रायपुर, 20 मई (आईएएनएस)। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर स्थित पंडित दीनदयाल उपाध्याय ऑडिटोरियम में मंगलवार को ‘भू-जल संवर्धन मिशन’ के प्रथम सत्र का भव्य शुभारंभ किया गया। इस महत्वपूर्ण आयोजन का उद्घाटन प्रदेश के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने किया, जबकि कार्यक्रम की अध्यक्षता उपमुख्यमंत्री अरुण साव ने की।
इस अवसर पर वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री केदार कश्यप, रायपुर जिले के समस्त विधायकगण तथा नगर निगम की महापौर मीनल चौबे भी मंच पर उपस्थित रहीं।
मुख्यमंत्री ने अपने संबोधन में जल संरक्षण की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ की राजधानी में इस कार्यक्रम की शुरुआत राज्य के भविष्य के लिए एक निर्णायक कदम है। हमारे ऊर्जावान उपमुख्यमंत्री जिनके पास नगरीय प्रशासन मंत्रालय भी है, के मार्गदर्शन में यह आयोजन किया गया है ताकि जल संरक्षण की दिशा में ठोस पहल हो सके।
करीब साढ़े चार घंटे चली इस कार्यशाला में जल संवर्धन और भूजल संकट से जुड़े विषयों पर विशेषज्ञों द्वारा विस्तारपूर्वक व्याख्यान दिए गए। इस कार्यक्रम की विशेष उपलब्धि रही, ‘वॉटर मैन ऑफ इंडिया’ के नाम से विख्यात राजेन्द्र सिंह का मार्गदर्शन। राजस्थान जैसे सूखा प्रभावित राज्य में जल क्रांति लाने वाले राजेंद्र सिंह की उपस्थिति ने कार्यशाला में विशेष ऊर्जा और प्रेरणा का संचार किया।
मुख्यमंत्री ने शहरी विकास मंत्रालय में सेवा देने वाले दिवंगत कर्मचारियों के 99 परिजनों को अनुकंपा नियुक्ति पत्र प्रदान किए और शुभकामनाएं देते हुए उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की।
उन्होंने प्रदेश में चल रहे ‘सुशासन तिहार’ को लेकर कहा कि इसका उद्देश्य यह जानना है कि डेढ़ साल के शासनकाल में सरकार आम जनता की अपेक्षाओं पर कितनी खरी उतरी है। ‘सुशासन तिहार’ के तीसरे चरण में वह स्वयं और मंत्रीगण, विधायकगण तथा सांसद गांव-गांव जाकर समाधान शिविरों में भाग ले रहे हैं। मुख्यमंत्री अब तक मैं 20 जिलों का दौरा कर चुके हैं और हजारों लोगों से सीधे संवाद किया है। उन्होंने कहा, “कई जगह पेड़ के नीचे चौपाल लगाकर उनकी समस्याएं सुनी हैं। मुझे प्रसन्नता है कि सरकार के कार्यों से जनता संतुष्ट है।”
कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे द्वारा ऑपरेशन सिंदूर को छिटपुट युद्ध बताए जाने पर मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने कड़ी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि चाहे वह कुछ भी कहें, देश की जनता अब समझ चुकी है। कांग्रेस के पास अब कुछ बचा नहीं है। उनके पास कहने और खाने दोनों के लिए कुछ नहीं है।
–आईएएनएस
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