नई दिल्ली, 30 अप्रैल (आईएएनएस)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बुधवार को केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में जातिगत जनगणना कराने का फैसला लिया गया। केंद्र सरकार के इस फैसले के बाद राजनीतिक बयानबाजी तेज हो गई है। बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष एवं राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के नेता तेजस्वी यादव ने इस पर प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि आज हमारे पुरखों, लालू यादव और समाजवाद की जीत हुई।
तेजस्वी यादव ने केंद्र सरकार के जातिगत जनगणना कराने के फैसले पर खुशी व्यक्त की। उन्होंने कहा, “यह हमारी 30 साल पुरानी मांग है। सबसे पहले लालू प्रसाद यादव और जितने हमारे पुरखे थे, उन्होंने आवाज उठाई। सभी को पता है कि जब 1996-1997 में जनता दल की सरकार थी, तब कैबिनेट में यह पास हुआ था। जनगणना हर 10 साल में होती थी, तो उस समय अगली बार जनगणना 2001 में हुई थी। उस समय अटल जी की सरकार थी, लेकिन यह नहीं हो पाया।”
उन्होंने कहा, “सबसे पहले बिहार सरकार ने जातिगत सर्वे कराया था, जिस समय महागठबंधन की सरकार थी और हम मुख्यमंत्री थे। हम लोगों ने आरक्षण की सीमा भी बढ़ाई थी, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मिलने गए थे कि जातिगत जनगणना को देशभर में करा लीजिए, लेकिन सदन में इसे मना कर दिया गया। ऐसे में आज हम लोगों, हमारे पुरखों, लालू यादव और समाजवाद की जीत हुई है। केंद्र सरकार को हमारे ही एजेंडों पर काम करना पड़ रहा है, यह हमारी ताकत है।”
उन्होंने आगे कहा, “अब हमारी मांग है कि जातिगत जनगणना को परिसीमन से पहले करना चाहिए। जैसे चुनाव में दलित भाइयों की सीटें आरक्षित होती हैं, उसी हिसाब से पिछड़ों और अति पिछड़ों की सीटों को भी आरक्षित करना पड़ेगा। हम इसकी लड़ाई लड़ रहे हैं। सिर्फ रिपोर्ट आने से नहीं, बल्कि बजट में भी इसका प्रावधान करना पड़ेगा। हमारी मांग रहेगी कि सरकार लोकसभा और विधानसभा के चुनाव में पिछड़ों और अति पिछड़ों को सीट आरक्षित करें।
भाजपा पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि सरकार चाहती तो यह पहले भी करा देती। लेकिन 2021 से 2025 हो गया और ये लोग जनगणना नहीं कराए। हम चाहते हैं कि यह पूरे देश में हो।
–आईएएनएस
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