अहमदाबाद, 29 जुलाई (आईएएनएस)। गुजरात की एक अदालत में दुखद घटना सामने आई। जहां वकीलों, न्यायाधीशों और गवाहों से भरे अदालत कक्ष में ऋण धोखाधड़ी घोटाले के चार पीड़ितों ने अपनी जान लेने का प्रयास किया, जिससे अदालत की सुनवाई के दौरान दिल दहला देने वाला दृश्य दिखा।
घटना का कारण वित्तीय धोखाधड़ी बताया जा रहा है, जो गुजरात में महामारी की तरह फैल रहा है। इसने गुजरात को त्रस्त कर दिया है। नागरिकों को प्रतिदिन 1 करोड़ से 1.2 करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है। ऑनलाइन धोखाधड़ी योजनाओं और शातिर ऋण ऐप्स के क्रूर पंजों ने कई लोगों से जीवनभर की सेविंग्स छीन ली है।
दरअसल, अहमदाबाद के शैलेशभाई ईश्वरभाई पांचाल, जयश्रीबेन पांचाल, मनोजभाई वैष्णव और हार्दिकभाई अमरतभाई पटेल ने आरोपियों को अग्रिम जमानत मिलने पर न्याय की गुहार लगाते हुए फिनाइल पी लिया। जून में हुई इस चिंताजनक घटना के बाद गुजरात उच्च न्यायालय की कार्यवाही अचानक स्थगित कर दी गई थी।
पीड़ितों का कहना था कि आरोपियों ने उनके नाम पर 1.6 करोड़ रुपये ठगे, जिससे सभी परेशान थे। उनका दावा है कि अहमदाबाद में एक सहकारी बैंक से अवैध रूप से ऋण प्राप्त करने के लिए उनके जाली हस्ताक्षर का इस्तेमाल किया गया, जिससे वे वित्तीय बर्बादी की कगार पर पहुंच गए।
जयश्रीबेन पटेल एक घरेलू कामगार और उनके ऑटो-रिक्शा चालक पति शैलेशभाई को उनकी विरासत में मिली संपत्ति और निकोल में अपने घर को उस ऋण के लिए गिरवी रखने के लिए धोखा दिया गया था, जो उन्हें कभी नहीं मिला था।
कहानी तब शुरू हुई, जब उन्हें कैंसर के इलाज के लिए 20 लाख रुपये चाहिए थे। इसी बीच उन्हें ऋण सलाहकार चिंतन शाह से मिलवाया गया, जिन्होंने कथित तौर पर उनकी संपत्तियों को गिरवी रखने के लिए धोखा दिया। कथित तौर पर बैंक ने उनकी जानकारी या सहमति के बिना 1.6 करोड़ रुपये का ऋण स्वीकृत कर दिया। यह राशि कथित तौर पर जाली हस्ताक्षरों के माध्यम से उनके खातों से निकाली गई थी।
न्यायमूर्ति निर्जर देसाई की अदालत में धोखाधड़ी के शिकार पीड़ितों ने जहर खा लिया, जिससे अदालत कक्ष में अफरा-तफरी मच गई। पीड़ितों का प्रतिनिधित्व कर रहे वकील सचिन राजगोर ने पुष्टि की कि उनमें से दो (मनोजभाई वैष्णव और हार्दिक भाई पटेल) भी उसी वित्तीय धोखाधड़ी के शिकार थे।
एक बार फिर इस घटना ने वित्तीय धोखाधड़ी और मानवीय त्रासदी की खौफनाक सच्चाई को सामने ला दिया।
पुलिस के एक बयान के अनुसार, 2022 में गुजरात की साइबर क्राइम सेल ने एक ही महीने में वित्तीय धोखाधड़ी से संबंधित 12,500 शिकायतें दर्ज की। ‘प्रोजेक्ट साइबर आश्वस्त’ के तहत हेल्पलाइन नंबर 1930 के माध्यम से शिकायतें प्राप्त हुईं।
इनमें से लगभग 3,338 मामलों की पहचान 3.09 करोड़ रुपये की वित्तीय धोखाधड़ी के रूप में की गई। त्वरित कार्रवाई से बैंकों के 1.20 करोड़ रुपये जब्त किए गए और पीड़ितों को 51.12 लाख रुपये वापस किए गए।
–आईएएनएस
एबीएम/एसजीके
अहमदाबाद, 29 जुलाई (आईएएनएस)। गुजरात की एक अदालत में दुखद घटना सामने आई। जहां वकीलों, न्यायाधीशों और गवाहों से भरे अदालत कक्ष में ऋण धोखाधड़ी घोटाले के चार पीड़ितों ने अपनी जान लेने का प्रयास किया, जिससे अदालत की सुनवाई के दौरान दिल दहला देने वाला दृश्य दिखा।
घटना का कारण वित्तीय धोखाधड़ी बताया जा रहा है, जो गुजरात में महामारी की तरह फैल रहा है। इसने गुजरात को त्रस्त कर दिया है। नागरिकों को प्रतिदिन 1 करोड़ से 1.2 करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है। ऑनलाइन धोखाधड़ी योजनाओं और शातिर ऋण ऐप्स के क्रूर पंजों ने कई लोगों से जीवनभर की सेविंग्स छीन ली है।
दरअसल, अहमदाबाद के शैलेशभाई ईश्वरभाई पांचाल, जयश्रीबेन पांचाल, मनोजभाई वैष्णव और हार्दिकभाई अमरतभाई पटेल ने आरोपियों को अग्रिम जमानत मिलने पर न्याय की गुहार लगाते हुए फिनाइल पी लिया। जून में हुई इस चिंताजनक घटना के बाद गुजरात उच्च न्यायालय की कार्यवाही अचानक स्थगित कर दी गई थी।
पीड़ितों का कहना था कि आरोपियों ने उनके नाम पर 1.6 करोड़ रुपये ठगे, जिससे सभी परेशान थे। उनका दावा है कि अहमदाबाद में एक सहकारी बैंक से अवैध रूप से ऋण प्राप्त करने के लिए उनके जाली हस्ताक्षर का इस्तेमाल किया गया, जिससे वे वित्तीय बर्बादी की कगार पर पहुंच गए।
जयश्रीबेन पटेल एक घरेलू कामगार और उनके ऑटो-रिक्शा चालक पति शैलेशभाई को उनकी विरासत में मिली संपत्ति और निकोल में अपने घर को उस ऋण के लिए गिरवी रखने के लिए धोखा दिया गया था, जो उन्हें कभी नहीं मिला था।
कहानी तब शुरू हुई, जब उन्हें कैंसर के इलाज के लिए 20 लाख रुपये चाहिए थे। इसी बीच उन्हें ऋण सलाहकार चिंतन शाह से मिलवाया गया, जिन्होंने कथित तौर पर उनकी संपत्तियों को गिरवी रखने के लिए धोखा दिया। कथित तौर पर बैंक ने उनकी जानकारी या सहमति के बिना 1.6 करोड़ रुपये का ऋण स्वीकृत कर दिया। यह राशि कथित तौर पर जाली हस्ताक्षरों के माध्यम से उनके खातों से निकाली गई थी।
न्यायमूर्ति निर्जर देसाई की अदालत में धोखाधड़ी के शिकार पीड़ितों ने जहर खा लिया, जिससे अदालत कक्ष में अफरा-तफरी मच गई। पीड़ितों का प्रतिनिधित्व कर रहे वकील सचिन राजगोर ने पुष्टि की कि उनमें से दो (मनोजभाई वैष्णव और हार्दिक भाई पटेल) भी उसी वित्तीय धोखाधड़ी के शिकार थे।
एक बार फिर इस घटना ने वित्तीय धोखाधड़ी और मानवीय त्रासदी की खौफनाक सच्चाई को सामने ला दिया।
पुलिस के एक बयान के अनुसार, 2022 में गुजरात की साइबर क्राइम सेल ने एक ही महीने में वित्तीय धोखाधड़ी से संबंधित 12,500 शिकायतें दर्ज की। ‘प्रोजेक्ट साइबर आश्वस्त’ के तहत हेल्पलाइन नंबर 1930 के माध्यम से शिकायतें प्राप्त हुईं।
इनमें से लगभग 3,338 मामलों की पहचान 3.09 करोड़ रुपये की वित्तीय धोखाधड़ी के रूप में की गई। त्वरित कार्रवाई से बैंकों के 1.20 करोड़ रुपये जब्त किए गए और पीड़ितों को 51.12 लाख रुपये वापस किए गए।
–आईएएनएस
एबीएम/एसजीके