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छठ से पहले बाजार हुए गुलजार, जमकर हो रही ‘कोसी’ की खरीदारी

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November 3, 2024
in राष्ट्रीय
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छठ से पहले बाजार हुए गुलजार, जमकर हो रही ‘कोसी’ की खरीदारी
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पटना, 3 नवंबर (आईएएनएस)। लोक आस्था के महापर्व ‘छठ’ पूजा की शुरुआत 5 नवंबर को ‘नहाय खाए’ से शुरू होगी। इससे पहले बिहार की राजधानी पटना में बाजारों में रौनक बढ़ गई है। ‘छठ’ से पहले पटना के बाजारों में ‘कोसी’ की जमकर खरीदारी की जा रही है।

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‘छठ’ पूजा में कोसी का एक विशेष महत्व है। इस पर्व पर ‘कोसी भरने’ की परंपरा को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। मान्यता है कि अगर कोई मनोकामना पूरी नहीं हो रही है या असाध्य रोग है तो ‘कोसी’ भरने का संकल्प लिया जाता है, जिससे मनोकामनाएं पूरी होने के साथ ही कष्टों से मुक्ति भी मिलती है, इसलिए हर साल ‘छठ’ पर्व पर कोसी भरकर छठी मैया के प्रति आभार व्यक्त किया जाता है।

विक्रेता लक्ष्मी देवी ने ‘कोसी’ के महत्व के बारे में बताया कि सूर्य भगवान या छठी मैया जिनकी मनोकामनाओं को पूरा कर देती हैं। वह लोग मिट्टी से बने हाथी पर अर्घ्य देते हैं। ‘कोसी’ सिर्फ वही लोग भरते हैं, जिनकी मनोकामना पूरी होती है, हर कोई इस प्रक्रिया का फॉलो नहीं करता है।

उन्होंने आगे कहा, “हर साल बाजार में कोसी की जमकर खरीदारी की जाती है। कोई एक कोसी खरीदता है तो कोई अनेक कोसी को खरीदकर अपने घर ले जाता है। इस बार भी कोसी की काफी डिमांड है। इसके दाम 400 रुपये से शुरू होकर 600 रुपये के बीच है। साधारण वाली कोसी 400 रुपये की है, जबकि कलरफुल कोसी की कीमत 600 रुपये है। पिछले साल की तुलना में इस बार कोसी की मांग काफी ज्यादा है।”

बता दें कि ‘कोसी’ भगवान गणेश की प्रतिमा की तरह होती हैं, लेकिन इनमें 4 पैर होते हैं। साथ ही प्रतिमा के ऊपर दीपक लगाए जाते हैं। बाजारों में कोसी की कीमत उसके डिजाइन और रंगों पर निर्भर करती है।

–आईएएनएस

एफएम/एफजेड

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पटना, 3 नवंबर (आईएएनएस)। लोक आस्था के महापर्व ‘छठ’ पूजा की शुरुआत 5 नवंबर को ‘नहाय खाए’ से शुरू होगी। इससे पहले बिहार की राजधानी पटना में बाजारों में रौनक बढ़ गई है। ‘छठ’ से पहले पटना के बाजारों में ‘कोसी’ की जमकर खरीदारी की जा रही है।

‘छठ’ पूजा में कोसी का एक विशेष महत्व है। इस पर्व पर ‘कोसी भरने’ की परंपरा को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। मान्यता है कि अगर कोई मनोकामना पूरी नहीं हो रही है या असाध्य रोग है तो ‘कोसी’ भरने का संकल्प लिया जाता है, जिससे मनोकामनाएं पूरी होने के साथ ही कष्टों से मुक्ति भी मिलती है, इसलिए हर साल ‘छठ’ पर्व पर कोसी भरकर छठी मैया के प्रति आभार व्यक्त किया जाता है।

विक्रेता लक्ष्मी देवी ने ‘कोसी’ के महत्व के बारे में बताया कि सूर्य भगवान या छठी मैया जिनकी मनोकामनाओं को पूरा कर देती हैं। वह लोग मिट्टी से बने हाथी पर अर्घ्य देते हैं। ‘कोसी’ सिर्फ वही लोग भरते हैं, जिनकी मनोकामना पूरी होती है, हर कोई इस प्रक्रिया का फॉलो नहीं करता है।

उन्होंने आगे कहा, “हर साल बाजार में कोसी की जमकर खरीदारी की जाती है। कोई एक कोसी खरीदता है तो कोई अनेक कोसी को खरीदकर अपने घर ले जाता है। इस बार भी कोसी की काफी डिमांड है। इसके दाम 400 रुपये से शुरू होकर 600 रुपये के बीच है। साधारण वाली कोसी 400 रुपये की है, जबकि कलरफुल कोसी की कीमत 600 रुपये है। पिछले साल की तुलना में इस बार कोसी की मांग काफी ज्यादा है।”

बता दें कि ‘कोसी’ भगवान गणेश की प्रतिमा की तरह होती हैं, लेकिन इनमें 4 पैर होते हैं। साथ ही प्रतिमा के ऊपर दीपक लगाए जाते हैं। बाजारों में कोसी की कीमत उसके डिजाइन और रंगों पर निर्भर करती है।

–आईएएनएस

एफएम/एफजेड

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पटना, 3 नवंबर (आईएएनएस)। लोक आस्था के महापर्व ‘छठ’ पूजा की शुरुआत 5 नवंबर को ‘नहाय खाए’ से शुरू होगी। इससे पहले बिहार की राजधानी पटना में बाजारों में रौनक बढ़ गई है। ‘छठ’ से पहले पटना के बाजारों में ‘कोसी’ की जमकर खरीदारी की जा रही है।

‘छठ’ पूजा में कोसी का एक विशेष महत्व है। इस पर्व पर ‘कोसी भरने’ की परंपरा को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। मान्यता है कि अगर कोई मनोकामना पूरी नहीं हो रही है या असाध्य रोग है तो ‘कोसी’ भरने का संकल्प लिया जाता है, जिससे मनोकामनाएं पूरी होने के साथ ही कष्टों से मुक्ति भी मिलती है, इसलिए हर साल ‘छठ’ पर्व पर कोसी भरकर छठी मैया के प्रति आभार व्यक्त किया जाता है।

विक्रेता लक्ष्मी देवी ने ‘कोसी’ के महत्व के बारे में बताया कि सूर्य भगवान या छठी मैया जिनकी मनोकामनाओं को पूरा कर देती हैं। वह लोग मिट्टी से बने हाथी पर अर्घ्य देते हैं। ‘कोसी’ सिर्फ वही लोग भरते हैं, जिनकी मनोकामना पूरी होती है, हर कोई इस प्रक्रिया का फॉलो नहीं करता है।

उन्होंने आगे कहा, “हर साल बाजार में कोसी की जमकर खरीदारी की जाती है। कोई एक कोसी खरीदता है तो कोई अनेक कोसी को खरीदकर अपने घर ले जाता है। इस बार भी कोसी की काफी डिमांड है। इसके दाम 400 रुपये से शुरू होकर 600 रुपये के बीच है। साधारण वाली कोसी 400 रुपये की है, जबकि कलरफुल कोसी की कीमत 600 रुपये है। पिछले साल की तुलना में इस बार कोसी की मांग काफी ज्यादा है।”

बता दें कि ‘कोसी’ भगवान गणेश की प्रतिमा की तरह होती हैं, लेकिन इनमें 4 पैर होते हैं। साथ ही प्रतिमा के ऊपर दीपक लगाए जाते हैं। बाजारों में कोसी की कीमत उसके डिजाइन और रंगों पर निर्भर करती है।

–आईएएनएस

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पटना, 3 नवंबर (आईएएनएस)। लोक आस्था के महापर्व ‘छठ’ पूजा की शुरुआत 5 नवंबर को ‘नहाय खाए’ से शुरू होगी। इससे पहले बिहार की राजधानी पटना में बाजारों में रौनक बढ़ गई है। ‘छठ’ से पहले पटना के बाजारों में ‘कोसी’ की जमकर खरीदारी की जा रही है।

‘छठ’ पूजा में कोसी का एक विशेष महत्व है। इस पर्व पर ‘कोसी भरने’ की परंपरा को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। मान्यता है कि अगर कोई मनोकामना पूरी नहीं हो रही है या असाध्य रोग है तो ‘कोसी’ भरने का संकल्प लिया जाता है, जिससे मनोकामनाएं पूरी होने के साथ ही कष्टों से मुक्ति भी मिलती है, इसलिए हर साल ‘छठ’ पर्व पर कोसी भरकर छठी मैया के प्रति आभार व्यक्त किया जाता है।

विक्रेता लक्ष्मी देवी ने ‘कोसी’ के महत्व के बारे में बताया कि सूर्य भगवान या छठी मैया जिनकी मनोकामनाओं को पूरा कर देती हैं। वह लोग मिट्टी से बने हाथी पर अर्घ्य देते हैं। ‘कोसी’ सिर्फ वही लोग भरते हैं, जिनकी मनोकामना पूरी होती है, हर कोई इस प्रक्रिया का फॉलो नहीं करता है।

उन्होंने आगे कहा, “हर साल बाजार में कोसी की जमकर खरीदारी की जाती है। कोई एक कोसी खरीदता है तो कोई अनेक कोसी को खरीदकर अपने घर ले जाता है। इस बार भी कोसी की काफी डिमांड है। इसके दाम 400 रुपये से शुरू होकर 600 रुपये के बीच है। साधारण वाली कोसी 400 रुपये की है, जबकि कलरफुल कोसी की कीमत 600 रुपये है। पिछले साल की तुलना में इस बार कोसी की मांग काफी ज्यादा है।”

बता दें कि ‘कोसी’ भगवान गणेश की प्रतिमा की तरह होती हैं, लेकिन इनमें 4 पैर होते हैं। साथ ही प्रतिमा के ऊपर दीपक लगाए जाते हैं। बाजारों में कोसी की कीमत उसके डिजाइन और रंगों पर निर्भर करती है।

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‘छठ’ पूजा में कोसी का एक विशेष महत्व है। इस पर्व पर ‘कोसी भरने’ की परंपरा को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। मान्यता है कि अगर कोई मनोकामना पूरी नहीं हो रही है या असाध्य रोग है तो ‘कोसी’ भरने का संकल्प लिया जाता है, जिससे मनोकामनाएं पूरी होने के साथ ही कष्टों से मुक्ति भी मिलती है, इसलिए हर साल ‘छठ’ पर्व पर कोसी भरकर छठी मैया के प्रति आभार व्यक्त किया जाता है।

विक्रेता लक्ष्मी देवी ने ‘कोसी’ के महत्व के बारे में बताया कि सूर्य भगवान या छठी मैया जिनकी मनोकामनाओं को पूरा कर देती हैं। वह लोग मिट्टी से बने हाथी पर अर्घ्य देते हैं। ‘कोसी’ सिर्फ वही लोग भरते हैं, जिनकी मनोकामना पूरी होती है, हर कोई इस प्रक्रिया का फॉलो नहीं करता है।

उन्होंने आगे कहा, “हर साल बाजार में कोसी की जमकर खरीदारी की जाती है। कोई एक कोसी खरीदता है तो कोई अनेक कोसी को खरीदकर अपने घर ले जाता है। इस बार भी कोसी की काफी डिमांड है। इसके दाम 400 रुपये से शुरू होकर 600 रुपये के बीच है। साधारण वाली कोसी 400 रुपये की है, जबकि कलरफुल कोसी की कीमत 600 रुपये है। पिछले साल की तुलना में इस बार कोसी की मांग काफी ज्यादा है।”

बता दें कि ‘कोसी’ भगवान गणेश की प्रतिमा की तरह होती हैं, लेकिन इनमें 4 पैर होते हैं। साथ ही प्रतिमा के ऊपर दीपक लगाए जाते हैं। बाजारों में कोसी की कीमत उसके डिजाइन और रंगों पर निर्भर करती है।

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‘छठ’ पूजा में कोसी का एक विशेष महत्व है। इस पर्व पर ‘कोसी भरने’ की परंपरा को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। मान्यता है कि अगर कोई मनोकामना पूरी नहीं हो रही है या असाध्य रोग है तो ‘कोसी’ भरने का संकल्प लिया जाता है, जिससे मनोकामनाएं पूरी होने के साथ ही कष्टों से मुक्ति भी मिलती है, इसलिए हर साल ‘छठ’ पर्व पर कोसी भरकर छठी मैया के प्रति आभार व्यक्त किया जाता है।

विक्रेता लक्ष्मी देवी ने ‘कोसी’ के महत्व के बारे में बताया कि सूर्य भगवान या छठी मैया जिनकी मनोकामनाओं को पूरा कर देती हैं। वह लोग मिट्टी से बने हाथी पर अर्घ्य देते हैं। ‘कोसी’ सिर्फ वही लोग भरते हैं, जिनकी मनोकामना पूरी होती है, हर कोई इस प्रक्रिया का फॉलो नहीं करता है।

उन्होंने आगे कहा, “हर साल बाजार में कोसी की जमकर खरीदारी की जाती है। कोई एक कोसी खरीदता है तो कोई अनेक कोसी को खरीदकर अपने घर ले जाता है। इस बार भी कोसी की काफी डिमांड है। इसके दाम 400 रुपये से शुरू होकर 600 रुपये के बीच है। साधारण वाली कोसी 400 रुपये की है, जबकि कलरफुल कोसी की कीमत 600 रुपये है। पिछले साल की तुलना में इस बार कोसी की मांग काफी ज्यादा है।”

बता दें कि ‘कोसी’ भगवान गणेश की प्रतिमा की तरह होती हैं, लेकिन इनमें 4 पैर होते हैं। साथ ही प्रतिमा के ऊपर दीपक लगाए जाते हैं। बाजारों में कोसी की कीमत उसके डिजाइन और रंगों पर निर्भर करती है।

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‘छठ’ पूजा में कोसी का एक विशेष महत्व है। इस पर्व पर ‘कोसी भरने’ की परंपरा को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। मान्यता है कि अगर कोई मनोकामना पूरी नहीं हो रही है या असाध्य रोग है तो ‘कोसी’ भरने का संकल्प लिया जाता है, जिससे मनोकामनाएं पूरी होने के साथ ही कष्टों से मुक्ति भी मिलती है, इसलिए हर साल ‘छठ’ पर्व पर कोसी भरकर छठी मैया के प्रति आभार व्यक्त किया जाता है।

विक्रेता लक्ष्मी देवी ने ‘कोसी’ के महत्व के बारे में बताया कि सूर्य भगवान या छठी मैया जिनकी मनोकामनाओं को पूरा कर देती हैं। वह लोग मिट्टी से बने हाथी पर अर्घ्य देते हैं। ‘कोसी’ सिर्फ वही लोग भरते हैं, जिनकी मनोकामना पूरी होती है, हर कोई इस प्रक्रिया का फॉलो नहीं करता है।

उन्होंने आगे कहा, “हर साल बाजार में कोसी की जमकर खरीदारी की जाती है। कोई एक कोसी खरीदता है तो कोई अनेक कोसी को खरीदकर अपने घर ले जाता है। इस बार भी कोसी की काफी डिमांड है। इसके दाम 400 रुपये से शुरू होकर 600 रुपये के बीच है। साधारण वाली कोसी 400 रुपये की है, जबकि कलरफुल कोसी की कीमत 600 रुपये है। पिछले साल की तुलना में इस बार कोसी की मांग काफी ज्यादा है।”

बता दें कि ‘कोसी’ भगवान गणेश की प्रतिमा की तरह होती हैं, लेकिन इनमें 4 पैर होते हैं। साथ ही प्रतिमा के ऊपर दीपक लगाए जाते हैं। बाजारों में कोसी की कीमत उसके डिजाइन और रंगों पर निर्भर करती है।

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‘छठ’ पूजा में कोसी का एक विशेष महत्व है। इस पर्व पर ‘कोसी भरने’ की परंपरा को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। मान्यता है कि अगर कोई मनोकामना पूरी नहीं हो रही है या असाध्य रोग है तो ‘कोसी’ भरने का संकल्प लिया जाता है, जिससे मनोकामनाएं पूरी होने के साथ ही कष्टों से मुक्ति भी मिलती है, इसलिए हर साल ‘छठ’ पर्व पर कोसी भरकर छठी मैया के प्रति आभार व्यक्त किया जाता है।

विक्रेता लक्ष्मी देवी ने ‘कोसी’ के महत्व के बारे में बताया कि सूर्य भगवान या छठी मैया जिनकी मनोकामनाओं को पूरा कर देती हैं। वह लोग मिट्टी से बने हाथी पर अर्घ्य देते हैं। ‘कोसी’ सिर्फ वही लोग भरते हैं, जिनकी मनोकामना पूरी होती है, हर कोई इस प्रक्रिया का फॉलो नहीं करता है।

उन्होंने आगे कहा, “हर साल बाजार में कोसी की जमकर खरीदारी की जाती है। कोई एक कोसी खरीदता है तो कोई अनेक कोसी को खरीदकर अपने घर ले जाता है। इस बार भी कोसी की काफी डिमांड है। इसके दाम 400 रुपये से शुरू होकर 600 रुपये के बीच है। साधारण वाली कोसी 400 रुपये की है, जबकि कलरफुल कोसी की कीमत 600 रुपये है। पिछले साल की तुलना में इस बार कोसी की मांग काफी ज्यादा है।”

बता दें कि ‘कोसी’ भगवान गणेश की प्रतिमा की तरह होती हैं, लेकिन इनमें 4 पैर होते हैं। साथ ही प्रतिमा के ऊपर दीपक लगाए जाते हैं। बाजारों में कोसी की कीमत उसके डिजाइन और रंगों पर निर्भर करती है।

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पटना, 3 नवंबर (आईएएनएस)। लोक आस्था के महापर्व ‘छठ’ पूजा की शुरुआत 5 नवंबर को ‘नहाय खाए’ से शुरू होगी। इससे पहले बिहार की राजधानी पटना में बाजारों में रौनक बढ़ गई है। ‘छठ’ से पहले पटना के बाजारों में ‘कोसी’ की जमकर खरीदारी की जा रही है।

‘छठ’ पूजा में कोसी का एक विशेष महत्व है। इस पर्व पर ‘कोसी भरने’ की परंपरा को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। मान्यता है कि अगर कोई मनोकामना पूरी नहीं हो रही है या असाध्य रोग है तो ‘कोसी’ भरने का संकल्प लिया जाता है, जिससे मनोकामनाएं पूरी होने के साथ ही कष्टों से मुक्ति भी मिलती है, इसलिए हर साल ‘छठ’ पर्व पर कोसी भरकर छठी मैया के प्रति आभार व्यक्त किया जाता है।

विक्रेता लक्ष्मी देवी ने ‘कोसी’ के महत्व के बारे में बताया कि सूर्य भगवान या छठी मैया जिनकी मनोकामनाओं को पूरा कर देती हैं। वह लोग मिट्टी से बने हाथी पर अर्घ्य देते हैं। ‘कोसी’ सिर्फ वही लोग भरते हैं, जिनकी मनोकामना पूरी होती है, हर कोई इस प्रक्रिया का फॉलो नहीं करता है।

उन्होंने आगे कहा, “हर साल बाजार में कोसी की जमकर खरीदारी की जाती है। कोई एक कोसी खरीदता है तो कोई अनेक कोसी को खरीदकर अपने घर ले जाता है। इस बार भी कोसी की काफी डिमांड है। इसके दाम 400 रुपये से शुरू होकर 600 रुपये के बीच है। साधारण वाली कोसी 400 रुपये की है, जबकि कलरफुल कोसी की कीमत 600 रुपये है। पिछले साल की तुलना में इस बार कोसी की मांग काफी ज्यादा है।”

बता दें कि ‘कोसी’ भगवान गणेश की प्रतिमा की तरह होती हैं, लेकिन इनमें 4 पैर होते हैं। साथ ही प्रतिमा के ऊपर दीपक लगाए जाते हैं। बाजारों में कोसी की कीमत उसके डिजाइन और रंगों पर निर्भर करती है।

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‘छठ’ पूजा में कोसी का एक विशेष महत्व है। इस पर्व पर ‘कोसी भरने’ की परंपरा को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। मान्यता है कि अगर कोई मनोकामना पूरी नहीं हो रही है या असाध्य रोग है तो ‘कोसी’ भरने का संकल्प लिया जाता है, जिससे मनोकामनाएं पूरी होने के साथ ही कष्टों से मुक्ति भी मिलती है, इसलिए हर साल ‘छठ’ पर्व पर कोसी भरकर छठी मैया के प्रति आभार व्यक्त किया जाता है।

विक्रेता लक्ष्मी देवी ने ‘कोसी’ के महत्व के बारे में बताया कि सूर्य भगवान या छठी मैया जिनकी मनोकामनाओं को पूरा कर देती हैं। वह लोग मिट्टी से बने हाथी पर अर्घ्य देते हैं। ‘कोसी’ सिर्फ वही लोग भरते हैं, जिनकी मनोकामना पूरी होती है, हर कोई इस प्रक्रिया का फॉलो नहीं करता है।

उन्होंने आगे कहा, “हर साल बाजार में कोसी की जमकर खरीदारी की जाती है। कोई एक कोसी खरीदता है तो कोई अनेक कोसी को खरीदकर अपने घर ले जाता है। इस बार भी कोसी की काफी डिमांड है। इसके दाम 400 रुपये से शुरू होकर 600 रुपये के बीच है। साधारण वाली कोसी 400 रुपये की है, जबकि कलरफुल कोसी की कीमत 600 रुपये है। पिछले साल की तुलना में इस बार कोसी की मांग काफी ज्यादा है।”

बता दें कि ‘कोसी’ भगवान गणेश की प्रतिमा की तरह होती हैं, लेकिन इनमें 4 पैर होते हैं। साथ ही प्रतिमा के ऊपर दीपक लगाए जाते हैं। बाजारों में कोसी की कीमत उसके डिजाइन और रंगों पर निर्भर करती है।

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‘छठ’ पूजा में कोसी का एक विशेष महत्व है। इस पर्व पर ‘कोसी भरने’ की परंपरा को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। मान्यता है कि अगर कोई मनोकामना पूरी नहीं हो रही है या असाध्य रोग है तो ‘कोसी’ भरने का संकल्प लिया जाता है, जिससे मनोकामनाएं पूरी होने के साथ ही कष्टों से मुक्ति भी मिलती है, इसलिए हर साल ‘छठ’ पर्व पर कोसी भरकर छठी मैया के प्रति आभार व्यक्त किया जाता है।

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उन्होंने आगे कहा, “हर साल बाजार में कोसी की जमकर खरीदारी की जाती है। कोई एक कोसी खरीदता है तो कोई अनेक कोसी को खरीदकर अपने घर ले जाता है। इस बार भी कोसी की काफी डिमांड है। इसके दाम 400 रुपये से शुरू होकर 600 रुपये के बीच है। साधारण वाली कोसी 400 रुपये की है, जबकि कलरफुल कोसी की कीमत 600 रुपये है। पिछले साल की तुलना में इस बार कोसी की मांग काफी ज्यादा है।”

बता दें कि ‘कोसी’ भगवान गणेश की प्रतिमा की तरह होती हैं, लेकिन इनमें 4 पैर होते हैं। साथ ही प्रतिमा के ऊपर दीपक लगाए जाते हैं। बाजारों में कोसी की कीमत उसके डिजाइन और रंगों पर निर्भर करती है।

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‘छठ’ पूजा में कोसी का एक विशेष महत्व है। इस पर्व पर ‘कोसी भरने’ की परंपरा को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। मान्यता है कि अगर कोई मनोकामना पूरी नहीं हो रही है या असाध्य रोग है तो ‘कोसी’ भरने का संकल्प लिया जाता है, जिससे मनोकामनाएं पूरी होने के साथ ही कष्टों से मुक्ति भी मिलती है, इसलिए हर साल ‘छठ’ पर्व पर कोसी भरकर छठी मैया के प्रति आभार व्यक्त किया जाता है।

विक्रेता लक्ष्मी देवी ने ‘कोसी’ के महत्व के बारे में बताया कि सूर्य भगवान या छठी मैया जिनकी मनोकामनाओं को पूरा कर देती हैं। वह लोग मिट्टी से बने हाथी पर अर्घ्य देते हैं। ‘कोसी’ सिर्फ वही लोग भरते हैं, जिनकी मनोकामना पूरी होती है, हर कोई इस प्रक्रिया का फॉलो नहीं करता है।

उन्होंने आगे कहा, “हर साल बाजार में कोसी की जमकर खरीदारी की जाती है। कोई एक कोसी खरीदता है तो कोई अनेक कोसी को खरीदकर अपने घर ले जाता है। इस बार भी कोसी की काफी डिमांड है। इसके दाम 400 रुपये से शुरू होकर 600 रुपये के बीच है। साधारण वाली कोसी 400 रुपये की है, जबकि कलरफुल कोसी की कीमत 600 रुपये है। पिछले साल की तुलना में इस बार कोसी की मांग काफी ज्यादा है।”

बता दें कि ‘कोसी’ भगवान गणेश की प्रतिमा की तरह होती हैं, लेकिन इनमें 4 पैर होते हैं। साथ ही प्रतिमा के ऊपर दीपक लगाए जाते हैं। बाजारों में कोसी की कीमत उसके डिजाइन और रंगों पर निर्भर करती है।

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‘छठ’ पूजा में कोसी का एक विशेष महत्व है। इस पर्व पर ‘कोसी भरने’ की परंपरा को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। मान्यता है कि अगर कोई मनोकामना पूरी नहीं हो रही है या असाध्य रोग है तो ‘कोसी’ भरने का संकल्प लिया जाता है, जिससे मनोकामनाएं पूरी होने के साथ ही कष्टों से मुक्ति भी मिलती है, इसलिए हर साल ‘छठ’ पर्व पर कोसी भरकर छठी मैया के प्रति आभार व्यक्त किया जाता है।

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‘छठ’ पूजा में कोसी का एक विशेष महत्व है। इस पर्व पर ‘कोसी भरने’ की परंपरा को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। मान्यता है कि अगर कोई मनोकामना पूरी नहीं हो रही है या असाध्य रोग है तो ‘कोसी’ भरने का संकल्प लिया जाता है, जिससे मनोकामनाएं पूरी होने के साथ ही कष्टों से मुक्ति भी मिलती है, इसलिए हर साल ‘छठ’ पर्व पर कोसी भरकर छठी मैया के प्रति आभार व्यक्त किया जाता है।

विक्रेता लक्ष्मी देवी ने ‘कोसी’ के महत्व के बारे में बताया कि सूर्य भगवान या छठी मैया जिनकी मनोकामनाओं को पूरा कर देती हैं। वह लोग मिट्टी से बने हाथी पर अर्घ्य देते हैं। ‘कोसी’ सिर्फ वही लोग भरते हैं, जिनकी मनोकामना पूरी होती है, हर कोई इस प्रक्रिया का फॉलो नहीं करता है।

उन्होंने आगे कहा, “हर साल बाजार में कोसी की जमकर खरीदारी की जाती है। कोई एक कोसी खरीदता है तो कोई अनेक कोसी को खरीदकर अपने घर ले जाता है। इस बार भी कोसी की काफी डिमांड है। इसके दाम 400 रुपये से शुरू होकर 600 रुपये के बीच है। साधारण वाली कोसी 400 रुपये की है, जबकि कलरफुल कोसी की कीमत 600 रुपये है। पिछले साल की तुलना में इस बार कोसी की मांग काफी ज्यादा है।”

बता दें कि ‘कोसी’ भगवान गणेश की प्रतिमा की तरह होती हैं, लेकिन इनमें 4 पैर होते हैं। साथ ही प्रतिमा के ऊपर दीपक लगाए जाते हैं। बाजारों में कोसी की कीमत उसके डिजाइन और रंगों पर निर्भर करती है।

–आईएएनएस

एफएम/एफजेड

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पटना, 3 नवंबर (आईएएनएस)। लोक आस्था के महापर्व ‘छठ’ पूजा की शुरुआत 5 नवंबर को ‘नहाय खाए’ से शुरू होगी। इससे पहले बिहार की राजधानी पटना में बाजारों में रौनक बढ़ गई है। ‘छठ’ से पहले पटना के बाजारों में ‘कोसी’ की जमकर खरीदारी की जा रही है।

‘छठ’ पूजा में कोसी का एक विशेष महत्व है। इस पर्व पर ‘कोसी भरने’ की परंपरा को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। मान्यता है कि अगर कोई मनोकामना पूरी नहीं हो रही है या असाध्य रोग है तो ‘कोसी’ भरने का संकल्प लिया जाता है, जिससे मनोकामनाएं पूरी होने के साथ ही कष्टों से मुक्ति भी मिलती है, इसलिए हर साल ‘छठ’ पर्व पर कोसी भरकर छठी मैया के प्रति आभार व्यक्त किया जाता है।

विक्रेता लक्ष्मी देवी ने ‘कोसी’ के महत्व के बारे में बताया कि सूर्य भगवान या छठी मैया जिनकी मनोकामनाओं को पूरा कर देती हैं। वह लोग मिट्टी से बने हाथी पर अर्घ्य देते हैं। ‘कोसी’ सिर्फ वही लोग भरते हैं, जिनकी मनोकामना पूरी होती है, हर कोई इस प्रक्रिया का फॉलो नहीं करता है।

उन्होंने आगे कहा, “हर साल बाजार में कोसी की जमकर खरीदारी की जाती है। कोई एक कोसी खरीदता है तो कोई अनेक कोसी को खरीदकर अपने घर ले जाता है। इस बार भी कोसी की काफी डिमांड है। इसके दाम 400 रुपये से शुरू होकर 600 रुपये के बीच है। साधारण वाली कोसी 400 रुपये की है, जबकि कलरफुल कोसी की कीमत 600 रुपये है। पिछले साल की तुलना में इस बार कोसी की मांग काफी ज्यादा है।”

बता दें कि ‘कोसी’ भगवान गणेश की प्रतिमा की तरह होती हैं, लेकिन इनमें 4 पैर होते हैं। साथ ही प्रतिमा के ऊपर दीपक लगाए जाते हैं। बाजारों में कोसी की कीमत उसके डिजाइन और रंगों पर निर्भर करती है।

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‘छठ’ पूजा में कोसी का एक विशेष महत्व है। इस पर्व पर ‘कोसी भरने’ की परंपरा को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। मान्यता है कि अगर कोई मनोकामना पूरी नहीं हो रही है या असाध्य रोग है तो ‘कोसी’ भरने का संकल्प लिया जाता है, जिससे मनोकामनाएं पूरी होने के साथ ही कष्टों से मुक्ति भी मिलती है, इसलिए हर साल ‘छठ’ पर्व पर कोसी भरकर छठी मैया के प्रति आभार व्यक्त किया जाता है।

विक्रेता लक्ष्मी देवी ने ‘कोसी’ के महत्व के बारे में बताया कि सूर्य भगवान या छठी मैया जिनकी मनोकामनाओं को पूरा कर देती हैं। वह लोग मिट्टी से बने हाथी पर अर्घ्य देते हैं। ‘कोसी’ सिर्फ वही लोग भरते हैं, जिनकी मनोकामना पूरी होती है, हर कोई इस प्रक्रिया का फॉलो नहीं करता है।

उन्होंने आगे कहा, “हर साल बाजार में कोसी की जमकर खरीदारी की जाती है। कोई एक कोसी खरीदता है तो कोई अनेक कोसी को खरीदकर अपने घर ले जाता है। इस बार भी कोसी की काफी डिमांड है। इसके दाम 400 रुपये से शुरू होकर 600 रुपये के बीच है। साधारण वाली कोसी 400 रुपये की है, जबकि कलरफुल कोसी की कीमत 600 रुपये है। पिछले साल की तुलना में इस बार कोसी की मांग काफी ज्यादा है।”

बता दें कि ‘कोसी’ भगवान गणेश की प्रतिमा की तरह होती हैं, लेकिन इनमें 4 पैर होते हैं। साथ ही प्रतिमा के ऊपर दीपक लगाए जाते हैं। बाजारों में कोसी की कीमत उसके डिजाइन और रंगों पर निर्भर करती है।

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