रायपुर, 29 जनवरी (आईएएनएस)। छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल सरकार के दौरान हुए डिस्टिक मिनिरल फंड और कस्टम मिलिंग घोटाले में केंद्रीय प्रवर्तन निदेशालय की आवेदन पर एंटी करप्शन ब्यूरो ने एफआईआर दर्ज कर ली है। इसमें भारतीय प्रशासनिक सेवा के कई अधिकारियों के नाम हैं।
प्रवर्तन निदेशालय के क्षेत्रीय कार्यालय द्वारा दिए गए प्रतिवेदन के आधार पर राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो ने मामला दर्ज किया है, जिसमें कहा गया है कि डीएफ कोरबा के फंड से विभिन्न विधाओं के आवंटन में बड़े पैमाने पर वित्तीय गड़बड़ियां की गई हैं, साथ ही गलत ढंग से निविदाओं को निर्धारित कर निविदा कर्ता को लाभ पहुंचाया गया है। इससे राज्य शासन को आर्थिक नुकसान हुआ है।
इस प्रतिवेदन में आगे कहा गया है कि निविदा राशि में लगभग 40 प्रतिशत की राशि लोक सेवक कर्मचारी गणों को दी गई और निजी कंपनी की निविदाओं पर 15 से 20 प्रतिशत अलग-अलग दरों से कमीशन हासिल किया गया। इस मामले में आईएएस अधिकारी रानू साहू के साथ अन्य लोक सेवकों पर अपने पद के दुरुपयोग का आरोप लगाया गया है। इसी तरह राज्य की राइस मिलर्स के द्वारा नागरिक आपूर्ति निगम और एफसीआई में जो कस्टम का चावल जमा किया गया उसे प्रक्रिया में भी बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार हुआ, प्रति क्विंटल के हिसाब से अवैध राशि की वसूली की गई। साथ ही सरकारी अधिकारियों ने अपने पद का दुरुपयोग किया और राइस मिलर्स के साथ मिलीभगत कर शासन को आर्थिक नुकसान पहुंचाया गया।
इस मामले में तत्कालीन जिला मार्केटिंग ऑफिसर प्रीतिका पूजा किरकेटटा और मार्कफेड के तत्कालीन प्रबंधक मनोज सोनी सहित राइस मिल एसोसिएशन से जुड़े पदाधिकारी को भी आरोपी बनाया गया है।
–आईएएनएस
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