जयपुर, 19 जुलाई (आईएएनएस)। राजस्थान सरकार द्वारा संचालित बच्चों के सबसे बड़े जयपुर के जेके लोन अस्पताल के आईसीयू में आग लगने के बाद 47 बच्चे चमत्कारिक ढंग से बचा लिए गए।
सोमवार देर रात जब एसी डक्ट लाइन से निकलने वाले धुएं ने बच्चों को घेर लिया, तो उनके माता-पिता ने अस्पताल कर्मचारियों की मदद से उन्हें बाहर निकाला।
धुआं बाहर निकालने के लिए खिड़की के शीशे तोड़ने पड़े और आईसीयू में बिजली की आपूर्ति बंद करनी पड़ी।
कुछ बच्चे ऑक्सीजन पर थे, तो कुछ को ड्रिप लगी हुई थी।
चिकित्सा शिक्षा प्रमुख सचिव टी. रविकांत ने मंगलवार सुबह अस्पताल का निरीक्षण किया और जांच के आदेश दिए।
–आईएएनएस
सीबीटी
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जयपुर, 19 जुलाई (आईएएनएस)। राजस्थान सरकार द्वारा संचालित बच्चों के सबसे बड़े जयपुर के जेके लोन अस्पताल के आईसीयू में आग लगने के बाद 47 बच्चे चमत्कारिक ढंग से बचा लिए गए।
सोमवार देर रात जब एसी डक्ट लाइन से निकलने वाले धुएं ने बच्चों को घेर लिया, तो उनके माता-पिता ने अस्पताल कर्मचारियों की मदद से उन्हें बाहर निकाला।
धुआं बाहर निकालने के लिए खिड़की के शीशे तोड़ने पड़े और आईसीयू में बिजली की आपूर्ति बंद करनी पड़ी।
कुछ बच्चे ऑक्सीजन पर थे, तो कुछ को ड्रिप लगी हुई थी।
चिकित्सा शिक्षा प्रमुख सचिव टी. रविकांत ने मंगलवार सुबह अस्पताल का निरीक्षण किया और जांच के आदेश दिए।
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जयपुर, 19 जुलाई (आईएएनएस)। राजस्थान सरकार द्वारा संचालित बच्चों के सबसे बड़े जयपुर के जेके लोन अस्पताल के आईसीयू में आग लगने के बाद 47 बच्चे चमत्कारिक ढंग से बचा लिए गए।
सोमवार देर रात जब एसी डक्ट लाइन से निकलने वाले धुएं ने बच्चों को घेर लिया, तो उनके माता-पिता ने अस्पताल कर्मचारियों की मदद से उन्हें बाहर निकाला।
धुआं बाहर निकालने के लिए खिड़की के शीशे तोड़ने पड़े और आईसीयू में बिजली की आपूर्ति बंद करनी पड़ी।
कुछ बच्चे ऑक्सीजन पर थे, तो कुछ को ड्रिप लगी हुई थी।
चिकित्सा शिक्षा प्रमुख सचिव टी. रविकांत ने मंगलवार सुबह अस्पताल का निरीक्षण किया और जांच के आदेश दिए।
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सोमवार देर रात जब एसी डक्ट लाइन से निकलने वाले धुएं ने बच्चों को घेर लिया, तो उनके माता-पिता ने अस्पताल कर्मचारियों की मदद से उन्हें बाहर निकाला।
धुआं बाहर निकालने के लिए खिड़की के शीशे तोड़ने पड़े और आईसीयू में बिजली की आपूर्ति बंद करनी पड़ी।
कुछ बच्चे ऑक्सीजन पर थे, तो कुछ को ड्रिप लगी हुई थी।
चिकित्सा शिक्षा प्रमुख सचिव टी. रविकांत ने मंगलवार सुबह अस्पताल का निरीक्षण किया और जांच के आदेश दिए।
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जयपुर, 19 जुलाई (आईएएनएस)। राजस्थान सरकार द्वारा संचालित बच्चों के सबसे बड़े जयपुर के जेके लोन अस्पताल के आईसीयू में आग लगने के बाद 47 बच्चे चमत्कारिक ढंग से बचा लिए गए।
सोमवार देर रात जब एसी डक्ट लाइन से निकलने वाले धुएं ने बच्चों को घेर लिया, तो उनके माता-पिता ने अस्पताल कर्मचारियों की मदद से उन्हें बाहर निकाला।
धुआं बाहर निकालने के लिए खिड़की के शीशे तोड़ने पड़े और आईसीयू में बिजली की आपूर्ति बंद करनी पड़ी।
कुछ बच्चे ऑक्सीजन पर थे, तो कुछ को ड्रिप लगी हुई थी।
चिकित्सा शिक्षा प्रमुख सचिव टी. रविकांत ने मंगलवार सुबह अस्पताल का निरीक्षण किया और जांच के आदेश दिए।
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जयपुर, 19 जुलाई (आईएएनएस)। राजस्थान सरकार द्वारा संचालित बच्चों के सबसे बड़े जयपुर के जेके लोन अस्पताल के आईसीयू में आग लगने के बाद 47 बच्चे चमत्कारिक ढंग से बचा लिए गए।
सोमवार देर रात जब एसी डक्ट लाइन से निकलने वाले धुएं ने बच्चों को घेर लिया, तो उनके माता-पिता ने अस्पताल कर्मचारियों की मदद से उन्हें बाहर निकाला।
धुआं बाहर निकालने के लिए खिड़की के शीशे तोड़ने पड़े और आईसीयू में बिजली की आपूर्ति बंद करनी पड़ी।
कुछ बच्चे ऑक्सीजन पर थे, तो कुछ को ड्रिप लगी हुई थी।
चिकित्सा शिक्षा प्रमुख सचिव टी. रविकांत ने मंगलवार सुबह अस्पताल का निरीक्षण किया और जांच के आदेश दिए।
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सोमवार देर रात जब एसी डक्ट लाइन से निकलने वाले धुएं ने बच्चों को घेर लिया, तो उनके माता-पिता ने अस्पताल कर्मचारियों की मदद से उन्हें बाहर निकाला।
धुआं बाहर निकालने के लिए खिड़की के शीशे तोड़ने पड़े और आईसीयू में बिजली की आपूर्ति बंद करनी पड़ी।
कुछ बच्चे ऑक्सीजन पर थे, तो कुछ को ड्रिप लगी हुई थी।
चिकित्सा शिक्षा प्रमुख सचिव टी. रविकांत ने मंगलवार सुबह अस्पताल का निरीक्षण किया और जांच के आदेश दिए।
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सोमवार देर रात जब एसी डक्ट लाइन से निकलने वाले धुएं ने बच्चों को घेर लिया, तो उनके माता-पिता ने अस्पताल कर्मचारियों की मदद से उन्हें बाहर निकाला।
धुआं बाहर निकालने के लिए खिड़की के शीशे तोड़ने पड़े और आईसीयू में बिजली की आपूर्ति बंद करनी पड़ी।
कुछ बच्चे ऑक्सीजन पर थे, तो कुछ को ड्रिप लगी हुई थी।
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सोमवार देर रात जब एसी डक्ट लाइन से निकलने वाले धुएं ने बच्चों को घेर लिया, तो उनके माता-पिता ने अस्पताल कर्मचारियों की मदद से उन्हें बाहर निकाला।
धुआं बाहर निकालने के लिए खिड़की के शीशे तोड़ने पड़े और आईसीयू में बिजली की आपूर्ति बंद करनी पड़ी।
कुछ बच्चे ऑक्सीजन पर थे, तो कुछ को ड्रिप लगी हुई थी।
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सोमवार देर रात जब एसी डक्ट लाइन से निकलने वाले धुएं ने बच्चों को घेर लिया, तो उनके माता-पिता ने अस्पताल कर्मचारियों की मदद से उन्हें बाहर निकाला।
धुआं बाहर निकालने के लिए खिड़की के शीशे तोड़ने पड़े और आईसीयू में बिजली की आपूर्ति बंद करनी पड़ी।
कुछ बच्चे ऑक्सीजन पर थे, तो कुछ को ड्रिप लगी हुई थी।
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सोमवार देर रात जब एसी डक्ट लाइन से निकलने वाले धुएं ने बच्चों को घेर लिया, तो उनके माता-पिता ने अस्पताल कर्मचारियों की मदद से उन्हें बाहर निकाला।
धुआं बाहर निकालने के लिए खिड़की के शीशे तोड़ने पड़े और आईसीयू में बिजली की आपूर्ति बंद करनी पड़ी।
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सोमवार देर रात जब एसी डक्ट लाइन से निकलने वाले धुएं ने बच्चों को घेर लिया, तो उनके माता-पिता ने अस्पताल कर्मचारियों की मदद से उन्हें बाहर निकाला।
धुआं बाहर निकालने के लिए खिड़की के शीशे तोड़ने पड़े और आईसीयू में बिजली की आपूर्ति बंद करनी पड़ी।
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सोमवार देर रात जब एसी डक्ट लाइन से निकलने वाले धुएं ने बच्चों को घेर लिया, तो उनके माता-पिता ने अस्पताल कर्मचारियों की मदद से उन्हें बाहर निकाला।
धुआं बाहर निकालने के लिए खिड़की के शीशे तोड़ने पड़े और आईसीयू में बिजली की आपूर्ति बंद करनी पड़ी।
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सोमवार देर रात जब एसी डक्ट लाइन से निकलने वाले धुएं ने बच्चों को घेर लिया, तो उनके माता-पिता ने अस्पताल कर्मचारियों की मदद से उन्हें बाहर निकाला।
धुआं बाहर निकालने के लिए खिड़की के शीशे तोड़ने पड़े और आईसीयू में बिजली की आपूर्ति बंद करनी पड़ी।
कुछ बच्चे ऑक्सीजन पर थे, तो कुछ को ड्रिप लगी हुई थी।
चिकित्सा शिक्षा प्रमुख सचिव टी. रविकांत ने मंगलवार सुबह अस्पताल का निरीक्षण किया और जांच के आदेश दिए।