रायपुर, 24 सितंबर (आईएएनएस)। छत्तीसगढ़ में वामपंथी उग्रवाद के खिलाफ लड़ाई में एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम में दंतेवाड़ा जिले में 71 नक्सलियों ने बुधवार को एक साथ आत्मसमर्पण कर दिया। यह हाल के वर्षों में इस लड़ाई में सबसे बड़ी सफलता में से एक है।
राज्य के प्रमुख लोन वरट्टू अभियान के तहत हुए इस आत्मसमर्पण को माओवादी विरोधी अभियान में एक बड़ी सफलता के रूप में देखा जा रहा है।
दंतेवाड़ा के पुलिस अधीक्षक गौरव राय ने आईएएनएस से बात करते हुए कहा, “आत्मसमर्पण करने वाले 71 नक्सलियों में से 30 पर 50,000 रुपए से 8 लाख रुपए तक का इनाम था, जो कुल 64 लाख रुपए होता है।”
सभी लोगों ने दंतेवाड़ा के पुलिस अधीक्षक और वरिष्ठ अधिकारियों के सामने हथियार डाल दिए, जिससे क्षेत्र की सुरक्षा में एक महत्वपूर्ण बदलाव का संकेत मिला।
पुलिस अधिकारी ने आगे कहा, “हमने सुरक्षा बलों द्वारा गहन अभियान शुरू किया था, जिसके कारण हाल की मुठभेड़ों में कई माओवादी नेता मारे गए। सरकार की ओर से कोई औपचारिक समझौता पहल न होने के कारण उनमें से कई लोग अब इस आंदोलन से निराश हो गए हैं और वे हिंसा छोड़कर मुख्यधारा में शामिल होने का रास्ता चुन रहे हैं।”
कांग्रेस की भूपेश बघेल सरकार के बाद सत्ता में आई भाजपा की विष्णु देव साय सरकार ने एलडब्ल्यूई को खत्म करने को प्राथमिकता दी है।
गृह मंत्री अमित शाह की घोषणा के बाद से सुरक्षा बलों ने अपने अभियान तेज कर दिए हैं, जिसके परिणामस्वरूप 466 नक्सली मारे गए और 1,700 से अधिक ने आत्मसमर्पण कर दिया।
मुख्यमंत्री साय ने अपने आधिकारिक एक्स हैंडल पर एक बयान में इस सफलता का श्रेय राज्य की नई आत्मसमर्पण और पुनर्वास नीति 2025 और नियेड नेल्ला नार योजना को दिया।
उन्होंने कहा, “माओवादी हिंसा के झूठे नारों से गुमराह हुए लोग अब विकास और शांति का रास्ता चुन रहे हैं। बस्तर में पूना मार्गम अभियान और दंतेवाड़ा में लोन वरट्टू अभियान से प्रभावित होकर 71 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण कर दिया।”
आत्मसमर्पण करने वाले हर व्यक्ति को नई जिंदगी शुरू करने में मदद के लिए 50,000 रुपए का प्रोत्साहन दिया गया है, साथ ही एलडब्ल्यूई उन्मूलन नीति के तहत लाभ भी मिलेगा।
मुख्यमंत्री ने जोर देकर कहा कि दिसंबर 2023 से 1,770 से अधिक नक्सली मुख्यधारा में शामिल हुए हैं, जो सरकार की कल्याण योजनाओं में जनता के बढ़ते विश्वास को दर्शाता है। 31 मार्च 2026 तक छत्तीसगढ़ से एलडब्ल्यूई को खत्म करने के लक्ष्य के साथ, सरकार शांति बहाल करने और पूर्व नक्सलियों के सम्मानजनक पुनर्वास की व्यवस्था करने के लिए प्रतिबद्ध है- यह सोच अब बस्तर में तेजी से लोकप्रिय हो रही है।
–आईएएनएस
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