जयपुर, 11 मार्च (आईएएनएस)। मर्डर मिस्ट्री ने जयपुर नगर निगम हेरिटेज को अपने नियमों में बदलाव करने के लिए विवश किया है।
जयपुर में अब श्मशान घाट और कब्रिस्तान में अंतिम संस्कार करने के लिए पांच लोगों की आईडी देनी होगी। इसमें मृतक की आईडी भी शामिल होगी। ये पांच लोग वो होंगे जो अंतिम संस्कार में शामिल हुए।
जयपुर नगर निगम हेरिटेज ने इस संबंध में 8 मार्च को आदेश जारी किए थे। ये आदेश पिछले साल बीकानेर में चर्चित मोनालिसा हत्याकांड के बाद जारी किए गए हैं। बीकानेर के एडिशनल एसपी अमित कुमार ने इस संदर्भ में जयपुर कलेक्टर को पत्र लिखा है। नगर निगम जयपुर हेरिटेज अधिकारियों ने बताया कि जयपुर शहर के साथ-साथ श्मशान घाट में भी कई मृतकों का अंतिम संस्कार के बाद का रिकॉर्ड नहीं रखा जाता है। आखिरकार, आवश्यकता पड़ने पर सही जानकारी सामने नहीं आती है।
बीकानेर निवासी मोनालिसा की 5 फरवरी 2021 को उनके पति भवानी सिंह ने जयपुर के ओमैक्स सिटी स्थित फ्लैट में हत्या कर दी थी। हत्या के सबूत मिटाने के लिए प्राकृतिक मौत बताए जाने के बाद नगर निगम ने जयपुर के सोडाला पुरानी चुंगी स्थित मोक्ष धाम में मोनालिसा का अंतिम संस्कार किया था। मौत का कारण मोनालिसा के घरवालों ने कोरोना बताया।
परिजनों को शक हुआ तो उन्होंने बीकानेर में 2022 में हत्या का मामला दर्ज कराया। पुलिस ने मामले की जांच की तो चौंकाने वाले तथ्य सामने आए। उसकी हत्या उसके ही पति ने की थी। जांच के दौरान जब पुलिस सोडाला स्थित श्मशान घाट पहुंची और मोनालिसा की हत्या के संबंध में रिकॉर्ड मांगा तो कोई रिकॉर्ड नहीं था। इसके बाद बीकानेर एएसपी अमित कुमार ने 17 जनवरी को जयपुर कलेक्टर को पत्र लिखा था।
आदेश निम्नलिखित तथ्यों के साथ आया:
नगर निगम जयपुर हेरिटेज द्वारा संचालित सभी श्मशान घाटों में अंतिम संस्कार का पूरा रिकार्ड बनाया जाए। श्मशान में काम करने वाले, लकड़ी बेचने वाले, अंतिम संस्कार करने वाले, दाह संस्कार से जुड़ी अन्य सामग्री बेचने वालों का रिकॉर्ड नहीं रखा जाता है। उन्हें दाह संस्कार की सामग्री लेने वाले व्यक्ति का भी रिकॉर्ड रखना चाहिए।
श्मशान भूमि में सभी लोगों का अंतिम संस्कार किया जाता है। मृतक की पहचान सुनिश्चित करने के बाद ही दाह संस्कार किया जाना चाहिए। अंतिम संस्कार में शामिल कम से कम पांच लोगों के पहचान पत्र लेकर रिकार्ड लिया जाए। हर माह नगर निगम को दाह संस्कार से संबंधित अभिलेख प्रस्तुत किया जाए।
फिलहाल जयपुर शहर के श्मशान घाट और कब्रिस्तान में लाए गए मृतक की आईडी के अलावा उसके एक रिश्तेदार की आईडी ली जाती थी। ताकि मृत्यु प्रमाण पत्र के लिए आवेदन पत्र में उसका विवरण भरकर नगर निगम को भेजा जा सके।
–आईएएनएस
केसी/एएनएम