जयपुर, 5 अक्टूबर (आईएएनएस)। स्वच्छ भारत मिशन के 10 साल पूरे हो गए हैं। ऐसे में देशभर से स्वच्छता से जुड़ी कई कहानियां सामने आ रही हैं, जो न केवल समाज को प्रेरित कर रही हैं, बल्कि उनकी मुहिम ने एक क्रांति का रूप ले लिया है।
ऐसा ही कुछ राजस्थान के जयपुर में स्थित शास्त्री नगर (बाबारामदेव नगर) में देखने को मिला। यहां महिलाओं ने एक समूह बनाया, जिसने इलाके का नक्शा ही बदलकर रख दिया है। बीते कई वर्षों से इस इलाके के सैकड़ों परिवार सीवर कनेक्शन की कमी और सामुदायिक शौचालयों की खराब हालत और पार्क की बदतर स्थिति का सामना कर रहे थे। लेकिन, महिलाओं के समूह ने इन समस्याओं को हल करने का बीड़ा उठाया और सामुदायिक प्रबंधन समिति (सीएमसी) और सिंगल विंडो फोरम (एसडब्ल्यूएफ) का गठन किया।
मछुआरों, कचरा उठाने और घरों को संभालने वाली महिलाओं ने स्वच्छता संचालन और स्वच्छ भारत मिशन (एसबीएम) के दिशा-निर्देशों पर औपचारिक प्रशिक्षण प्राप्त किया। इसके बाद उन्होंने पूरे समुदाय को जागरूक किया और एक स्थायी स्वच्छता मॉडल तैयार किया। इसके साथ ही महिलाओं ने सामुदायिक शौचालयों के रखरखाव की जिम्मेदारी भी ली। धीरे-धीरे उनकी मुहिम रंग लाई और इलाके का कायाकल्प हो पाया।
केसरी बुनकर ने बताया कि वह पिछले 10 सालों से इस मुहिम का हिस्सा हैं और वह पार्क की साफ-सफाई का काम करती हैं। वह सुबह 9 बजे और शाम पांच बजे के बीच ही यहां काम करती हैं। पहले यहां गंदगी का अंबार लगा रहता था। मगर अब इस पार्क की स्थिति बेहतर हुई है।
वहीं, मनबरी देवी स्वच्छ भारत अभियान की तारीफ करती हैं। वह बताती हैं कि पिछले 10 सालों में स्वच्छता के क्षेत्र में बहुत बदलाव आया है। पिछले कई समय से वह पार्क की साफ-सफाई का ख्याल रख रही हैं।
सावित्री योगी ने बताया कि वह पिछले 16 साल से पार्कों की सफाई का काम कर रही हैं। यहां वह पेड़ों की कटाई करती हैं और बाद में इसे खाद्य बनाने के लिए भेजा जाता है। स्वच्छता ही सेवा अभियान के तहत वह लोगों को जागरूक करने का भी काम करते हैं।
प्रकाश निर्वाण बताते हैं कि सफाई के क्षेत्र में शास्त्रीय नगर के लोगों का भी सहयोग मिलता है, इसी वजह से क्षेत्र का कायाकल्प हुआ है। हर एक पार्क में दो महिलाओं को तैनात किया गया है, जिनका काम होता है वहां की देखरेख करना और स्वच्छता को बरकरार रखना।
शास्त्री नगर (बाबारामदेव नगर) की महिलाओं के इस प्रयास ने राष्ट्रीय स्तर पर एक मिसाल कायम की है, जो स्वच्छता की दिशा में महिलाओं की महत्वपूर्ण भूमिका और उनके समर्पण को दर्शाता है।
–आईएएनएस
एफएम/सीबीटी
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जयपुर, 5 अक्टूबर (आईएएनएस)। स्वच्छ भारत मिशन के 10 साल पूरे हो गए हैं। ऐसे में देशभर से स्वच्छता से जुड़ी कई कहानियां सामने आ रही हैं, जो न केवल समाज को प्रेरित कर रही हैं, बल्कि उनकी मुहिम ने एक क्रांति का रूप ले लिया है।
ऐसा ही कुछ राजस्थान के जयपुर में स्थित शास्त्री नगर (बाबारामदेव नगर) में देखने को मिला। यहां महिलाओं ने एक समूह बनाया, जिसने इलाके का नक्शा ही बदलकर रख दिया है। बीते कई वर्षों से इस इलाके के सैकड़ों परिवार सीवर कनेक्शन की कमी और सामुदायिक शौचालयों की खराब हालत और पार्क की बदतर स्थिति का सामना कर रहे थे। लेकिन, महिलाओं के समूह ने इन समस्याओं को हल करने का बीड़ा उठाया और सामुदायिक प्रबंधन समिति (सीएमसी) और सिंगल विंडो फोरम (एसडब्ल्यूएफ) का गठन किया।
मछुआरों, कचरा उठाने और घरों को संभालने वाली महिलाओं ने स्वच्छता संचालन और स्वच्छ भारत मिशन (एसबीएम) के दिशा-निर्देशों पर औपचारिक प्रशिक्षण प्राप्त किया। इसके बाद उन्होंने पूरे समुदाय को जागरूक किया और एक स्थायी स्वच्छता मॉडल तैयार किया। इसके साथ ही महिलाओं ने सामुदायिक शौचालयों के रखरखाव की जिम्मेदारी भी ली। धीरे-धीरे उनकी मुहिम रंग लाई और इलाके का कायाकल्प हो पाया।
केसरी बुनकर ने बताया कि वह पिछले 10 सालों से इस मुहिम का हिस्सा हैं और वह पार्क की साफ-सफाई का काम करती हैं। वह सुबह 9 बजे और शाम पांच बजे के बीच ही यहां काम करती हैं। पहले यहां गंदगी का अंबार लगा रहता था। मगर अब इस पार्क की स्थिति बेहतर हुई है।
वहीं, मनबरी देवी स्वच्छ भारत अभियान की तारीफ करती हैं। वह बताती हैं कि पिछले 10 सालों में स्वच्छता के क्षेत्र में बहुत बदलाव आया है। पिछले कई समय से वह पार्क की साफ-सफाई का ख्याल रख रही हैं।
सावित्री योगी ने बताया कि वह पिछले 16 साल से पार्कों की सफाई का काम कर रही हैं। यहां वह पेड़ों की कटाई करती हैं और बाद में इसे खाद्य बनाने के लिए भेजा जाता है। स्वच्छता ही सेवा अभियान के तहत वह लोगों को जागरूक करने का भी काम करते हैं।
प्रकाश निर्वाण बताते हैं कि सफाई के क्षेत्र में शास्त्रीय नगर के लोगों का भी सहयोग मिलता है, इसी वजह से क्षेत्र का कायाकल्प हुआ है। हर एक पार्क में दो महिलाओं को तैनात किया गया है, जिनका काम होता है वहां की देखरेख करना और स्वच्छता को बरकरार रखना।
शास्त्री नगर (बाबारामदेव नगर) की महिलाओं के इस प्रयास ने राष्ट्रीय स्तर पर एक मिसाल कायम की है, जो स्वच्छता की दिशा में महिलाओं की महत्वपूर्ण भूमिका और उनके समर्पण को दर्शाता है।
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ऐसा ही कुछ राजस्थान के जयपुर में स्थित शास्त्री नगर (बाबारामदेव नगर) में देखने को मिला। यहां महिलाओं ने एक समूह बनाया, जिसने इलाके का नक्शा ही बदलकर रख दिया है। बीते कई वर्षों से इस इलाके के सैकड़ों परिवार सीवर कनेक्शन की कमी और सामुदायिक शौचालयों की खराब हालत और पार्क की बदतर स्थिति का सामना कर रहे थे। लेकिन, महिलाओं के समूह ने इन समस्याओं को हल करने का बीड़ा उठाया और सामुदायिक प्रबंधन समिति (सीएमसी) और सिंगल विंडो फोरम (एसडब्ल्यूएफ) का गठन किया।
मछुआरों, कचरा उठाने और घरों को संभालने वाली महिलाओं ने स्वच्छता संचालन और स्वच्छ भारत मिशन (एसबीएम) के दिशा-निर्देशों पर औपचारिक प्रशिक्षण प्राप्त किया। इसके बाद उन्होंने पूरे समुदाय को जागरूक किया और एक स्थायी स्वच्छता मॉडल तैयार किया। इसके साथ ही महिलाओं ने सामुदायिक शौचालयों के रखरखाव की जिम्मेदारी भी ली। धीरे-धीरे उनकी मुहिम रंग लाई और इलाके का कायाकल्प हो पाया।
केसरी बुनकर ने बताया कि वह पिछले 10 सालों से इस मुहिम का हिस्सा हैं और वह पार्क की साफ-सफाई का काम करती हैं। वह सुबह 9 बजे और शाम पांच बजे के बीच ही यहां काम करती हैं। पहले यहां गंदगी का अंबार लगा रहता था। मगर अब इस पार्क की स्थिति बेहतर हुई है।
वहीं, मनबरी देवी स्वच्छ भारत अभियान की तारीफ करती हैं। वह बताती हैं कि पिछले 10 सालों में स्वच्छता के क्षेत्र में बहुत बदलाव आया है। पिछले कई समय से वह पार्क की साफ-सफाई का ख्याल रख रही हैं।
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प्रकाश निर्वाण बताते हैं कि सफाई के क्षेत्र में शास्त्रीय नगर के लोगों का भी सहयोग मिलता है, इसी वजह से क्षेत्र का कायाकल्प हुआ है। हर एक पार्क में दो महिलाओं को तैनात किया गया है, जिनका काम होता है वहां की देखरेख करना और स्वच्छता को बरकरार रखना।
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मछुआरों, कचरा उठाने और घरों को संभालने वाली महिलाओं ने स्वच्छता संचालन और स्वच्छ भारत मिशन (एसबीएम) के दिशा-निर्देशों पर औपचारिक प्रशिक्षण प्राप्त किया। इसके बाद उन्होंने पूरे समुदाय को जागरूक किया और एक स्थायी स्वच्छता मॉडल तैयार किया। इसके साथ ही महिलाओं ने सामुदायिक शौचालयों के रखरखाव की जिम्मेदारी भी ली। धीरे-धीरे उनकी मुहिम रंग लाई और इलाके का कायाकल्प हो पाया।
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वहीं, मनबरी देवी स्वच्छ भारत अभियान की तारीफ करती हैं। वह बताती हैं कि पिछले 10 सालों में स्वच्छता के क्षेत्र में बहुत बदलाव आया है। पिछले कई समय से वह पार्क की साफ-सफाई का ख्याल रख रही हैं।
सावित्री योगी ने बताया कि वह पिछले 16 साल से पार्कों की सफाई का काम कर रही हैं। यहां वह पेड़ों की कटाई करती हैं और बाद में इसे खाद्य बनाने के लिए भेजा जाता है। स्वच्छता ही सेवा अभियान के तहत वह लोगों को जागरूक करने का भी काम करते हैं।
प्रकाश निर्वाण बताते हैं कि सफाई के क्षेत्र में शास्त्रीय नगर के लोगों का भी सहयोग मिलता है, इसी वजह से क्षेत्र का कायाकल्प हुआ है। हर एक पार्क में दो महिलाओं को तैनात किया गया है, जिनका काम होता है वहां की देखरेख करना और स्वच्छता को बरकरार रखना।
शास्त्री नगर (बाबारामदेव नगर) की महिलाओं के इस प्रयास ने राष्ट्रीय स्तर पर एक मिसाल कायम की है, जो स्वच्छता की दिशा में महिलाओं की महत्वपूर्ण भूमिका और उनके समर्पण को दर्शाता है।
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ऐसा ही कुछ राजस्थान के जयपुर में स्थित शास्त्री नगर (बाबारामदेव नगर) में देखने को मिला। यहां महिलाओं ने एक समूह बनाया, जिसने इलाके का नक्शा ही बदलकर रख दिया है। बीते कई वर्षों से इस इलाके के सैकड़ों परिवार सीवर कनेक्शन की कमी और सामुदायिक शौचालयों की खराब हालत और पार्क की बदतर स्थिति का सामना कर रहे थे। लेकिन, महिलाओं के समूह ने इन समस्याओं को हल करने का बीड़ा उठाया और सामुदायिक प्रबंधन समिति (सीएमसी) और सिंगल विंडो फोरम (एसडब्ल्यूएफ) का गठन किया।
मछुआरों, कचरा उठाने और घरों को संभालने वाली महिलाओं ने स्वच्छता संचालन और स्वच्छ भारत मिशन (एसबीएम) के दिशा-निर्देशों पर औपचारिक प्रशिक्षण प्राप्त किया। इसके बाद उन्होंने पूरे समुदाय को जागरूक किया और एक स्थायी स्वच्छता मॉडल तैयार किया। इसके साथ ही महिलाओं ने सामुदायिक शौचालयों के रखरखाव की जिम्मेदारी भी ली। धीरे-धीरे उनकी मुहिम रंग लाई और इलाके का कायाकल्प हो पाया।
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वहीं, मनबरी देवी स्वच्छ भारत अभियान की तारीफ करती हैं। वह बताती हैं कि पिछले 10 सालों में स्वच्छता के क्षेत्र में बहुत बदलाव आया है। पिछले कई समय से वह पार्क की साफ-सफाई का ख्याल रख रही हैं।
सावित्री योगी ने बताया कि वह पिछले 16 साल से पार्कों की सफाई का काम कर रही हैं। यहां वह पेड़ों की कटाई करती हैं और बाद में इसे खाद्य बनाने के लिए भेजा जाता है। स्वच्छता ही सेवा अभियान के तहत वह लोगों को जागरूक करने का भी काम करते हैं।
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शास्त्री नगर (बाबारामदेव नगर) की महिलाओं के इस प्रयास ने राष्ट्रीय स्तर पर एक मिसाल कायम की है, जो स्वच्छता की दिशा में महिलाओं की महत्वपूर्ण भूमिका और उनके समर्पण को दर्शाता है।
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मछुआरों, कचरा उठाने और घरों को संभालने वाली महिलाओं ने स्वच्छता संचालन और स्वच्छ भारत मिशन (एसबीएम) के दिशा-निर्देशों पर औपचारिक प्रशिक्षण प्राप्त किया। इसके बाद उन्होंने पूरे समुदाय को जागरूक किया और एक स्थायी स्वच्छता मॉडल तैयार किया। इसके साथ ही महिलाओं ने सामुदायिक शौचालयों के रखरखाव की जिम्मेदारी भी ली। धीरे-धीरे उनकी मुहिम रंग लाई और इलाके का कायाकल्प हो पाया।
केसरी बुनकर ने बताया कि वह पिछले 10 सालों से इस मुहिम का हिस्सा हैं और वह पार्क की साफ-सफाई का काम करती हैं। वह सुबह 9 बजे और शाम पांच बजे के बीच ही यहां काम करती हैं। पहले यहां गंदगी का अंबार लगा रहता था। मगर अब इस पार्क की स्थिति बेहतर हुई है।
वहीं, मनबरी देवी स्वच्छ भारत अभियान की तारीफ करती हैं। वह बताती हैं कि पिछले 10 सालों में स्वच्छता के क्षेत्र में बहुत बदलाव आया है। पिछले कई समय से वह पार्क की साफ-सफाई का ख्याल रख रही हैं।
सावित्री योगी ने बताया कि वह पिछले 16 साल से पार्कों की सफाई का काम कर रही हैं। यहां वह पेड़ों की कटाई करती हैं और बाद में इसे खाद्य बनाने के लिए भेजा जाता है। स्वच्छता ही सेवा अभियान के तहत वह लोगों को जागरूक करने का भी काम करते हैं।
प्रकाश निर्वाण बताते हैं कि सफाई के क्षेत्र में शास्त्रीय नगर के लोगों का भी सहयोग मिलता है, इसी वजह से क्षेत्र का कायाकल्प हुआ है। हर एक पार्क में दो महिलाओं को तैनात किया गया है, जिनका काम होता है वहां की देखरेख करना और स्वच्छता को बरकरार रखना।
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जयपुर, 5 अक्टूबर (आईएएनएस)। स्वच्छ भारत मिशन के 10 साल पूरे हो गए हैं। ऐसे में देशभर से स्वच्छता से जुड़ी कई कहानियां सामने आ रही हैं, जो न केवल समाज को प्रेरित कर रही हैं, बल्कि उनकी मुहिम ने एक क्रांति का रूप ले लिया है।
ऐसा ही कुछ राजस्थान के जयपुर में स्थित शास्त्री नगर (बाबारामदेव नगर) में देखने को मिला। यहां महिलाओं ने एक समूह बनाया, जिसने इलाके का नक्शा ही बदलकर रख दिया है। बीते कई वर्षों से इस इलाके के सैकड़ों परिवार सीवर कनेक्शन की कमी और सामुदायिक शौचालयों की खराब हालत और पार्क की बदतर स्थिति का सामना कर रहे थे। लेकिन, महिलाओं के समूह ने इन समस्याओं को हल करने का बीड़ा उठाया और सामुदायिक प्रबंधन समिति (सीएमसी) और सिंगल विंडो फोरम (एसडब्ल्यूएफ) का गठन किया।
मछुआरों, कचरा उठाने और घरों को संभालने वाली महिलाओं ने स्वच्छता संचालन और स्वच्छ भारत मिशन (एसबीएम) के दिशा-निर्देशों पर औपचारिक प्रशिक्षण प्राप्त किया। इसके बाद उन्होंने पूरे समुदाय को जागरूक किया और एक स्थायी स्वच्छता मॉडल तैयार किया। इसके साथ ही महिलाओं ने सामुदायिक शौचालयों के रखरखाव की जिम्मेदारी भी ली। धीरे-धीरे उनकी मुहिम रंग लाई और इलाके का कायाकल्प हो पाया।
केसरी बुनकर ने बताया कि वह पिछले 10 सालों से इस मुहिम का हिस्सा हैं और वह पार्क की साफ-सफाई का काम करती हैं। वह सुबह 9 बजे और शाम पांच बजे के बीच ही यहां काम करती हैं। पहले यहां गंदगी का अंबार लगा रहता था। मगर अब इस पार्क की स्थिति बेहतर हुई है।
वहीं, मनबरी देवी स्वच्छ भारत अभियान की तारीफ करती हैं। वह बताती हैं कि पिछले 10 सालों में स्वच्छता के क्षेत्र में बहुत बदलाव आया है। पिछले कई समय से वह पार्क की साफ-सफाई का ख्याल रख रही हैं।
सावित्री योगी ने बताया कि वह पिछले 16 साल से पार्कों की सफाई का काम कर रही हैं। यहां वह पेड़ों की कटाई करती हैं और बाद में इसे खाद्य बनाने के लिए भेजा जाता है। स्वच्छता ही सेवा अभियान के तहत वह लोगों को जागरूक करने का भी काम करते हैं।
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शास्त्री नगर (बाबारामदेव नगर) की महिलाओं के इस प्रयास ने राष्ट्रीय स्तर पर एक मिसाल कायम की है, जो स्वच्छता की दिशा में महिलाओं की महत्वपूर्ण भूमिका और उनके समर्पण को दर्शाता है।
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ऐसा ही कुछ राजस्थान के जयपुर में स्थित शास्त्री नगर (बाबारामदेव नगर) में देखने को मिला। यहां महिलाओं ने एक समूह बनाया, जिसने इलाके का नक्शा ही बदलकर रख दिया है। बीते कई वर्षों से इस इलाके के सैकड़ों परिवार सीवर कनेक्शन की कमी और सामुदायिक शौचालयों की खराब हालत और पार्क की बदतर स्थिति का सामना कर रहे थे। लेकिन, महिलाओं के समूह ने इन समस्याओं को हल करने का बीड़ा उठाया और सामुदायिक प्रबंधन समिति (सीएमसी) और सिंगल विंडो फोरम (एसडब्ल्यूएफ) का गठन किया।
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केसरी बुनकर ने बताया कि वह पिछले 10 सालों से इस मुहिम का हिस्सा हैं और वह पार्क की साफ-सफाई का काम करती हैं। वह सुबह 9 बजे और शाम पांच बजे के बीच ही यहां काम करती हैं। पहले यहां गंदगी का अंबार लगा रहता था। मगर अब इस पार्क की स्थिति बेहतर हुई है।
वहीं, मनबरी देवी स्वच्छ भारत अभियान की तारीफ करती हैं। वह बताती हैं कि पिछले 10 सालों में स्वच्छता के क्षेत्र में बहुत बदलाव आया है। पिछले कई समय से वह पार्क की साफ-सफाई का ख्याल रख रही हैं।
सावित्री योगी ने बताया कि वह पिछले 16 साल से पार्कों की सफाई का काम कर रही हैं। यहां वह पेड़ों की कटाई करती हैं और बाद में इसे खाद्य बनाने के लिए भेजा जाता है। स्वच्छता ही सेवा अभियान के तहत वह लोगों को जागरूक करने का भी काम करते हैं।
प्रकाश निर्वाण बताते हैं कि सफाई के क्षेत्र में शास्त्रीय नगर के लोगों का भी सहयोग मिलता है, इसी वजह से क्षेत्र का कायाकल्प हुआ है। हर एक पार्क में दो महिलाओं को तैनात किया गया है, जिनका काम होता है वहां की देखरेख करना और स्वच्छता को बरकरार रखना।
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ऐसा ही कुछ राजस्थान के जयपुर में स्थित शास्त्री नगर (बाबारामदेव नगर) में देखने को मिला। यहां महिलाओं ने एक समूह बनाया, जिसने इलाके का नक्शा ही बदलकर रख दिया है। बीते कई वर्षों से इस इलाके के सैकड़ों परिवार सीवर कनेक्शन की कमी और सामुदायिक शौचालयों की खराब हालत और पार्क की बदतर स्थिति का सामना कर रहे थे। लेकिन, महिलाओं के समूह ने इन समस्याओं को हल करने का बीड़ा उठाया और सामुदायिक प्रबंधन समिति (सीएमसी) और सिंगल विंडो फोरम (एसडब्ल्यूएफ) का गठन किया।
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केसरी बुनकर ने बताया कि वह पिछले 10 सालों से इस मुहिम का हिस्सा हैं और वह पार्क की साफ-सफाई का काम करती हैं। वह सुबह 9 बजे और शाम पांच बजे के बीच ही यहां काम करती हैं। पहले यहां गंदगी का अंबार लगा रहता था। मगर अब इस पार्क की स्थिति बेहतर हुई है।
वहीं, मनबरी देवी स्वच्छ भारत अभियान की तारीफ करती हैं। वह बताती हैं कि पिछले 10 सालों में स्वच्छता के क्षेत्र में बहुत बदलाव आया है। पिछले कई समय से वह पार्क की साफ-सफाई का ख्याल रख रही हैं।
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मछुआरों, कचरा उठाने और घरों को संभालने वाली महिलाओं ने स्वच्छता संचालन और स्वच्छ भारत मिशन (एसबीएम) के दिशा-निर्देशों पर औपचारिक प्रशिक्षण प्राप्त किया। इसके बाद उन्होंने पूरे समुदाय को जागरूक किया और एक स्थायी स्वच्छता मॉडल तैयार किया। इसके साथ ही महिलाओं ने सामुदायिक शौचालयों के रखरखाव की जिम्मेदारी भी ली। धीरे-धीरे उनकी मुहिम रंग लाई और इलाके का कायाकल्प हो पाया।
केसरी बुनकर ने बताया कि वह पिछले 10 सालों से इस मुहिम का हिस्सा हैं और वह पार्क की साफ-सफाई का काम करती हैं। वह सुबह 9 बजे और शाम पांच बजे के बीच ही यहां काम करती हैं। पहले यहां गंदगी का अंबार लगा रहता था। मगर अब इस पार्क की स्थिति बेहतर हुई है।
वहीं, मनबरी देवी स्वच्छ भारत अभियान की तारीफ करती हैं। वह बताती हैं कि पिछले 10 सालों में स्वच्छता के क्षेत्र में बहुत बदलाव आया है। पिछले कई समय से वह पार्क की साफ-सफाई का ख्याल रख रही हैं।
सावित्री योगी ने बताया कि वह पिछले 16 साल से पार्कों की सफाई का काम कर रही हैं। यहां वह पेड़ों की कटाई करती हैं और बाद में इसे खाद्य बनाने के लिए भेजा जाता है। स्वच्छता ही सेवा अभियान के तहत वह लोगों को जागरूक करने का भी काम करते हैं।
प्रकाश निर्वाण बताते हैं कि सफाई के क्षेत्र में शास्त्रीय नगर के लोगों का भी सहयोग मिलता है, इसी वजह से क्षेत्र का कायाकल्प हुआ है। हर एक पार्क में दो महिलाओं को तैनात किया गया है, जिनका काम होता है वहां की देखरेख करना और स्वच्छता को बरकरार रखना।
शास्त्री नगर (बाबारामदेव नगर) की महिलाओं के इस प्रयास ने राष्ट्रीय स्तर पर एक मिसाल कायम की है, जो स्वच्छता की दिशा में महिलाओं की महत्वपूर्ण भूमिका और उनके समर्पण को दर्शाता है।
–आईएएनएस
एफएम/सीबीटी
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जयपुर, 5 अक्टूबर (आईएएनएस)। स्वच्छ भारत मिशन के 10 साल पूरे हो गए हैं। ऐसे में देशभर से स्वच्छता से जुड़ी कई कहानियां सामने आ रही हैं, जो न केवल समाज को प्रेरित कर रही हैं, बल्कि उनकी मुहिम ने एक क्रांति का रूप ले लिया है।
ऐसा ही कुछ राजस्थान के जयपुर में स्थित शास्त्री नगर (बाबारामदेव नगर) में देखने को मिला। यहां महिलाओं ने एक समूह बनाया, जिसने इलाके का नक्शा ही बदलकर रख दिया है। बीते कई वर्षों से इस इलाके के सैकड़ों परिवार सीवर कनेक्शन की कमी और सामुदायिक शौचालयों की खराब हालत और पार्क की बदतर स्थिति का सामना कर रहे थे। लेकिन, महिलाओं के समूह ने इन समस्याओं को हल करने का बीड़ा उठाया और सामुदायिक प्रबंधन समिति (सीएमसी) और सिंगल विंडो फोरम (एसडब्ल्यूएफ) का गठन किया।
मछुआरों, कचरा उठाने और घरों को संभालने वाली महिलाओं ने स्वच्छता संचालन और स्वच्छ भारत मिशन (एसबीएम) के दिशा-निर्देशों पर औपचारिक प्रशिक्षण प्राप्त किया। इसके बाद उन्होंने पूरे समुदाय को जागरूक किया और एक स्थायी स्वच्छता मॉडल तैयार किया। इसके साथ ही महिलाओं ने सामुदायिक शौचालयों के रखरखाव की जिम्मेदारी भी ली। धीरे-धीरे उनकी मुहिम रंग लाई और इलाके का कायाकल्प हो पाया।
केसरी बुनकर ने बताया कि वह पिछले 10 सालों से इस मुहिम का हिस्सा हैं और वह पार्क की साफ-सफाई का काम करती हैं। वह सुबह 9 बजे और शाम पांच बजे के बीच ही यहां काम करती हैं। पहले यहां गंदगी का अंबार लगा रहता था। मगर अब इस पार्क की स्थिति बेहतर हुई है।
वहीं, मनबरी देवी स्वच्छ भारत अभियान की तारीफ करती हैं। वह बताती हैं कि पिछले 10 सालों में स्वच्छता के क्षेत्र में बहुत बदलाव आया है। पिछले कई समय से वह पार्क की साफ-सफाई का ख्याल रख रही हैं।
सावित्री योगी ने बताया कि वह पिछले 16 साल से पार्कों की सफाई का काम कर रही हैं। यहां वह पेड़ों की कटाई करती हैं और बाद में इसे खाद्य बनाने के लिए भेजा जाता है। स्वच्छता ही सेवा अभियान के तहत वह लोगों को जागरूक करने का भी काम करते हैं।
प्रकाश निर्वाण बताते हैं कि सफाई के क्षेत्र में शास्त्रीय नगर के लोगों का भी सहयोग मिलता है, इसी वजह से क्षेत्र का कायाकल्प हुआ है। हर एक पार्क में दो महिलाओं को तैनात किया गया है, जिनका काम होता है वहां की देखरेख करना और स्वच्छता को बरकरार रखना।
शास्त्री नगर (बाबारामदेव नगर) की महिलाओं के इस प्रयास ने राष्ट्रीय स्तर पर एक मिसाल कायम की है, जो स्वच्छता की दिशा में महिलाओं की महत्वपूर्ण भूमिका और उनके समर्पण को दर्शाता है।
–आईएएनएस
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जयपुर, 5 अक्टूबर (आईएएनएस)। स्वच्छ भारत मिशन के 10 साल पूरे हो गए हैं। ऐसे में देशभर से स्वच्छता से जुड़ी कई कहानियां सामने आ रही हैं, जो न केवल समाज को प्रेरित कर रही हैं, बल्कि उनकी मुहिम ने एक क्रांति का रूप ले लिया है।
ऐसा ही कुछ राजस्थान के जयपुर में स्थित शास्त्री नगर (बाबारामदेव नगर) में देखने को मिला। यहां महिलाओं ने एक समूह बनाया, जिसने इलाके का नक्शा ही बदलकर रख दिया है। बीते कई वर्षों से इस इलाके के सैकड़ों परिवार सीवर कनेक्शन की कमी और सामुदायिक शौचालयों की खराब हालत और पार्क की बदतर स्थिति का सामना कर रहे थे। लेकिन, महिलाओं के समूह ने इन समस्याओं को हल करने का बीड़ा उठाया और सामुदायिक प्रबंधन समिति (सीएमसी) और सिंगल विंडो फोरम (एसडब्ल्यूएफ) का गठन किया।
मछुआरों, कचरा उठाने और घरों को संभालने वाली महिलाओं ने स्वच्छता संचालन और स्वच्छ भारत मिशन (एसबीएम) के दिशा-निर्देशों पर औपचारिक प्रशिक्षण प्राप्त किया। इसके बाद उन्होंने पूरे समुदाय को जागरूक किया और एक स्थायी स्वच्छता मॉडल तैयार किया। इसके साथ ही महिलाओं ने सामुदायिक शौचालयों के रखरखाव की जिम्मेदारी भी ली। धीरे-धीरे उनकी मुहिम रंग लाई और इलाके का कायाकल्प हो पाया।
केसरी बुनकर ने बताया कि वह पिछले 10 सालों से इस मुहिम का हिस्सा हैं और वह पार्क की साफ-सफाई का काम करती हैं। वह सुबह 9 बजे और शाम पांच बजे के बीच ही यहां काम करती हैं। पहले यहां गंदगी का अंबार लगा रहता था। मगर अब इस पार्क की स्थिति बेहतर हुई है।
वहीं, मनबरी देवी स्वच्छ भारत अभियान की तारीफ करती हैं। वह बताती हैं कि पिछले 10 सालों में स्वच्छता के क्षेत्र में बहुत बदलाव आया है। पिछले कई समय से वह पार्क की साफ-सफाई का ख्याल रख रही हैं।
सावित्री योगी ने बताया कि वह पिछले 16 साल से पार्कों की सफाई का काम कर रही हैं। यहां वह पेड़ों की कटाई करती हैं और बाद में इसे खाद्य बनाने के लिए भेजा जाता है। स्वच्छता ही सेवा अभियान के तहत वह लोगों को जागरूक करने का भी काम करते हैं।
प्रकाश निर्वाण बताते हैं कि सफाई के क्षेत्र में शास्त्रीय नगर के लोगों का भी सहयोग मिलता है, इसी वजह से क्षेत्र का कायाकल्प हुआ है। हर एक पार्क में दो महिलाओं को तैनात किया गया है, जिनका काम होता है वहां की देखरेख करना और स्वच्छता को बरकरार रखना।
शास्त्री नगर (बाबारामदेव नगर) की महिलाओं के इस प्रयास ने राष्ट्रीय स्तर पर एक मिसाल कायम की है, जो स्वच्छता की दिशा में महिलाओं की महत्वपूर्ण भूमिका और उनके समर्पण को दर्शाता है।
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जयपुर, 5 अक्टूबर (आईएएनएस)। स्वच्छ भारत मिशन के 10 साल पूरे हो गए हैं। ऐसे में देशभर से स्वच्छता से जुड़ी कई कहानियां सामने आ रही हैं, जो न केवल समाज को प्रेरित कर रही हैं, बल्कि उनकी मुहिम ने एक क्रांति का रूप ले लिया है।
ऐसा ही कुछ राजस्थान के जयपुर में स्थित शास्त्री नगर (बाबारामदेव नगर) में देखने को मिला। यहां महिलाओं ने एक समूह बनाया, जिसने इलाके का नक्शा ही बदलकर रख दिया है। बीते कई वर्षों से इस इलाके के सैकड़ों परिवार सीवर कनेक्शन की कमी और सामुदायिक शौचालयों की खराब हालत और पार्क की बदतर स्थिति का सामना कर रहे थे। लेकिन, महिलाओं के समूह ने इन समस्याओं को हल करने का बीड़ा उठाया और सामुदायिक प्रबंधन समिति (सीएमसी) और सिंगल विंडो फोरम (एसडब्ल्यूएफ) का गठन किया।
मछुआरों, कचरा उठाने और घरों को संभालने वाली महिलाओं ने स्वच्छता संचालन और स्वच्छ भारत मिशन (एसबीएम) के दिशा-निर्देशों पर औपचारिक प्रशिक्षण प्राप्त किया। इसके बाद उन्होंने पूरे समुदाय को जागरूक किया और एक स्थायी स्वच्छता मॉडल तैयार किया। इसके साथ ही महिलाओं ने सामुदायिक शौचालयों के रखरखाव की जिम्मेदारी भी ली। धीरे-धीरे उनकी मुहिम रंग लाई और इलाके का कायाकल्प हो पाया।
केसरी बुनकर ने बताया कि वह पिछले 10 सालों से इस मुहिम का हिस्सा हैं और वह पार्क की साफ-सफाई का काम करती हैं। वह सुबह 9 बजे और शाम पांच बजे के बीच ही यहां काम करती हैं। पहले यहां गंदगी का अंबार लगा रहता था। मगर अब इस पार्क की स्थिति बेहतर हुई है।
वहीं, मनबरी देवी स्वच्छ भारत अभियान की तारीफ करती हैं। वह बताती हैं कि पिछले 10 सालों में स्वच्छता के क्षेत्र में बहुत बदलाव आया है। पिछले कई समय से वह पार्क की साफ-सफाई का ख्याल रख रही हैं।
सावित्री योगी ने बताया कि वह पिछले 16 साल से पार्कों की सफाई का काम कर रही हैं। यहां वह पेड़ों की कटाई करती हैं और बाद में इसे खाद्य बनाने के लिए भेजा जाता है। स्वच्छता ही सेवा अभियान के तहत वह लोगों को जागरूक करने का भी काम करते हैं।
प्रकाश निर्वाण बताते हैं कि सफाई के क्षेत्र में शास्त्रीय नगर के लोगों का भी सहयोग मिलता है, इसी वजह से क्षेत्र का कायाकल्प हुआ है। हर एक पार्क में दो महिलाओं को तैनात किया गया है, जिनका काम होता है वहां की देखरेख करना और स्वच्छता को बरकरार रखना।
शास्त्री नगर (बाबारामदेव नगर) की महिलाओं के इस प्रयास ने राष्ट्रीय स्तर पर एक मिसाल कायम की है, जो स्वच्छता की दिशा में महिलाओं की महत्वपूर्ण भूमिका और उनके समर्पण को दर्शाता है।
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जयपुर, 5 अक्टूबर (आईएएनएस)। स्वच्छ भारत मिशन के 10 साल पूरे हो गए हैं। ऐसे में देशभर से स्वच्छता से जुड़ी कई कहानियां सामने आ रही हैं, जो न केवल समाज को प्रेरित कर रही हैं, बल्कि उनकी मुहिम ने एक क्रांति का रूप ले लिया है।
ऐसा ही कुछ राजस्थान के जयपुर में स्थित शास्त्री नगर (बाबारामदेव नगर) में देखने को मिला। यहां महिलाओं ने एक समूह बनाया, जिसने इलाके का नक्शा ही बदलकर रख दिया है। बीते कई वर्षों से इस इलाके के सैकड़ों परिवार सीवर कनेक्शन की कमी और सामुदायिक शौचालयों की खराब हालत और पार्क की बदतर स्थिति का सामना कर रहे थे। लेकिन, महिलाओं के समूह ने इन समस्याओं को हल करने का बीड़ा उठाया और सामुदायिक प्रबंधन समिति (सीएमसी) और सिंगल विंडो फोरम (एसडब्ल्यूएफ) का गठन किया।
मछुआरों, कचरा उठाने और घरों को संभालने वाली महिलाओं ने स्वच्छता संचालन और स्वच्छ भारत मिशन (एसबीएम) के दिशा-निर्देशों पर औपचारिक प्रशिक्षण प्राप्त किया। इसके बाद उन्होंने पूरे समुदाय को जागरूक किया और एक स्थायी स्वच्छता मॉडल तैयार किया। इसके साथ ही महिलाओं ने सामुदायिक शौचालयों के रखरखाव की जिम्मेदारी भी ली। धीरे-धीरे उनकी मुहिम रंग लाई और इलाके का कायाकल्प हो पाया।
केसरी बुनकर ने बताया कि वह पिछले 10 सालों से इस मुहिम का हिस्सा हैं और वह पार्क की साफ-सफाई का काम करती हैं। वह सुबह 9 बजे और शाम पांच बजे के बीच ही यहां काम करती हैं। पहले यहां गंदगी का अंबार लगा रहता था। मगर अब इस पार्क की स्थिति बेहतर हुई है।
वहीं, मनबरी देवी स्वच्छ भारत अभियान की तारीफ करती हैं। वह बताती हैं कि पिछले 10 सालों में स्वच्छता के क्षेत्र में बहुत बदलाव आया है। पिछले कई समय से वह पार्क की साफ-सफाई का ख्याल रख रही हैं।
सावित्री योगी ने बताया कि वह पिछले 16 साल से पार्कों की सफाई का काम कर रही हैं। यहां वह पेड़ों की कटाई करती हैं और बाद में इसे खाद्य बनाने के लिए भेजा जाता है। स्वच्छता ही सेवा अभियान के तहत वह लोगों को जागरूक करने का भी काम करते हैं।
प्रकाश निर्वाण बताते हैं कि सफाई के क्षेत्र में शास्त्रीय नगर के लोगों का भी सहयोग मिलता है, इसी वजह से क्षेत्र का कायाकल्प हुआ है। हर एक पार्क में दो महिलाओं को तैनात किया गया है, जिनका काम होता है वहां की देखरेख करना और स्वच्छता को बरकरार रखना।
शास्त्री नगर (बाबारामदेव नगर) की महिलाओं के इस प्रयास ने राष्ट्रीय स्तर पर एक मिसाल कायम की है, जो स्वच्छता की दिशा में महिलाओं की महत्वपूर्ण भूमिका और उनके समर्पण को दर्शाता है।
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ऐसा ही कुछ राजस्थान के जयपुर में स्थित शास्त्री नगर (बाबारामदेव नगर) में देखने को मिला। यहां महिलाओं ने एक समूह बनाया, जिसने इलाके का नक्शा ही बदलकर रख दिया है। बीते कई वर्षों से इस इलाके के सैकड़ों परिवार सीवर कनेक्शन की कमी और सामुदायिक शौचालयों की खराब हालत और पार्क की बदतर स्थिति का सामना कर रहे थे। लेकिन, महिलाओं के समूह ने इन समस्याओं को हल करने का बीड़ा उठाया और सामुदायिक प्रबंधन समिति (सीएमसी) और सिंगल विंडो फोरम (एसडब्ल्यूएफ) का गठन किया।
मछुआरों, कचरा उठाने और घरों को संभालने वाली महिलाओं ने स्वच्छता संचालन और स्वच्छ भारत मिशन (एसबीएम) के दिशा-निर्देशों पर औपचारिक प्रशिक्षण प्राप्त किया। इसके बाद उन्होंने पूरे समुदाय को जागरूक किया और एक स्थायी स्वच्छता मॉडल तैयार किया। इसके साथ ही महिलाओं ने सामुदायिक शौचालयों के रखरखाव की जिम्मेदारी भी ली। धीरे-धीरे उनकी मुहिम रंग लाई और इलाके का कायाकल्प हो पाया।
केसरी बुनकर ने बताया कि वह पिछले 10 सालों से इस मुहिम का हिस्सा हैं और वह पार्क की साफ-सफाई का काम करती हैं। वह सुबह 9 बजे और शाम पांच बजे के बीच ही यहां काम करती हैं। पहले यहां गंदगी का अंबार लगा रहता था। मगर अब इस पार्क की स्थिति बेहतर हुई है।
वहीं, मनबरी देवी स्वच्छ भारत अभियान की तारीफ करती हैं। वह बताती हैं कि पिछले 10 सालों में स्वच्छता के क्षेत्र में बहुत बदलाव आया है। पिछले कई समय से वह पार्क की साफ-सफाई का ख्याल रख रही हैं।
सावित्री योगी ने बताया कि वह पिछले 16 साल से पार्कों की सफाई का काम कर रही हैं। यहां वह पेड़ों की कटाई करती हैं और बाद में इसे खाद्य बनाने के लिए भेजा जाता है। स्वच्छता ही सेवा अभियान के तहत वह लोगों को जागरूक करने का भी काम करते हैं।
प्रकाश निर्वाण बताते हैं कि सफाई के क्षेत्र में शास्त्रीय नगर के लोगों का भी सहयोग मिलता है, इसी वजह से क्षेत्र का कायाकल्प हुआ है। हर एक पार्क में दो महिलाओं को तैनात किया गया है, जिनका काम होता है वहां की देखरेख करना और स्वच्छता को बरकरार रखना।
शास्त्री नगर (बाबारामदेव नगर) की महिलाओं के इस प्रयास ने राष्ट्रीय स्तर पर एक मिसाल कायम की है, जो स्वच्छता की दिशा में महिलाओं की महत्वपूर्ण भूमिका और उनके समर्पण को दर्शाता है।
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ऐसा ही कुछ राजस्थान के जयपुर में स्थित शास्त्री नगर (बाबारामदेव नगर) में देखने को मिला। यहां महिलाओं ने एक समूह बनाया, जिसने इलाके का नक्शा ही बदलकर रख दिया है। बीते कई वर्षों से इस इलाके के सैकड़ों परिवार सीवर कनेक्शन की कमी और सामुदायिक शौचालयों की खराब हालत और पार्क की बदतर स्थिति का सामना कर रहे थे। लेकिन, महिलाओं के समूह ने इन समस्याओं को हल करने का बीड़ा उठाया और सामुदायिक प्रबंधन समिति (सीएमसी) और सिंगल विंडो फोरम (एसडब्ल्यूएफ) का गठन किया।
मछुआरों, कचरा उठाने और घरों को संभालने वाली महिलाओं ने स्वच्छता संचालन और स्वच्छ भारत मिशन (एसबीएम) के दिशा-निर्देशों पर औपचारिक प्रशिक्षण प्राप्त किया। इसके बाद उन्होंने पूरे समुदाय को जागरूक किया और एक स्थायी स्वच्छता मॉडल तैयार किया। इसके साथ ही महिलाओं ने सामुदायिक शौचालयों के रखरखाव की जिम्मेदारी भी ली। धीरे-धीरे उनकी मुहिम रंग लाई और इलाके का कायाकल्प हो पाया।
केसरी बुनकर ने बताया कि वह पिछले 10 सालों से इस मुहिम का हिस्सा हैं और वह पार्क की साफ-सफाई का काम करती हैं। वह सुबह 9 बजे और शाम पांच बजे के बीच ही यहां काम करती हैं। पहले यहां गंदगी का अंबार लगा रहता था। मगर अब इस पार्क की स्थिति बेहतर हुई है।
वहीं, मनबरी देवी स्वच्छ भारत अभियान की तारीफ करती हैं। वह बताती हैं कि पिछले 10 सालों में स्वच्छता के क्षेत्र में बहुत बदलाव आया है। पिछले कई समय से वह पार्क की साफ-सफाई का ख्याल रख रही हैं।
सावित्री योगी ने बताया कि वह पिछले 16 साल से पार्कों की सफाई का काम कर रही हैं। यहां वह पेड़ों की कटाई करती हैं और बाद में इसे खाद्य बनाने के लिए भेजा जाता है। स्वच्छता ही सेवा अभियान के तहत वह लोगों को जागरूक करने का भी काम करते हैं।
प्रकाश निर्वाण बताते हैं कि सफाई के क्षेत्र में शास्त्रीय नगर के लोगों का भी सहयोग मिलता है, इसी वजह से क्षेत्र का कायाकल्प हुआ है। हर एक पार्क में दो महिलाओं को तैनात किया गया है, जिनका काम होता है वहां की देखरेख करना और स्वच्छता को बरकरार रखना।
शास्त्री नगर (बाबारामदेव नगर) की महिलाओं के इस प्रयास ने राष्ट्रीय स्तर पर एक मिसाल कायम की है, जो स्वच्छता की दिशा में महिलाओं की महत्वपूर्ण भूमिका और उनके समर्पण को दर्शाता है।