नई दिल्ली, 15 मई (आईएएनएस)। जलवायु संकट से ब्रिटेन का कॉफी के प्रति प्यार व लगाव खतरे में है। चैरिटी क्रिश्चियन एड की एक नई रिपोर्ट में सोमवार को यह बात कही गई।
रिपोर्ट बताती है कि कैसे गरीब देशों में कॉफी किसानों को अमीर देशों से वित्तीय सहायता की आवश्यकता होती है, ताकि किसानों को जलवायु परिवर्तन के अनुकूल बनाने और इससे होने वाले नुकसान और क्षति को दूर करने में मदद मिल सके।
अकेले ब्रिटेन में, ब्रिट्स एक दिन में 98 मिलियन से अधिक कप कॉफी पीते हैं। क्रिश्चियन एड द्वारा गणना के अनुसार, यह नौ से अधिक ओलंपिक आकार के स्विमिंग पूल को भरने के लिए पर्याप्त है।
हालांकि, अंतर्राष्ट्रीय विकास चैरिटी के विश्लेषण ने चेतावनी दी है कि कॉफी किसानों को बढ़ते तापमान, अनियमित वर्षा, बीमारी, सूखे और भूस्खलन जैसे जलवायु संबंधी प्रभावों का सामना करना पड़ रहा है।
विशेषज्ञ पूवार्नुमानों ने चेतावनी दी है कि केवल 1.5-2 डिग्री के तापमान में वृद्धि से सदी के अंत तक कॉफी उगाने के लिए उपयुक्त भूमि आधे से अधिक 54 प्रतिशत तक कम हो जाएगी। इसमें वे दो देश, ब्राजील और वियतनाम शामिल हैं, जहां से यूके अधिकांश कॉफी का आयात करता है।
क्रिश्चियन एड द्वारा कमीशन सावंता के सर्वेक्षण से पता चलता है कि ब्रिटेने के पांच में से तीन (57 प्रतिशत) वयस्कों का कहना है कि वे चिंतित हैं कि जलवायु परिवर्तन ब्रिटेन में कॉफी की लागत, स्वाद और उपलब्धता को प्रभावित करेगा।
सर्वेक्षण यह भी दर्शाता है कि ब्रिटेन के 10 में से लगभग सात (69 प्रतिशत) वयस्कों का कहना है कि वे इस बात से सहमत हैं कि सरकार को ब्रिटेन में खाद्य आपूर्ति श्रृंखला पर जलवायु संकट के प्रभाव को कम करने के लिए और अधिक काम करना चाहिए।
रिपोर्ट का प्रकाशन – वेक अप एंड स्मेल द कॉफी: द क्लाइमेट क्राइसिस एंड योर कॉफी – क्रिश्चियन एड वीक की शुरुआत का प्रतीक है, जो यूके का सबसे लंबा चलने वाला धन उगाहने वाला सप्ताह है, जो 1957 से शुरू हुआ है।
रिपोर्ट के निष्कर्ष में जलवायु परिवर्तन और गरीबी से निपटने के लिए जरूरतमंद देशों की मदद की सिफारिश की गई है।
फेयरट्रेड फाउंडेशन, मलावी में मजुजु कॉफी कोऑपरेटिव, यूके स्थित कैटुरा कॉफी क्लब और जलवायु विशेषज्ञ कॉफी पर जलवायु संकट के प्रभाव पर विचार-विमर्श कर रहे हैं।
मलावी में मजुजु कॉफी कोऑपरेटिव के मुख्य कार्यकारी अधिकारी मैकसन नगांबी ने कहा,वैश्विक कॉफी मूल्य निर्धारण को ध्यान में रखना चाहिए कि किसान कॉफी के एक क्षेत्र को बनाए रखने के लिए और अधिक प्रयास कर रहे हैं और इसलिए उत्पादन की लागत में वृद्धि हुई है। यदि इसे पहचाना नहीं जाता है और कॉफी की कीमतों को ध्यान में नहीं रखा जाएगा, तो अधिकांश उत्पादक कॉफी की खेती छोड़ देंगे।
उन्होंने कहा कि प्रत्यक्ष वित्त पोषण की भी आवश्यकता है, जो छोटे स्तर के कॉफी उत्पादकों को लाभान्वित करे। यदि कुछ नहीं किया जाता है, तो आने वाले वर्षों में हमें कॉफी के बारे में भूल जाना चाहिए।
क्रिश्चियन एड के मुख्य कार्यकारी पैट्रिक वाट के अनुसार, ब्रिटेन सरकार के पास बदलाव लाने का एक अवसर है। उन्होंने कहा, ग्लोबल वामिर्ंग में बहुत कम योगदान देने के बावजूद, कॉफी किसान जलवायु संकट का सामना करने वालों में अग्रिम पंक्ति में रह रहे हैं।
यूके सरकार को जागना चाहिए और कॉफी उत्पादकों की मदद करनी चाहिए। हमारी उन लोगों के प्रति एक विशेष जिम्मेदारी है, जिनकी आजीविका जलवायु परिवर्तन से खतरे में है।
–आईएएनएस
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