यवसाय ही लाभदायक हो सकता है।

भारत सरकार नए हवाईअड्डों के निर्माण पर भी ध्यान केंद्रित कर रही है, जो बदले में एयरलाइंस के लिए हवाई संपर्क और पैसेंजर लोड फैक्टर (भरी सीटों के अनुपात) को बढ़ाएगा।

भविष्य की बात भविष्य में। क्रेडिट रेटिंग एजेंसी आईसीआरए की मौजूदा रिपोर्ट उद्योग के लिए एक अलग तस्वीर पेश करती है।

आईसीआरए ने अपनी नवीनतम क्षेत्रीय रिपोर्ट में कहा कि वित्त वर्ष 2023-24 में विमानन उद्योग का नुकसान कम होकर लगभग 50-70 अरब रुपये रह जाने की संभावना है, क्योंकि यात्रियों की संख्या ठीक-ठाक है और एयरलाइंस में अपना राजस्व बढ़ाने की क्षमता है।

ऐसा कहा जाता है कि उच्च लागत और टिकट की कम कीमतों के कारण किफायती विमान सेवा खंड फंस गया है।

अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपये के कमजोर पड़ने और विमानईंधन (एटीएफ) की ऊंची कीमत एयरलाइंस की नींव को प्रभावित करती हैं।

आईसीआरए के उपाध्यक्ष और कॉपोर्रेट रेटिंग्स के सेक्टर हेड सुप्रियो बनर्जी ने कहा, एटीएफ की कीमतों में पिछले चार महीनों में क्रमिक गिरावट देखी गई है, फिर भी यह कोविड से पहले की तुलना में काफी महंगा है।

आईसीआरए के अनुसार, एटीएफ की औसत कीमत वित्त वर्ष 2023 में 1,21,013 रुपये प्रति किलोलीटर और अप्रैल 2023 में 99,506 रुपये प्रति किलोलीटर थी जबकि वित्त वर्ष 2020 में औरसम कीमत 64,715 रुपये प्रति किलोलीटर थी।

एयरलाइंस के व्यय में ईंधन की लागत का हिस्सा लगभग 30-40 प्रतिशत होता है, जबकि एयरलाइंस के परिचालन खर्च का लगभग 35-50 प्रतिशत – जिसमें विमान लीज भुगतान, ईंधन खर्च और विमान और इंजन रखरखाव खर्च शामिल हैं – का भुगतान अमेरिकी डॉलर में होता है। इसके अलावा, कुछ एयरलाइंस पर विदेशी मुद्रा में कर्ज भी है।

आईसीआरए के अनुसार, भारतीय विमानन क्षेत्र ने उच्च एटीएफ कीमतों और रुपये के मूल्यह्रास के कारण वित्त वर्ष 2022-23 में लगभग 110-130 अरब रुपये का शुद्ध घाटा दर्ज किया।

घरेलू यात्री हवाई यातायात में अब तेजी आ रही है। इंजन की समस्याओं के कारण कई विमान ग्राउंडेड हैं और गो एयरलाइंस ने उडाने बंद कर दी हैं। इन सभी कारणों से दूसरी एयरलाइंस के भरी सीटों का अनुपात (पीएलएफ) बढ़ा है और टिकटों की कीमतों में तेजी आई है।

आईस्ीआरए ने बताया कि अप्रैल 2023 में घरेलू मार्गो पर यात्रियों की संख्या लगभग 129 लाख रही है, जो मार्च 2023 में लगभग 128.9 लाख थी। यह अप्रैल 2022 के लगभग 105 लाख की तुलना में 22 प्रतिशत अधिक और कोविड-19 से पहले अप्रैल 2019 के लगभग 110 लाख की तुलना में 17 प्रतिशत अधिक है।

घरेलू एयरलाइनों के लिए अप्रैल 2023 में पीएलएफ लगभग 91 प्रतिशत रहा जो अप्रैल 2022 में लगभग 81 प्रतिशत था।

एयरलाइंस की वित्तीय स्थिति की बात करें तो एयर इंडिया, विस्तारा और एयर एशिया को टाटा समूह का समर्थन प्राप्त है। कुछ एयरलाइंस के लिए कुछ समय के लिए तरलता का दबाव रहेगा लेकिन पिछले वर्षों की तुलना में स्थिति अच्छी रहेगी।

भले ही कई भारतीय एयरलाइन ब्रांड हवा में उड़ रहे हैं, केवल तीन यात्री एयरलाइंस – इंटरग्लोब एविएशन लिमिटेड (ब्रांड इंडिगो), स्पाइसजेट, जेट एयरवेज – और एक हेलीकॉप्टर सेवा कंपनी ग्लोबल वेक्ट्रा हेलिकॉर्प लिमिटेड शेयर बाजारों में सूचीबद्ध हैं।

सरकारी आंकड़ों के अनुसार, जनवरी-मार्च 2023 के दौरान इंडिगो की बाजार हिस्सेदारी 55.7 प्रतिशत और स्पाइस जेट का 6.9 प्रतिशत है।

जेट एयरवेज अभी वित्तीय समस्याओं के कारण चालू नहीं है।

भारतीय विमानन क्षेत्र स्थिरता की बात करें तो अभी इसे लेकर कोई चिंता की बात नहीं है।

टाटा समूह विस्तारा और एयरएशिया का एयर इंडिया में विलय करने की तैयारी में है। अब तक इन तीनों तीन एयरलाइंस की संयुक्त बाजार हिस्सेदारी 25.1 प्रतिशत (एयर इंडिया 9 प्रतिशत, विस्तारा 8.8 प्रतिशत और एयर एशिया 7.3 प्रतिशत) है।

विलय के बाद और बेड़े के विस्तार के साथ अगर चीजें सही रास्ते पर रहीं तो एयर इंडिया की बाजार हिस्सेदारी में वृद्धि होनी चाहिए। दूसरी ओर, इंडिगो को उसकी बाजार हिस्सेदारी को देखते हुए कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए।

इसके अलावा यात्री यातायात में वृद्धि और बेहतर राजस्व के साथ भारतीय एयरलाइन क्षेत्र के ऊंची उड़ान भरने की उम्मीद है।

–आईएएनएस

एकेजे

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चेन्नई, 21 मई (आईएएनएस)। काफी धूमधड़ाके साथ टेकऑफ के बाद क्रैश लैंडिंग शुरू से ही भारतीय विमानन क्षेत्र में देखा गया है।

एनईपीसी एयरलाइंस, दमानिया एयरवेज, जेट एयरवेज, किंगफिशर एयरलाइंस, डेक्कन एविएशन, पैरामाउंट एयरवेज जैसे बड़े नामों के अलावा कई आया राम और गया राम इसके कुछ उदाहरण हैं।

न सिर्फ ये एयरलाइंस डूब गईं, बल्कि वे उन्हें कर्ज देने वाले सार्वजनिक बैंकों और उनमें निवेश करने वाले आम शेयरधारकों की पूंजी भी ले डूबे।

यह अलग बात है कि स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) ने ट्रेडमार्क/ब्रांड वैल्यू की एवज में किंगफिशर एयरलाइंस को हजारों करोड़ रुपये उधार दिए थे।

लंबे समय तक एयर इंडिया और इंडियन एयरलाइंस (बाद में एयर इंडिया में विलय) बची रह सकीं क्योंकि वे भारत सरकार के स्वामित्व में थीं। हाल ही में टाटा समूह ने एयर इंडिया का अधिग्रहण किया है।

जो भी हो, अब दो एयरलाइंस वित्तीय समस्याओं के लिए सुर्खियों में हैं – गो एयरलाइंस (इंडिया) और स्पाइसजेट।

वाडिया समूह की गो एयरलाइंस ने इस महीने की शुरुआत में स्वेच्छा से राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) के समक्ष से संबंधित इस महीने की शुरूआत में स्वेच्छा से एक दिवाला याचिका दायर किया, जिसे बाद में स्वीकार कर एक अंतरिम समाधान पेशेवर (आईआरपी) नियुक्त किया गया।

गो एयरलाइंस के अधिकारियों ने कहा कि यह उसके बेड़े के विमानों को पट्टेदारों द्वारा वापस ले लिए जाने से बचाने के लिए किया गया था।

गो एयरलाइंस ने अपनी समस्याओं के लिए इंजन आपूर्तिकर्ता प्रैट एंड व्हिटनी को दोषी ठहराया क्योंकि उसके 54 विमानों के बेड़े का लगभग 50 प्रतिशत इंजन की खराबी के कारण ग्राउंडेड है और आपूर्तिकर्ता ने अतिरिक्त इंजनों की आपूर्ति से मना कर दिया है।

दूसरी ओर, आयरलैंड स्थित विमान पट्टेदार एयरकैसल लिमिटेड ने एनसीएलटी की मुख्य बेंच के समक्ष याचिका दायर कर एयरलाइन के खिलाफ दिवालियापन प्रक्रिया शुरू करने की मांग की है।

तो, क्या भारतीय विमानन क्षेत्र आया राम और गया राम की कहानी है या यह बदलाव के लिए तैयार है?

ऐसा कहा जाता है कि बढ़ता मध्यम वर्ग किफायती विमान सेवा कंपनियों (एलसीसी) के लिए बेहतरीन अवसर प्रदान करता है।

गो एयरलाइंस के सीईओ कौशिक खोना ने कम लागत वाली एयरलाइंस के व्यवहार्य व्यावसायिक प्रस्ताव के सवाल पर कहा कि कंपनी 2009-10 से 2019-20 तक मुनाफा कमा रही थी। जनवरी 2020 से ही प्रैट एंड व्हिटनी इंजन की समस्या बढ़ गई और कंपनी को समस्याओं का सामना करना पड़ा क्योंकि एयरलाइंस की निश्चित लागत बहुत ज्यादा होती है।

खोना ने कहा कि केवल किफायती एयरलाइंस व्यवसाय ही लाभदायक हो सकता है।

भारत सरकार नए हवाईअड्डों के निर्माण पर भी ध्यान केंद्रित कर रही है, जो बदले में एयरलाइंस के लिए हवाई संपर्क और पैसेंजर लोड फैक्टर (भरी सीटों के अनुपात) को बढ़ाएगा।

भविष्य की बात भविष्य में। क्रेडिट रेटिंग एजेंसी आईसीआरए की मौजूदा रिपोर्ट उद्योग के लिए एक अलग तस्वीर पेश करती है।

आईसीआरए ने अपनी नवीनतम क्षेत्रीय रिपोर्ट में कहा कि वित्त वर्ष 2023-24 में विमानन उद्योग का नुकसान कम होकर लगभग 50-70 अरब रुपये रह जाने की संभावना है, क्योंकि यात्रियों की संख्या ठीक-ठाक है और एयरलाइंस में अपना राजस्व बढ़ाने की क्षमता है।

ऐसा कहा जाता है कि उच्च लागत और टिकट की कम कीमतों के कारण किफायती विमान सेवा खंड फंस गया है।

अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपये के कमजोर पड़ने और विमानईंधन (एटीएफ) की ऊंची कीमत एयरलाइंस की नींव को प्रभावित करती हैं।

आईसीआरए के उपाध्यक्ष और कॉपोर्रेट रेटिंग्स के सेक्टर हेड सुप्रियो बनर्जी ने कहा, एटीएफ की कीमतों में पिछले चार महीनों में क्रमिक गिरावट देखी गई है, फिर भी यह कोविड से पहले की तुलना में काफी महंगा है।

आईसीआरए के अनुसार, एटीएफ की औसत कीमत वित्त वर्ष 2023 में 1,21,013 रुपये प्रति किलोलीटर और अप्रैल 2023 में 99,506 रुपये प्रति किलोलीटर थी जबकि वित्त वर्ष 2020 में औरसम कीमत 64,715 रुपये प्रति किलोलीटर थी।

एयरलाइंस के व्यय में ईंधन की लागत का हिस्सा लगभग 30-40 प्रतिशत होता है, जबकि एयरलाइंस के परिचालन खर्च का लगभग 35-50 प्रतिशत – जिसमें विमान लीज भुगतान, ईंधन खर्च और विमान और इंजन रखरखाव खर्च शामिल हैं – का भुगतान अमेरिकी डॉलर में होता है। इसके अलावा, कुछ एयरलाइंस पर विदेशी मुद्रा में कर्ज भी है।

आईसीआरए के अनुसार, भारतीय विमानन क्षेत्र ने उच्च एटीएफ कीमतों और रुपये के मूल्यह्रास के कारण वित्त वर्ष 2022-23 में लगभग 110-130 अरब रुपये का शुद्ध घाटा दर्ज किया।

घरेलू यात्री हवाई यातायात में अब तेजी आ रही है। इंजन की समस्याओं के कारण कई विमान ग्राउंडेड हैं और गो एयरलाइंस ने उडाने बंद कर दी हैं। इन सभी कारणों से दूसरी एयरलाइंस के भरी सीटों का अनुपात (पीएलएफ) बढ़ा है और टिकटों की कीमतों में तेजी आई है।

आईस्ीआरए ने बताया कि अप्रैल 2023 में घरेलू मार्गो पर यात्रियों की संख्या लगभग 129 लाख रही है, जो मार्च 2023 में लगभग 128.9 लाख थी। यह अप्रैल 2022 के लगभग 105 लाख की तुलना में 22 प्रतिशत अधिक और कोविड-19 से पहले अप्रैल 2019 के लगभग 110 लाख की तुलना में 17 प्रतिशत अधिक है।

घरेलू एयरलाइनों के लिए अप्रैल 2023 में पीएलएफ लगभग 91 प्रतिशत रहा जो अप्रैल 2022 में लगभग 81 प्रतिशत था।

एयरलाइंस की वित्तीय स्थिति की बात करें तो एयर इंडिया, विस्तारा और एयर एशिया को टाटा समूह का समर्थन प्राप्त है। कुछ एयरलाइंस के लिए कुछ समय के लिए तरलता का दबाव रहेगा लेकिन पिछले वर्षों की तुलना में स्थिति अच्छी रहेगी।

भले ही कई भारतीय एयरलाइन ब्रांड हवा में उड़ रहे हैं, केवल तीन यात्री एयरलाइंस – इंटरग्लोब एविएशन लिमिटेड (ब्रांड इंडिगो), स्पाइसजेट, जेट एयरवेज – और एक हेलीकॉप्टर सेवा कंपनी ग्लोबल वेक्ट्रा हेलिकॉर्प लिमिटेड शेयर बाजारों में सूचीबद्ध हैं।

सरकारी आंकड़ों के अनुसार, जनवरी-मार्च 2023 के दौरान इंडिगो की बाजार हिस्सेदारी 55.7 प्रतिशत और स्पाइस जेट का 6.9 प्रतिशत है।

जेट एयरवेज अभी वित्तीय समस्याओं के कारण चालू नहीं है।

भारतीय विमानन क्षेत्र स्थिरता की बात करें तो अभी इसे लेकर कोई चिंता की बात नहीं है।

टाटा समूह विस्तारा और एयरएशिया का एयर इंडिया में विलय करने की तैयारी में है। अब तक इन तीनों तीन एयरलाइंस की संयुक्त बाजार हिस्सेदारी 25.1 प्रतिशत (एयर इंडिया 9 प्रतिशत, विस्तारा 8.8 प्रतिशत और एयर एशिया 7.3 प्रतिशत) है।

विलय के बाद और बेड़े के विस्तार के साथ अगर चीजें सही रास्ते पर रहीं तो एयर इंडिया की बाजार हिस्सेदारी में वृद्धि होनी चाहिए। दूसरी ओर, इंडिगो को उसकी बाजार हिस्सेदारी को देखते हुए कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए।

इसके अलावा यात्री यातायात में वृद्धि और बेहतर राजस्व के साथ भारतीय एयरलाइन क्षेत्र के ऊंची उड़ान भरने की उम्मीद है।

–आईएएनएस

एकेजे

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चेन्नई, 21 मई (आईएएनएस)। काफी धूमधड़ाके साथ टेकऑफ के बाद क्रैश लैंडिंग शुरू से ही भारतीय विमानन क्षेत्र में देखा गया है।

एनईपीसी एयरलाइंस, दमानिया एयरवेज, जेट एयरवेज, किंगफिशर एयरलाइंस, डेक्कन एविएशन, पैरामाउंट एयरवेज जैसे बड़े नामों के अलावा कई आया राम और गया राम इसके कुछ उदाहरण हैं।

न सिर्फ ये एयरलाइंस डूब गईं, बल्कि वे उन्हें कर्ज देने वाले सार्वजनिक बैंकों और उनमें निवेश करने वाले आम शेयरधारकों की पूंजी भी ले डूबे।

यह अलग बात है कि स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) ने ट्रेडमार्क/ब्रांड वैल्यू की एवज में किंगफिशर एयरलाइंस को हजारों करोड़ रुपये उधार दिए थे।

लंबे समय तक एयर इंडिया और इंडियन एयरलाइंस (बाद में एयर इंडिया में विलय) बची रह सकीं क्योंकि वे भारत सरकार के स्वामित्व में थीं। हाल ही में टाटा समूह ने एयर इंडिया का अधिग्रहण किया है।

जो भी हो, अब दो एयरलाइंस वित्तीय समस्याओं के लिए सुर्खियों में हैं – गो एयरलाइंस (इंडिया) और स्पाइसजेट।

वाडिया समूह की गो एयरलाइंस ने इस महीने की शुरुआत में स्वेच्छा से राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) के समक्ष से संबंधित इस महीने की शुरूआत में स्वेच्छा से एक दिवाला याचिका दायर किया, जिसे बाद में स्वीकार कर एक अंतरिम समाधान पेशेवर (आईआरपी) नियुक्त किया गया।

गो एयरलाइंस के अधिकारियों ने कहा कि यह उसके बेड़े के विमानों को पट्टेदारों द्वारा वापस ले लिए जाने से बचाने के लिए किया गया था।

गो एयरलाइंस ने अपनी समस्याओं के लिए इंजन आपूर्तिकर्ता प्रैट एंड व्हिटनी को दोषी ठहराया क्योंकि उसके 54 विमानों के बेड़े का लगभग 50 प्रतिशत इंजन की खराबी के कारण ग्राउंडेड है और आपूर्तिकर्ता ने अतिरिक्त इंजनों की आपूर्ति से मना कर दिया है।

दूसरी ओर, आयरलैंड स्थित विमान पट्टेदार एयरकैसल लिमिटेड ने एनसीएलटी की मुख्य बेंच के समक्ष याचिका दायर कर एयरलाइन के खिलाफ दिवालियापन प्रक्रिया शुरू करने की मांग की है।

तो, क्या भारतीय विमानन क्षेत्र आया राम और गया राम की कहानी है या यह बदलाव के लिए तैयार है?

ऐसा कहा जाता है कि बढ़ता मध्यम वर्ग किफायती विमान सेवा कंपनियों (एलसीसी) के लिए बेहतरीन अवसर प्रदान करता है।

गो एयरलाइंस के सीईओ कौशिक खोना ने कम लागत वाली एयरलाइंस के व्यवहार्य व्यावसायिक प्रस्ताव के सवाल पर कहा कि कंपनी 2009-10 से 2019-20 तक मुनाफा कमा रही थी। जनवरी 2020 से ही प्रैट एंड व्हिटनी इंजन की समस्या बढ़ गई और कंपनी को समस्याओं का सामना करना पड़ा क्योंकि एयरलाइंस की निश्चित लागत बहुत ज्यादा होती है।

खोना ने कहा कि केवल किफायती एयरलाइंस व्यवसाय ही लाभदायक हो सकता है।

भारत सरकार नए हवाईअड्डों के निर्माण पर भी ध्यान केंद्रित कर रही है, जो बदले में एयरलाइंस के लिए हवाई संपर्क और पैसेंजर लोड फैक्टर (भरी सीटों के अनुपात) को बढ़ाएगा।

भविष्य की बात भविष्य में। क्रेडिट रेटिंग एजेंसी आईसीआरए की मौजूदा रिपोर्ट उद्योग के लिए एक अलग तस्वीर पेश करती है।

आईसीआरए ने अपनी नवीनतम क्षेत्रीय रिपोर्ट में कहा कि वित्त वर्ष 2023-24 में विमानन उद्योग का नुकसान कम होकर लगभग 50-70 अरब रुपये रह जाने की संभावना है, क्योंकि यात्रियों की संख्या ठीक-ठाक है और एयरलाइंस में अपना राजस्व बढ़ाने की क्षमता है।

ऐसा कहा जाता है कि उच्च लागत और टिकट की कम कीमतों के कारण किफायती विमान सेवा खंड फंस गया है।

अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपये के कमजोर पड़ने और विमानईंधन (एटीएफ) की ऊंची कीमत एयरलाइंस की नींव को प्रभावित करती हैं।

आईसीआरए के उपाध्यक्ष और कॉपोर्रेट रेटिंग्स के सेक्टर हेड सुप्रियो बनर्जी ने कहा, एटीएफ की कीमतों में पिछले चार महीनों में क्रमिक गिरावट देखी गई है, फिर भी यह कोविड से पहले की तुलना में काफी महंगा है।

आईसीआरए के अनुसार, एटीएफ की औसत कीमत वित्त वर्ष 2023 में 1,21,013 रुपये प्रति किलोलीटर और अप्रैल 2023 में 99,506 रुपये प्रति किलोलीटर थी जबकि वित्त वर्ष 2020 में औरसम कीमत 64,715 रुपये प्रति किलोलीटर थी।

एयरलाइंस के व्यय में ईंधन की लागत का हिस्सा लगभग 30-40 प्रतिशत होता है, जबकि एयरलाइंस के परिचालन खर्च का लगभग 35-50 प्रतिशत – जिसमें विमान लीज भुगतान, ईंधन खर्च और विमान और इंजन रखरखाव खर्च शामिल हैं – का भुगतान अमेरिकी डॉलर में होता है। इसके अलावा, कुछ एयरलाइंस पर विदेशी मुद्रा में कर्ज भी है।

आईसीआरए के अनुसार, भारतीय विमानन क्षेत्र ने उच्च एटीएफ कीमतों और रुपये के मूल्यह्रास के कारण वित्त वर्ष 2022-23 में लगभग 110-130 अरब रुपये का शुद्ध घाटा दर्ज किया।

घरेलू यात्री हवाई यातायात में अब तेजी आ रही है। इंजन की समस्याओं के कारण कई विमान ग्राउंडेड हैं और गो एयरलाइंस ने उडाने बंद कर दी हैं। इन सभी कारणों से दूसरी एयरलाइंस के भरी सीटों का अनुपात (पीएलएफ) बढ़ा है और टिकटों की कीमतों में तेजी आई है।

आईस्ीआरए ने बताया कि अप्रैल 2023 में घरेलू मार्गो पर यात्रियों की संख्या लगभग 129 लाख रही है, जो मार्च 2023 में लगभग 128.9 लाख थी। यह अप्रैल 2022 के लगभग 105 लाख की तुलना में 22 प्रतिशत अधिक और कोविड-19 से पहले अप्रैल 2019 के लगभग 110 लाख की तुलना में 17 प्रतिशत अधिक है।

घरेलू एयरलाइनों के लिए अप्रैल 2023 में पीएलएफ लगभग 91 प्रतिशत रहा जो अप्रैल 2022 में लगभग 81 प्रतिशत था।

एयरलाइंस की वित्तीय स्थिति की बात करें तो एयर इंडिया, विस्तारा और एयर एशिया को टाटा समूह का समर्थन प्राप्त है। कुछ एयरलाइंस के लिए कुछ समय के लिए तरलता का दबाव रहेगा लेकिन पिछले वर्षों की तुलना में स्थिति अच्छी रहेगी।

भले ही कई भारतीय एयरलाइन ब्रांड हवा में उड़ रहे हैं, केवल तीन यात्री एयरलाइंस – इंटरग्लोब एविएशन लिमिटेड (ब्रांड इंडिगो), स्पाइसजेट, जेट एयरवेज – और एक हेलीकॉप्टर सेवा कंपनी ग्लोबल वेक्ट्रा हेलिकॉर्प लिमिटेड शेयर बाजारों में सूचीबद्ध हैं।

सरकारी आंकड़ों के अनुसार, जनवरी-मार्च 2023 के दौरान इंडिगो की बाजार हिस्सेदारी 55.7 प्रतिशत और स्पाइस जेट का 6.9 प्रतिशत है।

जेट एयरवेज अभी वित्तीय समस्याओं के कारण चालू नहीं है।

भारतीय विमानन क्षेत्र स्थिरता की बात करें तो अभी इसे लेकर कोई चिंता की बात नहीं है।

टाटा समूह विस्तारा और एयरएशिया का एयर इंडिया में विलय करने की तैयारी में है। अब तक इन तीनों तीन एयरलाइंस की संयुक्त बाजार हिस्सेदारी 25.1 प्रतिशत (एयर इंडिया 9 प्रतिशत, विस्तारा 8.8 प्रतिशत और एयर एशिया 7.3 प्रतिशत) है।

विलय के बाद और बेड़े के विस्तार के साथ अगर चीजें सही रास्ते पर रहीं तो एयर इंडिया की बाजार हिस्सेदारी में वृद्धि होनी चाहिए। दूसरी ओर, इंडिगो को उसकी बाजार हिस्सेदारी को देखते हुए कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए।

इसके अलावा यात्री यातायात में वृद्धि और बेहतर राजस्व के साथ भारतीय एयरलाइन क्षेत्र के ऊंची उड़ान भरने की उम्मीद है।

–आईएएनएस

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