जबलपुर. जंगली हाथियों को कंट्रोल करने वाले एक्सपर्ट की सूची याचिकाकर्ता की तरफ से हाईकोर्ट में पेश की गयी. सरकार की तरफ से हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत तथा जस्टिस विवेक जैन की युगलपीठ को बताया गया कि याचिका में उठाए गये मुद्दों पर विचार करने अध्यक्ष सहित 6 अन्य एक्सपर्ट सदस्यों की कमेटी बनाई गयी है.
याचिकाकर्ता के सुझाव अनुसार दूसरे प्रदेश के एक्सपर्ट की मदद प्राप्त करने पर विचार-विमर्ष करने समय प्रदान किया जाये. युगलपीठ ने सरकार को समय प्रदान करते हुए अगली सुनवाई 15 दिसम्बर को निर्धारित की है.
रायपुर निवासी नितिन सिंघवी द्वारा दायर याचिका में कहा गया है कि केंद्रीय पर्यावरण विभाग की गाइडलाइन्स के अनुसार जंगली हाथियों को पकड़ने का कदम अंतिम उपाय के रूप में होना चाहिए, लेकिन मध्य प्रदेश में इसे पहले विकल्प के रूप में अपनाया जा रहा है. छत्तीसगढ़ से जंगली हाथियों के झुंड मध्य प्रदेश के जंगलों में प्रवेश करते हैं.
चौकी से भागा चोर गिरफ्तार, एएसआई लाइन हाजिर
जिससे किसानों की फसलें बर्बाद होती हैं और घरों में तोड़फोड़ की घटनाएं बढ़ रही हैं. कुछ मामलों में जंगली हाथियों द्वारा किए गए हमलों में लोगों की मृत्यु भी हो चुकी है.
जंगली हाथियों को प्रिंसिपल चीफ कंजरवेटर फॉरेस्ट (पीसीसीएफ) वाइल्डलाइफ के आदेश पर ही पकड़ा जा सकता है. जंगली हाथी संरक्षित वन्य प्राणियों की प्रथम सूची में आते हैं, और पकड़े जाने के बाद उन्हें टाइगर रिजर्व में भेजकर प्रशिक्षण दिया जाता है. ट्रेनिंग के दौरान हाथियों को यातनाओं का सामना करना पड़ता है.
याचिका की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने सरकार को निर्देषित किया था कि पिछले 30 वर्षों में पकड़े गए हाथियों का पूरा विवरण पेश किया जाए. सरकार की तरफ से पेष की गयी रिपोर्ट में बताया गया था कि वर्ष 2017 से अब तक 10 जंगली हाथियों को पकड़ा गया है,जिसमें से दो हाथियों को छोड जाना है. एक हाथी को छोड़ने के लिए विदेश को कॉलर आई बुलाई गई है.
पिछली सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की तरफ से बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में हाथियों की मौत का मामला उठाते हुए युगलपीठ को बताया गया था कि प्रदेश में एक भी हाथियों को कंट्रोल करने के लिए एक्सपर्ट नहीं है. इस संबंध में हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता को सुझाव पेश करने के निर्देष दिये थे. याचिका पर मंगलवार को याचिकाकर्ता की तरफ से एक्सपर्ट के नामों की सूची पेश की गयी. सरकार की तरफ से युगलपीठ को उक्त जानकारी प्रदान की गयी. याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता अंशुमान सिंह ने पैरवी की.