भुवनेश्वर, 30 अप्रैल (आईएएनएस)। देश में जातिगत जनगणना कराने के फैसले पर केंद्रीय कैबिनेट की मुहर लगने पर ओडिशा के पूर्व मुख्यमंत्री और बीजद सुप्रीमो नवीन पटनायक ने स्वागत किया है। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट लिखकर कहा कि बीजू जनता दल हमेशा एसटी, एससी और ओबीसी जैसे पिछड़े वर्गों के साथ सामाजिक न्याय के लिए खड़ा है।
बीजद मुखिया ने अपने एक्स पोस्ट में लिखा, “आगामी जनगणना में जाति गणना को शामिल करने के केंद्रीय मंत्रिमंडल के निर्णय का स्वागत है। बीजू जनता दल लगातार देश भर में जाति जनगणना और आरक्षण पर 50 फीसदी की सीमा को हटाने की मांग कर रहा है। ओडिशा में, हमने 2023 में विभिन्न वर्गों से संबंधित लोगों की संख्या की गणना करने के लिए कुछ ठोस कदम उठाए हैं, ताकि हमें उनके विकास और उत्थान के लिए योजना बनाने में मदद मिल सके। जाति आधारित जनगणना कराने के केंद्र सरकार के इस फैसले से अब वही उद्देश्य पूरे होंगे। हम हमेशा सामाजिक न्याय के लिए खड़े हैं, खासकर एसटी, एससी और ओबीसी जैसे पिछड़े वर्गों के लिए।”
बता दें कि कैबिनेट बैठक में जाति जनगणना को भी मंजूरी दे दी गई है। सरकार के फैसले की जानकारी देते हुए अश्विनी वैष्णव ने कहा कि कांग्रेस की सरकारों ने जाति जनगणना का विरोध किया है। 1947 के बाद से जाति जनगणना नहीं हुई। जाति जनगणना की जगह कांग्रेस ने जाति सर्वे कराया, यूपीए सरकार में कई राज्यों ने राजनीतिक दृष्टि से जाति सर्वे किया है।
उन्होंने आगे कहा कि 2010 में तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने लोकसभा में आश्वासन दिया था कि जाति जनगणना पर कैबिनेट में विचार किया जाएगा। तत्पश्चात एक मंत्रिमंडल समूह का भी गठन किया गया था, जिसमें अधिकांश राजनीतिक दलों ने जाति आधारित जनगणना की संस्तुति की थी। इसके बावजूद कांग्रेस की सरकार ने जाति जनगणना के बजाए, एक सर्वे कराना ही उचित समझा जिसे सीईसीसी के नाम से जाना जाता है।
उन्होंने आगे कहा कि इन सब के बावजूद कांग्रेस और इंडी गठबंधन के दलों ने जाति जनगणना के विषय को केवल अपने राजनीतिक लाभ के लिए उपयोग किया।
वैष्णव ने कहा कि जनगणना का विषय संविधान के अनुच्छेद 246 की केंद्रीय सूची की क्रम संख्या 69 पर अंकित है और यह केंद्र का विषय है। हालांकि, कई राज्यों ने सर्वे के माध्यम से जातियों की जनगणना की है। जहां कुछ राज्यों में यह कार्य सूचारू रूप से संपन्न हुआ है वहीं कुछ अन्य राज्यों ने राजनीतिक दृष्टि से और गैर-पारदर्शी ढंग से सर्वे किया है।
–आईएएनएस
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