सांबा, 1 अक्टूबर (आईएएनएस)। जम्मू कश्मीर विधानसभा के लिए मंगलवार को तीसरे चरण का मतदान हुआ। इस चुनाव में पहली बार पश्चिमी पाकिस्तानी शरणार्थियों ने भारत में अपने मतदान के अधिकार का प्रयोग किया है। अनुच्छेद 370 के हटने के बाद इन परिवारों को यह अधिकार मिला है। इससे उनमें उत्साह और खुशी का माहौल है।
इस अवसर पर शरणार्थियों ने खुशी का इजहार करते हुए कहा कि वर्षों से वे इस पल का इंतजार कर रहे थे। लोकतांत्रिक प्रक्रिया में शामिल होने का मौका मिलने पर उनकी खुशी का कोई ठिकाना नहीं रहा। शरणार्थियों के लब्बा राम गांधी ने आईएएनएस से बात करते हुए कहा, “हमने हमेशा इस देश में रहकर अपने अधिकारों की लड़ाई लड़ी है, और आज पहली बार हमें वोट देने का मौका मिला है। यह हमारी बड़ी जीत है। अनुच्छेद 370 के हटने के बाद उन्हें यह मौका मिला है, जिससे वे राज्य और देश की लोकतांत्रिक प्रक्रिया में भाग ले सकेंगे। एक अन्य शरणार्थी मतदाता ने बताया, “हम केंद्र सरकार के इस कदम के लिए आभारी हैं। हमें पहली बार वोट देने का अधिकार मिला है। हम उम्मीद करते हैं कि इससे हमारे जीवन में सकारात्मक बदलाव आएगा।”
लब्बा राम गांधी आगे कहते हैं, “ मतदान प्रक्रिया में शामिल होने के लिए शरणार्थी परिवारों ने पूरी तैयारी की थी। उन्होंने मतदान के दिन को एक उत्सव के रूप में मनाया। जब वे मतदान केंद्र पहुंचे, तो एकजुट होकर अपनी पहचान के साथ वोट डाला। इस दौरान मिठाइयां बांटी गईं और जश्न मनाया गया। यह केवल एक वोट डालने का दिन नहीं था, बल्कि यह उनके लिए अपने अधिकारों की प्राप्ति का प्रतीक भी था। आज हर परिवार में खुशी का माहौल है। बच्चे अब अच्छी शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं और सरकारी नौकरियों की संभावनाएं भी बढ़ गई हैं। पहले जब बच्चे पढ़ाई के बारे में सोचते थे, तो उनके मन में यही सवाल होता था कि “यहां पढ़कर क्या करेंगे?” लेकिन अब उनकी सोच में बदलाव आया है और उनमें उम्मीदें जग गई हैं। पहले जम्मू कश्मीर के निवासियों को पैरामिलिट्री और डिफेंस की नौकरियों में भी वंचित रखा गया था। अब जब उन्होंने मतदान किया है, तो यह स्पष्ट हो गया है कि वे विकास की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। उनकी संख्या भी बढ़ रही है। इसमें 23 हजार से अधिक परिवारों ने पंजीकरण कराया है और लगभग डेढ़ लाख लोग मतदाता हैं। आज सभी शरणार्थियों ने इस अवसर का लाभ उठाया।”
–आईएएनएस
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