जबलपुर. डाटा रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश में सबसे अधिक पराली शुक्रवार को जबलपुर में जलाई गयी है. कलेक्टर ने एक दिन पूर्व गुरुवार को पराली जलाने वालों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के आदेश जारी किये थे. कलेक्टर के आदेश के बावजूद भी पराली जलाने के अपराध में पुलिस ने एक भी एफआईआर दर्ज नही हुई.
भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली की एक अंतःविषय अनुसंधान पहल, कंसोर्टियम फॉर रिसर्च ऑन एग्रो इकोसिस्टम मॉनिटरिंग एंड मॉडलिंग फ्रॉम स्पेस के डेटा से पता चलता है कि इस साल 15 सितंबर से 22 नवंबर के बीच मध्य प्रदेश में धान की पराली जलाने की कुल 13,309 घटनाएं दर्ज की गईं. साल 2021 की तुलना में इस साल पराली जलाने की घटनाओं में तीन गुना वृद्धि हुई है. मध्य प्रदेश पराली जलाने के मामलों में देश में सबसे ऊपर है.
डाटा रिपोर्ट के अनुसार शुक्रवार को जबलपुर में पराली जलाने की 137 घटनाएं दर्ज हुई है. शुक्रवार को मध्य प्रदेश में पराली जलाने की 396 घटनाएं हुई थी. आंकड़ों के अनुसार पूरे प्रदेश में पराली जलाने की घटनाओं में लगभग 36 प्रतिशत जबलपुर में हुई.
जिला कलेक्टर दीपक सक्सेना ने गुरुवार को पराली जलाने वालों के खिलाफ वायु (प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण) अधिनियम 1981 के तहत दंड और कार्रवाई के आदेष जारी किए थे. इसके बावजूद भी पराली जलाने वालों के खिलाफ एक भी एफआईआर दर्ज नहीं हुई है. इस संबंध में संबंधित अधिकारियों का कहना है कि डाटा के संबंध में उन्हें जानकारी प्राप्त हुई है. जिसकी जांच जारी है और विधि अनुसार कार्यवाही की जायेगी.