नई दिल्ली, 16 जुलाई (आईएएनएस)। एक अत्यंत दुर्लभ खगोलीय घटना में, एक फ्रांसीसी महिला अपने दोस्त के साथ छत पर कॉफी पीते समय उल्कापिंड की चपेट में आ गई।
फ्रांसीसी अखबार लेस डेर्निएरेस नोवेल्स डी’अलसैस (डीएनए) के मुताबिक, महिला की पसलियों में एक रहस्यमयी कंकड़ लगा था।
महिला के हवाले से कहा गया, “मैंने बगल की छत से एक बड़ी ‘पूम’ की आवाज सुनी। उसके बाद दूसरे पल में, मुझे पसलियों पर झटका महसूस हुआ। मुझे लगा कि यह कोई जानवर है, चमगादड़!”
उसने कहा, ” बाद मेंं यह सीमेंट के टुकड़ेे की तरह निकला, लेकिन इसमें रंग नहीं था।”
उसने छत बनाने वाले एक स्थानीय शख्स से चट्टान की जांच कराई, जिसने इसे उल्कापिंड बताया। इसके बाद, उसनेे भूविज्ञानी डॉ. थिएरी रेबमैन से चट्टान की जांच कराई, जिन्होंने इसकी अतिरिक्त-स्थलीय उत्पत्ति की पुष्टि की।
स्थानीय अखबार को रेबमैन के हवाले से बताया गया कि ऐसा प्रतीत होता है कि चट्टान में लोहे और सिलिकॉन का मिश्रण है और यह उल्कापिंड हो सकता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि उल्कापिंड के जो टुकड़े बरामद किए गए हैं, उनका वजन 100 ग्राम से अधिक है।
भूविज्ञानी ने कहा कि ऐसी वस्तुओं से लोगों के टकराने की घटना बेहद दुर्लभ है। उल्कापिंड “अंतरिक्ष चट्टानें” हैं जो पृथ्वी के वायुमंडल के माध्यम से अपनी यात्रा में रहते हैं और जमीन से टकराते हैं।
उल्कापिंड का आकार धूल के कणों से लेकर छोटे क्षुद्रग्रहों तक होता है। नासा के अनुसार, हर दिन लगभग 50 टन उल्कापिंड सामग्री पृथ्वी पर गिरने का अनुमान है।
रेबमैन को यह कहते हुए उद्धृत किया गया, “हमारे समशीतोष्ण वातावरण में, उन्हें ढूंढना बहुत दुर्लभ है।”
“वे अन्य तत्वों के साथ विलीन हो जाते हैं। दूसरी ओर, रेगिस्तानी वातावरण में, हम उन्हें अधिक आसानी से पा सकते हैं।” उल्कापिंड के सीधे किसी व्यक्ति से टकराने का पहला पुष्ट मामला 1954 में अमेरिका में हुआ था, जहां एक महिला 3.6 किलोग्राम के पत्थर वाले उल्कापिंड की चपेट में आ गई थी, जो उसकी छत से टकराकर गिर गया था, इससे वह गंभीर रूप से घायल हो गई थी।
–आईएएनएस
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