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Home राष्ट्रीय

जद-यू छोड़ने के बाद मीना सिंह अपने बेटे के साथ भाजपा में हुई शामिल

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March 12, 2023
in राष्ट्रीय
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जद-यू छोड़ने के बाद मीना सिंह अपने बेटे के साथ भाजपा में हुई शामिल
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पटना, 12 मार्च (आईएएनएस)। हाल ही में जद-यू छोड़ने वाली दो बार की सांसद मीना सिंह रविवार को केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय, बिहार इकाई के अध्यक्ष संजय जायसवाल और पार्टी नेता सम्राट चौधरी की मौजूदगी में भाजपा में शामिल हो गई।

रविवार को यहां बापू सभागार में एक कार्यक्रम में उनके बेटे विशाल सिंह और 10,000 से अधिक समर्थक भी भाजपा में शामिल हो गए।

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मीना सिंह की भोजपुर और रोहतास जिलों में मजबूत पकड़ है और उन्हें यहां की प्रभावशाली नेता माना जाता है। उनके पति अजीत सिंह भी क्षेत्र के काफी कद्दावर नेता थे। वह मुख्यमंत्री और पार्टी प्रमुख नीतीश कुमार के फैसले से खुश नहीं थीं, जिन्होंने उपमुख्यमंत्री और राजद नेता तेजस्वी यादव को अपना राजनीतिक उत्तराधिकारी घोषित किया है।

मीना सिंह ने कहा, मैंने और मेरे पति ने जीवन भर जंगल राज के खिलाफ लड़ाई लड़ी। लालू-राबड़ी सरकार के दौरान बिहार के लोगों ने जंगल राज का अनुभव किया। उस समय बिहार में पूरी तरह से अराजकता थी। नीतीश कुमार के राजद के साथ जाने पर मुझे पूरा विश्वास है कि बिहार में जंगल राज लौटेगा। इसलिए, मैंने और मेरे बेटे ने जद-यू से इस्तीफा दे दिया।

उन्होंने कहा, मुझे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह की प्रगतिशील विचारधारा पर पूरा भरोसा है। इसलिए, मैं भाजपा में शामिल हुई हूं।

मीना सिंह का जेडी-यू से जाना नीतीश कुमार के लिए भोजपुर, रोहतास, बक्सर और कैमूर जिलों के भोजपुरी बेल्ट में एक बड़ा झटका हो सकता है। वह इन जिलों में सवर्णो के बीच एक प्रभावशाली नेता हैं। इससे पहले उपेंद्र कुशवाहा और आर.सी.पी. सिंह भी जदयू छोड़ चुके हैं।

बिहार में सात पार्टियों वाले सत्तारूढ़ गठबंधन में टिकटों का वितरण नीतीश कुमार के लिए एक बड़ी चुनौती होगी, जिन्हें महागठबंधन की प्रत्येक पार्टी को संतुष्ट करना पड़ेगा।

मीना सिंह और उनके बेटे के लिए भाजपा में टिकट पाने का एक बड़ा मौका हो सकता है।

मीना सिंह ने अपने पति के निधन के बाद 2008 के उपचुनाव में जद-यू के लिए बिक्रमगंज लोकसभा क्षेत्र जीता। वह 2009 में आरा लोकसभा क्षेत्र से भी चुनी गईं, लेकिन 2014 के चुनाव में वहां से हार गईं और 2019 में चुनाव नहीं लड़ा था।

–आईएएनएस

एसकेपी

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पटना, 12 मार्च (आईएएनएस)। हाल ही में जद-यू छोड़ने वाली दो बार की सांसद मीना सिंह रविवार को केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय, बिहार इकाई के अध्यक्ष संजय जायसवाल और पार्टी नेता सम्राट चौधरी की मौजूदगी में भाजपा में शामिल हो गई।

रविवार को यहां बापू सभागार में एक कार्यक्रम में उनके बेटे विशाल सिंह और 10,000 से अधिक समर्थक भी भाजपा में शामिल हो गए।

मीना सिंह की भोजपुर और रोहतास जिलों में मजबूत पकड़ है और उन्हें यहां की प्रभावशाली नेता माना जाता है। उनके पति अजीत सिंह भी क्षेत्र के काफी कद्दावर नेता थे। वह मुख्यमंत्री और पार्टी प्रमुख नीतीश कुमार के फैसले से खुश नहीं थीं, जिन्होंने उपमुख्यमंत्री और राजद नेता तेजस्वी यादव को अपना राजनीतिक उत्तराधिकारी घोषित किया है।

मीना सिंह ने कहा, मैंने और मेरे पति ने जीवन भर जंगल राज के खिलाफ लड़ाई लड़ी। लालू-राबड़ी सरकार के दौरान बिहार के लोगों ने जंगल राज का अनुभव किया। उस समय बिहार में पूरी तरह से अराजकता थी। नीतीश कुमार के राजद के साथ जाने पर मुझे पूरा विश्वास है कि बिहार में जंगल राज लौटेगा। इसलिए, मैंने और मेरे बेटे ने जद-यू से इस्तीफा दे दिया।

उन्होंने कहा, मुझे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह की प्रगतिशील विचारधारा पर पूरा भरोसा है। इसलिए, मैं भाजपा में शामिल हुई हूं।

मीना सिंह का जेडी-यू से जाना नीतीश कुमार के लिए भोजपुर, रोहतास, बक्सर और कैमूर जिलों के भोजपुरी बेल्ट में एक बड़ा झटका हो सकता है। वह इन जिलों में सवर्णो के बीच एक प्रभावशाली नेता हैं। इससे पहले उपेंद्र कुशवाहा और आर.सी.पी. सिंह भी जदयू छोड़ चुके हैं।

बिहार में सात पार्टियों वाले सत्तारूढ़ गठबंधन में टिकटों का वितरण नीतीश कुमार के लिए एक बड़ी चुनौती होगी, जिन्हें महागठबंधन की प्रत्येक पार्टी को संतुष्ट करना पड़ेगा।

मीना सिंह और उनके बेटे के लिए भाजपा में टिकट पाने का एक बड़ा मौका हो सकता है।

मीना सिंह ने अपने पति के निधन के बाद 2008 के उपचुनाव में जद-यू के लिए बिक्रमगंज लोकसभा क्षेत्र जीता। वह 2009 में आरा लोकसभा क्षेत्र से भी चुनी गईं, लेकिन 2014 के चुनाव में वहां से हार गईं और 2019 में चुनाव नहीं लड़ा था।

–आईएएनएस

एसकेपी

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पटना, 12 मार्च (आईएएनएस)। हाल ही में जद-यू छोड़ने वाली दो बार की सांसद मीना सिंह रविवार को केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय, बिहार इकाई के अध्यक्ष संजय जायसवाल और पार्टी नेता सम्राट चौधरी की मौजूदगी में भाजपा में शामिल हो गई।

रविवार को यहां बापू सभागार में एक कार्यक्रम में उनके बेटे विशाल सिंह और 10,000 से अधिक समर्थक भी भाजपा में शामिल हो गए।

मीना सिंह की भोजपुर और रोहतास जिलों में मजबूत पकड़ है और उन्हें यहां की प्रभावशाली नेता माना जाता है। उनके पति अजीत सिंह भी क्षेत्र के काफी कद्दावर नेता थे। वह मुख्यमंत्री और पार्टी प्रमुख नीतीश कुमार के फैसले से खुश नहीं थीं, जिन्होंने उपमुख्यमंत्री और राजद नेता तेजस्वी यादव को अपना राजनीतिक उत्तराधिकारी घोषित किया है।

मीना सिंह ने कहा, मैंने और मेरे पति ने जीवन भर जंगल राज के खिलाफ लड़ाई लड़ी। लालू-राबड़ी सरकार के दौरान बिहार के लोगों ने जंगल राज का अनुभव किया। उस समय बिहार में पूरी तरह से अराजकता थी। नीतीश कुमार के राजद के साथ जाने पर मुझे पूरा विश्वास है कि बिहार में जंगल राज लौटेगा। इसलिए, मैंने और मेरे बेटे ने जद-यू से इस्तीफा दे दिया।

उन्होंने कहा, मुझे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह की प्रगतिशील विचारधारा पर पूरा भरोसा है। इसलिए, मैं भाजपा में शामिल हुई हूं।

मीना सिंह का जेडी-यू से जाना नीतीश कुमार के लिए भोजपुर, रोहतास, बक्सर और कैमूर जिलों के भोजपुरी बेल्ट में एक बड़ा झटका हो सकता है। वह इन जिलों में सवर्णो के बीच एक प्रभावशाली नेता हैं। इससे पहले उपेंद्र कुशवाहा और आर.सी.पी. सिंह भी जदयू छोड़ चुके हैं।

बिहार में सात पार्टियों वाले सत्तारूढ़ गठबंधन में टिकटों का वितरण नीतीश कुमार के लिए एक बड़ी चुनौती होगी, जिन्हें महागठबंधन की प्रत्येक पार्टी को संतुष्ट करना पड़ेगा।

मीना सिंह और उनके बेटे के लिए भाजपा में टिकट पाने का एक बड़ा मौका हो सकता है।

मीना सिंह ने अपने पति के निधन के बाद 2008 के उपचुनाव में जद-यू के लिए बिक्रमगंज लोकसभा क्षेत्र जीता। वह 2009 में आरा लोकसभा क्षेत्र से भी चुनी गईं, लेकिन 2014 के चुनाव में वहां से हार गईं और 2019 में चुनाव नहीं लड़ा था।

–आईएएनएस

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पटना, 12 मार्च (आईएएनएस)। हाल ही में जद-यू छोड़ने वाली दो बार की सांसद मीना सिंह रविवार को केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय, बिहार इकाई के अध्यक्ष संजय जायसवाल और पार्टी नेता सम्राट चौधरी की मौजूदगी में भाजपा में शामिल हो गई।

रविवार को यहां बापू सभागार में एक कार्यक्रम में उनके बेटे विशाल सिंह और 10,000 से अधिक समर्थक भी भाजपा में शामिल हो गए।

मीना सिंह की भोजपुर और रोहतास जिलों में मजबूत पकड़ है और उन्हें यहां की प्रभावशाली नेता माना जाता है। उनके पति अजीत सिंह भी क्षेत्र के काफी कद्दावर नेता थे। वह मुख्यमंत्री और पार्टी प्रमुख नीतीश कुमार के फैसले से खुश नहीं थीं, जिन्होंने उपमुख्यमंत्री और राजद नेता तेजस्वी यादव को अपना राजनीतिक उत्तराधिकारी घोषित किया है।

मीना सिंह ने कहा, मैंने और मेरे पति ने जीवन भर जंगल राज के खिलाफ लड़ाई लड़ी। लालू-राबड़ी सरकार के दौरान बिहार के लोगों ने जंगल राज का अनुभव किया। उस समय बिहार में पूरी तरह से अराजकता थी। नीतीश कुमार के राजद के साथ जाने पर मुझे पूरा विश्वास है कि बिहार में जंगल राज लौटेगा। इसलिए, मैंने और मेरे बेटे ने जद-यू से इस्तीफा दे दिया।

उन्होंने कहा, मुझे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह की प्रगतिशील विचारधारा पर पूरा भरोसा है। इसलिए, मैं भाजपा में शामिल हुई हूं।

मीना सिंह का जेडी-यू से जाना नीतीश कुमार के लिए भोजपुर, रोहतास, बक्सर और कैमूर जिलों के भोजपुरी बेल्ट में एक बड़ा झटका हो सकता है। वह इन जिलों में सवर्णो के बीच एक प्रभावशाली नेता हैं। इससे पहले उपेंद्र कुशवाहा और आर.सी.पी. सिंह भी जदयू छोड़ चुके हैं।

बिहार में सात पार्टियों वाले सत्तारूढ़ गठबंधन में टिकटों का वितरण नीतीश कुमार के लिए एक बड़ी चुनौती होगी, जिन्हें महागठबंधन की प्रत्येक पार्टी को संतुष्ट करना पड़ेगा।

मीना सिंह और उनके बेटे के लिए भाजपा में टिकट पाने का एक बड़ा मौका हो सकता है।

मीना सिंह ने अपने पति के निधन के बाद 2008 के उपचुनाव में जद-यू के लिए बिक्रमगंज लोकसभा क्षेत्र जीता। वह 2009 में आरा लोकसभा क्षेत्र से भी चुनी गईं, लेकिन 2014 के चुनाव में वहां से हार गईं और 2019 में चुनाव नहीं लड़ा था।

–आईएएनएस

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रविवार को यहां बापू सभागार में एक कार्यक्रम में उनके बेटे विशाल सिंह और 10,000 से अधिक समर्थक भी भाजपा में शामिल हो गए।

मीना सिंह की भोजपुर और रोहतास जिलों में मजबूत पकड़ है और उन्हें यहां की प्रभावशाली नेता माना जाता है। उनके पति अजीत सिंह भी क्षेत्र के काफी कद्दावर नेता थे। वह मुख्यमंत्री और पार्टी प्रमुख नीतीश कुमार के फैसले से खुश नहीं थीं, जिन्होंने उपमुख्यमंत्री और राजद नेता तेजस्वी यादव को अपना राजनीतिक उत्तराधिकारी घोषित किया है।

मीना सिंह ने कहा, मैंने और मेरे पति ने जीवन भर जंगल राज के खिलाफ लड़ाई लड़ी। लालू-राबड़ी सरकार के दौरान बिहार के लोगों ने जंगल राज का अनुभव किया। उस समय बिहार में पूरी तरह से अराजकता थी। नीतीश कुमार के राजद के साथ जाने पर मुझे पूरा विश्वास है कि बिहार में जंगल राज लौटेगा। इसलिए, मैंने और मेरे बेटे ने जद-यू से इस्तीफा दे दिया।

उन्होंने कहा, मुझे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह की प्रगतिशील विचारधारा पर पूरा भरोसा है। इसलिए, मैं भाजपा में शामिल हुई हूं।

मीना सिंह का जेडी-यू से जाना नीतीश कुमार के लिए भोजपुर, रोहतास, बक्सर और कैमूर जिलों के भोजपुरी बेल्ट में एक बड़ा झटका हो सकता है। वह इन जिलों में सवर्णो के बीच एक प्रभावशाली नेता हैं। इससे पहले उपेंद्र कुशवाहा और आर.सी.पी. सिंह भी जदयू छोड़ चुके हैं।

बिहार में सात पार्टियों वाले सत्तारूढ़ गठबंधन में टिकटों का वितरण नीतीश कुमार के लिए एक बड़ी चुनौती होगी, जिन्हें महागठबंधन की प्रत्येक पार्टी को संतुष्ट करना पड़ेगा।

मीना सिंह और उनके बेटे के लिए भाजपा में टिकट पाने का एक बड़ा मौका हो सकता है।

मीना सिंह ने अपने पति के निधन के बाद 2008 के उपचुनाव में जद-यू के लिए बिक्रमगंज लोकसभा क्षेत्र जीता। वह 2009 में आरा लोकसभा क्षेत्र से भी चुनी गईं, लेकिन 2014 के चुनाव में वहां से हार गईं और 2019 में चुनाव नहीं लड़ा था।

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रविवार को यहां बापू सभागार में एक कार्यक्रम में उनके बेटे विशाल सिंह और 10,000 से अधिक समर्थक भी भाजपा में शामिल हो गए।

मीना सिंह की भोजपुर और रोहतास जिलों में मजबूत पकड़ है और उन्हें यहां की प्रभावशाली नेता माना जाता है। उनके पति अजीत सिंह भी क्षेत्र के काफी कद्दावर नेता थे। वह मुख्यमंत्री और पार्टी प्रमुख नीतीश कुमार के फैसले से खुश नहीं थीं, जिन्होंने उपमुख्यमंत्री और राजद नेता तेजस्वी यादव को अपना राजनीतिक उत्तराधिकारी घोषित किया है।

मीना सिंह ने कहा, मैंने और मेरे पति ने जीवन भर जंगल राज के खिलाफ लड़ाई लड़ी। लालू-राबड़ी सरकार के दौरान बिहार के लोगों ने जंगल राज का अनुभव किया। उस समय बिहार में पूरी तरह से अराजकता थी। नीतीश कुमार के राजद के साथ जाने पर मुझे पूरा विश्वास है कि बिहार में जंगल राज लौटेगा। इसलिए, मैंने और मेरे बेटे ने जद-यू से इस्तीफा दे दिया।

उन्होंने कहा, मुझे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह की प्रगतिशील विचारधारा पर पूरा भरोसा है। इसलिए, मैं भाजपा में शामिल हुई हूं।

मीना सिंह का जेडी-यू से जाना नीतीश कुमार के लिए भोजपुर, रोहतास, बक्सर और कैमूर जिलों के भोजपुरी बेल्ट में एक बड़ा झटका हो सकता है। वह इन जिलों में सवर्णो के बीच एक प्रभावशाली नेता हैं। इससे पहले उपेंद्र कुशवाहा और आर.सी.पी. सिंह भी जदयू छोड़ चुके हैं।

बिहार में सात पार्टियों वाले सत्तारूढ़ गठबंधन में टिकटों का वितरण नीतीश कुमार के लिए एक बड़ी चुनौती होगी, जिन्हें महागठबंधन की प्रत्येक पार्टी को संतुष्ट करना पड़ेगा।

मीना सिंह और उनके बेटे के लिए भाजपा में टिकट पाने का एक बड़ा मौका हो सकता है।

मीना सिंह ने अपने पति के निधन के बाद 2008 के उपचुनाव में जद-यू के लिए बिक्रमगंज लोकसभा क्षेत्र जीता। वह 2009 में आरा लोकसभा क्षेत्र से भी चुनी गईं, लेकिन 2014 के चुनाव में वहां से हार गईं और 2019 में चुनाव नहीं लड़ा था।

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रविवार को यहां बापू सभागार में एक कार्यक्रम में उनके बेटे विशाल सिंह और 10,000 से अधिक समर्थक भी भाजपा में शामिल हो गए।

मीना सिंह की भोजपुर और रोहतास जिलों में मजबूत पकड़ है और उन्हें यहां की प्रभावशाली नेता माना जाता है। उनके पति अजीत सिंह भी क्षेत्र के काफी कद्दावर नेता थे। वह मुख्यमंत्री और पार्टी प्रमुख नीतीश कुमार के फैसले से खुश नहीं थीं, जिन्होंने उपमुख्यमंत्री और राजद नेता तेजस्वी यादव को अपना राजनीतिक उत्तराधिकारी घोषित किया है।

मीना सिंह ने कहा, मैंने और मेरे पति ने जीवन भर जंगल राज के खिलाफ लड़ाई लड़ी। लालू-राबड़ी सरकार के दौरान बिहार के लोगों ने जंगल राज का अनुभव किया। उस समय बिहार में पूरी तरह से अराजकता थी। नीतीश कुमार के राजद के साथ जाने पर मुझे पूरा विश्वास है कि बिहार में जंगल राज लौटेगा। इसलिए, मैंने और मेरे बेटे ने जद-यू से इस्तीफा दे दिया।

उन्होंने कहा, मुझे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह की प्रगतिशील विचारधारा पर पूरा भरोसा है। इसलिए, मैं भाजपा में शामिल हुई हूं।

मीना सिंह का जेडी-यू से जाना नीतीश कुमार के लिए भोजपुर, रोहतास, बक्सर और कैमूर जिलों के भोजपुरी बेल्ट में एक बड़ा झटका हो सकता है। वह इन जिलों में सवर्णो के बीच एक प्रभावशाली नेता हैं। इससे पहले उपेंद्र कुशवाहा और आर.सी.पी. सिंह भी जदयू छोड़ चुके हैं।

बिहार में सात पार्टियों वाले सत्तारूढ़ गठबंधन में टिकटों का वितरण नीतीश कुमार के लिए एक बड़ी चुनौती होगी, जिन्हें महागठबंधन की प्रत्येक पार्टी को संतुष्ट करना पड़ेगा।

मीना सिंह और उनके बेटे के लिए भाजपा में टिकट पाने का एक बड़ा मौका हो सकता है।

मीना सिंह ने अपने पति के निधन के बाद 2008 के उपचुनाव में जद-यू के लिए बिक्रमगंज लोकसभा क्षेत्र जीता। वह 2009 में आरा लोकसभा क्षेत्र से भी चुनी गईं, लेकिन 2014 के चुनाव में वहां से हार गईं और 2019 में चुनाव नहीं लड़ा था।

–आईएएनएस

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रविवार को यहां बापू सभागार में एक कार्यक्रम में उनके बेटे विशाल सिंह और 10,000 से अधिक समर्थक भी भाजपा में शामिल हो गए।

मीना सिंह की भोजपुर और रोहतास जिलों में मजबूत पकड़ है और उन्हें यहां की प्रभावशाली नेता माना जाता है। उनके पति अजीत सिंह भी क्षेत्र के काफी कद्दावर नेता थे। वह मुख्यमंत्री और पार्टी प्रमुख नीतीश कुमार के फैसले से खुश नहीं थीं, जिन्होंने उपमुख्यमंत्री और राजद नेता तेजस्वी यादव को अपना राजनीतिक उत्तराधिकारी घोषित किया है।

मीना सिंह ने कहा, मैंने और मेरे पति ने जीवन भर जंगल राज के खिलाफ लड़ाई लड़ी। लालू-राबड़ी सरकार के दौरान बिहार के लोगों ने जंगल राज का अनुभव किया। उस समय बिहार में पूरी तरह से अराजकता थी। नीतीश कुमार के राजद के साथ जाने पर मुझे पूरा विश्वास है कि बिहार में जंगल राज लौटेगा। इसलिए, मैंने और मेरे बेटे ने जद-यू से इस्तीफा दे दिया।

उन्होंने कहा, मुझे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह की प्रगतिशील विचारधारा पर पूरा भरोसा है। इसलिए, मैं भाजपा में शामिल हुई हूं।

मीना सिंह का जेडी-यू से जाना नीतीश कुमार के लिए भोजपुर, रोहतास, बक्सर और कैमूर जिलों के भोजपुरी बेल्ट में एक बड़ा झटका हो सकता है। वह इन जिलों में सवर्णो के बीच एक प्रभावशाली नेता हैं। इससे पहले उपेंद्र कुशवाहा और आर.सी.पी. सिंह भी जदयू छोड़ चुके हैं।

बिहार में सात पार्टियों वाले सत्तारूढ़ गठबंधन में टिकटों का वितरण नीतीश कुमार के लिए एक बड़ी चुनौती होगी, जिन्हें महागठबंधन की प्रत्येक पार्टी को संतुष्ट करना पड़ेगा।

मीना सिंह और उनके बेटे के लिए भाजपा में टिकट पाने का एक बड़ा मौका हो सकता है।

मीना सिंह ने अपने पति के निधन के बाद 2008 के उपचुनाव में जद-यू के लिए बिक्रमगंज लोकसभा क्षेत्र जीता। वह 2009 में आरा लोकसभा क्षेत्र से भी चुनी गईं, लेकिन 2014 के चुनाव में वहां से हार गईं और 2019 में चुनाव नहीं लड़ा था।

–आईएएनएस

एसकेपी

पटना, 12 मार्च (आईएएनएस)। हाल ही में जद-यू छोड़ने वाली दो बार की सांसद मीना सिंह रविवार को केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय, बिहार इकाई के अध्यक्ष संजय जायसवाल और पार्टी नेता सम्राट चौधरी की मौजूदगी में भाजपा में शामिल हो गई।

रविवार को यहां बापू सभागार में एक कार्यक्रम में उनके बेटे विशाल सिंह और 10,000 से अधिक समर्थक भी भाजपा में शामिल हो गए।

मीना सिंह की भोजपुर और रोहतास जिलों में मजबूत पकड़ है और उन्हें यहां की प्रभावशाली नेता माना जाता है। उनके पति अजीत सिंह भी क्षेत्र के काफी कद्दावर नेता थे। वह मुख्यमंत्री और पार्टी प्रमुख नीतीश कुमार के फैसले से खुश नहीं थीं, जिन्होंने उपमुख्यमंत्री और राजद नेता तेजस्वी यादव को अपना राजनीतिक उत्तराधिकारी घोषित किया है।

मीना सिंह ने कहा, मैंने और मेरे पति ने जीवन भर जंगल राज के खिलाफ लड़ाई लड़ी। लालू-राबड़ी सरकार के दौरान बिहार के लोगों ने जंगल राज का अनुभव किया। उस समय बिहार में पूरी तरह से अराजकता थी। नीतीश कुमार के राजद के साथ जाने पर मुझे पूरा विश्वास है कि बिहार में जंगल राज लौटेगा। इसलिए, मैंने और मेरे बेटे ने जद-यू से इस्तीफा दे दिया।

उन्होंने कहा, मुझे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह की प्रगतिशील विचारधारा पर पूरा भरोसा है। इसलिए, मैं भाजपा में शामिल हुई हूं।

मीना सिंह का जेडी-यू से जाना नीतीश कुमार के लिए भोजपुर, रोहतास, बक्सर और कैमूर जिलों के भोजपुरी बेल्ट में एक बड़ा झटका हो सकता है। वह इन जिलों में सवर्णो के बीच एक प्रभावशाली नेता हैं। इससे पहले उपेंद्र कुशवाहा और आर.सी.पी. सिंह भी जदयू छोड़ चुके हैं।

बिहार में सात पार्टियों वाले सत्तारूढ़ गठबंधन में टिकटों का वितरण नीतीश कुमार के लिए एक बड़ी चुनौती होगी, जिन्हें महागठबंधन की प्रत्येक पार्टी को संतुष्ट करना पड़ेगा।

मीना सिंह और उनके बेटे के लिए भाजपा में टिकट पाने का एक बड़ा मौका हो सकता है।

मीना सिंह ने अपने पति के निधन के बाद 2008 के उपचुनाव में जद-यू के लिए बिक्रमगंज लोकसभा क्षेत्र जीता। वह 2009 में आरा लोकसभा क्षेत्र से भी चुनी गईं, लेकिन 2014 के चुनाव में वहां से हार गईं और 2019 में चुनाव नहीं लड़ा था।

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रविवार को यहां बापू सभागार में एक कार्यक्रम में उनके बेटे विशाल सिंह और 10,000 से अधिक समर्थक भी भाजपा में शामिल हो गए।

मीना सिंह की भोजपुर और रोहतास जिलों में मजबूत पकड़ है और उन्हें यहां की प्रभावशाली नेता माना जाता है। उनके पति अजीत सिंह भी क्षेत्र के काफी कद्दावर नेता थे। वह मुख्यमंत्री और पार्टी प्रमुख नीतीश कुमार के फैसले से खुश नहीं थीं, जिन्होंने उपमुख्यमंत्री और राजद नेता तेजस्वी यादव को अपना राजनीतिक उत्तराधिकारी घोषित किया है।

मीना सिंह ने कहा, मैंने और मेरे पति ने जीवन भर जंगल राज के खिलाफ लड़ाई लड़ी। लालू-राबड़ी सरकार के दौरान बिहार के लोगों ने जंगल राज का अनुभव किया। उस समय बिहार में पूरी तरह से अराजकता थी। नीतीश कुमार के राजद के साथ जाने पर मुझे पूरा विश्वास है कि बिहार में जंगल राज लौटेगा। इसलिए, मैंने और मेरे बेटे ने जद-यू से इस्तीफा दे दिया।

उन्होंने कहा, मुझे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह की प्रगतिशील विचारधारा पर पूरा भरोसा है। इसलिए, मैं भाजपा में शामिल हुई हूं।

मीना सिंह का जेडी-यू से जाना नीतीश कुमार के लिए भोजपुर, रोहतास, बक्सर और कैमूर जिलों के भोजपुरी बेल्ट में एक बड़ा झटका हो सकता है। वह इन जिलों में सवर्णो के बीच एक प्रभावशाली नेता हैं। इससे पहले उपेंद्र कुशवाहा और आर.सी.पी. सिंह भी जदयू छोड़ चुके हैं।

बिहार में सात पार्टियों वाले सत्तारूढ़ गठबंधन में टिकटों का वितरण नीतीश कुमार के लिए एक बड़ी चुनौती होगी, जिन्हें महागठबंधन की प्रत्येक पार्टी को संतुष्ट करना पड़ेगा।

मीना सिंह और उनके बेटे के लिए भाजपा में टिकट पाने का एक बड़ा मौका हो सकता है।

मीना सिंह ने अपने पति के निधन के बाद 2008 के उपचुनाव में जद-यू के लिए बिक्रमगंज लोकसभा क्षेत्र जीता। वह 2009 में आरा लोकसभा क्षेत्र से भी चुनी गईं, लेकिन 2014 के चुनाव में वहां से हार गईं और 2019 में चुनाव नहीं लड़ा था।

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पटना, 12 मार्च (आईएएनएस)। हाल ही में जद-यू छोड़ने वाली दो बार की सांसद मीना सिंह रविवार को केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय, बिहार इकाई के अध्यक्ष संजय जायसवाल और पार्टी नेता सम्राट चौधरी की मौजूदगी में भाजपा में शामिल हो गई।

रविवार को यहां बापू सभागार में एक कार्यक्रम में उनके बेटे विशाल सिंह और 10,000 से अधिक समर्थक भी भाजपा में शामिल हो गए।

मीना सिंह की भोजपुर और रोहतास जिलों में मजबूत पकड़ है और उन्हें यहां की प्रभावशाली नेता माना जाता है। उनके पति अजीत सिंह भी क्षेत्र के काफी कद्दावर नेता थे। वह मुख्यमंत्री और पार्टी प्रमुख नीतीश कुमार के फैसले से खुश नहीं थीं, जिन्होंने उपमुख्यमंत्री और राजद नेता तेजस्वी यादव को अपना राजनीतिक उत्तराधिकारी घोषित किया है।

मीना सिंह ने कहा, मैंने और मेरे पति ने जीवन भर जंगल राज के खिलाफ लड़ाई लड़ी। लालू-राबड़ी सरकार के दौरान बिहार के लोगों ने जंगल राज का अनुभव किया। उस समय बिहार में पूरी तरह से अराजकता थी। नीतीश कुमार के राजद के साथ जाने पर मुझे पूरा विश्वास है कि बिहार में जंगल राज लौटेगा। इसलिए, मैंने और मेरे बेटे ने जद-यू से इस्तीफा दे दिया।

उन्होंने कहा, मुझे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह की प्रगतिशील विचारधारा पर पूरा भरोसा है। इसलिए, मैं भाजपा में शामिल हुई हूं।

मीना सिंह का जेडी-यू से जाना नीतीश कुमार के लिए भोजपुर, रोहतास, बक्सर और कैमूर जिलों के भोजपुरी बेल्ट में एक बड़ा झटका हो सकता है। वह इन जिलों में सवर्णो के बीच एक प्रभावशाली नेता हैं। इससे पहले उपेंद्र कुशवाहा और आर.सी.पी. सिंह भी जदयू छोड़ चुके हैं।

बिहार में सात पार्टियों वाले सत्तारूढ़ गठबंधन में टिकटों का वितरण नीतीश कुमार के लिए एक बड़ी चुनौती होगी, जिन्हें महागठबंधन की प्रत्येक पार्टी को संतुष्ट करना पड़ेगा।

मीना सिंह और उनके बेटे के लिए भाजपा में टिकट पाने का एक बड़ा मौका हो सकता है।

मीना सिंह ने अपने पति के निधन के बाद 2008 के उपचुनाव में जद-यू के लिए बिक्रमगंज लोकसभा क्षेत्र जीता। वह 2009 में आरा लोकसभा क्षेत्र से भी चुनी गईं, लेकिन 2014 के चुनाव में वहां से हार गईं और 2019 में चुनाव नहीं लड़ा था।

–आईएएनएस

एसकेपी

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पटना, 12 मार्च (आईएएनएस)। हाल ही में जद-यू छोड़ने वाली दो बार की सांसद मीना सिंह रविवार को केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय, बिहार इकाई के अध्यक्ष संजय जायसवाल और पार्टी नेता सम्राट चौधरी की मौजूदगी में भाजपा में शामिल हो गई।

रविवार को यहां बापू सभागार में एक कार्यक्रम में उनके बेटे विशाल सिंह और 10,000 से अधिक समर्थक भी भाजपा में शामिल हो गए।

मीना सिंह की भोजपुर और रोहतास जिलों में मजबूत पकड़ है और उन्हें यहां की प्रभावशाली नेता माना जाता है। उनके पति अजीत सिंह भी क्षेत्र के काफी कद्दावर नेता थे। वह मुख्यमंत्री और पार्टी प्रमुख नीतीश कुमार के फैसले से खुश नहीं थीं, जिन्होंने उपमुख्यमंत्री और राजद नेता तेजस्वी यादव को अपना राजनीतिक उत्तराधिकारी घोषित किया है।

मीना सिंह ने कहा, मैंने और मेरे पति ने जीवन भर जंगल राज के खिलाफ लड़ाई लड़ी। लालू-राबड़ी सरकार के दौरान बिहार के लोगों ने जंगल राज का अनुभव किया। उस समय बिहार में पूरी तरह से अराजकता थी। नीतीश कुमार के राजद के साथ जाने पर मुझे पूरा विश्वास है कि बिहार में जंगल राज लौटेगा। इसलिए, मैंने और मेरे बेटे ने जद-यू से इस्तीफा दे दिया।

उन्होंने कहा, मुझे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह की प्रगतिशील विचारधारा पर पूरा भरोसा है। इसलिए, मैं भाजपा में शामिल हुई हूं।

मीना सिंह का जेडी-यू से जाना नीतीश कुमार के लिए भोजपुर, रोहतास, बक्सर और कैमूर जिलों के भोजपुरी बेल्ट में एक बड़ा झटका हो सकता है। वह इन जिलों में सवर्णो के बीच एक प्रभावशाली नेता हैं। इससे पहले उपेंद्र कुशवाहा और आर.सी.पी. सिंह भी जदयू छोड़ चुके हैं।

बिहार में सात पार्टियों वाले सत्तारूढ़ गठबंधन में टिकटों का वितरण नीतीश कुमार के लिए एक बड़ी चुनौती होगी, जिन्हें महागठबंधन की प्रत्येक पार्टी को संतुष्ट करना पड़ेगा।

मीना सिंह और उनके बेटे के लिए भाजपा में टिकट पाने का एक बड़ा मौका हो सकता है।

मीना सिंह ने अपने पति के निधन के बाद 2008 के उपचुनाव में जद-यू के लिए बिक्रमगंज लोकसभा क्षेत्र जीता। वह 2009 में आरा लोकसभा क्षेत्र से भी चुनी गईं, लेकिन 2014 के चुनाव में वहां से हार गईं और 2019 में चुनाव नहीं लड़ा था।

–आईएएनएस

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पटना, 12 मार्च (आईएएनएस)। हाल ही में जद-यू छोड़ने वाली दो बार की सांसद मीना सिंह रविवार को केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय, बिहार इकाई के अध्यक्ष संजय जायसवाल और पार्टी नेता सम्राट चौधरी की मौजूदगी में भाजपा में शामिल हो गई।

रविवार को यहां बापू सभागार में एक कार्यक्रम में उनके बेटे विशाल सिंह और 10,000 से अधिक समर्थक भी भाजपा में शामिल हो गए।

मीना सिंह की भोजपुर और रोहतास जिलों में मजबूत पकड़ है और उन्हें यहां की प्रभावशाली नेता माना जाता है। उनके पति अजीत सिंह भी क्षेत्र के काफी कद्दावर नेता थे। वह मुख्यमंत्री और पार्टी प्रमुख नीतीश कुमार के फैसले से खुश नहीं थीं, जिन्होंने उपमुख्यमंत्री और राजद नेता तेजस्वी यादव को अपना राजनीतिक उत्तराधिकारी घोषित किया है।

मीना सिंह ने कहा, मैंने और मेरे पति ने जीवन भर जंगल राज के खिलाफ लड़ाई लड़ी। लालू-राबड़ी सरकार के दौरान बिहार के लोगों ने जंगल राज का अनुभव किया। उस समय बिहार में पूरी तरह से अराजकता थी। नीतीश कुमार के राजद के साथ जाने पर मुझे पूरा विश्वास है कि बिहार में जंगल राज लौटेगा। इसलिए, मैंने और मेरे बेटे ने जद-यू से इस्तीफा दे दिया।

उन्होंने कहा, मुझे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह की प्रगतिशील विचारधारा पर पूरा भरोसा है। इसलिए, मैं भाजपा में शामिल हुई हूं।

मीना सिंह का जेडी-यू से जाना नीतीश कुमार के लिए भोजपुर, रोहतास, बक्सर और कैमूर जिलों के भोजपुरी बेल्ट में एक बड़ा झटका हो सकता है। वह इन जिलों में सवर्णो के बीच एक प्रभावशाली नेता हैं। इससे पहले उपेंद्र कुशवाहा और आर.सी.पी. सिंह भी जदयू छोड़ चुके हैं।

बिहार में सात पार्टियों वाले सत्तारूढ़ गठबंधन में टिकटों का वितरण नीतीश कुमार के लिए एक बड़ी चुनौती होगी, जिन्हें महागठबंधन की प्रत्येक पार्टी को संतुष्ट करना पड़ेगा।

मीना सिंह और उनके बेटे के लिए भाजपा में टिकट पाने का एक बड़ा मौका हो सकता है।

मीना सिंह ने अपने पति के निधन के बाद 2008 के उपचुनाव में जद-यू के लिए बिक्रमगंज लोकसभा क्षेत्र जीता। वह 2009 में आरा लोकसभा क्षेत्र से भी चुनी गईं, लेकिन 2014 के चुनाव में वहां से हार गईं और 2019 में चुनाव नहीं लड़ा था।

–आईएएनएस

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रविवार को यहां बापू सभागार में एक कार्यक्रम में उनके बेटे विशाल सिंह और 10,000 से अधिक समर्थक भी भाजपा में शामिल हो गए।

मीना सिंह की भोजपुर और रोहतास जिलों में मजबूत पकड़ है और उन्हें यहां की प्रभावशाली नेता माना जाता है। उनके पति अजीत सिंह भी क्षेत्र के काफी कद्दावर नेता थे। वह मुख्यमंत्री और पार्टी प्रमुख नीतीश कुमार के फैसले से खुश नहीं थीं, जिन्होंने उपमुख्यमंत्री और राजद नेता तेजस्वी यादव को अपना राजनीतिक उत्तराधिकारी घोषित किया है।

मीना सिंह ने कहा, मैंने और मेरे पति ने जीवन भर जंगल राज के खिलाफ लड़ाई लड़ी। लालू-राबड़ी सरकार के दौरान बिहार के लोगों ने जंगल राज का अनुभव किया। उस समय बिहार में पूरी तरह से अराजकता थी। नीतीश कुमार के राजद के साथ जाने पर मुझे पूरा विश्वास है कि बिहार में जंगल राज लौटेगा। इसलिए, मैंने और मेरे बेटे ने जद-यू से इस्तीफा दे दिया।

उन्होंने कहा, मुझे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह की प्रगतिशील विचारधारा पर पूरा भरोसा है। इसलिए, मैं भाजपा में शामिल हुई हूं।

मीना सिंह का जेडी-यू से जाना नीतीश कुमार के लिए भोजपुर, रोहतास, बक्सर और कैमूर जिलों के भोजपुरी बेल्ट में एक बड़ा झटका हो सकता है। वह इन जिलों में सवर्णो के बीच एक प्रभावशाली नेता हैं। इससे पहले उपेंद्र कुशवाहा और आर.सी.पी. सिंह भी जदयू छोड़ चुके हैं।

बिहार में सात पार्टियों वाले सत्तारूढ़ गठबंधन में टिकटों का वितरण नीतीश कुमार के लिए एक बड़ी चुनौती होगी, जिन्हें महागठबंधन की प्रत्येक पार्टी को संतुष्ट करना पड़ेगा।

मीना सिंह और उनके बेटे के लिए भाजपा में टिकट पाने का एक बड़ा मौका हो सकता है।

मीना सिंह ने अपने पति के निधन के बाद 2008 के उपचुनाव में जद-यू के लिए बिक्रमगंज लोकसभा क्षेत्र जीता। वह 2009 में आरा लोकसभा क्षेत्र से भी चुनी गईं, लेकिन 2014 के चुनाव में वहां से हार गईं और 2019 में चुनाव नहीं लड़ा था।

–आईएएनएस

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रविवार को यहां बापू सभागार में एक कार्यक्रम में उनके बेटे विशाल सिंह और 10,000 से अधिक समर्थक भी भाजपा में शामिल हो गए।

मीना सिंह की भोजपुर और रोहतास जिलों में मजबूत पकड़ है और उन्हें यहां की प्रभावशाली नेता माना जाता है। उनके पति अजीत सिंह भी क्षेत्र के काफी कद्दावर नेता थे। वह मुख्यमंत्री और पार्टी प्रमुख नीतीश कुमार के फैसले से खुश नहीं थीं, जिन्होंने उपमुख्यमंत्री और राजद नेता तेजस्वी यादव को अपना राजनीतिक उत्तराधिकारी घोषित किया है।

मीना सिंह ने कहा, मैंने और मेरे पति ने जीवन भर जंगल राज के खिलाफ लड़ाई लड़ी। लालू-राबड़ी सरकार के दौरान बिहार के लोगों ने जंगल राज का अनुभव किया। उस समय बिहार में पूरी तरह से अराजकता थी। नीतीश कुमार के राजद के साथ जाने पर मुझे पूरा विश्वास है कि बिहार में जंगल राज लौटेगा। इसलिए, मैंने और मेरे बेटे ने जद-यू से इस्तीफा दे दिया।

उन्होंने कहा, मुझे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह की प्रगतिशील विचारधारा पर पूरा भरोसा है। इसलिए, मैं भाजपा में शामिल हुई हूं।

मीना सिंह का जेडी-यू से जाना नीतीश कुमार के लिए भोजपुर, रोहतास, बक्सर और कैमूर जिलों के भोजपुरी बेल्ट में एक बड़ा झटका हो सकता है। वह इन जिलों में सवर्णो के बीच एक प्रभावशाली नेता हैं। इससे पहले उपेंद्र कुशवाहा और आर.सी.पी. सिंह भी जदयू छोड़ चुके हैं।

बिहार में सात पार्टियों वाले सत्तारूढ़ गठबंधन में टिकटों का वितरण नीतीश कुमार के लिए एक बड़ी चुनौती होगी, जिन्हें महागठबंधन की प्रत्येक पार्टी को संतुष्ट करना पड़ेगा।

मीना सिंह और उनके बेटे के लिए भाजपा में टिकट पाने का एक बड़ा मौका हो सकता है।

मीना सिंह ने अपने पति के निधन के बाद 2008 के उपचुनाव में जद-यू के लिए बिक्रमगंज लोकसभा क्षेत्र जीता। वह 2009 में आरा लोकसभा क्षेत्र से भी चुनी गईं, लेकिन 2014 के चुनाव में वहां से हार गईं और 2019 में चुनाव नहीं लड़ा था।

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रविवार को यहां बापू सभागार में एक कार्यक्रम में उनके बेटे विशाल सिंह और 10,000 से अधिक समर्थक भी भाजपा में शामिल हो गए।

मीना सिंह की भोजपुर और रोहतास जिलों में मजबूत पकड़ है और उन्हें यहां की प्रभावशाली नेता माना जाता है। उनके पति अजीत सिंह भी क्षेत्र के काफी कद्दावर नेता थे। वह मुख्यमंत्री और पार्टी प्रमुख नीतीश कुमार के फैसले से खुश नहीं थीं, जिन्होंने उपमुख्यमंत्री और राजद नेता तेजस्वी यादव को अपना राजनीतिक उत्तराधिकारी घोषित किया है।

मीना सिंह ने कहा, मैंने और मेरे पति ने जीवन भर जंगल राज के खिलाफ लड़ाई लड़ी। लालू-राबड़ी सरकार के दौरान बिहार के लोगों ने जंगल राज का अनुभव किया। उस समय बिहार में पूरी तरह से अराजकता थी। नीतीश कुमार के राजद के साथ जाने पर मुझे पूरा विश्वास है कि बिहार में जंगल राज लौटेगा। इसलिए, मैंने और मेरे बेटे ने जद-यू से इस्तीफा दे दिया।

उन्होंने कहा, मुझे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह की प्रगतिशील विचारधारा पर पूरा भरोसा है। इसलिए, मैं भाजपा में शामिल हुई हूं।

मीना सिंह का जेडी-यू से जाना नीतीश कुमार के लिए भोजपुर, रोहतास, बक्सर और कैमूर जिलों के भोजपुरी बेल्ट में एक बड़ा झटका हो सकता है। वह इन जिलों में सवर्णो के बीच एक प्रभावशाली नेता हैं। इससे पहले उपेंद्र कुशवाहा और आर.सी.पी. सिंह भी जदयू छोड़ चुके हैं।

बिहार में सात पार्टियों वाले सत्तारूढ़ गठबंधन में टिकटों का वितरण नीतीश कुमार के लिए एक बड़ी चुनौती होगी, जिन्हें महागठबंधन की प्रत्येक पार्टी को संतुष्ट करना पड़ेगा।

मीना सिंह और उनके बेटे के लिए भाजपा में टिकट पाने का एक बड़ा मौका हो सकता है।

मीना सिंह ने अपने पति के निधन के बाद 2008 के उपचुनाव में जद-यू के लिए बिक्रमगंज लोकसभा क्षेत्र जीता। वह 2009 में आरा लोकसभा क्षेत्र से भी चुनी गईं, लेकिन 2014 के चुनाव में वहां से हार गईं और 2019 में चुनाव नहीं लड़ा था।

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