रायपुर, 21 मार्च (आईएएनएस)। 21 मार्च, 2025 को छत्तीसगढ़ विधानसभा में एक ऐतिहासिक निर्णय लिया गया, जब लोकतंत्र सेनानी सम्मान विधेयक 2025 को ध्वनि मत से पारित किया गया। इस विधेयक के पारित होने के बाद छत्तीसगढ़ के डिप्टी सीएम अरुण साव ने कहा कि यह निर्णय उन लोगों के संघर्ष को सम्मानित करने के लिए लिया गया है, जिन्होंने देश में आपातकाल के दौरान लोकतंत्र की रक्षा के लिए संघर्ष किया।
उन्होंने कहा कि आपातकाल के दौरान लोकतांत्रिक मूल्यों का उल्लंघन किया गया, और जो लोग सरकार के विरोध में उठ खड़े हुए थे, उन्हें बिना कारण जेल में डाला गया, प्रताड़ित किया गया और उनके मौलिक अधिकारों को छीन लिया गया।
अरुण साव ने कहा, “वे लोग किसी निजी स्वार्थ के लिए आंदोलन नहीं कर रहे थे, बल्कि लोकतांत्रिक अधिकारों और संवैधानिक निर्णयों के लिए संघर्ष कर रहे थे। उनके परिवारों की स्थिति भी इस संघर्ष के कारण बुरी तरह प्रभावित हुई।” उन्होंने इस विधेयक को पारित करने के लिए मुख्यमंत्री विष्णु देव साय को बधाई दी और कहा कि यह निर्णय लोकतंत्र की रक्षा करने वालों को सही सम्मान देने के लिए लिया गया है।
साव ने यह भी कहा कि 21 मार्च का दिन ऐतिहासिक है, क्योंकि इस दिन 1977 में देश से आपातकाल हटा था, और आज इसी दिन छत्तीसगढ़ विधानसभा में लोकतंत्र सेनानी सम्मान विधेयक 2025 पारित हुआ। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने इस विधेयक को लेकर बयान देते हुए कहा, “आज लोकतंत्र के काले अध्याय को याद करते हुए लोकतंत्र बचाने वालों का सम्मान किया गया है। आपातकाल का दंश पूरी पीढ़ी ने झेला है, और आज उनके संघर्ष को मान्यता दी जा रही है।”
बता दें कि छत्तीसगढ़ विधानसभा में लोकतंत्र सेनानी सम्मान विधेयक 2025 पारित किया गया है, जो मीसाबंदी को मिलने वाले सम्मान को लेकर बनाया गया है। इस विधेयक के पारित होने के बाद, मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने कहा कि यह विधेयक लोकतंत्र के सेनानियों का सम्मान करने के लिए बनाया गया है, जिन्होंने आपातकाल के दौरान 19-19 महीने जेल की सजा काटी थी। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि इन सेनानियों ने लोकतंत्र की रक्षा के लिए अपार संघर्ष किया और उनके परिवारों पर इसका गहरा असर पड़ा, जिससे उनकी जिंदगी बर्बाद हो गई।
–आईएएनएस
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