नई दिल्ली, 30 अप्रैल (आईएएनएस)। केंद्र सरकार द्वारा बुधवार को जातिगत जनगणना को मंजूरी दिए जाने के फैसले पर राजनीतिक हलकों में हलचल तेज हो गई है। जेडीयू नेता केसी त्यागी ने इस फैसले का स्वागत करते हुए इसे सामाजिक न्याय और समकालीन समाजवादी आंदोलन की ऐतिहासिक जीत बताया।
केसी त्यागी ने समाचार एजेंसी आईएएनएस से बात करते हुए कहा कि जातिगत जनगणना की शुरुआत डॉक्टर भीमराव अंबेडकर, चौधरी चरण सिंह, कर्पूरी ठाकुर, नीतीश कुमार और समकालीन समाजवादी नेताओं ने की थी। इस मुद्दे को कांग्रेस ने कभी गंभीरता से नहीं लिया। 1931 में जब आखिरी बार जातिगत जनगणना हुई थी, उसके बाद कांग्रेस के शासनकाल में इसे कभी दोहराया नहीं गया।
उन्होंने आगे कहा कि यह सामाजिक परिवर्तन के उन नेताओं की जीत है, जो दशकों से इस मांग को उठा रहे थे। अंबेडकर से लेकर चौधरी चरण सिंह, कर्पूरी ठाकुर और नीतीश कुमार तक की मेहनत रंग लाई। इस फैसले का श्रेय अगर किसी को जाता है तो वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हैं, जिन्होंने इसे लागू कर सामाजिक न्याय की दिशा में ठोस कदम उठाया है।
इस बीच, जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हाल ही में हुए आतंकी हमले के बाद देश की सुरक्षा-व्यवस्था को लेकर भी केसी त्यागी ने टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि पहलगाम हमले का बदला लेने के लिए निरंतर मीटिंग और प्रयास जारी हैं। सेना को पूरी तरह सतर्क और सशक्त किया गया है। उन्हें पूरी स्वतंत्रता दी गई है। यह देश की सुरक्षा का सवाल है और 80 से 85 फीसदी आबादी के सशक्तिकरण का भी मुद्दा है। दोनों को एक साथ जोड़कर नहीं देखना चाहिए।
बता दें कि मोदी कैबिनेट ने बुधवार को जाति जनगणना को मंजूरी दे दी। सरकार के फैसले की जानकारी देते हुए अश्विनी वैष्णव ने कहा कि कांग्रेस की सरकारों ने जाति जनगणना का विरोध किया। 1947 के बाद से जाति जनगणना नहीं हुई। जाति जनगणना की जगह कांग्रेस ने जाति सर्वे कराया, यूपीए सरकार में कई राज्यों ने राजनीतिक दृष्टि से जाति सर्वे किया है। वैष्णव ने आगे कहा कि पीएम मोदी के नेतृत्व में राजनीतिक मामलों की कैबिनेट समिति ने फैसला किया है कि जाति गणना को आगामी जनगणना में शामिल किया जाएगा।
–आईएएनएस
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