नई दिल्ली, 17 जून (आईएएनएस)। तमिलनाडु के छात्रों ने माइग्रेंट केयर नामक एक मोबाइल ऐप बनाया है, जो प्रवासी मजदूरों, उनके एजेंटों और पुलिस अधिकारियों को उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने में मदद करता है।
श्रमिक अपने फोन ऐप पर मैं सुरक्षित नहीं हूं बटन दबाकर किसी भी तरह की मदद की जरूरत होने पर एक आपात स्थिति का संकेत भेज सकते हैं, अन्यथा वे खुद को सुरक्षित के रूप में चिह्न्ति कर सकते हैं।
संदेश को वास्तविक समय में पुलिस अधिकारियों द्वारा देखा जा सकता है, जो उन्हें ऐप में शामिल जियोलोकेशन सुविधा के माध्यम से एक्सेस कर सकते हैं।
तमिलनाडु के सोना कॉलेज ऑफ टेक्नोलॉजी के छात्रों ने इस मोबाइल एप्लिकेशन को विकसित किया है।
सोना कॉलेज ऑफ टेक्नोलॉजी के डीन एकेडमिक्स और आईटी के प्रोफेसर डॉ. जे. अकिलंदेश्वरी के अनुसार, सलेम सिटी की पुलिस आयुक्त बी. विजयकुमारी के अनुरोध पर बीटेक-आईटी छात्रों ने दिन से भी कम समय में इस ऐप को विकसित किया है।
ऐसा अनुमान है कि सलेम जिले में अनुमानित 4,000 प्रवासी श्रमिकों में से लगभग आधे ने पहले कुछ दिन में ऐप डाउनलोड किया।
टीम अब व्यापक पहुंच और अन्य आपातकालीन स्थितियों के लिए ऐप का परीक्षण कर रही है।
तमिलनाडु में छह लाख से अधिक प्रवासी श्रमिक हैं, और राज्य के मुख्यमंत्री, और कौशल विकास मंत्री ने उनकी सुरक्षा का आश्वासन दिया है।
सोना के उपाध्यक्ष चोको वल्लियप्पा ने कहा, हम छात्रों को अपने समुदायों की मदद करने के लिए अपने नवीनतम तकनीकी ज्ञान और कौशल के इस्तेमाल के लिए प्रोत्साहित करते हैं। उपयोग में आसान माइग्रेंट केयर ऐप भारतीय श्रमिकों को जिला पुलिस अधिकारियों की मदद से सुरक्षित महसूस करने और रहने का अधिकार देता है।
टीमें अतिरिक्त फीचरों की भी तलाश कर रही हैं जिन्हें भविष्य में पुलिस विभाग के इनपुट के साथ ऐप में शामिल किया जा सके।
–आईएएनएस
एकेजे
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नई दिल्ली, 17 जून (आईएएनएस)। तमिलनाडु के छात्रों ने माइग्रेंट केयर नामक एक मोबाइल ऐप बनाया है, जो प्रवासी मजदूरों, उनके एजेंटों और पुलिस अधिकारियों को उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने में मदद करता है।
श्रमिक अपने फोन ऐप पर मैं सुरक्षित नहीं हूं बटन दबाकर किसी भी तरह की मदद की जरूरत होने पर एक आपात स्थिति का संकेत भेज सकते हैं, अन्यथा वे खुद को सुरक्षित के रूप में चिह्न्ति कर सकते हैं।
संदेश को वास्तविक समय में पुलिस अधिकारियों द्वारा देखा जा सकता है, जो उन्हें ऐप में शामिल जियोलोकेशन सुविधा के माध्यम से एक्सेस कर सकते हैं।
तमिलनाडु के सोना कॉलेज ऑफ टेक्नोलॉजी के छात्रों ने इस मोबाइल एप्लिकेशन को विकसित किया है।
सोना कॉलेज ऑफ टेक्नोलॉजी के डीन एकेडमिक्स और आईटी के प्रोफेसर डॉ. जे. अकिलंदेश्वरी के अनुसार, सलेम सिटी की पुलिस आयुक्त बी. विजयकुमारी के अनुरोध पर बीटेक-आईटी छात्रों ने दिन से भी कम समय में इस ऐप को विकसित किया है।
ऐसा अनुमान है कि सलेम जिले में अनुमानित 4,000 प्रवासी श्रमिकों में से लगभग आधे ने पहले कुछ दिन में ऐप डाउनलोड किया।
टीम अब व्यापक पहुंच और अन्य आपातकालीन स्थितियों के लिए ऐप का परीक्षण कर रही है।
तमिलनाडु में छह लाख से अधिक प्रवासी श्रमिक हैं, और राज्य के मुख्यमंत्री, और कौशल विकास मंत्री ने उनकी सुरक्षा का आश्वासन दिया है।
सोना के उपाध्यक्ष चोको वल्लियप्पा ने कहा, हम छात्रों को अपने समुदायों की मदद करने के लिए अपने नवीनतम तकनीकी ज्ञान और कौशल के इस्तेमाल के लिए प्रोत्साहित करते हैं। उपयोग में आसान माइग्रेंट केयर ऐप भारतीय श्रमिकों को जिला पुलिस अधिकारियों की मदद से सुरक्षित महसूस करने और रहने का अधिकार देता है।
टीमें अतिरिक्त फीचरों की भी तलाश कर रही हैं जिन्हें भविष्य में पुलिस विभाग के इनपुट के साथ ऐप में शामिल किया जा सके।
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नई दिल्ली, 17 जून (आईएएनएस)। तमिलनाडु के छात्रों ने माइग्रेंट केयर नामक एक मोबाइल ऐप बनाया है, जो प्रवासी मजदूरों, उनके एजेंटों और पुलिस अधिकारियों को उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने में मदद करता है।
श्रमिक अपने फोन ऐप पर मैं सुरक्षित नहीं हूं बटन दबाकर किसी भी तरह की मदद की जरूरत होने पर एक आपात स्थिति का संकेत भेज सकते हैं, अन्यथा वे खुद को सुरक्षित के रूप में चिह्न्ति कर सकते हैं।
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तमिलनाडु के सोना कॉलेज ऑफ टेक्नोलॉजी के छात्रों ने इस मोबाइल एप्लिकेशन को विकसित किया है।
सोना कॉलेज ऑफ टेक्नोलॉजी के डीन एकेडमिक्स और आईटी के प्रोफेसर डॉ. जे. अकिलंदेश्वरी के अनुसार, सलेम सिटी की पुलिस आयुक्त बी. विजयकुमारी के अनुरोध पर बीटेक-आईटी छात्रों ने दिन से भी कम समय में इस ऐप को विकसित किया है।
ऐसा अनुमान है कि सलेम जिले में अनुमानित 4,000 प्रवासी श्रमिकों में से लगभग आधे ने पहले कुछ दिन में ऐप डाउनलोड किया।
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तमिलनाडु में छह लाख से अधिक प्रवासी श्रमिक हैं, और राज्य के मुख्यमंत्री, और कौशल विकास मंत्री ने उनकी सुरक्षा का आश्वासन दिया है।
सोना के उपाध्यक्ष चोको वल्लियप्पा ने कहा, हम छात्रों को अपने समुदायों की मदद करने के लिए अपने नवीनतम तकनीकी ज्ञान और कौशल के इस्तेमाल के लिए प्रोत्साहित करते हैं। उपयोग में आसान माइग्रेंट केयर ऐप भारतीय श्रमिकों को जिला पुलिस अधिकारियों की मदद से सुरक्षित महसूस करने और रहने का अधिकार देता है।
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सोना कॉलेज ऑफ टेक्नोलॉजी के डीन एकेडमिक्स और आईटी के प्रोफेसर डॉ. जे. अकिलंदेश्वरी के अनुसार, सलेम सिटी की पुलिस आयुक्त बी. विजयकुमारी के अनुरोध पर बीटेक-आईटी छात्रों ने दिन से भी कम समय में इस ऐप को विकसित किया है।
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सोना के उपाध्यक्ष चोको वल्लियप्पा ने कहा, हम छात्रों को अपने समुदायों की मदद करने के लिए अपने नवीनतम तकनीकी ज्ञान और कौशल के इस्तेमाल के लिए प्रोत्साहित करते हैं। उपयोग में आसान माइग्रेंट केयर ऐप भारतीय श्रमिकों को जिला पुलिस अधिकारियों की मदद से सुरक्षित महसूस करने और रहने का अधिकार देता है।
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सोना कॉलेज ऑफ टेक्नोलॉजी के डीन एकेडमिक्स और आईटी के प्रोफेसर डॉ. जे. अकिलंदेश्वरी के अनुसार, सलेम सिटी की पुलिस आयुक्त बी. विजयकुमारी के अनुरोध पर बीटेक-आईटी छात्रों ने दिन से भी कम समय में इस ऐप को विकसित किया है।
ऐसा अनुमान है कि सलेम जिले में अनुमानित 4,000 प्रवासी श्रमिकों में से लगभग आधे ने पहले कुछ दिन में ऐप डाउनलोड किया।
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नई दिल्ली, 17 जून (आईएएनएस)। तमिलनाडु के छात्रों ने माइग्रेंट केयर नामक एक मोबाइल ऐप बनाया है, जो प्रवासी मजदूरों, उनके एजेंटों और पुलिस अधिकारियों को उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने में मदद करता है।
श्रमिक अपने फोन ऐप पर मैं सुरक्षित नहीं हूं बटन दबाकर किसी भी तरह की मदद की जरूरत होने पर एक आपात स्थिति का संकेत भेज सकते हैं, अन्यथा वे खुद को सुरक्षित के रूप में चिह्न्ति कर सकते हैं।
संदेश को वास्तविक समय में पुलिस अधिकारियों द्वारा देखा जा सकता है, जो उन्हें ऐप में शामिल जियोलोकेशन सुविधा के माध्यम से एक्सेस कर सकते हैं।
तमिलनाडु के सोना कॉलेज ऑफ टेक्नोलॉजी के छात्रों ने इस मोबाइल एप्लिकेशन को विकसित किया है।
सोना कॉलेज ऑफ टेक्नोलॉजी के डीन एकेडमिक्स और आईटी के प्रोफेसर डॉ. जे. अकिलंदेश्वरी के अनुसार, सलेम सिटी की पुलिस आयुक्त बी. विजयकुमारी के अनुरोध पर बीटेक-आईटी छात्रों ने दिन से भी कम समय में इस ऐप को विकसित किया है।
ऐसा अनुमान है कि सलेम जिले में अनुमानित 4,000 प्रवासी श्रमिकों में से लगभग आधे ने पहले कुछ दिन में ऐप डाउनलोड किया।
टीम अब व्यापक पहुंच और अन्य आपातकालीन स्थितियों के लिए ऐप का परीक्षण कर रही है।
तमिलनाडु में छह लाख से अधिक प्रवासी श्रमिक हैं, और राज्य के मुख्यमंत्री, और कौशल विकास मंत्री ने उनकी सुरक्षा का आश्वासन दिया है।
सोना के उपाध्यक्ष चोको वल्लियप्पा ने कहा, हम छात्रों को अपने समुदायों की मदद करने के लिए अपने नवीनतम तकनीकी ज्ञान और कौशल के इस्तेमाल के लिए प्रोत्साहित करते हैं। उपयोग में आसान माइग्रेंट केयर ऐप भारतीय श्रमिकों को जिला पुलिस अधिकारियों की मदद से सुरक्षित महसूस करने और रहने का अधिकार देता है।
टीमें अतिरिक्त फीचरों की भी तलाश कर रही हैं जिन्हें भविष्य में पुलिस विभाग के इनपुट के साथ ऐप में शामिल किया जा सके।
–आईएएनएस
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नई दिल्ली, 17 जून (आईएएनएस)। तमिलनाडु के छात्रों ने माइग्रेंट केयर नामक एक मोबाइल ऐप बनाया है, जो प्रवासी मजदूरों, उनके एजेंटों और पुलिस अधिकारियों को उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने में मदद करता है।
श्रमिक अपने फोन ऐप पर मैं सुरक्षित नहीं हूं बटन दबाकर किसी भी तरह की मदद की जरूरत होने पर एक आपात स्थिति का संकेत भेज सकते हैं, अन्यथा वे खुद को सुरक्षित के रूप में चिह्न्ति कर सकते हैं।
संदेश को वास्तविक समय में पुलिस अधिकारियों द्वारा देखा जा सकता है, जो उन्हें ऐप में शामिल जियोलोकेशन सुविधा के माध्यम से एक्सेस कर सकते हैं।
तमिलनाडु के सोना कॉलेज ऑफ टेक्नोलॉजी के छात्रों ने इस मोबाइल एप्लिकेशन को विकसित किया है।
सोना कॉलेज ऑफ टेक्नोलॉजी के डीन एकेडमिक्स और आईटी के प्रोफेसर डॉ. जे. अकिलंदेश्वरी के अनुसार, सलेम सिटी की पुलिस आयुक्त बी. विजयकुमारी के अनुरोध पर बीटेक-आईटी छात्रों ने दिन से भी कम समय में इस ऐप को विकसित किया है।
ऐसा अनुमान है कि सलेम जिले में अनुमानित 4,000 प्रवासी श्रमिकों में से लगभग आधे ने पहले कुछ दिन में ऐप डाउनलोड किया।
टीम अब व्यापक पहुंच और अन्य आपातकालीन स्थितियों के लिए ऐप का परीक्षण कर रही है।
तमिलनाडु में छह लाख से अधिक प्रवासी श्रमिक हैं, और राज्य के मुख्यमंत्री, और कौशल विकास मंत्री ने उनकी सुरक्षा का आश्वासन दिया है।
सोना के उपाध्यक्ष चोको वल्लियप्पा ने कहा, हम छात्रों को अपने समुदायों की मदद करने के लिए अपने नवीनतम तकनीकी ज्ञान और कौशल के इस्तेमाल के लिए प्रोत्साहित करते हैं। उपयोग में आसान माइग्रेंट केयर ऐप भारतीय श्रमिकों को जिला पुलिस अधिकारियों की मदद से सुरक्षित महसूस करने और रहने का अधिकार देता है।
टीमें अतिरिक्त फीचरों की भी तलाश कर रही हैं जिन्हें भविष्य में पुलिस विभाग के इनपुट के साथ ऐप में शामिल किया जा सके।