भोपाल, 22 अक्टूबर (आईएएनएस)। मध्य प्रदेश के सीधी जिले की हाई प्रोफाइल चुरहट विधानसभा सीट पर पिछले चुनाव तक कांग्रेस-भाजपा के बीच द्विध्रुवीय मुकाबला देखा गया था। इस सीट पर तीन राजनीतिक दलों के तीन नेताओं के बीच करीबी मुकाबला होने की संभावना है।
पूर्व मुख्यमंत्री और पूर्व केंद्रीय मंत्री स्वर्गीय अर्जुन सिंह का गृह नगर चुरहट कांग्रेस की पारंपरिक सीट मानी जाती है। अर्जुन सिंह के बेटे अजय सिंह ने 2008 और 2013 सहित छह बार इस पारिवारिक सीट का प्रतिनिधित्व किया। अजय सिंह अपने समर्थकों के बीच राहुल भैया के नाम से पॉपुलर हैं।
हालांकि, 2018 में अजय सिंह बीजेपी के शरतेंदु तिवारी से करीब 6,402 वोटों के अंतर से चुनाव हार गए। 2018 में भाजपा की 109 सीटों के मुकाबले 114 सीटें जीतने वाली कांग्रेस के लिए चुरहट का परिणाम एक बड़ा झटका था।
अब चुरहट में चुनाव और दिलचस्प होता दिख रहा है। दरअसल इस सीट पर बीजेपी के मौजूदा विधायक शरतेंदु तिवारी और छह बार के पूर्व विधायक अजय सिंह के बीच सीधा मुकाबला नहीं होने जा रहा है, क्योंकि आप ने भाजपा के पूर्व लोकसभा सांसद गोविंद मिश्रा के बेटे राजन मिश्रा को यहां से मैदान में उतारा है।
2019 में टिकट नहीं मिलने के बाद गोविंद मिश्रा ने भाजपा से इस्तीफा दे दिया था। अब, उनके बेटे राजन मिश्रा आप से अपनी राजनीतिक शुरुआत कर रहे हैं। उनके भाजपा के वोट बैंक में सेंध लगने की संभावना है क्योंकि उनके पिता सीधी जिले में एक मजबूत ब्राह्मण नेता रहे हैं।
चुरहट से राजनीति में राजन के प्रवेश से शरतेंदु तिवारी चिंतित होंगे, न केवल इसलिए कि मिश्रा पारंपरिक भाजपा वोटों में सेंध लगा सकते हैं, बल्कि इसलिए भी क्योंकि तिवारी को बीजेपी के 20 साल के शासन के बाद उच्च सत्ता विरोधी लहर के अलावा ब्राह्मण मतदाताओं की नाराजगी का सामना करना पड़ रहा है।
चुरहट विधानसभा क्षेत्र में लगभग 70,000 ब्राह्मण वोटर हैं, जबकि ठाकुर (क्षत्रिय) मतदाता 15000 से 20,000 के बीच हैं। ओबीसी और एसटी/एससी को मिलाकर करीब एक लाख वोट हैं। ओबीसी वर्ग में लगभग 18,000 वोटों वाला पटेल समुदाय एक निर्णायक फेक्टर होगा।
चुरहट के कुछ स्थानीय निवासियों ने आईएएनएस से बात करते हुए दावा किया कि लगभग 80 प्रतिशत ब्राह्मणों ने शरतेंदु तिवारी को वोट दिया था। हालांकि, इस बार आधे ब्राह्मण मतदाता उनके पिता की विरासत और उनकी साफ छवि के कारण आप के राजन मिश्रा का समर्थन करेंगे।
चुरहट विधानसभा क्षेत्र के कुसमहर गांव के एक निवासी ने कहा कि शरतेंदु तिवारी से लोग मुख्य रूप से उनके रवैये की वजह से नाराज हैं। पिछले पांच वर्षों में उन्होंने पैसा कमाने पर फोकस किया है।
चुरहट के खड्डी गांव निवासी राम प्रसाद मिश्रा ने कहा, ”2018 में अजय सिंह चुनाव हार गए, लेकिन उनके कोर वोटर्स उनके साथ बने हुए हैं। लेकिन, चुनाव हारने के बाद वह नियमित अंतराल पर यहां आते रहे हैं और लोगों से मिलते रहे हैं।
वह एकमात्र ऐसे नेता हैं, जिनके पास सभी समुदायों में एक मजबूत वोट बैंक है क्योंकि वह बिना यह देखे लोगों का समर्थन करते हैं कि उस व्यक्ति विशेष ने उनका समर्थन किया है या नहीं। यदि वह पटेलों और कुछ अन्य ओबीसी मतदाताओं का समर्थन पाने में कामयाब रहे, तो वह चुनाव जीत सकते हैं क्योंकि ब्राह्मण मतदाताओं ने भी कहा है कि उन्होंने 2018 में गलतियां कीं।”
भाजपा विधायक शरतेंदु तिवारी से जुड़े कुछ लोगों ने यह भी कहा कि आप के राजन मिश्रा के कारण चुनाव उनके लिए कठिन होगा क्योंकि उनके पिता क्षेत्र के एक मजबूत नेता रहे हैं।
अपने निर्वाचन क्षेत्र में मौजूद अजय सिंह ने फोन पर आईएएनएस से बात करते हुए कहा, ”देखिए, मैं कई दशकों से चुरहट के लोगों के लिए काम कर रहा हूं और लोगों ने अपना प्यार दिखाया है। लेकिन, चुनाव हमेशा कठिन होते हैं और मैं इसे लापरवाही से नहीं ले रहा हूं। चुरहट की जनता वर्तमान स्थिति से भलीभांति परिचित है और अब यह उन पर निर्भर है कि वे किसे वोट देते हैं। उम्मीदवारों के नामांकन दाखिल करने के बाद चीजें स्पष्ट हो जाएंगी।”
अजय सिंह अपने पिता अर्जुन सिंह के गुट का नेतृत्व करते हैं, जो राज्य में कांग्रेस के दिग्गज नेता थे। उन्हें दो बार विपक्ष का नेता नियुक्त किया गया और 1998 से 2003 तक दिग्विजय सिंह सरकार में पंचायत मंत्री रहे।
–आईएएनएस
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